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बॉलीवुड एक्टर सनी देओल बायोग्राफी

सनी देओल भारतीय (Indian) सिनेमा (Cinema) में 80s के एक्शन पैक्ड (Packed) दौर में अपनी पहली फिल्म से रोमांटिक सेंसेसन (Sensation) के तौर पर उभरा बोली सी शक्ल वाला हीरो जिसने 90s का दशक आते-आते हिंदी सिनेमा में एक्शन की परिभाषा (Definition) को ही बदलकर रख दिया था, दिल की बेताबी (Desperate) से घायल होकर बोक्स (Box) ओफीस (Office) पर गदर मचाने वाले इस अभिनेता ने अपने करियर (Career) में हर तरह के दौर को अनुभव किया है।
लेकिन इस अभिनेता की जिंदगी में एक दौर ऐसा भी आया जब भारतीय सिनेमा की सबसे बड़ी हिट (Hit) फिल्म (Movie) देने के बाद इनके पास अच्छी फिल्में नहीं थी और जिनमें इन्होंने काम किया उन्हें लोगों ने सिरे से नकार दिया और फिर देखते ही देखते एक समय का यह सबसे बड़ा एक्शन हीरो पर्दे से दूर होता चला गया लेकिन अब फिर से एक शानदार कमबैक (Comeback) को तैयार हैं।
आज की इस पोस्ट में हम सनी देओल के फर्श से अर्श और अर्श से गर्त तक पहुंचने के सफर को आपके सामने रखने वाले है।

