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इशरत अली : 150 से ज्यदा फिल्मो मे काम करने वाला विलेन

कहानी बॉलीवुड के विलेन इशरत अली की
150 से ज्यदा बॉलीवुड फिल्मो में काम करने वाला विलेन कहा गया

रोल छोटा हो या बड़ा, अगर ऐक्टर में दम है तो वह अपनी छाप छोड़ ही जाता है। चेहरा कैसा है यह मायने नहीं रखता, उसका अपना अंदाज़ ही उसे ख़ास बना देता है। दुनिया उसके नाम से भले ही अन्जान रहे, उसके किरदार ही उसकी पहचान बन जाते हैं और उस पर से किरदार अगर विलेन के हों तो लोग चाहकर भी उन्हें कभी भुला नहीं सकते, क्योंकि पॉज़िटिव किरदार लोगों को याद रहें न रहें निगेटिव किरदारों का ख़ौफ़ देर तक अपना असर बनाये रखता है।  आज के वीडियो में हम एक ऐसे ही ऐक्टर की बात करने वाले हैं जिन्होंने अपने अलग अंदाज़ और अपनी बेहतरीन डॉयलॉग डिलीवरी से छोटे से छोटे किरदारों को भी अमर कर दिया। 90 के दशक में एक विलेन के तौर पर उभर कर आये उस ऐक्टर का नाम है इशरत अली। इशरत अली भले ही आजकल की फ़िल्मों में नज़र न आते हों लेकिन दर्शक उनके किरदारों को हमेशा उसी शिद्दत से याद किया करते हैं। आज हम इशरत अली जी के फ़िल्मी सफ़र के बारे में तो चर्चा करेंगे ही साथ ही यह भी जानेंगे कि आजकल वे क्या कर रहे हैं।

इरशत अली

दोस्तों इशरत अली जी जैसे एक बेहतरीन ऐक्टर के बारे में न तो सोशल मीडिया पर बहुत जानकारी उपलब्ध है और न ही उनका कोई ऐसा इंटरव्यू, जिसमें उन्होंने अपनी लाइफ से जुड़ी बातें शेयर की हों, जो कि उनके फैन्स के लिये बहुत ही निराशाजनक है। फिर भी हम उनसे जुड़ी बहुत सी ऐसी बातें आपके लिये लेकर आयें हैं जो यक़ीनन आपने पहले कहीं नहीं सुनी होंगी। 2 अप्रेल 1953 को लखनऊ में जन्मे इशरत अली का पूरा नाम इशरत अली शेख़ है। हालांकि उनका जन्म लखनऊ में हुआ है या मुंबई में इस बारे में एकदम सटीक जानकारी किसी को नहीं पता लेकिन इशरत अली के सोशल मीडिया अकाउंट के मुताबिक वे लखनऊ के रहने वाले थे जो बाद में मुंबई शिफ्ट हो गये।  इशरत के पिता एक बिजनेसमैन थे ऐसे में इशरत भी पढ़ाई के साथ-साथ बिजनेस में पिता का हाथ बँटाया करते और कुछ समय दोस्तों के साथ भी बिताया करते। खेल-कूद और मौज़-मस्ती के दौरान इशरत की बातें उनके दोस्तों को बड़ी मज़ेदार लगतीं क्योंकि अक्सर इशरत कोई न कोई डॉयलॉग बोलते या किसी की ऐक्टिंग करते रहते थे। उनके दोस्त हमेशा उनसे यही कहते कि “यार तुम्हें तो ऐक्टिंग लाइन में जाना चाहिए।” दोस्तों के बार-बार कहने पर इशरत के मन में भी ऐक्टर बनने की चाह जग तो गयी लेकिन इसके लिये उन्होंने न घर-परिवार से कोई बगावत की और न ही किसी तरह की जल्दबाजी ही की। इशरत अपनी ज़िम्मेदारी को बख़ूबी समझते थे इसलिए उन्होंने अपने पिता के साथ बिजनेस में हाथ बँटाया और फिर उनके अचानक गुज़र जाने के बाद परिवार को सँभाला और बहनों की अच्छे से शादी कर अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा किया। इन सब कामों से निबट जाने के जब उन्होंने देखा कि घर की सारी ज़रूरतें पूरी हो चुकी हैं तब उन्होंने निश्चिंत होकर फ़िल्मों का रुख़ किया।

