Why Bollywood Glorify Dawood Ibrahim

12 मार्च 1993 | दिन शुक्रवार | दोपहर का वक्त | मुंबई (Mumbai) पूरी रफ्तार से दौड़ रही थी | हर कोई अपनी मंजिल की तरफ बढ़ा चला जा रहा था | तभी घड़ी (Watch) ठीक डेढ़ बजाती है | और एकाएक पूरी मुम्बई (Mumbai) ठहर जाती है | स्टॉक (Stock) एक्सचेंज (Exchange) की इमारत (Building) दहल जाती है | अब हर तरफ थी बस चीख (Scream) पुकार, बदहवास दौड़ते भागते लोग और बेजान हो चुके लोग | स्टॉक (Stock) एक्सचेंज (Exchange) की 28 मंजिला इमारत का बेसमेंट (Basements) बम (Bomb) धमाके से दहल उठा था | लेकिन ये तो महज शुरुआत (Start) थी | अगले दो घंटे (Hours) में ही मुंबई 13 धमाकों (Bangs) से थर्रा उठी थी | मुंबई सीरियल (Serial) ब्लास्ट (Blast) का शिकार बन चुकी थी | इन धमाकों में ढाई सौ से भी ज्यादा लोग मारे गये और सात सौ से ज्यादा लोग घायल (Injured) हुए | भारत की आर्थिक (Economic) राजधानी (Capital) मुंबई का सीना छलनी करने वाला मास्टर (Master) माइंड (Mind) था दाऊद (Dawood) इब्राहीम (Ibrahim)| जिसने देश (Country) से बाहर रहकर भी इस हमले को अंजाम दिया | कहते हैं कि दाऊद साल 1986 में ही भारत (India) छोड़ कर भाग गया था लेकिन सच (Truth) ये है कि वो कभी भारत से गया ही नहीं | वो पहले भी मुंबई (Mumbai) में था और आज (Today) भी मुंबई में ही है | दाऊद एक ऐसा अंडरवर्ल्ड (Underworld) डॉन (Don) है जिसकी जिन्दगी (Life) के बारे में किसी को कुछ नहीं मालूम | वो खुद में एक रहस्य (Mystery) है | शायद यही वजह है कि बॉलीवुड (Bollywood) ने उसको फिल्मों (Films) में खूब दिखाया भुनाया | ऐसी फिल्मों (Films) की एक लम्बी फेहरिस्त है जिसमें या तो दाऊद के कारनामों (Adventurature) को दिखाया गया या फिर वो दाऊद की लाइफ से प्रेरित (Inspired) थीं | फिल्मों में न केवल दाऊद को दिखाया गया बल्कि महिमामंडन भी जम कर किया गया | आखिर ऐसी क्या वजहें हैं जिनके चलते बॉलीवुड (Bollywood) दाऊद का महिमामंडन करता रहता है? आज के पोस्ट में हम इसी बात को जानने समझने की कोशिश करेंगे | तो बने रहिये हमारे साथ इस पोस्ट के आखिर तक |

दाऊद एक ऐसा डॉन (Don) जिसकी जिदंगी (Life) खुद भी किसी सस्पेंस (Suspense) थ्रिलर (Thriller) फिल्म से कम नहीं है | मुंबई में ही पैदा (Born) हुआ, पला, बढ़ा | और यहीं से अपराध की दुनिया (World) में कदम रखा | और फिर बन बैठा अपराध (Crime) की दुनिया का बेताज बादशाह (King) | मुंबई से भागा तो दुबई (Dubai) पहुंचा और खबरों (News) की माने तो लम्बे समय से वो पाकिस्तान (Pakistan) के कराची (Karachi) शहर में है | हालाँकि पाकिस्तान हमेशा इससे इन्कार ही करता रहा | उसने अंडरवर्ल्ड (Underworld) की एक नई (New) दुनिया खड़ी की जिसका नाम रखा डी (D) कंपनी | वो बाहरी मुल्क में बैठे बैठे ही मुंबई पर राज (Rule) करने