नाम यानी पहचान (Identity) | फिर चाहे वो कोई चीज हो, जानवर (Animal) हो, इन्सान (Human) हो या फिर एक देश (Country) हो | किसी भी देश के नाम में एक भाव होता, जुड़ाव होता है, उस देश की संस्कृति (Culture) और उसकी मिट्टी की सौंधी महक होती है | हम दुनिया के किसी भी कोने में रहें हमारे देश का नाम साथ चलता है | विडम्बना (Irony है कि आज हमारे देश के नाम पर ही विवाद (Controversy) हो रहा है | इंडिया या भारत? कौन सही कौन गलत? शायद ही कभी किसी ने सोचा होगा कि हम अपने देश के नाम पर भी किसी तरह की बहस कर सकते हैं | अफ़सोस (Regret) आज बहसें चल रही हैं और तर्क कुतर्क (Sophistry) इन बहसों का हिस्सा बन रहे हैं | आज के पोस्ट में हम जानने समझने की कोशिश (Effort) करेंगे अपने देश के दोनों नामों को | इस बहस (Discussion) के औचित्य (Propriety) को | तो बने रहिये हमारे साथ इस पोस्ट में शुरू से आखिर तक | भारत (India) की राजधानी (Capital) दिल्ली इस समय दुल्हन (Bride) की तरह सजी हुई है | सबकी नजरें प्रगति मैदान (Field) पर लगी हैं | नौ और दस सितम्बर (September) को भारत G20 समिट (Summit) की अध्यक्षता (Chairmanship) कर रहा है | राष्ट्रपति (President) भवन की तरफ से एक निमन्त्रण (Invitation) पत्र जारी किया गया जिसमें 9 तारीख को रात्रिभोज (Dinner) के लिए G20 देशों के नेताओं और भारत के मुख्यमंत्रियों (Chief Minister) को आमंत्रित किया गया | सारा विवाद (Controversy) इसी निमन्त्रण पत्र को लेकर हुआ | असल में इस पत्र में राष्ट्रीय (National) चिन्ह के ठीक नीचे प्रेसिडेंट (President) ऑफ़ भारत लिखा हुआ था | शायद ऐसा पहली बार हुआ होगा जब ऐसे औपचारिक (Formal) पत्रों में प्रेसिडेंट (President) ऑफ़ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट (President) ऑफ़ भारत लिखा गया हो | बस यहीं से धुआं सुलगना शुरू हो गया | विपक्षी पार्टियों (Parties) ने सरकार को निशाने पर ले लिए | उन्होंने सरकार (Governments) पर देश को नाम को बदलने का आरोप (Blame) लगाया | उनका कहना था कि सरकार देश का नाम बदलना चाह रही है | इस विवाद (Croversy) को हवा देने का काम किया केंद्र सरकार द्वारा 18 सितम्बर (September) से बुलाये गये सदन के विशेष (Specific) सत्र ने | विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने देश (Country) का नाम बदलने के लिए ही ये विशेष सत्र बुलाया है | इस बीच केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण (Broadcast) मंत्री अनुराग ठाकुर ने मीडिया समूह (Group) द इंडियन एक्सप्रेस (Express) से बात करते हुए कहा कि उन्हें लगता है कि ये सब एक अफवाह (Rumor) है और ऐसा कुछ भी होने नहीं जा रहा है | लेकिन इसके बावजूद ये बहस ठंडी पड़ती नजर नहीं आ रही है | आखिर भारत नाम पर इतना हो हल्ला (Attack) क्यों मचा है | चलिए भारत के नाम के इतिहास (History) को समझने की कोशिश करते हैं |
