भाव, यानी इमोशन (Emotion), एक ऐसी चीज़ जो मृत (Death) वस्तु में ही जान डाल दें। और किसी से भी अटैचमेंट (Attachment) होने में पुल का काम करता है भाव। जब हमारे इमोशंस किसी चीज़ के साथ जुड़े होते हैं तो हम काफ़ी करीब से उसे फील (Feel) करते हैं। कोई इंसान हो या फिर कोई खेल, हमारा प्यार उससे एक नेक्स्ट लेवल पर चला जाता है। और उससे हम काफ़ी रिलेट (Relate) करने लग जाते हैं।उसकी खुशी में बेहद खुश, और गम में बेहद दुखी हो जाया करते हैं। खास तौर पर क्रिकेट जैसी स्पोर्ट्स, जिसे एशिया में बेहद क्रेज से देखा जाता है।और इंडिया में तो कुछ ज़्यादा ही इस ट्रैंड को फॉलो किया जाता है। पर एंड ऑफ़ द डे, है तो खेल ही न। क्रिकेटर्स जो मैदान पर खेल रहे हैं,वे रोज़ नहीं जीतते, हार भी इस खेल का हिस्सा (Part) है।लेकिन फैंस का दीवानगी का आलम कुछ ऐसा है, कि कई बार अपनी टीम को हारता देख उनका दुनिया से ही मन भर जाता है और नजाने क्यों एक ही पल में वे अपने घर परिवार जिम्मेदारियां सब भुलाकर अपनी ज़िंदगी के खुद ही दुश्मन बन जाते हैं। जहां एक तरफ बड़े खिलाड़ी (Player) जिन्हें जिम्मेदारी लेनी चाहिए,वो फाइनल (Final) हारकर बस एक औपचारिकता (Formalities) के लिए इंस्टाग्राम (Instagram) पोस्ट कर देते हैं। पर फैंस जो टीम की हार से टूट जाते हैं।वो भावनाओं में बहकर कुछ ऐसे कदम उठा लेते हैं, जो उनका और उनके परिवार का ही नुकसान कर देता है। न केवल इंडियन क्रिकेट , बल्कि विश्व क्रिकेट हिस्ट्री (History) में ऐसे कई मौके आए जब कभी इण्डिया (India) के वर्ल्ड कप से बाहर होने पर, तो कभी सचिन के शतक (Century) से चुकने पर फैंस ने आत्म हत्या करली, तो किसी को हार्ट अटैक आ गया। आज हम नारद टीवी के इस नए वीडियो में कुछ ऐसे ही दिल रुला देने वाले लम्हों की बात करेंगे जब इंडियन क्रिकेट की वजह से कई परिवारों ने अपना बेटा खो दिया, तो किसी ने पिता।
आइये जानते है 5 ऐसे मोमन्ट् के बारे में जब फैंस टीम के हारने के बाद फैंस ने आत्महत्या करली –
5. सचिन शतक से गए, और सुजल जिंदगी से: 90 के दशक में इंडियन टीम की जीत की सिर्फ एक ही खिलाड़ी उम्मीद हुआ करता था, मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर। जो उस वक्त टीम की वन मैन आर्मी हुआ करते थे। सचिन हैं, तो संभव है। फैंस सचिन से इतना प्यार करते थे कि उनके आउट होते ही अपने टीवी बंद कर दिया करते। सचिन 100 शतक लगाने वाले विश्व (World) के इकलौते (Only) प्लेअर हैं। लेकिन एक फ्रस्टेटिंग (Frustrate) वक्त इस दिग्गज के कैरियर में ऐसा भी आया जब शतकों की गिनती 99 पर ही फ्रीज़ (Freez) हो गई थी। हर मैच में फैंस को काफ़ी उम्मीद (Hope) होती कि इस मैच में सचिन 100 का सैंकड़ा (Hundred) पूरा करेंगे। और सचिन एक के बाद एक फेल होते चले गए। ठीक