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फ़िल्मी दुनिया में एन्ट्री करने के लिये शुरुआत में इशरत ने शूटिंग के दौरान लाइटें उठाने का काम किया और धीरे-धीरे परिचय बढ़ने पर सबसे यह बताना शुरू कर दिया कि वे ऐक्टर बनना चाहते हैं। इशरत के बोलने का अंदाज़ और उनका कॉन्फिडेंस यूनिट में भी सब पर अपना असर डाल ही देता था। ऐसे में एक दिन किसी ने उन्हें बताया कि डायरेक्टर दिलीप शंकर अपनी नयी फ़िल्म के लिये कुछ चेहरों की तलाश कर रहे हैं और उन्हें जाकर वहाँ ट्राई करना चाहिए।  इशरत ने सोचा एक चांस लेने में क्या हर्ज़ है, जो होगा देखा जायेगा, बस फिर क्या था वह भी जा पहुंचे ऑडिशन देने। उसके बाद वहाँ भी वही हुआ जो हर बार होता आया था इशरत के साथ, वहाँ भी इशरत की आवाज़ और उनके शानदार डॉयलॉग डिलीवरी का जादू चल ही गया और वे चुन भी लिये गये, वो भी एक ज़बरदस्त कैरेक्टर के लिये। और वह रोल था यशवंत कात्रे नाम के एक भ्रस्ट मिनिस्टर का रोल का जिसे ख़ूब पसंद किया गया। हालांकि साल 1988 में ‘कालचक्र’ नाम से आयी यह फ़िल्म तो कामयाब नहीं हो सकी थी लेकिन यह इशरत अली की ऐक्टिंग का ही जादू था कि फ़िल्म के फ्लाप होने के बाद भी उन्हें आगे काम मिलता ही चला गया। चूँकि इस फ़िल्म में उनका किरदार निगेटिव था तो आगे भी उन्हें वैसे ही किरदार मिले। मज़े की बात कि उनके ज़्यादातर किरदार एक जैसे ही होते थे लेकिन अपने ख़ास अंदाज़ से वह हर किरदार में कुछ न कुछ अलग करके उसे यूनिक बना देते।

लगभग 3 दशकों तक 150 से भी ज़्यादा फिल्मों में काम करने वाले इशरत जी की कुछ ख़ास फिल्मों में कालचक्र, आतंक ही आतंक, तुम मेरे हो, बलवान, आंदोलन, क्रांतिवीर, आ गले लग जा, जिगर, हक़ीक़त, अंदाज़, बिच्छू, जुड़वा, ‘गदर: एक प्रेम कथा’,  गुंडा ,  भाई, “सरकार,” ” रनवे ,” और ” राजधानी एक्सप्रेस ,” जैसे ढेरों नाम शामिल हैं। इशरत अली द्वारा निभाये कई सारे किरदार बहुत ही फेमस हुए हैं और लोग उन्हें उनके असल नाम की जगह उनके किरदारों के नाम से ही जानते हैं। कोई उन्हें लोहा फ़िल्म के इंस्पेक्टर काले के नाम से तो कोई उन्हें गुण्डा फ़िल्म के लम्बू आटा के नाम से पुकारता है। दोस्तों इशरत अली जी की ख़ासियत यह है कि वे ख़ुद किरदार में न ढलकर उस किरदार को ही अपना बना लेते हैं, जिसके बाद हर किसी को यही लगता है कि इसे इशरत से बेहतर कोई और निभा ही नहीं सकता था। क्रांतिवीर का बंगाली लहजे में बोलने वाला चंद्रसेन आज़ाद का किरदार हो या गदर एक प्रेम कथा के काज़ी की भूमिका, हर किरदार में अपनी एक छाप छोड़ने वाले इशरत का रोल कितना भी छोटा हो लोग उसे कभी भी नहीं भूल सकते हैं।

 

दोस्तों फ़िल्मों में इशरत को जो भी किरदार मिले उनमें ज़्यादातर निगेटिव ही होते थे हालांकि उन किरदारों में अक्सर एक मज़ाकिया लहज़ा भी देखने को मिल जाता था। परदे पर देखकर लोग उन्हें गालियाँ भी देते और उतना ही उनके डॉयलॉग को एन्जॉय भी किया करते हैं। बात उनके डिफरेंट रोल की करें तो फ़िल्म ‘दरवाज़ा बंद रखो’ में वे भरपूर कॉमेडी करते हुए दिखे थे। राम गोपाल वर्मा द्वारा बनायी इस फ़िल्म में अपने किरदार को इशरत अपना वन ऑफ द बेस्ट रोल मानते हैं। इशरत अली ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब रामगोपाल वर्मा ने उन्हें इस रोल के बारे में बताया था तो इशरत ने इस रोल को अपने तरीक़े से करने के लिये आज़ादी माँगी। उन्होंने यह भी बताया कि जिस वक़्त इस पर डिसकशन हो रहा था उस वक़्त सरकार फ़िल्म की शूटिंग चल रही थी और राम गोपाल वर्मा ने आधे घण्टे की शूटिंग को रोककर उनसे सुना कि वह किस तरह से इस रोल को करना चाहते हैं। हालांकि यह फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर कामयाब नहीं हो पायी थी फिर भी इशरत अली के रोल को सभी ने पसंद किया था। बात करें इशरत अली के अपने ख़ुद के सबसे पसंदीदा रोल के बारे में तो वह है साल 1995 में आयी फ़िल्म ‘आतंक ही आतंक’ में उनके द्वारा निभाया किरदार, जिसमें वे रजनीकांत और आमिर ख़ान के पिता की भूमिका में थे जो एक किसान से गैंगस्टर बन जाता है। मज़े की बात कि इशरत इससे पहले भी फ़िल्म ‘तुम मेरे हो’ में आमिर ख़ान के पिता की भूमिका निभा चुके थे जो कि साँप सपेरों की कहानी पर आधारित फ़िल्म थी।

