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Indian Top order vs Left Arm Pacers

साल था 2019, वर्ल्ड (World) कप सेमीफाइनल (Semifinal) भारत बनाम न्यूजीलैंड (New Zealand), गेंद थी ट्रेंट (Trent) बोल्ट के हाथ में, और हमारा स्कोरकार्ड (Scorecard) था 5–3, जो कि क्रिकेट नहीं, बल्कि फुटबॉल (Football) का स्कोर लग रहा था। सब एक लेफ्ट आर्म (Arm) पेसर की कृपा थी। भले ही इस इंडिया (India) हार गया था। हमारा वर्ल्ड कप वहीं ख़त्म हो गया था। लेकिन तब इसे सबने ही इग्नोर (Ignore) किया। फिर आया 2021 का टी 20 वर्ल्ड कप, भारत बनाम पाकिस्तान (Pakistan) जहां शाहीन ने हमारे टॉप 3 को हिलाकर रख दिया। तब सबने कहा कि यार ये तो बड़ी सीरियस (Serious) प्रॉब्लम आ गई इंडियन (Indian) टीम में। और जब कल पाकिस्तान के खिलाफ़ मैच (Match) में रोहित,कोहली को एक बार फिर एक लेफ्ट (Left) आर्म पेसर (Pressure) शाहीन (Shahid) अफरीदी ने आउट (Out) कर दिया,तो सब सोचने लगे कि पिछले 4–5 साल से हम लेफ्ट (Left) आर्म पेसर के सामने बड़े कमज़ोर पड़ जाते हैं,ये हमारी सबसे बड़ी कमज़ोरी (Weakness) है। लेकिन सच कहूं तो ये कमज़ोरी कोई आज कल की,या 4,6 साल पुरानी नहीं है। ये वो जैनेटिक (Genetical) डिसऑर्डर (Disorder) है जो कि लगभग 3.5 दशक (Decade) से पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे टॉप (Top) ऑर्डर पर पास होता चला आ रहा है। लेकिन इसका सॉल्यूशन (Solution) आज तक कोई समझ नहीं पाया। न ही किसी को इसका रीजन (Reason) पता चलता। यकीन नहीं होता न,कोई बात नहीं,आज की पोस्ट में सब क्लीयर (Clear) हो जायेगा। आज हम बात करेगें कि ये लाइलाज दिख रही बीमारी (disease) कब से शुरू हुई। कैसे हर साल कोई बड़े मैच (Match) में हमें लेफ्ट (Left) आर्म पेसर धाराशाही कर देते।साथ ही ये भी जानेंगे कि आखिर क्यों इतने साल में ये बीमारी ठीक ही नहीं हो सकी।क्या सच में इसका कोई सॉल्यूशन (Solution) है भी या नहीं।

left arm players

तो साल था 1992, वर्ल्ड कप का ग्रुप स्टेज (Stage) जहां इंडिया पाकिस्तान (Pakistan) के बीच मुकाबला चल रहा था। हम पहले बैटिंग  (Batting) कर रहे थे। सामने पाकिस्तान के लेफ्ट आर्म पेसर वसीम अकरम नई बॉल (Ball) से हम पर धावा बोल रहे थे। हमारे ओपनर्स (Openears) थे, डेब्यूटेंट अजय जडेजा और कृष्णमचारी श्रीकांत। अब श्रीकांत बाबू की फ्री (Free) फ्लोइंग गेम हम सब जानते ही हैं।वे दबकर नहीं बल्कि दबाकर तड़ी देकर खेलने वाले प्लेयर (Player) थे जो कि फियरलेस (Fearless) ओपनिंग के लिए मशहूर (Famous) थे। लेकिन एक लेफ्ट आर्म पेसर का कहर कुछ ऐसा था कि उस दिन वसीम आते पिच पर एक ठप्पे की गेंद (Ball) करते और वो गेंद मोईन के दस्तानों में पहुंचती। वसीम के पास अच्छी खासी पेस तो थी ही,साथ ही स्विंग (Swing) भी अव्वल दर्जे का। बस, ऐसा लग रहा था कि यही दोनों खेल रहे थे। बीच में बैट्समैन (Batsman) तो बस बैट किसी तरह टच (Touch) करने की कोशिशों में लगा था। आलम कुछ ऐसा रहा कि चिका 39 बॉल में महज़ 5 रन ही बना पाए। अजय जड़ेजा भी कोई खास रन (Run) नहीं बना पाए वसीम के आगे। आगे कई वर्षों तक वसीम अकरम ने हमारी नाक में दम कर रखा था।