लगा | हर कोई उसकी जिन्दगी (Life) के बारे में जानना चाहता है | और फिल्म मेकर्स (Makers) तो ऐसे सब्जेक्ट्स (Subjects) की तलाश में रहते हैं | उन्हें इसमें अवसर दिखा | क्योंकि दाऊद की कहानी (Story) में सस्पेंस (Suspense) है, थ्रिलर (Thriller) है, एक्शन (Action) है, ड्रामा (Drama) है और सेक्स (Sex) है | ये सब वो मसाले हैं जो किसी भी बॉलीवुड फिल्म (Film) की बेसिक जरूरत होते हैं | ये बड़ी वजह रही कि फिल्मों में दाऊद को खूब दिखाया गया | ऐसा नहीं है कि दाऊद कोई पहला अंडरवर्ल्ड (Underworld) डॉन (Don) है लेकिन जितना सस्पेंस (Suspense) उसकी लाइफ (Life) है शायद और किसी डॉन की लाइफ में नहीं | उसकी चन्द तस्वीरें ही उपलब्ध हैं और वही घूमती छपती रहती हैं | बॉलीवुड हमेशा से ही भेडचाल का शिकार रहा है | एक बार सफलता (Success) का फ़ॉर्मूला (Formula) मिलते ही उस रास्ते पर चलने वालों की भीड़ लग जाती है | और फिर बॉलीवुड फिल्म मेकर्स (Makers) तो फ़ॉर्मूले को तब तक दोहराते रहते हैं जब तक उसमें सड़ांध पैदा न हो जाये | यही वजह रही कि राम गोपाल वर्मा से लेकर अनुराग कश्यप, मिलन लुथरिया से लेकर संजय गुप्ता तक धड़ल्ले से दाऊद पर फ़िल्में (Films) बनाते रहे | खास बात ये है कि इनमे से ज्यादातर कामयाब भी रहे | कम्पनी (Company), ब्लैक फ्राइडे, वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई, शूटआउट एट वडाला, डी, डी डे, हसीना पार्कर, रईस ये फ़िल्में तो कुछ नाम भर हैं | खास बात ये है कि इन फिल्मों में दाऊद को विलेन (Villain) की तरह नहीं बल्कि हीरो (Hero) की तरह दिखाया गया |
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हाल ही में एक वेब सिरीज (Series) आई है ‘बम्बई मेरी जान’ | हालाँकि सिरीज अच्छी है लेकिन इसमें भी दाऊद का महिमामंडन ही किया गया है | ये सिरीज एक तरह से ये स्थापित करने की कोशिश करती है कि दाऊद आज जो भी है उसमें उसकी कोई गलती नहीं है | बल्कि उसे तो हालातों ने अपराधी (Criminal) बनाया | साल 2012 में एक किताब (Book) आई थी जिसका नाम था “डोंगरी टू दुबई: सिक्स डिकेड्स ऑफ़ द मुंबई माफिया” | इस किताब को लिखा था जाने माने खोजी पत्रकार (Journalist) एस हुसैन जैदी ने | इसमें उन्होंने दाऊद की अपराध (Crime) यात्रा पूरे विस्तार (Expansion) से लिखी थी | ये सीरीज इसी किताब (Book) पर आधारित (Based) है | लेकिन सिरीज (Series) दाऊद को जिस तरह से दर्शाती (Reflects) है वो चौंकाता है | ऐसा लगता है कि सिरीज (Series) के मेकर्स (Makers) ने पूरी कोशिश की है कि दर्शकों के मन में दाऊद के प्रति सहानुभूति (Sympathy) पैदा हो जाये | दाऊद को एकदम पाक साफ़ बताने की कोशिशें हैरान करती हैं | मतलब वो कहीं गलत है ही नहीं | अगर वो क्रीम (Cream) रोल (Role) चुराता है तो गर्ल फ्रेंड को खिलाने के लिए, बकरा चुराता है तो भूख मिटाने के लिए | कमाल है | इसे कहते हैं चाटुकारिता करना | हालाँकि फिल्म की कहानी इतनी जबर्दस्त और एडिटिंग (Editing) इतनी चुस्त है कि दर्शकों को पता ही नहीं चलता कि वो वेब सिरीज के नाम पर किसी का गुणगान देख रहे हैं |