सबसे पहले हम समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर देश का नाम भारत या भारतवर्ष कैसे पड़ा | पौराणिक (legendary) कथाओं के अनुसार भरत नाम के कई व्यक्ति (Person) हुए जिनके ही नाम पर देश का नाम भारत पड़ा | एक मान्यता (Reconviction) है कि कालिदास (Kalidas) रचित संस्कृत (Sanskrit) ग्रन्थ अभिज्ञान (Abhigyan) शाकुंतलम (Shakuntalam) के एक वृतांत के अनुसार महाराजा दुष्यंत (Dushyant) और महारानी शकुंतला (Shakuntala) के पुत्र भरत के नाम पर देश का नाम भारत (Bharat) पड़ा | भरत इतने बलशाली थे कि बचपन (Childhood) में वो खेल खेल में ही तमाम जंगली (Wild) जानवरों को पकड़कर या तो पेड़ से बांध दिया करते थे या फिर उनकी सवारी करने लगते थे | वहीं भरत नाम के एक चक्रवर्ती सम्राट भी हुए | जिन्हें चारों दिशाओं (Directions) की भूमि (Land) का स्वामी कहा जाता था | दावा किया जाता है कि इन्ही सम्राट (king) भरत के नाम पर देश का नाम भारतवर्ष पड़ा | संस्कृत (Sanskrit) में वर्ष को हिस्सा या इलाका (Area) भी कहा जाता है |
इसके अलावा बड़ी मान्यता (Recognition) है कि अयोध्या के राजा दशरथ और प्रभु श्रीराम के छोटे भाई भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा | भरत ने ही प्रभु श्रीराम के वनवास (Exile) जाने पर उनकी खडाऊं को सिंहासन (Throne) पर रखकर राजकाज संभाला था | उनके त्याग (Sacrifice) और अदभुत (Amazing) साहस ने उन्हें एक महान राजा बनाया | उन्ही के नाम पर देश का नाम भारत रखा गया |
भारत को अक्सर हिंदुस्तान भी कहा जाता है | आइये इस नाम के पीछे की कहानी भी जानते हैं | हिमालय (Himalay) के पश्चिम (West) में सिन्धु नदी बहती है | और बहुत बड़ा भू (Earth) भाग इससे घिरा (Surrounded) हुआ है | इस भू भाग को सिन्धु घाटी कहा जाता है | मध्य युग में तुर्किस्तान (Turkistan) से कुछ विदेशी लुटेरे और ईरानी लोग सिन्धु (Sindhu) घाटी के रास्ते ही देश (Country) में आये | ईरानी लोग ‘स’ का उच्चारण ‘ह’ ही करते थे | इसलिए सिन्धु उनके लिए बन गया हिन्दू | वो यहाँ के निवासियों (Residents) को हिन्दू और देश को हिंदुस्तान (Hindustan) कहने लगे |
भारत को जम्बूद्वीप (Jumbudeep) के नाम से भी जाना जाता था | जामुन के फल को संस्कृत (Sanskrit) में जम्बू कहा जाता है | ऐसा माना जाता है किसी समय में भारत में जामुन (Jamun) के पेड़ बहुत ज्यादा संख्या में पाए जाते थे | विष्णु (Vishnu) पुराण (Puran) के अध्याय 2 में जम्बू के पेड़ को हाथियों जितना विशाल (Big) बताया गया है | जब ये सड़ जाते थे और पहाड़ो (Mountains) की चोटियों पर गिरते थे तो उनसे निकले रस से एक नदी (River) बन जाती थी | उस नदी या जगह को ही जम्बुद्वीप (Jambudvip) नाम दिया गया |
इसके अलावा भारत को कभी आर्यावर्त (Aryavarat) और हिमवर्ष (Himvarsh) के नाम से भी जाना जाता था | कहा जाता है कि आर्य (Arya) भारत के ही मूल निवासी (Resident) थे | उन्ही के द्वारा इस देश (Country) को बसाया गया था | इसी वजह से इसे आर्यावर्त (Aryavart) नाम मिला | वहीँ हिमालय (Himalay) के नाम इसे हिमवर्ष भी कहा गया |
