दोस्तों हम सभी क्रिकेट (Cricket) फैंस को इंडिया पाकिस्तान (Pakistan) मैच का हमेशा से ही बड़ी बेसब्री (Impatient) से इंतज़ार रहा है। एक तो ये दोनों टीमें सिर्फ़ किसी टूर्नामेंट (Tournament) में ही आमने सामने होती हैं। ऊपर से उस टूर्नामेंट (Tournament) की इंटेंसिटी (Intensity) इस राइवेलरी को और इंटेंस और मज़ेदार बनाती है। अभी हाल ही में 3 सितम्बर (September) को ये हाई वोल्टेज (Voltage) राइवलरी हमने एशिया (Asia) कप के मुकाबले में देखी। हां वो बात और है कि बारिश कुछ इस कद्र जमकर पड़ी कि मैच (Match) का हमें कोई रिज़ल्ट (Result) नसीब ही नहीं हुआ । नेपाल वाले मैच (Match) में भी एक लंबी बारिश के बाद मैच 20 ओवर (Over) का रखा था। जहां हमने रिवाइज्ड (Revised) टारगेट चेस किया।अब सवाल (Question) ये उठता है कि ये रिवाइज (Revised) टारगेट आता कहां से है। और अंपायर्स (Umpires) इसे कैलकुलेट कैसे करते हैं। तो दोस्तों आपने डकवर्थ लुईस (Luice) नियम का नाम तो सुना ही होगा। ये वो मैथड (Method) है जो कि क्रिकेट में उस वक्त यूज (Use) किया जाता है जब मैच में बारिश का कहर हो,या फिर कोई ऐसी परेशानी, ऑब्सटैकल (Obstacle) आ जाए जिससे कि पूरा मैच (Match) कराना पॉसिबल ही नहीं हो। जैसे कई बार 2 घंटे बारिश कि वजह से खराब हो जाते हैं मैच (Match) शुरू होने में, तो दोनों टीमों (Teams) को कई बार 40 ओवर (Over) खेलने पड़ते हैं। या कभी कबार बारिश उस वक्त आती है जब एक टीम (Team) की बैटिंग रहती हो। अब है तो बारिश एक नैचुरल (Natural) फेनोमिना, जो कि बताकर तो आयेगी नहीं। कभी कभी तो बीच मैच (Match) में भी बारिश ने बार बार तकलीफ दी है, जिससे कि मैच का रुख ही पलट जाया करता था। कोई टीम उस वक्त चेस (Chase) करते हुए किसी स्कोर (Score) पर कोई 2 विकेट गवाकर खड़ी होती थी, तभी बारिश हो जाया करती। ऐसे में जीतते हुए भी टीमों (Teams) को हमने हारते देखा है।
लेकिन ऐसे में आज तक ये समझ नहीं आता कि ये स्कोर कैलकुलेट (Calculate) कैसे होता है। जब बचपन में मैच देखता था तो मुझे भी ये चीज़ कभी समझ ही नहीं आती थीं। लेकिन अब डकवर्थ लुईस का बहुत बड़ा रोल (Role) होने वाला है। क्योंकि 10 तारीख को होने वाला इंडिया (India) पाकिस्तान के मैच पर भी बारिश का गहरा खतरा है। इन फैक्ट (Fact) आने वाले सभी एशिया (Aisa) कप मैचेस (Matches) पर बारिश दस्तक (Knock) दे रही है। तो ऐसे में आज की पोस्ट में समझ ही लो कि आख़िर ये सब काम कैसे करता है। और क्रिकेट (Cricket) की दुनिया (World) में ये आया कैसे। फायदे में रहोगे।
तो शुरू से शुरू करते हैं।
ऐसा नहीं है कि शुरू (Start) से ही ये मैथड (Method) चलता आ रहा है। दरअसल सबसे पहले 1950′ s,60′ s में क्रिकेट (Cricket) में बारिश के केस में एवरेज (Average) रन रेट मैथड से स्कोर (Sore) कैलकुलेट होता था।मतलब एग्जाम्पल (Example) से समझिए। मानो पहली टीम ने 299 रन बनाए पहली बैटिंग (Batting) करते हुए। चेस कर रही टीम ने 30 ओवर (Over) में 182 रन बना लिए, उस वक्त बारिश आ गई। और कमबख्त रुकी ही नहीं, मैच पॉसिबल (Possible) ही नहीं हो सका। इस केस में ऐवरेज (Average) रन रेट मैथड (Method) लागू किया। 50 ओवर में टारगेट (Target) था 300,यानी एवरेज रन (Run) रेट 6 की। 30 में टारगेट (Target) था 180। यहां चेसिंग (Chasing) टीम 2 रन से मैच जीत (Win) गई। ये रूल (Rule) कई साल चला, पर इसका सबसे बड़ा ड्रॉबैक (Drawback) ये था कि कभी विकेटों को कंसीडर (Consider) किया ही नहीं गया, मतलब 30 ओवर में 9 विकेट खो दिए 182 पर,या कोई विकेट (Wicket) नहीं खोया, आप जीत गए।