                                                      Sunny Deol

19 अक्टूबर साल 1956 को सनी देओल का जन्म पिता धर्मेंद्र और मां प्रकाश कौर के घर पंजाब के साहनेवाल गांव में हुआ था, पिता धर्मेंद्र उस समय फिल्म इंडस्ट्री (Industry) में पैर जमाने के लिए संघर्ष (Conflict) कर रहे थे जो अगले चार सालों तक जारी रहा जिसके बाद साल 1960 में उन्हें अपनी पहली फिल्म (Film) मिली थी।
पिता को काम मिल गया तो सनी देओल अपनी मां के साथ पंजाब को छोड़कर बम्बई (Bombay) आ गए और फिर वहीं से अपनी पढ़ाई लिखाई पुरी की, यह वो समय था जब सनी देओल को खेलों की दुनिया में दिलचस्पी (Interest) बढ़ने लगी थी।
स्वभाव से शर्मीले (Shy) किस्म का यह लड़का अपनी स्कूल की हर स्पोर्ट्स (Sports) टीम की तरफ से खेलते हुए नजर आता था, अपने आस पास के लोगों को देखकर कार ड्राइव (Drive) करने की इच्छा भी पनपने लगी थी जो सनी देओल ने 12 साल की उम्र में अपने एक पड़ोसी के घर से चुपके से गाड़ी निकालकर पुरी की थी।
मजाक मस्ती, खेल कूद चल रहा था लेकिन फिल्मों में काम करने का विचार अभी तक नहीं आया था, कोलेज (College) के बाद जब परिवार के लोगों ने सनी को खेल कूद से दुरी (Distance) बनाने को कहा तब पहली बार इन्होंने खुद को फिल्मों में ट्राई (Try) करने का मन बनाया और उसके लिए लंदन अदाकारी (Performance) सिखने चले गए।
यहां आकर इन्ट्रोवर्ट (Introvert) सनी देओल को खुलने का मौका मिला और यहीं पहली बार सनी देओल ने शराब और सिगरेट को हाथ लगाया था लेकिन ये चीजें उन्हें पसंद नहीं आई और उन्होंने अपने काम को जारी रखते हुए अदाकारी (Performance) पर ध्यान केंद्रित (Concentrate) किया और फिर कुछ सालों बाद फिर से बम्बई आ गए।
अब अपने बेटे को अच्छा डेब्यू (Debut) देने के लिए धर्म जी ने राहुल रवैल से सम्पर्क (Contact) किया, राहुल रवैल जो कि बोबी और लव स्टोरी जैसी फिल्मों में नये अभिनेताओं से सजी फिल्मों में डायरेक्टर (Director) और असिस्टेंट (Assistant) की भूमिका (Role) निभा चुके थे उन्होंने सनी देओल के लिए शेक्सपियर की एक रचना पर आधारित कहानी तैयार की जो धर्म जी को बहुत पसंद आई।
बेताब नाम से यह फिल्म साल 1983 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई और शानदार सफल फिल्म साबित हुई, एक्शन फिल्मों की तरफ झुक रही हिंदी सिनेमा के लिए ये सफलता (Success) एक चमत्कार (Miracle) की तरह थी।
सनी देओल को बेस्ट एक्टर का नोमीनेशन (Nomination) प्राप्त (Received) हुआ और फिर अगले साल इन्होंने सनी, मंजिल मंजिल और सोनी महीवाल जैसी तीन ऐसी रोमांटिक (Romantic) फिल्मों में काम किया जिनके साथ राज खोसला और नासिर हुसैन जैसे बड़े नाम जुड़े हुए थे।
साल 1985 में सनी देओल और राहुल रवैल की जोड़ी ने फिल्म अर्जुन पर काम किया जो एक बेरोजगार युवा लड़के की अपने आस पास के करप्ट माहौल से लड़ाई की कहानी (Story) थी, इस फिल्म में पहली बार सनी देओल को एक एक्शन (Action) हीरो के तौर पर देखा गया था, यह फिल्म भी सुपरहिट (Superhit) साबित हुई।
सनी देओल अब फिल्म इंडस्ट्री में सबसे तेजी से उभर रहे अभिनेताओं (Actors) में गिने (Count) जाने लगे थे, साल 1986 में आई फिल्म सल्तनत में सनी देओल को पहली बार अपने पिता के साथ स्क्रीन (Screen) शेयर (Share) करने का मौका मिला था, अलग अलग तरह की फिल्में और तरह तरह के किरदारों के सहारे सनी देओल लगातार आगे बढ़ रहे थे।
ये वो समय भी था जब सनी देओल को लेकर अलग अलग तरह के किस्से और कहानियां भी सिनेमाई गलियारों में चल रहे थे, डिम्पल कपाड़िया सहित अपनी कुछ साथी अभिनेत्रियों के साथ सनी देओल के अफेयर्स की बातें लोगों के बीच चर्चा का अहम मुद्दा बनी हुई थी तो वहीं दूसरी तरफ उनके गुस्से शर्मीले स्वभाव (Mood) से जुड़ी बातें भी सामने आ रही थी।
साल 1989 में सनी देओल ने फिल्म त्रिदेव में काम किया जो बड़ी सफल फिल्म साबित हुई जिसके बाद उन्होंने एक ऐसी फिल्म में काम करना भी मंजूर (Approved) किया जिसकी कहानी पुरी तरह से हीरोइन के इर्द-गिर्द बुनी गई थी, चालबाज नाम की इस फिल्म में काम करने के पीछे कारण सनी देओल के लिए यह था कि कुछ साल पहले उनके पिता ने भी सीता और गीता फिल्म में इसी तरह का किरदार निभाया था।

