
सुपरस्टार, एक ऐसा शब्द जिसकी चमक आज की बोलीवुड इंडस्ट्री में खत्म हो गई है क्योंकि आज की तारीख में यहां काम करने वाले हर लीड अभिनेता को उसकी एक हिट फिल्म के बाद सुपरस्टार का तमगा मिल जाता है।लेकिन अगर हम बात करें रीजनल सिनेमा की तो वहां इस शब्द का महत्व और मतलब आज भी वही है जो राजेश खन्ना के समय बोलीवुड में हुआ करता था। टोलीवुड इंडस्ट्री के एक ऐसे ही अभिनेता की बात हम करने वाले है जो सुपरस्टार शब्द से जुड़ी हर परिभाषा में फिट बैठने वाले बहुत कम लोगों में से एक है उनका नाम है Mahesh Babu जिन्हें प्रिंस ओफ टोलीवुड भी कहा जाता है

Mahesh Babu का प्रारंभिक जीवन और पढाई-
घट्टामनेनी महेश बाबू का जन्म 9 अगस्त साल 1975 को तमिलनाडु के चेन्नई में पिता कृष्णा घट्टामनेनी और मां इंदिरा देवी के घर में हुआ था।महेश बाबू के बड़े भाई का नाम रमेश बाबू है जो फिल्म इंडस्ट्री में बतौर एक्टर और प्रोड्यूसर काम करते हैं और इसके अलावा महेश बाबू की बहनों के नाम पद्मावती, मंजूला और प्रियदर्शिनी है
जिनमें मंजूला फिल्मी दुनिया से जुड़ी हुई है।महेश बाबू के पिता कृष्णा तेलगु सिनेमा के एक बड़े और वर्सेटाइल अभिनेता रह चुके हैं जहां उन्होंने लगभग 350 फिल्मों में काम किया था और सिनेमा के क्षेत्र में इनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने इन्हें साल 2009 मेंपद्मभूषण से सम्मानित किया था।महेश बाबू का परिवार आंध्रप्रदेश के गुंटुर जिले से सम्बन्ध रखता है
लेकिन महेश बाबू का पुरा बचपन अपने ननिहाल चेन्नई में इनकी नानी दुर्गाम्मा की देखरेख में ही बिता है क्योंकि महेश बाबू के पिता कृष्णा फिल्मों में अपनी व्यस्तता के चलते बच्चों को अधिक समय नहीं दे पाते थे।महेश बाबू की स्कूली पढ़ाई चेन्नई के सेंट बीड्स एंग्लो इंडियन हाइयर सेंकेडरी स्कूल में हुई थी जहां तमिल सिनेमा के एक्टर कार्थी इनके सहपाठी थे।
पढ़ाई में एक अच्छे विधार्थी होने के साथ साथ महेश बाबू एक अच्छे क्रिकेटर भी थे और ये रोज अपने भाईयों के साथ चेन्नई के वीजीपी गोल्डन बीच पर क्रिकेट खेला करते थे और अपने बच्चों के साथ समय बिताने के लिए इनके पिता विकेंड में अपनी शूटिंग इसी इलाके में रखा करते थे। महेश बाबू के मन में सिनेमा के प्रति प्रेम बचपन से ही था
किस डायरेक्टर ने इन्हें सबसे पहले किया चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर साइन
और घर पर अपने पिता की फिल्में देखने के अलावा महेश बाबू कई बार अपने पिता के साथ फिल्मों के सेट्स पर भी जाते थे जहां एक दिन फिल्म नीडा के सेट पर डायरेक्टर नारायण राव की नजर इन पर पड़ी और उन्होंने महेश बाबू को एक बच्चे के रोल के लिए साईन कर लिया था।