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ये बात यहीं खत्म (Finish) नहीं हुई। 1996 में आया एक और वर्ल्ड (World) कप।साथ ही भारतीय (Indian) टीम के सामने एक और खतरा। श्रीलंका (Sri Lanka) में एक यंगस्टर (Youngstar) की एंट्री हुई, जो कोई 150 वाला नहीं, बल्कि 120,125 की स्पीड वाला बॉलर (bowller) था जो कि बड़ी ही गजब की लाइन (Line) लेंथ पर बॉलिंग करता। उन्होंने लीग स्टेज (Stage) और सेमीफाईनल (Semifinal) दोनों में ही अपने ओपनिंग (Opening) स्पैल से हमारी नाक में दम कर दिया था। जो कि एक बड़ा कारण (Reason) रहा हमारी हार का। आगे इंडियन (Indian) टीम में भी एंट्री होती है नजफगढ़ के नवाब वीरेंद्र (Virendra) सहवाग की। जो वैसे तो बड़ा ताबड़तोड़ थे,लेकिन लेफ्ट आर्म पेसर के आगे उनकी भी शक्तियां आधी हो जाती। चाहे वो ऑस्ट्रेलिया (Australia) के नाथन ब्रैकेन हों,या श्रीलंका के चमिंडा वास। 2003 वर्ल्ड कप से पहले हुई अनेकों मैचेज (Matches) में हमने ये साफ़ देखा। सहवाग स्ट्राइक (Strike) पर, सामने से आया लैफ्टी पेसर, पहली या दुसरी बॉल लेग स्टंप (Stump) गोस फॉर अ वॉक। उनके सिर चढ़कर ये खौफ कुछ इस कदर बोला कि पाक के खिलाफ वे स्ट्राइक (Strike) नहीं लेंगे बीकॉज सामने वसीम थे। 2007 वर्ल्ड (World) कप, फिर सामने श्रीलंका  (Sri Lanka) और फिर हमारे दोनों ओपनर (Opener) उथप्पा और गांगूली (Gaguli) को निपटा जाए। गांगुली के तो उस सीन पैर ही नहीं चले। और 23 बॉल सिर्फ़ 7 रन बनाकर आउट (Out) हो गए। हमसे फिर चेस (Chase) तो कहां ही होना था ये टोटल। सिर्फ़ 185 पर ऑलआउट,और ग्रुप स्टेज में ही हमारा खेल खत्म। सिर्फ़ ये एक ही बॉलर (Bowler) नहीं था।अब ऑस्ट्रेलिया में एंट्री (Entry) हुई एक खूंखार मिचेल (Michel) जॉनसन की। जॉनसन जिनके पास 150 की पेस तो थी ही,साथ ही स्विंग (Swing) भी घातक। और उनका बाउंसर (Bouncer) खेलना बड़ा मुश्किल था।

जो  कि बाईलैटरल (Baitaral) सीरीज में तो हमारे टॉप (Top) ऑर्डर को आउट करते ही थे,लेकिन वर्ल्ड कप में भी हमारा काल बन जाते। पर हम पर अटैक (Attack) चारों तरफ से हो रहा था। मानो अपोजिशन (Opposition) टीम को भी ये पता था कि इन्डियन (Indian) टॉप ऑर्डर (Order) लैफ्टी पेसर्स के आगे बिल्कुल ही मायूस दिखता है। 2011 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान ने भी इसी चीज़ का फायदा उठाया। सेमीफाईनल (Semi Final) में शोएब अख्तर को ड्रॉप (Drop) किया,और वहाब रियाज को टीम में लिया। वहाब भी उस दिन खूब रियाज़ करके आए थे। और उन्होंने हमारे 5 आउट (Out) कर दिए। क्या सहवाग क्या युवराज क्या विराट, उस दिन हमारा टॉप ऑर्डर पुरी तरह उनकी मुट्ठी में। अब सचिन (Sachin) ठहरे साधु आदमी। ये फनकार वर्षों से ये चीज़ देखते आ रहे थे। एक उनको छोड़कर बाकी कोई भी हमारा टॉप ऑर्डर बैट्समैन (Batsman) लैफ्टी पेसर्स के आगे कंफर्टेबल (Comfortable) नहीं होता था।
खैर,ये मैच भी और फिर वर्ल्ड कप हम जीत गए और बात फिर दब गई। लेकिन फिर आया 2012 का वो चेन्नई (Chennai) ओडीआई (Odi)। इंडिया बनाम पाकिस्तान। जहां पाकिस्तान (Pakistan) की बॉलिंग (Bowling) ओपन कर रहे थे जुनैद खान और मोहम्मद इरफान। गरीबी में आटा, कि दोनों लैफ्टी (Lefty) । जुनैद खान ने तो तबाही मचा दी थी।और सहवाग (Sehwag),गंभीर, रोहित, विराट, युवराज सबको समेट दिया। सिर्फ़ 29 रन और हमारी आधी टीम पवेलियन। बहुत परेशान करते थे जुनैद भी हमें। पर हमने यहां से भी सीख नहीं ली। वो तो किस्मत अच्छी थी कि कोई क्वालिटी (Quality) लेफ्टी बॉलर चैंपियंस (Champions) ट्रॉफी (Trophy) में नहीं टकरा।