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सनी देओल को एक एक्शन हीरो के तौर पर पहचान (Identification) तो मिल गई थी लेकिन उस छवि का स्थापित होना अभी बाकी था, ऐसे में राजकुमार संतोषी सनी देओल की जिंदगी में आये और कमल हासन को ध्यान में रखकर तैयार हुई कहानी में आखिरकार सनी देओल को जगह मिली और घायल नाम की यह फिल्म सनी देओल के लिए सबसे बड़ा मील का पत्थर साबित हुई।
इस फिल्म के लिए सनी देओल को अपना पहला फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया जिसके बाद इन्होंने नरसिम्हा, योद्धा, क्षत्रिय और विश्वात्मा जैसी बड़ी एक्शन फिल्मों में काम कर खुद की इमेज को मजबूत कर दिया था।
साल 1993 में दामिनी रीलीज हुई जिसमें सनी देओल के कुछ दृश्य (Scene) और एक डायलॉग (Dialogue) पुरी फिल्म पर भारी पड़ गए थे और आज दामिनी का मतलब ही सिनेमा प्रेमियों के लिए सनी देओल बन गए हैं।
सनी देओल अपने दमदार अभिनय, जानदार आवाज और संवादों (Dialogues) के लिए आज ही याद किए जाते हैं लेकिन उनसे जुड़े कुछ ऐसे किस्से भी काफी मशहूर है जो इस अभिनेता की रियल छवि को हमारे सामने रखते हैं।
साल 1993 में आई फिल्म डर में अपने किरदार से नाराज़ सनी देओल और यश चोपड़ा के बीच हुई तनातनी (Tension) की बातें तो आपने सुनी ही होगी, यहां सनी देओल ने किसी तरह अपने गुस्से को काबू कर लिया था लेकिन कांति शाह ने जब धर्म जी के साथ धोखे से एक भद्दा (Clumsy) सीन शूट करवा लिया तो यह बात सनी देओल को पसंद नहीं आई और उन्होंने कांति शाह को कहानी सुनाने के बहाने से अपने ओफीस बुला लिया और कहा जाता है कि वहां सनी देओल ने कांति शाह की जबरदस्त पिटाई (Spanking) कर उन्हें वह सीन फिल्म से हटाने के लिए मजबूर कर दिया था।
साल 1996 में सनी देओल और राजकुमार संतोषी की जोड़ी ने घातक जैसी सुपरहिट एक्शन फिल्म बनाई जिसका हर एक सीन यादगार बन गया है, फिर अगले साल ज़िद्दी भी रीलिज (Release) हुई और यह भी बड़ी सफल साबित हुई।

फिल्म निर्माण –
लेकिन नब्बे के दशक में कुछ एक फिल्मों को छोड़ दें तो यह साफ नजर आता है कि सनी देओल को बड़े बड़े फिल्म निर्माताओं ने लगभग नकार दिया था, घातक, दामिनी, जीत और जिद्दी की बड़ी सफलताओं के बावजूद भी सनी देओल को डर (Fear) के अलावा किसी बड़े बैनर की बड़ी फिल्म में काम करने का मौका नहीं मिला था और डर में भी उनका किरदार नये नवेले अभिनेता शाहरूख खान की छाया में सिमटकर (Limited) ही रह जाता है। ऐसे में सनी देओल ने खुद फिल्म निर्माण करने का फैसला किया और साल 1999 में फिल्म दिल्लगी से एक नये सफर की शुरुआत की, इस फिल्म से सनी देओल पहले प्रोड्यूसर (Producer) के तौर पर जुड़े थे लेकिन जिन्हें इस फिल्म के निर्देशन (Direction) का जिम्मा दिया गया था उन्होंने इस फिल्म से हाथ खींच लिए थे और ऐसे में सनी देओल को डायरेक्शन का भार भी उठाना पड़ा।
लेकिन यह फिल्म भी ज्यादा सफल साबित नहीं हुई और अब सनी देओल को एक बड़ी सफल फिल्म की सख्त जरूरत थी, ऐसे समय में भगत सिंह पर आधारित एक फिल्म को लेकर शुरू हुई बात ने राजकुमार संतोषी और सनी देओल के बीच कड़वाहटे (Bitterness) पैदा कर दी थी, यानि की सनी देओल को अपने करियर की कुछ सबसे बड़ी फिल्में देने वाला शख्स (Person) भी अब उनके साथ नहीं था।
यहां सनी देओल का साथ अनिल शर्मा ने दिया और गदर फिल्म वजूद में आई जिसने ढलान पर खड़े सनी देओल के करियर को संवारने का काम किया था, गदर फिल्म ने लोगों की भीड़ और टिकट कलेक्शन तक बहुत से नये रिकॉर्ड (Record) स्थापित (Established) किए और कल्ट क्लासिक (Classic) बन गई।