इस तरह महेश बाबू के फिल्मी सफर की शुरुआत चार साल की उम्र से ही हो गई थी जिसके बाद इन्होंने कई फिल्मों में चाईल्ड आर्टिस्ट के तौर पर काम किया था जिनमें गुडाचारी और बाजार राउडी जैसी फिल्में शामिल है।महेश बाबू का करियर छोटे मोटे किरदारों के सहारे चल पड़ा था लेकिन 1990 के बाद इनके पिता ने इन्हें पहले अपनी पढ़ाई पूरी करने को कहा
और अपने पिता की बात मानकर महेश बाबू ने चेन्नई की लोयोला कॉलेज से बेचलर ओफ कोमर्स की डिग्री हासिल की जहां इनके बैचमेट तमिल सिनेमा के सुपरस्टार थालापती विजय थे।अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद महेश बाबू अपने पिता के दोस्त और जाने माने निर्देशक L सत्यानंद से मिले और उन्होंने महेश बाबू को तीन से चार महीने एक्टिंग की शिक्षा दी थी।
क्यों होती थी तेलुगु बोलने में दिक्कत
अपनी जिंदगी का ज्यादातर समय चेन्नई में बिताने के कारण महेश को तेलगु भाषा को पढ़ने और लिखने में दिक्कत का सामना करना पड़ता था जिसके चलते अपने शुरुआती दौर में महेश बाबू अपने संवाद रटकर ही बोलते थे।साल 1999 में महेश बाबू ने के राघवेन्द्र राव की फिल्म राजकुमारुडु़ से लीड एक्टर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी
जिसमें इनके अपोजिट बोलीवुड अभिनेत्री प्रीति जिंटा को लिया गया था।यह फिल्म बोक्स ओफीस पर हिट साबित हुई और अपनी पहली ही फिल्म से लोगों ने इन्हे प्रिंस का टैग दे दिया था।अपनी पहली फिल्म राजकुमारडु में अपने बेहतरीन काम के लिए बेस्ट डेब्यूटेंट का नंदी अवार्ड अपने नाम करने वाले महेश बाबू ने साल 2000 में युवराजु और वामसी में काम किया था।

फिल्म वामसी के सैट पर महेश बाबू की मुलाकात अपनी फ्यूचर वाइफ नम्रता शिरोडकर से हुई थी जो इस फिल्म में लीड एक्ट्रेस का रोल कर रही थी, इस फिल्म से शुरू हुआ नजदीकियों का सिलसिला चार साल के बाद फरवरी 2005 को शादी के बंधन में बदल गया था।इसी दौरान महेश बाबू की फिल्म मुरारी सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी
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जिसकी बोक्स ओफीस सफलता ने इनकी पिछली दो फिल्मों की असफलताओं को ढक दिया था, इसमें महेश बाबू के अभिनय को देखते हुए इन्हें नंदी स्पेशल जूरी अवार्ड दिया गया था।साल 2003 में महेश बाबू भूमिका चावला के साथ फिल्म ओकादू में नजर आए थे जिसने बोक्स ओफीस पर 23 करोड़ रुपए की कमाई की थी
और इसी फिल्म के लिए महेश बाबू को पहली बार बेस्ट एक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया था।2004 में रिलीज हुई नानी और अर्जुन के फ्लोप होने पर महेश बाबू ने कुछ समय के लिए सिनेमा से ब्रेक लेने का निर्णय किया जिसके बाद इनकी फिल्म अथ्थाड़ु रिलीज हुई जिसमें इनके काम को देखते हुए इन्हें बेस्ट एक्टर का नंदी अवार्ड दिया गया था।
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इसके बाद साल 2006 में आई फिल्म पोकीरी ने महेश बाबू का करियर हमेशा के लिए बदल कर रख दिया था, पुरी जगननंद और महेश बाबू की बहन मंजूला के प्रोडेक्शन में बनी इस फिल्म ने बोक्स ओफीस पर उस समय की तेलगु सिनेमा के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे।महेश बाबू को इस फिल्म में अपने काम को लेकर मिडिया और अखबारों सहित अमिताभ बच्चन से भी तारीफ मिली थी,
उनकी किस फिल्म का रीमेक है फिल्म वांटेड
और यही वो फिल्म थी जिसका हिंदी रीमेक आगे चलकर वांटेड के नाम से बनाया गया था जिसमें सलमान खान की एक नई छवि को पर्दे पर देखा गया था।महेश बाबू की बहुत सी फ़िल्मों को हिंदी सहित अन्य भाषाओं में रिमेक किया जाता है लेकिन उनमें से किसी भी फिल्म में महेश बाबू ने काम नहीं किया था क्योंकि महेश बाबू नये कंटेंट और स्टोरी में यकीन रखते हैं जहां उन्हें अपनी कला को निखारने का मौका मिलता है।