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पर 2014 में जब हमने बांग्लादेश (Bangladesh) का टूर (Tour) किया,तो वहां एक 19 साल का लड़का डेब्यू कर रहा था,जिसकी हरकत करती गेंदों ने हमें बड़ा परेशान किया।ये जनाब थे मुस्तफिजुर रहमान। जनाब तीनों ओडीआई (ODI) में रोहित शर्मा को आउट कर गए। 3 मैचों में 14 विकेट,एक फाइफर, एक सिक्सफर। भईया एक बार फिर एक लेफ्टी (Lefty) पेसर ने पूरा खून चूस लिया था हमारी बैटिंग (Batting) ऑर्डर का।

पर 2015 वर्ल्ड कप में भी हम कहां बचने वाले थे। अब तो जॉनसन (Johnson) के साथ स्टार्क थे, दोनों की शक्तियां दो गुना। पहले प्रेक्टिस मैच, फिर सेमीफाइनल, आ गए लपेटे में।अब शिखर को तो कोई प्रोब्लम नहीं थी लेफ्टी पेसर्स से।लेकिन रोहित, विराट को फिर से जॉनसन ही आउट कर ले गए। तो स्टार्क ने भी रहाणे का पत्ता काट दिया। हर बार की तरह धोनी (Dhoni) हावी हुए इन बॉलर्स (Bowlers) पर,लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। ये दोनों लैफ्टी हमारी टॉप (Top) ऑर्डर तहस नहस कर चुके थे। और 95 रन से सेमीफाइनल (Semifinal) हार हम वर्ल्ड कप से बाहर हो गए। क्योंकि टॉप ऑर्डर (Order) फिर से तैयारी करके नहीं आया था लैफ्टी  (Lefty) को फेस (Face) करने की। खैर, सोचा था कि अब तो सीख लेंगे। पर नहीं, हम कहां सुधरने वाले थे। अब 2016 का एशिया (Asia) कप हो या टी 20 वर्ल्ड कप, आज भी अगर सर्च (Search) करेंगे तो साफ़ साफ़ पता चल जाएगा कि इंडिया पाकिस्तान (Pakistan) के मैच में क्यों मोहम्मद आमिर का कद और ऊंचा था। क्योंकि रोहित ने लेफ्ट (Left) आर्म पेसर को खेलने के लिए अभी भी तैयारी नहीं की थी। यही चीज़ चली 2017 चैंपियंस  (Champions) ट्रॉफी फाइनल में। जहां रोहित को सिर्फ तीसरी ही बॉल (Ball) पर आमिर ने एलबीडब्ल्यू (LBW) कर दिया। विराट भी कुछ नहीं कर पाए। और शिखर को भी आमिर की आग उगलती गेंदों (Balls) ने आउट कर दिया।हम 180 रनों से फाइनल (Final) हार गए। क्योंकि हमारा टॉप ऑर्डर एक बार फिर लेफ्ट आर्म पेसर के ओपनिंग स्पैल में आउट हो गया।

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फिर आया 2019 का वर्ल्ड कप। रोहित पुरा ग्रुप स्टेज में धुआंधुआं कर रहे थे। सोचा था अब तो कोई प्रोब्लम नही।5 शतक जड़कर वे एक छत्र राज कर रहे थे।लेकिन तभी आ गया सेमीफाइनल न्यूज़ीलैंड (NE Zealand) के खिलाफ़। सामने थे ट्रेंट (Treat) बोल्ट, अरे यार, फिर वही नाइटमैयर(Nightmare) ।एक बार फिर रोहित और विराट को ट्रेंट बोल्ट (Bolt) ने आउट कर दिया।एक बार फिर करोड़ों दिल टूटे। एक  बार फिर एक लैफ्टी (Lefty) पेसर ने हमारी कमर तोड़ दी। यही हाल हुआ 2021 टी 20 वर्ल्ड कप में। सामने था पाकिस्तान। शाहीन के हाथ में नई बॉल। रोहित तो पहली बॉल (Ball) पर ही आउट हो गए। राहुल को भी उन्होंने क्लीन (Clean) बोल्ड कर दिया। विराट ने भले ही 50 मारी,लेकिन शाहीन के कहर से नहीं बच सके। इसी साल हुई WTC फाइनल में नील वेगनर ने वैसे ही नहीं छोड़ा हमें।उनकी शॉर्ट (Short)  पिच बॉलिंग।और बोल्ट की लाइन लेंथ।एक बार फिर हमें धाराशाही कर गई।एक और ट्रॉफी (Trophy)  हमारे हाथ से चली गई।