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एक बार फिर करियर पटरी पर –

फिर इसी समय में इंडियन और मां तुझे सलाम जैसी देशभक्ति फिल्में भी रीलिज हुई और लोगों ने उन्हें काफी पसंद भी किया।
सनी देओल का करियर फिर से पटरी (Track) पर लौटता हुआ नजर आ रहा था, इस दौरान भगत सिंह पर आधारित (Based) वह फिल्म भी आ गई थी और अपने समय की बड़े बजट (Budget) की फिल्म हीरो में भी लोगों ने सनी देओल को बहुत प्यार दिया था।
लेकिन यहां फिर से पुरानी बातें दोहराई गई, शानदार फिल्में देने के बावजूद भी सनी देओल को आगे अच्छी फिल्में ओफर नहीं हुई और दुसरी तरफ उनका पीठ का दर्द भी इन्हें काम करने से रोकने लगा था।
साल 2007 में रीलिज हुई फिल्म अपने और फिर साल 2011 में आई फिल्म यमला पगला दीवाना को अगर सनी देओल की आखिरी बड़ी फिल्में कहें तो गलत नहीं होगा क्योंकि इनके बीच में रिलीज हुई कुछ फिल्में टोली लाइट, हीरोज और फोक्स कब आई कब गई पता ही नहीं चला।
साल 2011 के बाद सिंह साहब द ग्रेट, पोस्टर बोयज, घायल वन्स अगेन और यमला पगला दीवाना सीरीज की आखिरी दो फिल्में सिनेमाघरों में बुरी तरह से फ्लॉप साबित हुई, यानी कि सनी देओल अपने करियर के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे थे जहां कोई बड़ा बैनर या बड़ा फिल्म निर्देशक उनका साथ देने के लिए तैयार नहीं था।
साल 2013 में रीलिज हुई ऐनीमेटेड फिल्म महाभारत में सनी देओल ने पहली बार किसी करेक्टर को अपनी आवाज़ देने का काम किया और यह सिलसिला आगे भी जारी रहा, इसी बीच भाईजी सुपरहिट फिल्म भी आई जिसमें प्रीति जिंटा और सनी देओल की जोड़ी बहुत सालों बाद पर्दे पर लौटी लेकिन यहां भी सिनेमाघरों  (Movie theaters) में सिर्फ सन्नाटा (Silence) ही पसरा रहा, पता नहीं क्यों लेकिन एक तरह से लोगों ने भी सनी देओल को भुला (Forgotten) दिया था।
कुछ सालों पहले सनी देओल के बड़े बेटे करण ने फिल्म पल पल दिल के पास के जरिए अपना डेब्यू किया जिससे सनी देओल ने निर्देशित किया था, मगर यह फिल्म भी ज्यादा कुछ कमाल नहीं कर पाई थी, माना जा रहा है कि सनी देओल अब अपने दुसरे बेटे को भी पर्दे पर लाने की तैयारियों में जुटे हुए हैं।

                                                                                       Sunny Deol (Gadar 2)

कमबैक की तैयारी  –
सनी देओल इस साल अपनी दो फ़िल्मों के साथ कमबैक (Comeback) करने की तैयारी में है जिनमें से एक गदर टू का इंतजार हर किसीको है | बात करें सनी देओल की निजी जिंदगी के बारे में तो अपने तीस साल के लंबे करियर के दौरान इनका नाम डिम्पल कपाड़िया, रवीना टंडन और मिनाक्षी शेषाद्रि जैसी कुछ बड़ी अभिनेत्रियों के साथ जोड़ा गया था, जिसके बाद सनी देओल ने पुजा देओल से शादी कर इन सभी बातों पर विराम लगा दिया था, पुजा देओल से इन्हें दो बेटे हैं जिनका नाम करण और राजवीर है।
पिछले लोकसभा चुनावों में गुरदासपुर सीट से चुनाव जीतकर सनी देओल ने अपने राजनीतिक (Political) करियर का आगाज (Debut) भी कर दिया है, इसी उम्मीद के साथ कि सनी देओल की वापसी पर्दे पर बेहतरीन रहे और राजनीतिक करियर में भी वो नये स्थापित करें आज की इस पोस्ट में बस इतना ही |

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