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बिजय आनंद: नब्बे के दशक का वो हीरो जिसने पर्दे पर जब दोबारा वापसी की तो कोई पहचान ही नहीं सका।

कहते हैं कि ऐक्टिंग का कीड़ा एक बार जिसे लग जाये फिर वो साँस लेना छोड़ सकता है लेकिन ऐक्टिंग से दूर नहीं रह सकता। फिल्मी दुनियाँ में ढेरों ऐसे ऐक्टर्स हुये जिन्होंने बहुत कोशिश की, कि ऐक्टिंग छोड़ किसी और पेशे में चले जायें, लेकिन उन्हें वापस आना पड़ा। कुछ ऐक्टर्स कामयाब हो भी गये तब भी वो पूरी तरह से इस प्रोफेशन को नहीं छोड़ सके, जब भी कोई मन मुताबिक काम मिला उसे करने से ख़ुद को रोक नहीं सके।

ऐसे ऐक्टर्स की वापसी को कई बार दर्शकों ने हाथों हाथ लिया तो कई बार उन्हें वह मकाम न मिल सका जिसे कि वो छोड़ कर चले गये थे। इन्हीं मे से कुछ ऐसे ऐक्टर्स भी हुये जिनकी वापसी पे कोई उन्हें पहचान भी नहीं सका हालांकि उनकी उस नयी छवि को ख़ूब सराहा गया। 

अपनी नयी पहचान के साथ दर्शकों के दिल में दोबारा जगह बना लेने वाले ऐसे ही ऐक्टर्स में से एक नाम बिजय आनंद का भी है जो 90 के दशक मे हिंदी फ़िल्मों का एक चर्चित चेहरा हुआ करते थे।

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फिल्म: प्यार तो होना ही था

फिल्म: प्यार तो होना ही था

वर्ष 1998 में प्रदर्शित हिट फिल्म प्यार तो होना ही था में काजोल के मंगेतर के रोल से मशहूर हुए बिजय आनंद ने क्यों अचानक फिल्मी दुनियाँ को अलविदा कह दिया? इस दौरान उन्होंने ख़ुद को कहाँ व्यस्त रखा? और ऐसे किस  रूप में वापसी की, कि उनके अभिनय को पसंद करने के बावज़ूद दर्शक उन्हें पहचान न सके?

दोस्तों बिजय आनंद जी का शुरुआती जीवन बहुत संघर्षों से भरा रहा। इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि बिजय जी ने अपने स्कूल के दिनों में लोकल ट्रेनों में साबुन बेचने के साथ साथ ढेरों अलग-अलग काम किये। कम उम्र में ही उन्हें मार्केट की अच्छी नॉलेज हो गयी थी जिसकी वज़ह से बाद में वे स्टॉक मार्केट से भी जुड़े।

एक आकर्षक चेहरे और अच्छी पर्सनैलिटी होने के कारण उन्हें मॉडलिंग के ऑफर भी मिलने लगे हालांकि उन्होंने शुरू शुरू में तो इस काम को करने से इनकार कर दिया लेकिन बाद में लोगों के समझाने के बाद इसे अपना प्रोफेशन बना लिया और एक सफल मॉडल बने। उन्होंने रेमण्ड और कैड्बरीज़ जैसी ढेरों बड़ी कम्पनीज़ के विज्ञापनों में काम किये।

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बिजय आनंद की अभिनय में रूचि-

 बिजय ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत टेलीविज़न से की थी। वे आसमान से आगे, ‘ख़ुशी, औरऔरतजैसे कई धारावाहिकों के साथ-साथ कुछ फिल्मों में भी नज़र आए। वर्ष 1996 में प्रदर्शित फिल्म यश में उन्हें बतौर नायक काम करने का मौक़ा मिला।

अजय देवगन और काजोल अभिनीत फिल्म प्यार तो होना ही थाभला किसे नहीं याद होगी। ढेरों जाने पहचाने चेहरों के साथ 90 के दशक में बनी इस सफल रोमांटिक फिल्म में एक चेहरा बिजय आनंद का भी था।

इस फिल्म में उन्होंने एक नकारात्मक लेकिन फनी कैरेक्टर को अपनी नेचुुुुरल ऐक्टिंग से यादगार बना दिया था। मगर इस फिल्म की कामयाबी के बाद अचानक बिजय फिल्मों से क्यों गायब हो गए ये किसी को उस वक़्त पता नहीं चला।

हालांकि वे वर्ष 2002 में प्रदर्शित धारावाहिक रामायणमें लक्ष्मण के रोल के अलावा हाॅरर शो रात होने को हैमें भी नज़र आये  लेकिन इसके बाद बिजय न सिर्फ बॉलीवुड बल्कि टेलीविज़न से भी पूरी तरह से गायब हो गए। वक़्त गुज़रने के साथ ढेरों नये ऐक्टर्स के आने से कई पुराने चेहरों की तरह दर्शकों ने धीरे-धीरे बिजय को भी भुला दिया। 

शायद यही कारण था कि जब वर्षों के बाद बिजय ने ऐक्टिंग के फ़ील्ड में वापसी की तो दर्शक उन्हें पहचान भी नहीं सके। दोस्तों वर्ष 2015 में प्रदर्शित टीवी सीरियल सिया के रामतो आपने ज़रूर  देखा होगा। सीता जी के चरित्र को केन्द्र में रख रामायण पे आधारित इस धारावाहिक में राजा जनक के चरित्र को बिजय आनंद ने अपने दमदार अभिनय से जीवंत कर दिया था। दर्शकों द्वारा इस चरित्र को पसंद किये जाने के बावज़ूद किसी को पता ही नहीं चल सका कि ये वही बिजय आनंद हैं।

