अवतार फिल्म के बनने की कहानी
अवतार फिल्मी फैक्ट्स
पारिवारिक फिल्में- ऐसी फिल्में जिनका सब्जेक्ट कभी पुराना नहीं हुआ। फिर चाहे वो 60 के दशक की सोशल व रोमांटिक फिल्मों के दौर में आयी खानदान और घराना जैसी फिल्में हों या 90 के दशक में आयी हम आपके हैं कौन। हर दौर में पारिवारिक फिल्में आती रही हैं जिनकी शुरुआत कोई एक फिल्म करती है और फिर उसकी सफलता से प्रेरित होकर कई सारी फिल्में बन जाती हैं। 80 का दशक जब ऐक्शन फिल्मों का बोलबाला हुआ करता था, उसी दौर में एक पारिवारिक फिल्म रिलीज़ हुई जिसका नाम था अवतार। यह फिल्म इतनी सफल हुई कि उस दौर में ऐक्शन फिल्मों के साथ-साथ ढेरों पारिवारिक फिल्में बनी।
नमक का कर्ज़ अदा करने वाले सेवक और एक लाचार मालिक, जिसके बेटे बुरे वक़्त में उसका साथ छोड़ देते हैं, दोनों के भावुक रिश्तों को दर्शाती फिल्म अवतार एक ड्रामा फिल्म होने के बावज़ूद दर्शकों को वास्तविक कहानी का एहसास करवाती है।
इस फिल्म में शबाना आज़मी के साथ राजेश खन्ना मालिक की भूमिका में थे तो वहीं सेवक की भूमिका निभाई थी बाल कलाकार से नायक बने ऐक्टर सचिन ने। 11 मार्च 1983 को रिलीज़ हुई इस सफल फिल्म का निर्देशन किया था मोहन कुमार ने। मोहन कुमार और मुश्ताक जलीली द्वारा लिखी इस फिल्म के गीत लिखे थे आनंद बख्शी ने और संगीत दिया था लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की सुपरहिट जोड़ी ने।
अवतार फिल्म की कामयाबी
दोस्तों इस फिल्म की कामयाबी के बाद इसकी कहानी से इंस्पायर्ड बहुत सी ऐसी फिल्में बनीं जिनमें बुरे वक़्त में छोटे भाईयों को अपने बड़े भाइयों का साथ छोड़ते दिखाया गया। वर्ष 1990 में रिलीज़ हुई फिल्म स्वर्ग भी काफी हद तक इसी फिल्म से इंस्पायर्ड थी। इस फिल्म में भी राजेश खन्ना अपने इसी कैरेक्टर में थे और सेवक की भूमिका में थे गोविंदा।
हालांकि फिल्म स्वर्ग से पहले कई ऐसी फिल्में आ चुकी थीं जिनमें मिथुन चक्रवर्ती की ‘प्यार का मंदिर‘ और गोविन्दा की ‘दरियादिल‘ जैसी फिल्में भी शामिल हैं लेकिन इन फिल्मों में सेवक की जगह किसी एक भाई या बेटे को लायक दिखाया गया। हाँ अगर वर्ष 2003 में आयी अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी की फिल्म बागबान की बात की जाये तो इसे अवतार फिल्म से ही पूरी तरह इंस्पायर्ड कहा जा सकता है बस इस फिल्म में सेवक की जगह गोद लिये बेटे की भूमिका कर दी गयी है जिसे सलमान खान ने निभाया है।
दोस्तों ऐसा नहीं है कि इस विषय पर बनी अवतार ही पहली ऐसी फिल्म है दरअसल अवतार की कहानी वर्ष 1967 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘मेहरबान‘ से काफी मिलती जुलती है, जिसे ए.भीमसिंह से ने लिखा और डायरेक्ट किया था जो ख़ुद उन्हीं के द्वारा 1960 में निर्देशित तमिल फिल्म पदिक्कधा मेधाई की रीमेक है। मज़े की बात यह फिल्म भी 1953 में बनी बंगाली फिल्म ‘जोग बायोग‘ की रीमेक थी जो जानी मानी बंगाली लेखिका और उपन्यासकार आशापूर्णा देवी के उपन्यास पर आधारित थी।
फिल्म मेहरबान में अशोक कुमार , सुनील दत्त और नूतन आदि मुख्य भूमिकाओं में थे। हालांकि अवतार से कहीं ज़यादा इस फिल्म के करीब स्वर्ग फिल्म को माना गया।दोस्तों इस फिल्म को राजेश खन्ना साइन नहीं करना चाहते थे, क्योंकि उनका करैक्टर बहुत बड़ी उम्र वाला था।