हालाँकि दाऊद तो एक रियल (Real) डॉन हैं | बॉलीवुड (Bollywood) तो बहुत पहले से ही डॉन (Don) को पर्दे पर ग्लोरीफाई (Glorify) करता आया है | फिर चाहे वो अमिताभ (Amitabh) बच्चन की फिल्म (Film) डॉन (Don) हो या इन्ही की दीवार | ऐसी फिल्मों में हमेशा यही दिखाया गया कि ये किरदार हालातों के मारे हैं | हालाँकि दाऊद पर फ़िल्में बॉलीवुड की नजरें इनायत रहने की एक और वजह है | बॉलीवुड फिल्म मेकर्स (Makes) हमेशा ही सिनेमाई लिबर्टी (Liberty) लेने को कोशिश में रहते हैं | इतिहास गवाह है कि उन्होंने ऐतिहासिक और धार्मिक (Religious) विषयों (Subjects) पर बनी फिल्मों में भी खूब लिबर्टी ली है | चाहे वो संजय लीला भंसाली बाजीराव मस्तानी हो या हालिया फिल्म आदिपुरुष (Adipurush) | दोनों में ही सिनेमाई (Cinema) लिबर्टी के नाम पर तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की गई | और दाऊद के बारे में तो तथ्य उपलब्ध (Available) ही नहीं हैं | ऐसे में मेकर्स (Makers) के पास फिल्म को अपने हिसाब से बनाने का खूब स्कोप (Scope) रहता है | अब तक जितनी भी फिल्मों में दाऊद को दिखाया गया है उन सभी में डायरेक्टर (Director) राइटर ने दाऊद और उसके किरदार (Character) को अपने हिसाब से गढ़ा दिखाया |
ये भी सच है कि लोगों के मन में भी ऐसे लोगों को जानने की उत्सुकता (Curiosity) रहती है | एक तो दाऊद इतना बड़ा डॉन (Don) और ऊपर से उसकी जिन्दगी से भी सब अनजान ही हैं | लोग जानना तो चाहते ही हैं कि आखिर कौन है दाऊद जिसने आतंक (Terror) का इतना बड़ा साम्राज्य (Empire) खड़ा भी कर लिया और आज तक कोई उसका बाल भी बांका नहीं कर सका | उसकी अपने ही कई साथियों के साथ दुश्मनी की भी खबरें (News) रहीं | वो कई फ़िल्मी हसीनाओं (Beauties) का भी दीवाना रहा | हर कोई उसके बारे जानना समझना चाहता था | यही वजह है कि जब पर्दे पर उसकी लाइफ (Life) को दिखाने का बीड़ा कुछ फिल्म मेकर्स (Makers) ने उठाया तो उन्हें दर्शकों (Audience) से अच्छा खासा रिस्पांस (Response) भी मिला | इंडस्ट्री (Industry) में कुछ डायरेक्टर्स ऐसे भी हैं जिन्हें डार्क (Dark) थीम (Theme) खासी पसंद है | ऐसे सब्जेक्ट (Subjects) उन्हें लुभाते हैं | राम गोपाल वर्मा का नाम इसमें अव्वल है | उन्होंने अपने कैरियर में सबसे ज्यादा फ़िल्में अंडरवर्ल्ड (Underworld) पर ही बनाई हैं |