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अब बात इंडिया की | जब अंग्रेज हमारे देश में आये तो उन्हें हिंदुस्तान (Hindustan) नाम उच्चारण (Pronounciate) करने में मुश्किलों (Difficulties) का सामना करना पड़ा | फिर उन्हें पता चला कि सिन्धु घाटी का नाम इंडस (Indus) वैली (Value) भी है | इसी इंडस से आया इंडिया | जो धीरे धीरे हमारी रगों में इस कदर उतर गया कि हमने संविधान (Constitution) में भी इसे ही अपने देश के नाम के रूप में रखा | ऐसा नहीं है कि इंडिया (Country) और भारत नाम का विवाद (Controversy) पहली बार हुआ हो | बल्कि संविधान की प्रारूप (Format) समिति के सदस्य (Member) भी नाम को लेकर एकमत नहीं थे | कुछ सदस्य जहाँ देश इंडिया (India) ही रखे जाने के पक्ष में थे तो कुछ लोग भारत के पक्ष में थे | आज से 74 साल पहले 18 सितम्बर (September) 1949 को संविधान सभा में पहली बार देश के नामकरण (Naming) पर चर्चा शुरू हुई | असल में अम्बेडकर (Ambedkar) समिति ने देश के दो नाम सुझाये थे एक तो इंडिया और दूसरा भारत | जिसके विरोध (Oppose) में संविधान (Constitution) सभा के सदस्य हरी विष्णु (Vishnu) कामत ने संशोधन प्रस्ताव पेश किया | उन्होंने मांग की कि देश का नाम इंडिया से बदल कर भारत या फिर भारतवर्ष किया जाये | सेठ गोविन्द (Govind) दास (Das) ने भी भारत के ऐतिहासिक (Historical) सन्दर्भ का जिक्र करते हुए कामत के प्रस्ताव (Proposal) का समर्थन किया | दास ने कहा कि इंडिया शब्द (Word) का उल्लेख (Mention) हमारी किसी किताब (Book) में नहीं मिलता | यूनानियों के भारत में आने के बाद ही इंडिया नाम का प्रयोग (Use) हुआ | जबकि वेदों, उपनिषदों और पुराणों (Purans) में भारत नाम का ही जिक्र (Mention) है | इसी बहस के दौरान कमलापति (Kamlapati) त्रिपाठी ने बीच का रास्ता सुझाते हुए कहा कि देश (Country) का नाम इंडिया अर्थात भारत रखा गया है लेकिन देश के ऐतिहासिक (Historic) सन्दर्भ को देखते हुए इसका नाम भारत अर्थात इंडिया कर देना चाहिए | दक्षिण और हिंदी भाषी सदस्यों (Member) में नाम पर हुई असहमति के बाद इस पर वोटिंग (Voting) हुई | और ये प्रस्ताव 38 के मुकाबले 51 मतों से गिर गया आर अनुच्छेद (Article) एक में देश का नाम इंडिया अर्थात भारत पारित हो गया |
हालाँकि अगर देश की तमाम भाषाओँ (Language) पर गौर करें तो देश को भारत नामा से ही जाना पहचाना जाता है | असमिया भाषा में देश को भारत या भारतवर्खो यानी भारतवर्ष कहा जाता है | कन्नड़ (Kannad) में भारता, तेलगु (Telugu) में भारतदेशम, मलयालम में भारतम तो मराठी (Marathi) में भारत नाम ही लिया जाता है | जबकि उत्तर (North) भारत के हिंदी भाषी राज्यों में भारत ही बोला जाता है | दैनिक जागरण में छपे एक लेख में सुप्रीम (Supreme) कोर्ट के वकील (Vakil) और संविधान के जानकर ज्ञानंत (Gyanant) सिंह कहते हैं कि संविधान (Constitution) में इंडिया और भारत दोनों ही शब्दों (Words) को स्वीकार किया गया है | ऐसे में दोनों का समान रूप से प्रयोग किया जा सकता है | वो आगे ये भी कहते हैं कि अगर सरकार (Government) अपने आदेशों में भारत नाम का इस्तेमाल करती है तो उसमें किसी भी तरह की संवैधानिक (Constitutional) अड़चन नहीं है और न ही इसके लिए संविधान में किसी तरह के संशोधन (Amendment) की जरूरत है | उनकी माने तो संशोधन की जरूरत तभी होगी जब सरकार ये घोषणा (Announce) कर दे कि देश का नाम सिर्फ भारत ही लिखा जायेगा और इंडिया शब्द का इस्तेमाल नहीं होगा |
