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भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी की कहानी Indian Jersey History

भारतीय क्रिकेट टीम की नीली जर्सी
भारतीय क्रिकेट टीम की नीली जर्सी “Bleed Blue” की सुनहरी दास्तां

दोस्तों भगवान श्री कृष्ण ने गीता में अर्जुन से कहा है कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है। कोई भी व्यक्ति या वस्तु सदा एक जैसी नहीं रहती, स्थान बदल जाते हैं वक्त बदल जाते हैं। ठीक यही चीज़  क्रिकेट इतिहास में भी देखने को मिली।जब इस खेल का जन्म हुआ, तो केवल 5 दिन तक चलने वाला टैस्ट मैच ही खेला जाता था। फिर 1971 में इंग्लैड और ऑस्ट्रेलिया के बीच क्रिकेट इतिहास का पहला ओडीआई खेला गया।और ताजुब की बात तो यह है कि जहां एक ओवर में आज 6 गेंदे होती हैं, उस वक्त 8 हुआ करती। यही नहीं,एकदिवसीय और टैस्ट मैच में कोई फर्क देखने को ही नहीं मिलता था। क्योंकि तब दोनों फॉर्मेट में एक ही जर्सी हुआ करती,सफेद। फिर एक समय आया जब मैच का फॉर्मेट बदलकर 60 से 50 ओवर हो गया।और एक ओवर में 8 की बजाए 6 गेंदे होने लगी। कैरी पैकर के कमर्शियलाइजेशन के कांसेप्ट के आगमन से अंतरराष्ट्रीय टीमों को रंगीन जर्सी में देखा गया। किसी टीम को हरी जर्सी में देखा गया,तो किसी को ग्रे,किसी को पीली,तो किसी को गुलाबी,जो कि समय के साथ साथ बदलती रही, लेकिन एक क्रिकेट टीम ऐसी थी, जिसकी जर्सी का रंग आजतक नहीं बदला, उन्हें मैन इन ब्लू के नाम से जाना जाता है। वो है हमारी प्यारी इंडियन/भारतीय टीम। हाल ही में बीसीसीआई ने आगामी 2022 टी 20 विश्व कप के लिए भारतीय जर्सी  लॉन्च किया है। आज हम आपको भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी के इतिहास से रूबरू कराएंगे।

 

1983 में जब भारतीय टीम विश्व कप जीत चैम्पियन बनी तो इस समय टीम की जर्सी सफ़ेद रंग की हुआ करती थी।1985 वो साल आया जब पहली बार हमने रंगीन जर्सी में ओडीआई खेला।इस जर्सी का रंग आसमानी था, जिसपर पीले रंग की पट्टियां थी। और चेस्ट पर इंडिया लिखा हुआ था।यहां से शुरू हुई इस नीले रंग/ ब्लू की कहानी।

इसके बाद साल 1991 में उसी जर्सी से मिलते जुलते रंग की जर्सी लॉन्च हुई। मगर पहली बार जर्सी के पीछे खिलाड़ियों के नाम लिखे हुए थे।अब क्रिकेटरों को पहचानना और आसान हो गया।अगले वर्ष होने वाले विश्व कप में भारतीय जर्सी बिल्कुल गुड़े नीले/इंडिगो नेवी ब्लू रंग की थी। जो कि पिछली जर्सियों से हटके थी।

साल 1994 और 95 में इस जर्सी में कुछ और परिवर्तन देखने को मिले। ये तो आपको याद ही होगा कि साल 1994 में सचिन ने अपना पहला ओडीआई शतक बनाया था। मगर किस जर्सी में? ये जर्सी 1985 की जर्सी का ही एक अपडेटेड संस्करण था। जिसमें नीला रंग थोड़ा और गुड़ा था और पीले का रुझान थोड़ा और अधिक।लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ़ एक सीरीज में भारतीय टीम की जर्सी में तीन रंगों का संगम देखने को मिला, जहां कंधे पर अशोक चक्र था।ये जर्सी अभी तक की सबसे अलग थी।और साल 1998 भला कौन भूल सकता है जब सचिन की “डेजर्ट स्टॉर्म” आंधी ने दुनिया को हिला दिया था। उस वर्ष भारतीय खिलाड़ियों की पैंट्स जहां नेवी ब्लू हुआ करती, वहीं शर्ट पर तिरंगे के अंदाज में संतरी और हरे रंग की पट्टियां। 1993 से 2001 तक भारतीय टीम की जर्सी को विल्स कंपनी स्पॉन्सर करती थी। फिर साल 2001 में नई जर्सी का दौर आया ,जब आसमानी रंग और गुड़ा हो गया और पीली पट्टियां ओझल हो गई। यहीं भारतीय टीम को सहारा के रूप में नया स्पॉन्सर मिला।

लेकिन 2002 में हुई चैंपियंस ट्रॉफी में जर्सी पर केवल टीम का नाम और पीछे खिलाड़ी का नाम और नंबर लिखा था,कोई स्पॉन्सर नहीं। क्योंकि उस वक्त बीसीसीआई ने ये नियम जारी किया था कि स्पॉन्सर का नाम और लोगो गुप्त रखा जाएगा। हालांकि इस “राइवल पॉलिसी” के चलते काफ़ी विवाद भी हुए, इसपर एक अलग से वीडियो बन सकती है,यदि आप इसपर वीडियो देखना चाहते हैं तो कॉमेंट ज़रूर कर हमें जरुर बताएं । फिर आया साल 2003 का विश्व कप। जब गुडे़ आसमानी जर्सी पर तिरंगा अपने आप में ही एक अलग तरह की आक्रामकता ज़ाहिर करता। ऊपर से जोशीले सौरव गांगुली की धाकड़ कप्तानी। ऐसा लगता था जैसे कि ये यंगिस्तान, हमारा जोशीला कप्तान और ये जर्सी एक दूसरे के लिए ही बनी हैं। ये जर्सी अभी तक की सबसे आकर्षक और मनमोहक थी।