 दोस्तों बिजय का कहना है कि जब फिल्म प्यार तो होना ही थाहिट हुई तो उनके पास तक़करीब 22 फिल्मों में लीड रोल के ऑफर आये थे, लेकिन तब तक उन्होंने फिल्में छोड़ने का मन बना लिया था। एक इंटरव्यू के दौरान बिजय ने कहा था कि फिल्मों में अपना नाम बनाने के लिए उन्हें खूब संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने गरीबी और संघर्ष सब कुछ देखा है।

आध्यात्म और योग को समर्प्रित-

दोस्तों बिजय हमेशा से एक एक्टर ही बनना चाहते थे और उन्होंने एक वक़्त अपनी पहचान भी बना ली थी लेकिन बाद में उन्हें यह एहसास होने लगा कि इन सबका जीवन में कोई मतलब नहीं है। उनका मन अशांत रहने लगा था इसलिए उन्होंने इंडस्ट्री छोड़ने का फैसला कर लिया। इस बीच उन्होंने ख़ुद योग सीखा और लोगों को भी सिखाया। उन्होंने पूरी तरह से एक्टिंग को छोड़ कर आध्यात्म को अपना लिया और अपनी जिंदगी को उन्होंने योग को समर्पित कर दिया।

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Bijay Anand
गोल्डन ब्रिज योग-

ऐसा कहा जाता है कि 26 साल की उम्र में बिजय को गठिया रोग की शिकायत हो गयी थी, तभी से वे स्वास्थ्य के प्रति इतने जागरूक हो गये। उन्होंने तय कर लिया था कि अब वे लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरुक करने में ही अपना जीवन समर्पित कर देंगे। उन्होंने गोल्डन ब्रिज योगसंस्था से योगाभ्यास का प्रशिक्षण लिया और लोगों को सिखाना भी शुरू कर दिया। एक जाने माने योग प्रशिक्षक के रूप में बिजय ने अपना एक नाम भी बना लिया।

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धारावाहिक ‘सिया के राम

दोस्तों योग और आध्यात्म से जुड़े बिजय को जब धारावाहिक सिया के राममें राजा जनक का चरित्र निभाने का मौक़ा मिला तो उनके भीतर का दबा ऐक्टर कहीं फिर से ज़िन्दा हो उठा और वे इस चरित्र को ना नहीं कर सके। उन्होंने न सिर्फ इसे स्वीकार किया बल्कि इस चरित्र को पूरी तरह से जिया भी।

बालाजी के शो ‘दिल ही तो है

टीवी पर इस शानदार वापसी के बाद उन्हें कई नए सीरियल्स के ऑफर मिलने लगे। बालाजी के शो दिल ही तो हैमें बिजय के अभिनय को ख़ूब पसंद किया गया। कई धारावाहिकों और फिल्मों के अलावा बिजय ने नेटफ्लिक्स के शो बाहूबली-बिफोर द बिगनिंगजैसे कुछ वेब सिरीज़ में भी काम किया है। वे जल्द ही कुछ और फिल्मों और वेब सिरीज़ में नज़र आने वाले हैं।

दोस्तों बिजय कुंडलिनी योग टीचर होने के साथसाथ एक राइटर और आर्ट कंसल्टेंट भी हैं। वे सोशल मीडिया पर आए दिन अपनी तस्वीरें शेयर करते रहते हैं। हालांकि अब बिजय का चेहरा-मोहरा पूरी तरह से बदल चुका है और लंबी-सफेद दाढ़ी में नजर आने वाले बिजय को देख कर उन्हें पहचानना अब काफी मुश्किल है। 

26 नवंबर 2008-

दोस्तों बिजय आनंद के साथ एक ऐसी दिल दहला देने वाली घटना भी घट चुकी है जिसे सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जायेंगे। बात 26 नवंबर 2008 की है जिस दिन आतंकवादियों ने मुंबई को अपना निशाना बनाया था। ठीक उसी दिन बिजय एक्ट्रेस सोनाली खरे जो कि अब उनकी पत्नी हैं उनके साथ ताज होटल डेट पर गए थे।

एक इंटरव्यू में सोनाली खरे ने ख़ुद बताया था कि उन लोगों के वहाँ पहुँचने के 10 मिनट में ही फायरिंग शुरू हो गई थी। पहले उन्हें कुछ अंदाजा नहीं हुआ, उन्हें लगा कि कोई गैंगवॉर चल रहा है।

आतंकवादी अंधाधुन गोलियां बरसा रहे थे। ऐसे में वे जान बचाने के लिए होटल के किचन में जाकर छिप गये। जहाँ उन दोनों के अलावा 40 और लोग भी छिपे हुए थे। 10 घंटे तक सभी उसी जगह मौत की आहट सुनते रहे थे। हालांकि, कुछ वक्त के बाद ब्लैक कैट कमांडो वहां पर पहुंच गए और सभी की जान बच गई। 

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बिजय आनंद
बिजय आनंद का ब्यक्तिगत जीवन- बिजय आनंद की पत्नी सोनाली खरे जी एक मराठी ऐक्ट्रेस हैं। उन्होंने कुछ हिंदी धारावाहिकों में भी काम किया है। धारावाहिक रात होने को हैके दौरान ही बिजय और सोनाली की मुलाक़ात हुई थी जो कि दोस्ती के बाद प्यार में बदल गयी। बाद में उन्होंने विवाह कर लिया। बिजय और सोनाली की एक बेटी है जिनका नाम सनाया आनंद है।

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