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हालाँकि इससे पहले भी दुनिया के तमाम देशों के नाम अलग अलग वजहों से बदले गये हैं | आइये आपको कुछ ऐसे ही देशों के बारे में बताते हैं —
1. नीदरलैंड-
जनवरी 2020 के पहले तक इसे देश (Country) को हालैंड (Holland) नाम से जाना जाता था | असल में हालैंड की छवि ड्रग्स (Drugs) और वेश्यावृत्ति (Prostitution) के एक बड़े केंद्र (Centure) के रूप में होने लगी थी | सरकार को इससे भले ही अच्छा खासा रेवेन्यु (Revenue) मिल रहा था लेकिन वहां की सरकार अपनी इमेज (Image) बदलने को लेकर गम्भीर थी | यही वजह थी कि उसने अपनी इमेज बदलने के प्रयासों के तहत ही अपना नाम बदलकर नीदरलैंड कर लिया |
2. श्रीलंका-
सन 1817 से लेकर 1948 तक यहाँ भी अंग्रेजों ने हुकुमत (Rule) चलाई | तब इसे सिलोन (Cylon) के नाम से जाना जाता था | लेकिन साल 1972 में इसने औपनिवेशिक (Colonial) अतीत से आजादी (Freedom) के लिए अपना नाम बदलकर श्रीलंका कर लिया |
3. म्यांमार –
म्यांमार (Myanmar) को पहले बर्मा (Barma) नाम से जाना जाता था | एक विद्रोह (Rebellion) में हजारों लोगों के मारे जाने के एक साल बाद देश (Country) का नाम बदल कर म्यांमार (Myanmar) कर दिया गया | हालाँकि के रोचक तथ्य ये भी है कि इस बदलाव को संयुक्त राष्ट्र, फ्रांस (France) और जापान (Japan) जैसे देशों ने तो मान्यता दी लेकिन अमेरिका (America) और ब्रिटेन जैसे देशों ने नहीं |
इसी तरह से आयरलैंड, जिम्बाब्वे, तुर्किये, ईरान, थाईलैंड,जॉर्डन, घाना, बोत्सवाना देशों के बदले
हुए नाम ही हैं | मतलब साफ़ है दुनिया में पहले भी तमाम देशों ने अलग अलग वजहों से अपने नाम बदले हैं |
देश के तमाम राज्यों (States) के नाम भी पहले बदले जा चुके हैं | 2011 में उड़ीसा (Odisha) बना ओडिसा, 2007 में उत्तरांचल (Uttaranchal) बन गया उत्तराखंड (Uttrakhand), जबकि 1973 में मैसूर (Mysore) बन गया कर्नाटक (Karnatak), वहीं 1969 में मद्रास राज्य बना तमिलनाडु (Tamil Nadu)| इसके अलावा भी कई राज्यों के नाम बदलने के प्रस्ताव (Proposal) हैं | साल 2018 में पश्चिम बंगाल विधानसभा (Vidhan Sabha) में राज्य का नाम ‘बांग्ला’ (Bangla) करने का प्रस्ताव दिया गया | 2022 में केंद्र सरकार की तरफ से लोकसभा में भी बताया गया कि उसे पश्चिम बंगाल सरकार से ऐसा प्रस्ताव मिला है | इसके अलावा इसी साल अगस्त में केरल (Kerala) ने भी अपना नाम बदलकर केरलम (Keralam) रखने का प्रस्ताव केंद्र को दिया है |
इस चर्चा का समय भी विवादों (Controversy) में है । ऐसा उस समय हो रहा है जब विपक्षी दलों ने मिलकर india नाम का गठबन्धन (Alliance) खड़ा किया है । इससे सरकार की मंशा (Desire) पर सवाल खड़े होना लाजिमी है ।
