लेजेंड्री गायक मोहम्मद रफ़ी के परिवार का इतिहास
“दिल का सूना साज़ तराना ढूंढेगा
मुझको मेरे बाद ज़माना ढूंढेगा”
दोस्तों इस गीत को गाने वाले महान गायक को वाकई पिछले 40 सालों से जमाना ढूंँढ रहा है। लेकिन एक बार जो दुनिया छोड़कर चला जाए वह दोबारा लौटकर कभी नहीं आता। रह जाती हैं तो सिर्फ उनकी यादें। ऐसी ही यादों को आज आपके साथ साझा करने के लिए इसी महान गायक जिन्हें *शहंशाह – ए – तरन्नूम* के नाम से भी जाना जाता है।
नारद टी.वी.लेकर आया है उनके ही परिवार का इतिहास। वैसे देखा जाए तो इस महान गायक के खानदान के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। क्योंकि इनसे पहले और इनकी मौजूदगी से लेकर दुनिया से रुखसत होने तक इनके परिवार से इनके अलावा कोई भी सदस्य फिल्मी दुनिया के किसी भी क्षेत्र में नहीं आया।
वह अकेले ही फिल्मी दुनिया में आए अपने फन का जौहर दिखाया और दुनिया से चले गये। इस साल ही उन्हे दुनिया से रुखसत हुए 40 साल हो चुके हैं। वैसे तो एपिसोड के शुरू में जिक्र की हुई गाने कि दो पंक्तियों से ही आप समझ गए होंगे कि नारद टी.वी.आज किस महान गायक का इतिहास दिखाने की कोशिश कर रहा है।
जिन्हें हम सब भारतीय ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया मोहम्मद रफी साहब के नाम से जानती है। अब ज्यादा लंबा ना खींचते हुए आपको बताते हैं मोहम्मद रफी साहब के माता-पिता से लेकर उनके नाती पोतों तक का इतिहास। तो चलिये रफी साहब के माता-पिता से शुरुआत करते हैं . रफी साहब के पिता का नाम था हाजी अली मोहम्मद. वह गांव में *केटरिंग* का कारोबार करते थे
उनकी बीवी यानी रफी साहब की मां का नाम था *अल्लाहरखी।* मोहम्मद रफी साहब उनकी सातवीं संतान के रूप में पैदा हुए थे। जिनका जन्म पंजाब राज्य के अमृतसर जिले के कोटला सुल्तान सिंह गांव में हुआ था। रफी साहब लगभग 3 से 4 साल के होंगे जब उनके माता-पिता कोटला सुल्तान सिंह गांव को छोड़कर कारोबार के सिलसिले में लाहौर जा बसे।
उन्हें रफी साहब के अलावा और पांच बेटे और दो बेटियां थी। जिनमें सबसे बड़ी बेटी का नाम चिराग बीबी था। दूसरी बेटी का नाम रेशमा बीबी था। रफी साहब की इन दोनों बहनों के परिवार के बारे में कहीं से कोई जानकारी नहीं मिल पाई।
हाजी अली मोहम्मद और अल्लाहरखी को इन दोनो बेटियों के अलावा जो छह बेटे थे उनके नाम थे मोहम्मद शफी, मोहम्मद दीन, मोहम्मद इस्माइल, मोहम्मद इब्राहिम, मोहम्मद रफी और मोहम्मद सिद्दीक। इन छह बेटों मे मोहम्मद शफी जो सबसे बड़े थे उनके बारे में भी कोई जानकारी नहीं मिल पाई।उनसे छोटे मोहम्मद दीन जिन्हें फिल्मी दुनिया के अलावा बहुत सारे लोग हमीद भाई के नाम से जानते हैं।
हैं। उन्होंने ही रफी साहब के अंदर के गायक को बचपन में ही पहचान लिया था और अपने पिता की मर्जी ना होते हुए भी रफी साहब को संगीत की विधिवत शिक्षा दिलाने के लिए पहल की थी। जैसा की हमसब जानते है, फिल्मी दुनिया के मशहूर गायक के.एल.सहगल साहब ने जब लाहौर में आयोजित एक समारोह में बिजली गुल हो जाने के कारण गाने में असमर्थता दिखाई थी,
तब इस कार्यक्रम में मौजूद हमीद भाई ने आयोजकों से बिजली आने तक अपने साथ आए छोटे भाई मोहम्मद रफी को गंवाने का आग्रह किया। आयोजकों के मानने पर उन्हें मंच पर गाने का मौका दिया गया था। उस वक्त रफी साहब की आवाज़ *के.एल. सहगल* साहब को तो पसंद ही आई , साथ ही इसी कार्यक्रम में मौजूद उस वक्त के मशहूर संगीतकार *श्याम सुंदर* जी को भी पसंद आई ।