यह जर्सी का पैटर्न 2–3 साल तक चला।

और फ़िर आया साल 2007 । जिसमें इस जर्सी का रंग बिल्कुल हल्का/लाईट आसमानी रंग हो गया। ये साल हम फैंस के लिए दो धारी तलवार की तरह काफ़ी विवादित/कॉन्ट्रोवर्शियल दौर था जहां कुछ व्यक्तियों ने एकदिवसीय विश्व कप में भारत के निराशाजनक प्रदर्शन के लिए इस वर्दी को अशुभ माना तो वहीं कुछ युवा फैन इस जर्सी को आने वाले सुनहरी दौर की नींव माने। जहां टी 20 विश्व कप जीत एमएस धोनी के युवा खिलाड़ियों ने दुनिया को हिलाकर रख दिया था।

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2009 में यह जर्सी का रंग आसमानी से तब्दील हो कर नेवी ब्लू हो गया। इस जर्सी को फैंस एक नए दौर के रूप में याद करते हैं। क्योंकि एक तरफ जहां विराट कोहली, रविंद्र जडेजा, सुरेश रैना, रोहित शर्मा जैसे युवा सुपरस्टार इस जर्सी में चार चंद लगाते थे, वहीं सौरव गांगुली, अनिल कुंबले, वीवीएस लक्ष्मण, जैसे दिग्गज कभी इस जर्सी में दिखाई नहीं दिए। एक पुराने युग का भी अंत हो गया ।

 

फिर आया साल 2011 का विश्व कप। इस टूर्नामेंट की जर्सी का हम सबके दिलों में काफ़ी विशेष स्थान है। केवल इसलिए नहीं कि इसी जर्सी में 28 साल का सूखा खत्म कर भारत चैम्पियन बना। बल्कि इसलिए भी, क्योंकि रंगों का समावेश, संतरी, हरे और सफ़ेद रंग से लिखा इंडिया, दिल के क़रीब वो अशोक चक्र एक अलग ही खुशी दे जाता। आज भी इस जर्सी को याद करूं तो दिल बाग बाग हो उठता है। मेरी तो सबसे फेवरेट जर्सी है यह।

साल 2013 में 11 साल बाद सहारा से विदा लेकर बीसीसीआई को नाईक के रूप में नया स्पॉन्सर मिला। सहारा की जर्सी की बात ही अलग थी। जिसमें भारत ने माही की कप्तानी में 2007 का टी 20 विश्व कप,2011 ओडीआई विश्व कप और 2013 की चैंपियंस ट्रॉफी अपने नाम की।

 

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ हुई एतिहासिक 2013 की सीरीज के पहले नाईक की ओर से अति सुन्दर एक  पहल थी, जिसके तहत 100% रिसाइक्लेबल पॉलिएस्टर से भारतीय टीम की जर्सी को बनाया गया ।

भले ही 2014 में स्टार इंडिया भारतीय जर्सी के स्पॉन्सर बना मगर जर्सी का रंग लगभग वैसा ही था।

2015 विश्व कप में लॉन्च हुई जर्सी ने हम भारतीयों का सीना गर्व से और ऊंचा कर दिया। जब मेलबर्न की छत पर “सोशयली रिस्पॉन्सिबल “/सामाजिक रूप से जिम्मेदार के टैग के तहत शर्ट और ट्राउज़र को 33 प्लास्टिक बोतलों से बनाया गया।

2019 विश्व कप से पहले एक और नई जर्सी लॉन्च हुई जो कि काफ़ी सादी/सिंपल थी। हां, अत्यधिक बदलाव देखने को मिला इंग्लैड के खिलाफ़ मैच में जहां दो रंगी जर्सी में भारतीय टीम को देखा गया। आगे से नेवी ब्लू और पीछे से संतरी जर्सी में भारत इंग्लैंड के हाथों इस मैच में हार गया।

 

इसके अलावा टेस्ट जर्सी में भी एक नया बदलाव देखने को मिला। जहां पहले खिलाड़ियों को केवल प्लेन सफ़ेद जर्सी में देखा जाता, वहीं अब नाम और जर्सी नंबर भी टेस्ट जर्सी में पाया गया।

 

मगर केवल इस एक मुकाबले के बाद दोबारा टीम को उसी सादी जर्सी में देखा गया। 2020 में एक आश्चर्यचकित कर देने वाली जर्सी लॉन्च हुई। जो कि 1992 विश्व कप का रेट्रो लुक था।

हालांकि इस जर्सी में कुछ बदलाव समय समय पर हुए, मगर 2021 के विश्व कप में भारत के ग्रुप स्टेज में ही बाहर होते इस जर्सी ने सालों पूराने लचर प्रदर्शन की यादें ताज़ा कर दी।

फिल्हाल 2022 विश्व कप से पहले एक और नई जर्सी लॉन्च हुई। और वापिस से वही नीला आसमानी रंग वापिस आ गया है। सीने पर अशोक चक्र, जो ब्लीड ब्लू की परिभाषा है। नारद टीवी की पूरी टीम की भगवान से यही प्रार्थना है कि भारत कुछ ही दिन में शुरू होने वाले टी 20 विश्व कप को जीत कर आए।

तो दोस्तों ये थी कहानी भारतीय जर्सी और उसके सुनहरी दौर की ।

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