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देखने वाली बात ये है कि विपक्ष की ओर से नाम बदलने (Change) पर तीखी प्रतिक्रिया तभी जाहिर की जाती है जब ऐसा भाजपा सरकार करती है | जबकि ऐसा अक्सर बाकी पार्टियाँ (Parties) भी करती रही हैं | लेकिन एक बात और जिसे शायद कम ही लोग जानते होंगे | सुप्रीम कोर्ट में दो बार पहले साल 2016 में और फिर 2020 में देश का नाम भारत (Bharat) रखने की याचिका (Petition) दायर की जा चुकी है | लेकिन माननीय कोर्ट (Court) ने दोनों ही बार याचिका को ये कहते हुए ठुकरा (Disapprove) दिया कि देश के संविधान (Constitution) में देश का नाम इंडिया और भारत दोनों ही हैं | 2016 में तत्कालीन चीफ जस्टिस (Justice) ऑफ़ इंडिया (India) टी एस ठाकुर ने याचिका (Petition) पर सुनवाई करते हुए कहा था कि ‘इंडिया या भारत? आप भारत कहना चाहते हैं तो निःसंकोच (Without Hesitation) कहिये | और अगर कोई इंडिया (India) कहना चाहता है तो उसे इंडिया कहने दीजिये | वहीं 2020 में तत्कालीन चीफ जस्टिस (Justice) ऑफ़ इंडिया एस ए बोबडे ने ऐसी ही याचिका पर कहा था कि संविधान (Constitution) में भारत और इंडिया दोनों ही नाम दिए हैं | जिसमें इंडिया (India) को पहले ही भारत कहा गया है | हैरानी की बात तो ये है साल 2016 में दायर याचिका का तत्कालीन केंद्र (Central) सरकार (Government) ने खुद भी विरोध (Oppose) किया था | सरकार ने कोर्ट (Court) में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि हालातों में ऐसे कोई परिवर्तन नहीं हुए जिसके चलते वो संविधान में बदलाव कर देश का नाम बदलने पर विचार करे | हालाँकि अब सरकार के सुर बदले हुए से लग रहे हैं | केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान कहते हैं कि देश की राष्ट्रपति (President) ने निमन्त्रण (Invitation) पत्र में भारत नाम का उल्लेख (Mention) कर सिर्फ संविधान में मौजूद दो नामों में से भारत नाम को प्राथमिकता (Priority) दी है | न्यूज़ पोर्टल न्यूज़ 18 की एक खबर के मुताबिक प्रधान आगे कहते हैं कि ये तो बहुत पहले हो जाना चाहिए था | भारत नाम ही हमारी पहचान है | हमें इस पर गर्व है | ये औपनिवेशिक (Colonial) मानसिकता से बाहर निकलने का बहुत बड़ा संकेत है | हालाँकि ये कहना कि देश का नाम बदला जा रहा है ये पूरी तरह सही नहीं है | भारत नाम पहले से ही संविधान (Constitution) में मौजूद है | और इसे अधिकारिक (Official) रूप से कहीं प्रयोग करने में किसी प्रकार की समस्या भी नहीं है | हाँ अगर सरकार (Government) इंडिया नाम को ही समाप्त (End) करना चाहती है तब जरूर एक गहन प्रक्रिया (Process) से होकर गुजरना पड़ेगा | असल में ये सब इतना आसान बिलकुल नहीं होगा | अगर सरकार ऐसा करना चाहती है तो सबसे पहले तो उसे संविधान (Constitution) संशोधन करना पड़ेगा | जिसके लिए बिल लोक सभा और राज्य सभा से पास (Pass) कराना पड़ेगा | बात यहीं ख़त्म नहीं होती | जब देश (Country) के सभी राज्य इस पर अपनी सहमति (consent) जता देंगे तब जाकर ये सम्भव (Possible) हो सकेगा | लेकिन बात यहीं पर फंसेगी | क्योंकि तमाम राज्य ऐसे हैं जहाँ भाजपा (Bhajpa) की सरकार नहीं है | ऐसे में दूसरी पार्टी (Party) की सरकार इस पर अपनी मुहर लगाएगी इस पर संदेह (Doubt) है | वर्तमान (Present) में सिर्फ दस राज्य ऐसे हैं जहाँ बीजेपी या फिर NDA की सरकार है | राज्य सभा सदस्य (Member) पी विल्सन कहते हैं अगर सरकार (Government) इंडिया नाम को पूरी तरह खत्म करना चाहती है तो उसे उन सभी कानूनों (Laws) को बदलना पड़ेगा जिसमें इंडिया शब्द का उल्लेख (Mention) है | ऐसे में ये काम बहुत चुनौतीपूर्ण (Challenging) होगा |