वैसे ही हुआ 2011 विश्व कप फाइनल में जब सचिन 18 रन बनाकर मलिंगा (Malinga) का शिकार बने। इससे मैसूर (Mysore) के एक फैन (Fan) इतना दुखी हुआ कि अपनी ही जान ले बैठा। जी हां दोस्तों, भारत बेशक विश्व कप जीता लेकिन 21 साल का बी कॉम का स्टूडेंट सुजल अपनी जान से हाथ धो बैठा। और अपने ही घर में फाँसी लगाकर खुदकुशी कर दिया। यदि थोड़ा वक्त और जीवित रहता तो सचिन के 100वे शतक और इंडिया की वर्ल्ड कप ग्लोरी ज़रूर देखता।
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4. जब श्रीलंका की हार सहन नहीं हुई:- दोस्तों 2012 का वो लाजावाब टी 20 विश्व कप फाइनल तो आपको याद ही होगा जहां मार्लोन सैमयूल्स ने अपने दम पर वेस्टइंडीज (West Indies) को वो हारा हुआ मैच जीता दिया था । 137 रन के मामूली से टोटल को श्रीलंका चेस न कर सकी थी और फाइनल 36 रनों से हार गई थी तो होम क्राउड बेहद हताश और टूट चुका था। ये हार्ट ब्रेक इतना बड़ा था कि पहले 2011 विश्व कप और अब बैक टू बैक फाइनल हार फैंस से हजम नहीं हो रही थी। जिसके बाद असन लक्षिता ( Ashan Lakshitha) नाम के एक व्यक्ति ने अपने घर के बाहर आम के पेड़ से लटक अपने प्राण त्याग दिए। वहीं एक 21 वर्षीय महेंद्रन सुरेश (Mahendran Suresh) अपने बेड रूम में फंदा लगाकर सुसाइड (Suicide) कर दिए। इस हार से श्रीलंकन क्रिकेट को काफ़ी नुकसान पहुंचा था।
3. इधर कोहली आउट, उधर रेलवे अफसर: 2018 में जब भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका टूर (Tour) पर गई थी तो केप टाउन में पहला टैस्ट खेला जा रहा था। और जब भारत की बैटिंग आई तो फैंस को विराट से एक बड़ी पारी की उम्मीद थी। लेकिन मोर्ने मोर्कल की एक आउटसाइड ऑफ़ स्टंप गेंद पर वे कॉट बिहाइंड हो गए और केवल 5 के स्कोर पर चलते बने। जिसके बाद मध्य प्रदेश के उनके एक 63 वर्षीय फैन बाबूलाल बारिया (Babulal Bariya) ने खुद पर मिट्टी का तेल ( kerosene oil) छिड़क दिया और अपने आप को आग लगा ली। अपने अंतिम शब्द भी बारिया ने यही कहे कि वे विराट के बहुत बड़े फैन थे और ये आउट ने उन्हें काफी दुखी किया। बारिया , जो कि रिटायर्ड रेलवे (Railway) ऑफिसर थे, उनकेे बेटे ने भी 2009 में क्रिकेट के चलते सुसाइड कर लिया था।
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2. 2007 विश्व कप इसीलिए नाइटमेयर था: दोस्तों लगभग हर भारतीय क्रिकेटर जो 2007 के विश्व कप स्क्वाड ( Squad) में टीम का हिस्सा था, उन सभी ने अपने इंटरव्यू ( Interview) में ये कहा है कि ये विश्व कप सबसे ख़राब और निराशाजनक (Disappointing) था क्योंकि एक स्ट्रॉन्ग (Strong) टीम होने के बावजूद भारत ग्रुप स्टेज में ही बुरी तरह हार बाहर हो गया था। इस विश्व कप भारत उम्मीदों पर बिल्कुल भी खरा नहीं उतरा था और सिर्फ एक बरमूडा (Bermuda)से