कहानी बला की खूबसूरत अभिनेत्री कंचन की
दोस्तों बाॅलीवुड में ढेरों ऐसे चेहरे, ढेरों ऐसे सितारे रहे हैं जिन्होंने अपनी चमक से कभी दर्शकों के दिलों में अपनी एक ख़ास जगह तो बनायी लेकिन उनकी वो चमक लम्बे वक़्त तक बरकरार न रह सकी, अचानक कहीं ग़ुम सी हो गयी, जैसे कोई जुगनू अपनी रोशनी बिखेर के अचानक लापता सा हो जाता है। 90 के दशक में हिन्दी फिल्म जगत में कई ऐसे चेहरे नज़र आये थे जिन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनायी थी लेकिन आज वो गुमनाम ज़िन्दगी जी रहे हैं उन्हीं चेहरों में से एक चेहरा है फिल्म ‘सनम बेवफ़ा’ के सुपरहिट गीत ‘ओ मेरे जीजाजी’ से मशहूर हुई अभिनेत्री कंचन का जिन्होंने इस फिल्म में एक सहायक अभिनेत्री की भूमिका निभाने के बावज़ूद फिल्म के मुख्य कलाकारों के समान ही शोहरत पायी थी। आज की कड़ी में हम बात कर रहे हैं 90 के दशक की मशहूर अभिनेत्री कंचन के बारे में। दोस्तों कंचन 90 के दशक की बहुत ही मशहूर हीरोइन रही हैं जिन्होंने कभी सलमान खान, अक्षय कुमार और गोविन्दा सहित हिंदी भाषा के साथ साथ साउथ की फिल्मों के जाने माने नायकों के साथ भी काम किया था, लेकिन ऐसा क्या हुआ कि आज ये हीरोइन एक गुमशुदा ज़िन्दगी जी रही है। यह जानने से पहले आइये एक नज़र डालते हैं उनके शुरुआती जीवन पर।
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कंचन की प्रारंभिक शिक्षा और पहली फिल्म
अभिनेत्री कंचन का जन्म 17 अप्रैल, 1970 को मुंबई में हुआ था, पढ़ाई के बाद कंचन ने मॉडलिंग और अभिनय को ही अपना कैरियर बनाने की सोची। कंचन की फिल्मों में शुरुआत वर्ष 1991 में प्रदर्शित निर्माता निर्देशक सावन कुमार की फिल्म सनम बेवफ़ा से हुई जिसमें उन्होंने हिरोईन की दोस्त की भूमिका अदा की थी इस फिल्म में कंचन के अभिनय और ख़ूबसूरती का हर कोई दीवाना हो गया था। फिल्म सुपरहिट भी हुई और कंचन का ख़ूब नाम भी हुआ साथ ही उन्हें अच्छी ख़ासी पहचान भी मिली। फिल्म देखने के बाद शायद ही कोई ऐसा दर्शक होगा जिसने कंचन की तारीफ़ न की हो। उनकी प्रसिद्धी का आलम ये था कि उन्हें हिंदी के साथ-साथ दक्षिण की फिल्मों से भी ऑफर आने लगे। जिसे उन्होंने स्वीकार भी किया और सफल भी हुईं। वर्ष 1992 में उन्होंने साउथ के सुपरस्टार मोहनलाल के साथ ‘गांधारवम’ नाम की मलयालम फिल्म में काम किया इस फिल्म को जबरदस्त कामयाबी भी मिली।
नतीज़तन अब उन्हें दक्षिण के साथ साथ हिंदी फिल्मों में भी मुख्य किरदार ऑफर होने लगे और कंचन ने ढेरों हिंदी फिल्में साइन भी कर लीं लेकिन शायद यहीं उनसे ग़लती हो गयी।
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एक सहायक अभिनेत्री के रूप में कैरियर की शुरुआत कर दक्षिण की फिल्म से उन्होंने जो कामयाबी का सफर तय किया था उसे उनके हिंदी फिल्मों में मुख्य अभिनेत्री बनने की जल्दबाज़ी के निर्णय में ग़लत फिल्मों के चुनाव ने बरबाद कर दिया। कुछ हिंदी फिल्मों में काम करने के बाद उन्होंने एक और दक्षिण की फिल्म की जो कि तेलुगु फिल्मों के जाने माने अभिनेता अजीत कुमार की नायक के रूप में पहली डेब्यू फिल्म थी। 1993 में आयी इस फिल्म का नाम था प्रेम पुस्तकम।
कंचन की अन्य भाषाओँ की फ़िल्में
इसके बाद कंचन ने कई हिंदी और तेलुगू फिल्मों में काम किया, उनके द्वारा अभिनीत हिंदी फिल्मों को उतनी कामयाबी न मिल सकी, और कुछ कामयाब हुईं भी तो औसत ही रहीं या जो कामयाब हुईं भी तो उसका लाभ उन्हें नहीं मिला जितना कि फिल्म के अन्य कलाकारों को मिला। हालांकि उन फिल्मों में कंचन की एक्टिंग को काफी सराहा गया, लेकिन उस दौर में तकरीबन हर दूसरी तीसरी फिल्मों में नये कलाकारों के आने के चलन से उन्हें धीरे-धीरे काम मिलना कम हो गया या जो फिल्में मिलीं भी उनमें छोटे-मोटे किरदार ही मिले जिसकी वजह से उनका करियर ग्राफ नीचे आने लगा। फिल्मों के बदलते उस दौर में उनकी साधारण सादगी से भरी ख़ूबसूरती नई और बोल्ड हिरोइनो के आगे फीकी सी पड़ने लगी। वर्ष 1995 में आयी सुपरहिट फिल्म ‘कूली नंबर वन’ में उन्होंने गोविन्दा और करिश्मा कपूर के साथ काम किया लेकिन अच्छा रोल होने के बावज़ूद उस फिल्म से भी कंचन को कोई विशेष फायदा नहीं मिल सका। कुछ एक फिल्मों में छोटे-छोटे किरदार निभा कर कंचन अचानक बॉलीवुड से गायब हो गईं। न सिर्फ बाॅलीवुड बल्कि साउथ की फिल्मों में भी उन्होंने काम करना एकदम से बंद कर दिया।
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क्यों छोड़ दिया बना बनाया करियर
कभी एक वक़्त फिल्मों में कंचन को जो नाम मिला था और ख़ुद के लिये उन्होंने जो मकाम सोच रखा था उसे मिट्टी में मिलता देख उन्होंने पूरी तरह से ख़ुद को लाइमलाइट से दूर कर लिया। फिल्मी दुनिया को छोड़कर वो कहाँ गयीं किसी को कुछ नहीं पता चला और न ही उगते सूरज को सलाम करने वाली मीडिया ने ही उस वक़्त उनके बारे में जानने की कोई कोशिश ही की। दोस्तों नारद टी वी और कंचन जी के प्रशंसक उम्मीद करते हैं कि कंचन जी इस वक्त जहाँ भी होंगी अपने परिवार के साथ एक सुखद जीवन गुज़ार रही होंगी। हम उनके सफल जीवन की शुभकामनायें देते हैं और साथ ही यह उम्मीद करते हैं कि शायद कभी मीडिया के सामने वो ख़ुद रूबरू होकर अपने प्रशंसकों को अपने बारे में जानकारी दें और जिस तरह से बीते ज़माने की कई अभिनेत्रियों ने अपने अभिनय जीवन की दूसरी पारी की शुरुआत की है कंचन जी भी शुरुआत करें, उनके चाहनेवालों के लिये इससे बढ़कर ख़ुशी की बात और क्या होगी।