तब उन्होंने *हमीद भाई* से पूछा कि यह लड़का कौन है ? अच्छा गाता है! हमीद भाई ने उन्हें बताया कि उनके ही छोटे भाई मोहम्मद रफी है। तब उन्होंने अपना कार्ड देते हुए रफी साहब को फिल्मों में गाने के लिए मौका देने की बात कही । जब हमीद भाई ने अपनी *नाई की दुकान* को बंद कर रफी साहब को लेकर फिल्मी दुनिया में कदम रखा।
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तब पहले उन्हें *श्याम सुंदर* जी ने पंजाबी फिल्म *गुल बलौच* में गाने का मौका दिया था। लेकिन चूंकि क्षेत्रीय फिल्मों का दायरा सिमीत होता है। इसलिए हमीद भाई रफी साहब को लेकर मुंबई की हिंदी फिल्मों की बड़ी दुनिया में आ गए। यहां भी श्याम सुंदर जी ने ही रफी साहब को अपनी हिंदी फिल्म *गांव की गोरी* में गाने का मौका दिया था।
रफी साहब के तीसरे भाई मोहम्मद इस्माइल और चौथे भाई मोहम्मद इब्राहिम के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है। इन दोनों भाइयों के बाद मोहम्मद रफी साहब पांचवे नंबर पर थे और उनके बाद मोहम्मद सिद्दीक यह सबसे छोटे भाई थे। इनके बारे में भी कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।
आइए अब नजर डालते हैं रफी साहब के परिवार पर – रफी साहब के संघर्ष के दौर में उनकी पहली शादी बशीरा बीबी के साथ हुई थी। जिनसे उन्हें एक लड़का हुआ जिनका नाम सईद था। रफी साहब और बशीरा बीबी की शादी को मुश्किल से चार-पांच साल का अरसा ही गुजरा था की, भारत का विभाजन हो गया। जिसके परिणाम स्वरूप देश भर में दंगे शुरू हो गए।
इन दंगों में रफी साहब के सास-ससुर भी मारे गये। जिससे खौफ खाकर बशीरा बीबी ने भारत की बजाए पाकिस्तान के लाहौर में रहने का फैसला किया। जिसके लिए रफी साहब तैयार नहीं हुए और उनकी पहली शादी इस तरह से टूट गयी।
लेकिन बशीरा बीबी से हुए एकमात्र बेटे सईद जब बड़े हुए तब रफी साहब ने उन्हें लंदन भेज दिया और सईद लंदन में ही बस गए। वहां उन्होंने एयर इंडिया और एयर कुवैत के साथ काम करने के बाद अपने छोटे भाई खालिद जो बिलकिस बानो के बड़े बेटे थे उनके साथ मिलकर हवाई ढुलाई का कारोबार शुरू किया था।
लेकिन सईद की भी रफी साहब की तरह ही कम उम्र में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी। उनकी बीवी ज़किया और बच्चे लंदन में ही रहते हैं। पहली बीवी बशीरा बीबी के पाकिस्तान चले जाने के बाद रफी साहब ने बिलकिस बानो के साथ दूसरा निकाह किया था। जिनसे उन्हें छह संताने हुई। जिनमें तीन बेटियां और तीन बेटे शामिल है।
परवीन, नसरीन और यासमीन यह तीन बेटियां और खालिद, हामिद, शाहिद तीन बेटे । इनमें सबसे बड़ी बेटी परवीन की शादी आफताब अहमद से हुई है और वह गृहिणी है। मंझली बेटी नसरीन की शादी मेहराज अहमद से हुई है और वह अपनी मांँ बिलकिस बानो की तरह ही जरी का कारोबार देखती है। सबसे छोटी बेटी यासमीन की शादी परवेज अहमद से हुई है और वो भी गृहिणी है।
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इन तीनों बेटियों मे से एक बेटी अपने शौहर और बच्चों के साथ इंग्लंँडमें रहती है। और दुसरी दो बेटियाँ भारत मे ही रहती है। इन तीनों के परिवार वालों का फिल्मी दुनिया से कोई संबंध नहीं है। बेटों में खालिद की शादी यासमीन बेगम से हुई थी। हामिद की शादी फौजिया बेगम से हुई थी और सबसे छोटे बेटे शाहिद की शादी फिरदौस बेगम से हुई है।