इसके बाद 1991 में मोस्ट (Most) प्रोडक्टिव रूल मैथड आया,जो कि इतना बेतुका (Absurd) और खराब था कि इसने सिर्फ़ और सिर्फ़ कंट्रोवर्सी (Controversy) क्रिएट की 1992 के वर्ल्ड कप सेमीफाइनल (Semifinal) में।ये बेतुका रूल किसी को समझ नही आया जो विकेट (Wicket)का कोई हिसाब नहीं करता था।
ऐसे में कुछ अच्छा लाने के लिए इंग्लेंड के 2 स्टेटिस्टिशियन (Satiation) फ्रैंक डकवर्थ और टोनी (Toni) लुईस (Lucie) ने अपनी गणित (Math’s) की तालिम को एक सिस्टेमेटिक (Systematic) और बैलेंस्ड (Balanced Rule) रूल बनाने के लिए पूरी तरह से झोंक दिया जो कम से कम रन और विकेट दोनों का बैलेंस (Balance) बनाकर रखे।
वर्षों की रिसर्च (Research) और फॉर्मुलेशन (Formulation) के बाद आखिरकार 1997 में दुनियां को इंट्रोड्यूस (Introduce) किया गया ये नया रूल (Rule),जो कि इन दो दिग्गजों (Giants) के नाम पर हो रखा गया। डकवर्थ लुइस मैथड।और 1999 में ओडीआई (ODI) क्रिकेट में इस रूल को परमानेंट (Permanent) एडॉप्ट किया गया। इस मैथड (Maidam) को समझने का बेसिक (Basic) फंडा है इसका बेसिस समझना।
1. आपने कितने ओवर गवाए 2. किस स्टेज पर वो ओवर गवाए 3. तब कितने विकेट्स थे आपके हाथ में जब बारिश आई।
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अब हर टीम के पास किसी भी स्कोर (Score) को चेस (Chase) करने के लिए एक ओडीआई (ODI) में 50 ओवर और 10 विकेट तो होते ही हैं। तो इस बेसिक प्रोविजन (Provision) को 100% मानकर काम किया जाता है किसी भी रेन अफेक्टेड (Affected) चेस में।अब स्कोरिंग (Scoring) पर फर्क डालती हैं विकेट्स (Wickets) और कितने ओवर (Over) आपके हाथ में है।
बारिश के वक्त चेसिंग (Chasing) टीम का पार स्कोर (Score)कैलकुलेट करने के लिए एक फॉर्मूला है = team 1 score* team 2 resources/ team 1 resources
जहां resources को कैलकुलेट (Calculate) करने के लिए उन्होंने एक बेसिक (Basic) परसेंटेज और वैल्यूज (Values) का टेबल डेरिवेट किया। अब समझाने लगा तो घंटो बीत जायेंगे।
पर एग्जांपल (Example) से मान लीजिए कि किसी टीम के चेस (Chase) करते वक्त 95% रिसोर्स (Resource) ही बच गए। और पहली टीम ने 50 ओवर में 100% रिसोर्स के साथ 300 रन बनाए थे। अब 95% रिसोर्स के साथ टारगेट (Target) यहां 285 का रहा।
अगर आपके पास 200 का टारगेट चेस (Chase) करते वक्त 70% रिसोर्स (Resource) बचे,तो यहां रिवाइज्ड (Revised) टारगेट हुआ 140।
अगर तो बारिश मैच (Match) के पहले ही थी सिर्फ, उससे दोनों टीमों के ओवर्स (Overs) बराबर हैं रिसोर्स बराबर हैं,तो टारगेट भी नॉर्मल (Normal) ही रहेगा।कुछ बढ़ेगा घटेगा नहीं।
अब हम रियल मैच के एग्जाम्पल के साथ देखेंगे वो पॉसिबल सिचुएशन,जब मैच रूक सकता है और टारगेट बदल सकता है।
1. Increased Target when it rains in 1st inning