इसमें कोई दोराय नहीं कि इंडिया नाम ख़त्म करना तमाम बदलावों (Changes) को जन्म देगा | भारतीय नोटों में भी इंडिया शब्द छपा होता है | तो क्या संविधान बदलने के बाद ये नोट भी लीगल टेंडर नहीं रह जायेंगे | क्या देश को एक बार फिर से नोटबंदी (Demonetization) झेलनी होगी |
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हमें ये समझने की जरूरत है कि इंडिया नाम हटाने (Remove) की भी अपनी कीमत होगी | और ये आंकड़ा (Figure) हजारों करोड़ रूपये तक बैठेगा | इसको मोटा मोटा इए समझिये कि यूपी (UP) के शहर इलाहाबाद (Allahabad) का नाम बदलने पर ही लगभग 300 करोड़ से भी ज्यादा का खर्चा (Cost) आया था | हालाँकि कितना खर्च आयेगा इसको मापने का कोई पैमाना नहीं है लेकिन दक्षिण (South) अफ्रीका के एक वकील (Advocate) डैरेन ओलिवियर ने एक फ़ॉर्मूला (Formula) निकाला है ओलिवियर ने अफ्रीकी देशों के नाम बदलने के प्रोसेस (Process) की तुलना किसी बड़े कॉर्पोरेट (Corporate) की री ब्रांडिंग (Branding) एक्सरसाइज़ से की है | ओलिवियर मॉडल के हिसाब से इंडिया नाम हटाने की प्रक्रिया (Process) में लगभग 15 हजार करोड़ का खर्चा आने की उम्मीद (Hope) है | निश्चित (Fixed) रूप से जो देश बिजली, सड़क, पानी, बेरोजगारी सहित तमाम बुनियादी (Basic) सुविधाओं की कमी से जूझ रहा हो उसके लिए ये रकम बहुत बड़ी और ये खर्चा (Cost) बेवजह भी कहा जा सकता है | भले ही देशहित (Country’s Favour) के लिए ये परिवर्तन (Change) जरूरी बताया जा रहा हो लेकिन देश के वंचित (Deprived) वर्ग के लिए नाम कोई मायने नहीं रखता |
केंद्र सरकार अगर संसद का विशेष (Specific) सत्र बुला रही है तो एजेंडे (Agenda) को बताने में भला क्या हर्ज है | क्या उसे विपक्षी दलों को भरोसे में नहीं लेना चाहिए | कम से कम इतना हक़ तो उसे दिया ही जाना चाहिए | अगर नाम बदलने (Change) जैसी बातें कोरी अफवाह (Rumor) हैं तो सरकार (Government) को अधिकारिक बयान (Statement) देकर इन अफवाहों पर विराम (Stop) लगाना चाहिए | विपक्ष को भी चाहिए कि वह इस मुद्दे प र अधीर होने के बजाय तथ्यों पर बात करे | उसे ये समझना चाहिए कि देश की आत्मा भारत में बसती है न कि इंडिया (India) में | इस बदलाव का विरोध (Oppose) करके वो ये प्रदर्शित (Displays) कर रहे हैं कि वो आज भी गुलामी की उन्ही जंजीरों में जकड़े हुए हैं जिनसे आजादी पाने के लिए तमाम वीरों ने अपनी कुर्बानियां (Sacrifices) दीं | अगर संसद के इस सत्र (Session) में इस तरह का कोई प्रस्ताव आता है तो बोलने का मौका सबको मिलेगा | न्यूज़ चैनल्स के स्टूडियो (Studio) में बैठ के आरोप प्रत्यारोप लगाये जा सकते हैं, तर्क वितर्क कुतर्क हो सकते हैं लेकिन देश के अहम (Important) मुद्दे नहीं सुलझाये जा सकते |
इंडिया या भारत हम इस पर अपना कोई पक्ष नहीं रख रहे | हम फैसला आप पर छोड़ रहे हैं | आपका जो भी मत हो उसे कमेंट बॉक्स में हमारे साथ जरूर शेयर करें |
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