मैच जीता था। बांग्लादेश और श्रीलंका से 69 रनों से अपना आखरी मैच हार भारत पहले ही राउंड से बाहर हो गया था जिसने फैंस और इंडियन क्रिकेट के फॉलोवर्स (Followers) को काफ़ी गहरी ठेस पहुंचाई थी। जिसके बाद हैदराबाद के 28 वर्षीय राजू को इस मैच की हार के साथ ही हार्टअटैक हुआ था। और वे अपने टीवी के सामने ही उसी समय दम तोड़ चुके थे। यही नहीं, पश्चिम बंगाल के एक 25 वर्षीय किसान महादेब और उनकी पत्नी साधना ने भी फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। महादेब तो उसी समय मृत हो गए थे पर उनकी पत्नी की जान बच गई थी। सिर्फ प्लेयर्स के लिए ही नहीं, ये विश्व कप फैंस के लिए भी बेहद दुखदाई थी। ये रात का वो भयानक सपना है , जो आज तक भुलाए नहीं भूलता।
1. धोनी का वो जानलेवा रनआउट: दोस्तों 2019 विश्व कप सेमीफाइनल का वो नाइटमेयर मुकाबला भला कौन भूल सकता है जहां हमारे सो कॉल्ड स्टार्स से सजी टीम 240 रन भी चेस न कर सकी। और एक के बाद एक सब फेल हुए। वो तो जड़ेजा धोनी ने हमारी कुछ वापसी कराई।लेकिन जब अंत में टेलेंडर्स के बीच अकेले बल्लेबाज धोनी बचे तो उन्हें स्ट्राइक अपने पास ही रखना था। और 49वे ओवर की तीसरी गेंद पर जब दूसरा रन लेने के चक्कर में वो रन आउट हो गए तो भारत वहीं वो मैच बुरी तरह हार गया। और वहां धोनी भी साफ़ रोते दिखे। इस हार ने कई दिल तो तोड़े ही, साथ ही कई जानें भी लेली। वेस्ट बंगाल के एक 33 वर्षीय युवा श्रीकांत मैती धोनी के उस रनआउट को सह न सके और उसी समय उन्हें दिल का दौरा पड़ा। पास के अस्पताल में उन्हें ले जाया तो गया पर उनकी ऑन द स्पॉट ही मृत्यु हो गई। यही नहीं, इस हार से निराश ओढ़िसा के एक 25 वर्षीय नौजवान संबरू भोई ने भी भारत की शुरुआती विकेटों की झड़ी देख अपना घर छोड़ दूर खेतों में जाकर ज़हर पी लिया था। वो तो उन्हें समय रहते ढूंढ लिया गया और पास के हॉस्पिटल में तत्काल इलाज किया गया जिससे उनकी जान बच सकी।
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फैंस के इन दुखदाई कृत्यों को देखकर काफ़ी दुख होता है। और अधिकतर फैंस तो अभी युवा ही थे जिन पर परिवार की काफ़ी जिम्मेदारियां रही होंगी।लेकिन जो इन्होंने किया उसे कोई याद नहीं रखेगा। आप में से काफ़ी लोग इनका नाम भी नहीं जानते होंगे। क्रिकेटर्स को तो खेलने का पैसा मिलता है।लेकिन हम फैंस, दर्शकों को सिर्फ दुख, निराशा। क्रिकेट को एक खेल और एंटरटेनमेंट के लिए ही देखना चाहिए। हमारा ये वीडियो बनाने का यही मकसद है ताकि फैंस का माइंडसेट सुधर सके। और जो ये अंधभक्त बन हम अपना ही नुकसान कर बैठते हैं, ये न हो। ये वीडियो को ज़्यादा से ज़्यादा शेयर कीजिए। ताकि आगे सुसाइड की ऐसी खबरें सुनने को न मिलें।
नमस्कार
वीडियो देखें – http://https://www.youtube.com/watch?v=NiMj5zD1acE