2011 इंडिया साउथ अफ्रीका (africa) के बीच एक ओडीआई (DOI) में मैच बार बार बीच बीच में बारिश ने खराब किया,जिसे 46 ओवर (Over) का कर दिया गया जहां साउथ (South) अफ्रीका ने 250/9 स्कोर (Score) किया।लेकिन जब इंडिया (India) को टारगेट मिला तो वो 268 रन था। क्योंकि जब साउथ अफ्रीका की इनिंग्स (Innings) में मैच (Match) रुका, उस स्टेज (Stage) पर उन्हें यही लगा था कि 50 ओवर (Over) का ही मैच होगा। तब रिसोर्स 100% थे,लेकिन 2 बार हुई बारिश ने वो रिसोर्स घटा दिए, जिससे कि ये देखा गया कि अगर साउथ अफ्रीका को पहले से ही 46 ओवर (Over) का पता होता तो वो कितने रन (Run) बनाते, उस हिसाब से ये टारगेट सेट (Set) किया गया। ऐसा ही कुछ हुआ था 2015 वर्ल्ड (World) कप (Cup) के सेमीफाइनल (Semifinal) 1 में भी। जहां टारगेट इंक्रीज (Increase) किया जाता है, क्योंकि ये पहली टीम के साथ नाइंसाफी होगी।
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2.Decreased Target when it rains in 1st innings:
एक बार 2014 के इंग्लैंड (England) श्रीलांका के मैच में श्रीलंका का स्कोर (Score) 2 ओवर में 6/1 था,इतने में काफी लंबी बारिश हुई,जिससे मैच (Match) 35 ओवर का हुआ। श्रीलंका ने 242/8 बना दिए। पर ये स्कोर (Score) इंग्लैंड को 236 का टारगेट (Target) मिला। क्योंकि बारिश से पहले श्रीलंका (Sri Lanka) ने 8% रिसोर्स उस कर लिए थे।और सेम स्टेज (Stage) में इंग्लैंड ने 7%,तो 1% से ये क्राइटेरिया (Criteria) गिराकर स्कोर कम करना पड़ा।
3. जब मैच दूसरी इनिंग्स में रुक जाए:
ऐसा 2006 में इंडिया पाकिस्तान (Pakistan) के ही मैच में हुआ था जहां इंडिया (India) ने पाक को 329 का टारगेट दिया।जहां 48 ओवर में पाक का स्कोर था 311/7।18 बॉल,18 रनों की ज़रूरत थी, और बैड (Band) लाइट्स के चलते मैच (Match) आगे नहीं हो सका। यहां डकवर्थ (Duck worth) लुइस मैथड लगाया गया। अब क्योंकि इंडिया ने पूरे ओवर खेले,तो उनके पास मैच (Match) की शुरुआत में 100% रिसोर्स थे,पर पाकिस्तान के पास थे 97% रिसोर्स। यानी 47 ओवर में 305 रन टारगेट। पर पाकिस्तान ने 311 रन (Run) बना लिए थे। तो 7 रनों से वह ये मैच जीत (Win) गए।
अगर पहली इनिंग्स पूरी खेल जाए तो फॉर्मूला (Formul) लगता है
Team 2 score: team 1 score* team 2 resources
4. जब दोनों ही इनिंग्स में मैच रूक जाए:
ऐसा भी कई बार होता देखा गया जब दोनों ही पारियों में बारिश (Rain) ने काफी कम खराब किया। ऐसे में बार बार दोनों टीमों के रिसोर्स का वो परसेंटेज (Percentage) लेकर टारगेट (Target) स्कोर बढ़ाया या घटाया जाता है जब दूसरी इनिंग्स में बारिश आई।
तो अंपायर्स (Umpires),ये देखते हैं कि कितनी विकेट्स (Wickets) आपके हाथ में हैं,कितने रन (Run) आप बना चुके हैं और कितने ओवर बचे हैं। और कुछ इस तरह से रिसोर्स (Resources) और स्कोर को आपस में मैच (Match) कर टारगेट कैलकुलेट (Calcute) किया जाता है।
हमने पूरी कोशिश कि एग्जांपल (Example) और पूरी कैलकुलेशन से आपको क्लीयर (Claer) करने की। उम्मीद करते हैं आपको ये डकवर्थ लुईस का पेचीदा नियम समझ आ गया होगा।ध्यान से समझ लीजिएगा, और दुआ कीजिएगा कि आगे हमारे किसी मैच में ये पेचीदा रूल यूज न ही हो। क्योंकि हम पूरे मैच देखना चाहते हैं।
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