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बॉलीवुड हमेशा से ही फाइनेंस (Finance) की कमी से जूझता रहा है | यहाँ बड़े फाइनेंसर (Finencer) कम ही रहे | जिसके चलते यहाँ अंडरवर्ल्ड को फलने फूलने का मौका मिला | अंडरवर्ल्ड के पास पैसों की कमी कभी नहीं रही | मौका मिलते ही उसने अपनी काली कमाई बॉलीवुड (Bollywood) फिल्मों के जरिये खपानी शुरू कर दी | भले ही ये काम खुलेआम न किया गया हो लेकिन बॉलीवुड पर ऐसे आरोप हमेशा से ही लगते रहे | न्यूज़ पोर्टल The Juggernaut में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक जाने माने बॉलीवुड राइटर (Writer), डायरेक्टर संजीव पूरी ने एक बार इंटरव्यू (Interview) में खुलासा किया था कि एक समय ऐसा भी आया जब अंडरवर्ल्ड बॉलीवुड पर इस कदर हावी हो गया था कि इंडस्ट्री (Industry) में बनने वाली 90 फीसद फिल्मों में अंडरवर्ल्ड का ही पैसा लगा होता था | इसमें भी डी कम्पनी का ही सिक्का चलता था | पुरी आगे कहते हैं कि बॉलीवुड में तमाम प्रोड्यूसर्स (Producers) रहे हैं जो गैंगस्टर्स (Gangsters) के बहुत नजदीक रहे हैं | और ये अक्सर सेट (Set) पर भी मौजूद रहा करते थे | खबरों (News) की मानें तो साल 2002 में आई शाहरुख़ (Shahrukh) खान की फिल्म देवदास में भी अंडरवर्ल्ड का ही पैसा लगा था |
इसमें कोई दोराय नहीं कि दाऊद का अपना खौफ (Fear) है | और फिल्म इंडस्ट्री (Industry) के लोग भी इससे अछूते (Untouched) नहीं हैं | ऐसे में इंडस्ट्री (Industry) के लिए दाऊद को महिमामंडित करने के अलावा कोई चारा भी नहीं बचता | उसे गलत तरीके से दिखाने का मलतब है सीधे सीधे दुश्मनी मोल लेना | ऐसे में मेकर्स (Makers) के सामने ये मजबूरी बन जाती है कि दाऊद के चरित्र (Character) को बहुत ही सावधानी (Caution) से दिखाया जाये | ऐसा करते समय कई बार वो जाने अनजाने ही दाऊद को महिमा मंडित कर जाते हैं | दाऊद के खौफ से इतर बात करें तो अगर फिल्म में डी कम्पनी का पैसा लगा है तब तो कोई और विकल्प (Option) बचता ही नहीं है |
आगे हम आपको बताने जा रहे हैं बॉलीवुड में अंडरवर्ल्ड के पैर पसारने की असल वजह | साल 2001 तक बॉलीवुड को इंडस्ट्री का दर्जा नही मिला था | जिसके चलते फिल्मों को बैंक (Bank) से लोन (Loan) नहीं मिला करता था | जिस तरह से एक जमाना था जब आम आदमी की पहुँच बैंको तक नहीं हुआ करती थी तब देश (Country) में मौजूद साहूकारों ने जरूरतमंद लोगों को भारी भरकम ब्याज (Interests) पर कर्जा देना शुरू किया | जिसका परिणाम (Result) ये हुआ कि कर्जा लेने वाला खुद तो कभी कर्जा चुका नहीं पाता था बल्कि उसकी आने वाली पीढियां भी कर्जे को चुकाने में ही खप जाया करती थीं | बॉलीवुड के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ | अब प्रोड्यूसर (Producers) फिल्मों में पैसा तो लगाता था लेकिन फिर भी कसर रह जाती थी | ऐसे में अंडरवर्ल्ड ने इस मौके का फायदा (Benefiet) उठाकर फिल्मों में पैसा लगाना और अपनी काली कमाई खपानी शुरू कर दी | अंडरवर्ल्ड फिल्मों में जो पैसा लगाता था उस पर 50 से 60 परसेंट (Percentage) तक का मोटा ब्याज (Interest) भी वसूलता था | धीर धीरे ये काले धन को सफ़ेद करने का सबसे बढ़िया और मुफ़ीद तरीका बन गया | क्योंकि कोई ऐसी एजेंसी भी नहीं थी जो ये पता लगाये कि फिल्मों में किसका कितना पैसा लगा है |