रफी साहब के दूसरे बेटे खालिद उनके पहली मांँ के बेटे सईद के साथ लंदन में हवाई ढ़ूलाई का काम करते थे। लेकिन वह भी कम उम्र में रफी साहब की तरह ही दिल का दौरा पड़ने से गुजर गए। खालिद की बीवी यास्मिन बानो लंदन में ही रहती है। उन्होंने रफी साहब पर एक किताब भी लिखी है जिसका शीर्षक है – *मोहम्मद रफी मेरे अब्बा* गौरतलब है
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कि जब यह किताब प्रकाशित की गई तब लोगों को पता चला की मोहम्मद रफी साहब की दो बीवियां थी। उससे पहले सिवाय उनके घरवालों के किसी और को इस बात का इल्म नहीं था। क्योंकि उनकी दूसरी बीवी बिलकिस बानो पहली शादी का जिक्र करने पर गुस्सा हो जाया करती थी। इसलिए इस बारे में उनके रहते कोई जिक्र नहीं करता था।
लेकिन जब यास्मीन बानो ने किताब लिखी तब उसमें उन्होंने रफी साहब की पहली शादी का जिक्र करने पर पता चला कि रफी साहब की दो शादियां हुई थी। खालिद से छोटे बेटे हमीद भी लंदन में ही बस गए थे। और वहां लॉन्ड्री का कारोबार करते थे। लेकिन वह भी सईद और खालिद की तरह कम उम्र में ही दिल का दौरा पड़ने से गुजर गए।
उनकी बीवी फौजिया अपने बच्चों के साथ लंदन में ही रहती है। रफी साहब की सबसे छोटी बेटी यास्मिन अपने पति परवेज़ अहेमद और बच्चों के साथ मुंबई में ही रफी मेंशन बिल्डिंग में रहती है। और सबसे छोटे बेटे शाहिद भी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रफी मेंशन बिल्डिंग में ही रहते हैं। रफी साहब के चारों बेटों में अकेले शाहिद ही है, जो भारत में रहते हैं।
शाहिद गारमेंट्स का कारोबार करते हैं और आज से 10 साल पहले उन्होंने मोहम्मद रफी अकँडमी की शुरुआत की। रफी साहब के सब बेटों में अकेले शाहिद ही ऐसे हैं, जो रफी साहब के फन को थोड़ा-बहुत फॉलो करते हैं। उन्होंने कई मर्तबा स्टेज पर भी रफी साहब के गाने गाए हैं। लेकिन उन्हें आज तक पार्श्वगायक के तौर पर फिल्मों में गाने नहीं गाये ।
रफी साहब ने मुंबई के बांद्रा इलाके में 28 वें रोड पर 1 मंजिला बंगला बनाया था। जिसे रफी मेंशन नाम दिया था। लेकिन उनकी मौत के बाद उनके घरवालों ने उस बंगले को गिराकर वहां पांच मंजिला इमारत बनवाई है। रफी साहब के बेटों और बेटियों से मिलाकर कूल 19 नाती पोती थे। जिनमें से उनकी बड़ी बेटी परवीन और दामाद आफताब अहमद का एक बेटा उम्र के 18 वें साल में एक कार एक्सीडेंट में गुजर गया।
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रफी साहब ने मौत से 2 दिन पहले आसपास फिल्म के लिए “शाम फिर क्यों उदास है ए दोस्त” यह आखिरी गाना गाया था। यह एक सैड सॉन्ग था। क्या पता था की, जब वह खुद इस गाने में सवाल कर रहे थे की शाम क्यों उदास है ? इस गाने की रिकॉर्डिंग के 2 दिन बाद ही वह दुनिया भर के अपने चाहने वालों को उदास कर इस दुनिया से रुखसत हो जायेंगे यह कौन जानता था।
24 दिसंबर 1924 को जन्मे मोहम्मद रफी साहब 55 साल 7 महीने और 7 दिन की जिंदगी गुजार कर 31जुलाई 1980 को इस दुनिया से रुखसत हो गए। रफी साहब के मौत के बाद उनकी बीवी बिलकिस बानो का 18 साल बाद 4 मार्च 1998 को देहांत हो गया। रफी साहब, उनकी बीवी, तीन बेटे और एक पोता गुजर चुके हैं।
तो दोस्तों रफी साहब के खानदान और परिवार के बारे बहुत कम जानकारी उपलब्ध होते हुए भी नारद टी.वी. ने ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल कर आपके सामने पेश करने की कोशिश की हैजिसका आप सभी लोग बहुत दिनों से रिक्वेस्ट कर रहे थे . उम्मीद है आपको नारद टी.वी. का यह प्रयास पसंद आएगा।
लेखक : S.M.Yusuf