फिर आया 2022 का टी 20 वर्ल्ड कप। साउथ अफ्रीका के सामने जब केएल राहुल ने वेन पार्नेल का ओवर 9 मैडन खेला था,तो उनकी नियत साफ हो गई थी कि हमारा टॉप ऑर्डर लैफ्टी (Lefty) पेसर्स से अभी भी डरकर ही खेलेगा।ये सुधरेंगे नही।
2022 में ही हमने इंग्लैंड (England) का टूर (Tour) किया था,याद होगा आपको। वहां रीस टॉपले ने दूसरे ओडीआई (ODI) में 6 विकेट लिए थे। हमारे ओपनर्स क्या, उन्होंने मिडल, लोअर ऑर्डर तक को नहीं छोड़ा था। ओडीआई था या टी 20,उनका कहर भरपूर था।
और हां अगर कहीं आप ये सोच (Think) रहे हों कि अभी भी ये सुधर गए तो आप गलत है। कल हुए एशिया कप के मुकाबले में आपने साफ़ साफ़ देख ही लिया। जहां शाहीन ने विराट (Virt) और रोहित को तो बोल्ड मारा ही, बल्कि 4 विकेट लेकर हमारी दशा दिशा सब बिगाड़ दी।
अब आपने खुद देख ही लिया कि हम हर जगह लेफ्ट (Left) आर्म (Arm) पेसर के सामने ही फसते है, चाहे फॉर्मेट (Format) कोई भी हो, वर्ल्ड कप कोई भी हो। लेकिन ये कोच (Coach) क्या करने के लिए हैं इस टीम में मुझे समझ नहीं आ रहा। माना लेफ़्ट आर्म पेसर का एंगल (Angle) होता है मुश्किल। लेकिन पूरी दुनियां भी तो खेल ही रही है।तो हम क्यों सुधरते नहीं।

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देखिए, गलती सुधारने के लिए सबसे पहले तो अपनी कमी माननी पड़ती है । और फिर उसका इलाज कराना पड़ता है। सिर्फ बीमारी (Diseases)  कहने से ही बीमारी का इलाज नहीं होगा। बीमारी की दवाई भी लेनी पड़ेगी। हमारे खुद के पास सिर्फ एक लेफ्ट आर्म पेसर था जिसे लीजेंड (Legend) कहा जाए,वो थे जहीर खान। आशीष नेहरा भी अच्छे खासे बॉलर थे लेकिन इंजरीज (Injury) ने उन्हें उतना बड़ा बनने नहीं दिया। दूसरे देशों में एक से बढ़कर एक लेफ्ट आर्म पेसर भरे पड़े हैं। चाहे वो स्विंग (Swing) वाले हों,या पेस वाले,जिन्हें उनके बैट्समैम नेट्स (Nets) में खेलते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि हमारे पास क्यों लेफ्टी पेसर नहीं है। दोस्तों 140 करोड़ की पॉपुलेशन (Population) वाले इस देश में पुरी वैरायटी है। लेकिन प्रॉब्लम (Problem) ये है कि इस टीम का कोचिंग (Coaching) स्टाफ (Staf) कुछ करना नहीं चाहता। अब जिस टीम का बैटिंग (Batting) कोच ही विक्रम राठौर हो,उससे कोई उम्मीद (Hope) लगाई भी कैसे जा सकती है। ऐसे तो हमारे पास मुकेश चौधरी, जयदेव उनादकट, मोहसिन खान, अर्शदीप सिंह और काफ़ी अननोटिस्ड (Underlist) प्लेयर भी है । जो कि डोमेस्टिक (Domestic) में अच्छा करते हैं। ऐसे में आपको चाहिए कि टीम में डायरेक्ट (Direct) नहीं तो कम से कम इन्हें नेट (Net) बॉलर बनाकर प्रैक्टिस (Practic) करिए।एक लैफ्टी नहीं,3,4 ले जाइए। सबमें अलग कला है,इन सबकी गेम (Game) अलग है। तब जाकर ये प्रोब्लम ठीक होगी। वर्ना आगे भी हमारे मीडिया वाले लेफ्ट आर्म पेसर का हउआ बनाते रहेंगे और बल्लेबाज़ उसमें उलझते रहेंगे।

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