इसके बाद महेश बाबू ने साल 2011 में अपने करियर की एक नई पारी शुरू की जिसमें इन्होंने डोकूड़ू, बिजनेस मैन, वन नैनोकोडाईन और अथ्थाड़ु जैसी फिल्मों में काम किया था जिसके चलते महेश बाबू रजनीकांत के बाद तेलगु सिनेमा के हाईएस्ट पेड एक्टर बन गए थे।साल 2011 में आई महेश बाबू की फिल्म डोकूडू ने बोक्स ओफीस पर 100 करोड़ से भी अधिक रुपए का कलेक्शन किया था
क्यों मांगी थी अपने फैंस से माफी
और इतने कलेक्शन के कारण इनके घर पर इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट ने रेड लगाई थी, क्योंकि इतना कलेक्शन तेलगु सिनेमा के लिए उस समय बहुत बड़ी बात थी।अपने करियर में इतना सबकुछ अचीव करने के बाद भी महेश बाबू का स्वभाव अपने फैंस के लिए कभी नहीं बदला जिसका सबसे बड़ा सबूत है साल 2016 में आई फिल्म ब्रह्मोत्सवम जो लोगों को बिल्कुल भी पसंद नहीं आई थी
और इसलिए महेश बाबू ने खुद अपने फैंस से माफी मांगी थी।इसके बाद महेश बाबू ने स्पाइडर, भारत आने नेनू और महर्षि जैसी फिल्मों में काम किया जिनमें इनके किरदार को काफी पसंद किया गया था।यहां आपको बता दें कि महेश बाबू के पिता ने तेलगु सिनेमा की एक्ट्रेस और प्रोड्यूसर विजय निर्मला से दुसरी शादी की थी
जिनका नाम एक महिला डायरेक्टर के तौर पर सबसे ज्यादा फिल्में डायरेक्ट करने के मामले में साल 2002 में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था।महेश बाबू अपनी कमाई का 30 पर्सेंट हिस्सा चैरिटी में देते हैं और साथ ही यह अभिनेता हील ए चाईल्ड नाम की फाऊंडेशन के द्वारा भी बहुत से लोगों की मदद करते हैं।
कैसे मिला मोस्ट डिजायरेबल मैन ऑफ़ इंडिया की लिस्ट में फर्स्ट प्लेस
इसके अलावा महेश बाबू ने अपनी फिल्म श्रीमंथुडु के बाद अपने गांव बुरीपालेम को गोद ले लिया था।महेश बाबू ने टाइम्स 50 मोस्ट डिजायरेबल मैन इन इंडिया की लिस्ट में साल 2011 में पांचवां स्थान, 2012 में दुसरा और 2013 में महेश बाबू ने ऋतिक रोशन, सलमान खान और शाहरूख खान जैसे अभिनेताओं को पछाड़कर पहला स्थान हासिल किया था।
साथ ही महेश बाबू भारत में थम्ज आप के और साउथ इंडिया में टाटा स्काई, नवरत्न और महिंद्रा ट्रैक्टर के साथ साथ पैरेगोन फुटवियर, संतूर सोप और टीवीएस मोटर कम्पनी के ब्रैंड एंबेसडर है।

साल 2019 में महेश बाबू के मैडम तुसाद संग्रहालय में स्थित स्टेच्यू से पर्दा उठाया गया था जिसके साथ ही महेश बाबू तेलगु इंडस्ट्री के पहले अभिनेता बन गए थे जिन्हें ये सम्मान दिया गया था।साल 2006 में महेश बाबू के पहले बेटे गौतम कृष्णा का जन्म हुआ था जिसने इनकी फिल्म वन नेनोकेडाईन में इनके बचपन का किरदार निभाया था
और फिर साल 2012 में नम्रता शिरोडकर ने एक बच्ची को जन्म दिया जिसका नाम सितारा है।महेश बाबू ने अपने करियर में अभी तक लगभग 25 फिल्मों में काम किया है जिसमें इनके काम को देखते हुए इन्हें आठ नंदी अवार्ड और पांच फिल्मफेयर अवार्ड्स सहित बहुत से अन्य सम्मान भी मिल चुके हैं।