 

दोस्तों इशरत अली ने अपने किरदारों को हमेशा ही पूरी ईमानदारी से निभाने की कोशिश की है, सबसे बड़ी बात कि उन्होंने बी ग्रेड की फ़िल्मों में भी काम किया है लेकिन वहाँ भी उन्होंने अपने काम उसी तरह अंजाम दिया और उन फ़िल्मों को देखने वाले दर्शकों ने भी इशरत के काम को ख़ूब पसंद किया। इशरत अली ने एक तरफ राम गोपाल वर्मा, डेविड धवन, विक्रम भट्ट और  गुड्डू धनोआ आदि जैसे बड़े डायरेक्टर्स के काम किया है तो दूसरी तरफ कांति शाह जैसे कई बी और सी ग्रेड फ़िल्म बनाने वाले डायरेक्टर्स के साथ काम करने से पीछे नहीं हटे। हालांकि यह उनकी एक मजबूरी भी थी क्योंकि बड़ी फ़िल्मों से ऑफर नहीं मिलने पर एक ऐक्टर को उन्हीं में से कुछ काम करना पड़ता है जो उसे ऑफर किये जाते हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि वे चाहते हैं कि संजय लीला भंसाली और करण जौहर जैसे डायरेक्टर्स के साथ काम करें। साथ ही वे यह भी चाहते हैं कि उन्हें कुछ यूनिक किरदार मिले जैसे शोले में गब्बर सिंह जैसा किरदार था।

 

हिंदी फ़िल्मों के अलावा इशरत अली ने अदावी नाम की एक तेलुगु फिल्म में भी काम किया है साथ ही टीवी पर भी नज़र आ चुके हैं। इशरत पॉपुलर टीवी शो ” चिड़िया घर ” में भी नज़र आये थे, सब टीवी के इस शो में उनका दीमक चाचा का किरदार कई शेड्स लिये हुआ था जो हर बार निगेटिव होकर भी बहुत ही मज़ेदार होता था और जिसका इंतज़ार दर्शक भी बड़ी बेताबी से किया करते थे। इस कॉमेडी शो के अलावा इशरत पॉपुलर फैमिली ड्रामा शो  “दो दिल बंधे एक डोरी से” में भी नज़र आये थे। यह शो उनके दिल के बहा क़रीब था और वह चाहते थे कि इसका दूसरा सीजन भी बने। इस धारावाहिक में उनके बेहतरीन काम के लिए, साल 2013 में उन्हें “सर्वश्रेष्ठ ससुर” के अवाॅर्ड से ज़ी रिश्ते पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था। बात अवाॅर्ड की करें तो तमाम अवाॅर्ड्स के अलावा साल 2019 में इशरत अली जी को ‘दादा साहेब फाल्के आइकॉन अवाॅर्ड’ की ओर से मल्टी टैलेंटेड विलेन के अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।

 

फ़िल्मों में एक जैसे किरदारों से तंग आकर इशरत अली ने टीवी का रुख़ ज़रूर किया था लेकिन बाद में वहाँ से भी अच्छे ऑफर न मिलने से उन्होंने ऐक्टिंग से दूरी बना ली और कभी एक बिजनेसमैन रह चुके इशरत अली जी ने ख़ुद को दूसरे काम में व्यस्त कर लिया। इशरत अली जी ने साल 2018 में मुंबई में अंधेरी के एक पॉश एरिया में एक रैस्टोरेंट स्टार्ट किया जिसका नाम है ‘द बॉम्बे फ्राईज़’, जो काफी सफल रहा। उन्हें जाननेवाले बताते हैं कि उनके साथ इस रैस्टोरेंट को सँभालने का काम उनकी बेटी कर रही हैं। इशरत अली जी के निजी जीवन की बात करें तो उनकी पत्नी का नाम है निगार ख़ान जिनसे उन्हें 2 बच्चे हैं एक लड़का और एक लड़की।

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