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तमाम ऐसी खबरें और तस्वीरें भी लीक (Leak) हुईं जिसमें दाऊद बॉलीवुड (Bollywood) स्टार्स के साथ नजर आया | दाऊद के साथ अभिनेता (Actors) अनिल कपूर के साथ एक फ़ोटो काफी चर्चा में रही थी | जिसमें दोनों एक क्रिकेट मैच के दौरान साथ खड़े थे | हालाँकि अनिल कपूर की बेटी (Daughter) सोनम (Sonam) कपूर ने बाद में इन खबरों को ख़ारिज करते हुए कहा था कि अनिल कपूर को नहीं पता था कि बगल में दाऊद खड़ा है | अफवाहें (Rumors) ये भी उड़ीं कि अक्षय कुमार और ट्विंकल खन्ना ने दाऊद की पार्टियाँ (Parties) अटेंड (Attend) की थीं | इसी तरह सलमान खान की दाऊद इब्राहीम के छोटे भाई (Brother) नूरा के साथ एक फोटो (Photo) भी काफी चर्चा (Discussion) में रही | खबरें ये भी रहीं कि सलमान को मुंबई में 1993 में हुए बम धमाकों की पहले से ही जानकारी थी | संजय दत्त को AK 47 रखने के आरोपों के चलते जेल (Jail) तक जाना पड़ा था |
बॉलीवुड पर दाऊद का सिक्का इस कदर चलता था कि खबरों (News) की मानें तो एक बार उसने प्रोड्यूसर (Producer) जावेद सिद्दीकी को अपनी फिल्म (Films) में अभिनेत्री (Actress) अनीता अयूब को कास्ट (Cast) करने को कहा लेकिन जावेद ने मना कर दिया | इसके बाद जावेद की मौत (Death) हो गई | बॉलीवुड हमेशा से ही अंडरवर्ल्ड की धमकियों (Threats) से जूझता आया है | ऐसी धमकियों की लम्बी है | गुलशन कुमार, राकेश रोशन, साजिद नाडियाडवाला, विवेक ओबेराय,करण जौहर, बोनी कपूर, यश चोपड़ा, सोनू निगम जैसे बड़े बड़े नामों को धमकियां मिल चुकी हैं | ऐसे में दाऊद को गलत तरीके से दिखाने का जोखिम लेने की हिमाकत शायद ही कोई कर सके |
इसमें कोई दोराय नहीं कि बॉलीवुड की अपनी कुछ मजबूरियां (Complusons) हो सकती हैं जिनके चलते अक्सर ही फिल्मों या वेब (Web) सिरीज में दाऊद जैसे अपराधियों का महिमामंडन किया जाता है लेकिन इसका एक सबसे बड़ा दुष्परिणाम (Side effects) ये हो सकता है कि दर्शक (Audience) इन्हें अपना रोल modal भी मान सकते हैं खास तौर से दर्शकों (Audience) का वो वर्ग जो किशोरावस्था या युवावस्था में है और अभी पूरी तरह परिपक्व (Mature) नहीं है | बॉलीवुड (Bollywood) को ये याद रखना चाहिए कि ऐसे अपराधी (Criminal) किसी तरह की सहानुभूति (Sympathy) के पात्र नहीं होने चाहिए | समाज पर फिल्मों का बहुत गहरा असर पड़ता है ऐसे में बॉलीवुड को चाहिए कि वो किसी के गुणगान के फेर में पड़ने के बजाय अपनी जिम्मेदारी को समझे और बेहतर ढंग से निभाए |
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