लेकिन ये वही दौर था जब राजेश खन्ना की फिल्में नहीं चल रही थी इसलिए मजबूरन उन्होंने इस फिल्म को साइन कर लिया था। हालांकि इस फिल्म में फ्लैशबैक के बहाने उनकी जवानी के साथ-साथ एक बेहद रोमांटिक गीत भी उनपे फिल्माया गया जिसके बोल थे- दिन महीने साल गुजरते जायेंगे, हम प्यार में जीते प्यार में मरते जायेंगे।
यह फिल्म राजेश खन्ना की सबसे सफल फिल्मों में से एक साबित हुई और इस फिल्म की सफलता के बाद राजेश खन्ना की एक्टिंग की काफी तारीफ़ की गयी थी।
दोस्तों इस फिल्म का टाइटल पहले राधा रखा गया था पर बाद में इसे बदलकर अवतार कर दिया गया जो राजेश खन्ना के कैरेक्टर अवतार किशन से प्रेरित था।
राजेश खन्ना की चरित्र भूमिकाओं वाली फिल्मों में ये फिल्म हिंदी सिनेमा का टर्निंग प्वाइंट मानी जाती है। इस फिल्म की सफलता के बाद राजेश खन्ना ने मोहन कुमार की ही फिल्म अमृत में एक बार फिर एक उम्रदराज़ व्यक्ति की भूमिका में नज़र आये थे।
बात करें अन्य किरदारों की तो इस फिल्म में सचिन एक गंभीर भूमिका में नज़र आये थे जिन्होंने अभी ताज़ा ताज़ा ही बाल कलाकार से नदिया के पार फिल्म के ज़रिये बतौर नायक अपनी एक पहचान बनायी थी।
इस फिल्म में यूँ अचानक इतनी गंभीर भूमिका में नज़र आना उनके प्रशंसकों के लिये एक चौकाने वाली बात थी तो वहीं यह एक ऐक्टर के रूप में उनकी प्रतिभा को गंभीरता से लेने वाली भूमिका भी बनी।
दोस्तों इसी फिल्म से ऐक्टर गुलशन ग्रोवर ने बतौर विलेन अपनी एक सशक्त पहचान बनायी। हालांकि इससे पहले उन्होंने कुछ फिल्में की थीं लेकिन अभी उनका संघर्ष ज़ारी था।
इस फिल्म से उनके जुड़ने का किस्सा भी बेहद दिलचस्प है। दरअसल उस दौर में गुलशन की हालत अच्छी नहीं थी कहा जाता है कि एक बार शबाना आज़मी जी के सामने वे अपने जूते इसलिए नहीं उतार रहे थे क्योंकि उनके मोजे फटे हुए थे। हालांकि शबाना गुलशन की प्रतिभा और लगन की कायल थीं और जानती थीं कि इस ऐक्टर को एक सही मौक़ा मिलने की देरी है बस।
दोस्तों यहाँ हम आपको बता दें कि ऐक्टर गुलशन ग्रोवर जी पार्ट टाइम बतौर ऐक्टिंग टीचर रोशन तनेजा के इंस्टीट्यूट में काम भी कर चुके थे जहाँ से उन्होंने ख़ुद भी ट्रेनिंग ली हुई थी। बहरहाल शबाना आज़मी ने गुलशन को डायरेक्टर मोहन कुमार से मिलवाया जिन्होंने गुलशन को देखते ही अपनी फिल्म में एक निगेटिव रोल ऑफर कर दिया क्योंकि उन्हें गुलशन उस रोल के लिये एकदम फिट लगे।
दोस्तों इस फिल्म का संगीत भी बेहद पॉपुलर हुआ था ख़ासतौर पर फिल्म का एक गीत चलो बुलावा आया है जो आज भी माता की भेंटों में पहले नंबर के गीतों में अपनी जगह बनाये हुए है। इस गीत से गायक नरेंद्र चंचल जी को एक ज़बरदस्त पहचान मिली थी।
बताया जाता है कि नरेंद्र चंचल जी इस गीत के बाद इतने पॉपुलर हो गये थे कि वैष्णोंदेवी में हर साल आयोजित होने वाले उनके जागरण में आने वाले भक्तों की संख्या में भारी वृद्धि दर्ज होने लगी। इसके बाद सुरक्षा कारणों के चलते श्राइन बोर्ड के गठन के बाद वर्ष 1986 में उन्हें भवन में जागरण आयोजित करने की अनुमति नहीं मिली।
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‘चलो बुलावा आया है’
भेंट की शूटिंग से जुड़े दिनों को याद करते हुए शबाना आजमी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिये एक इंटरव्यू में बताया था कि जब राजेश खन्ना वैष्णो देवी में शूटिंग कर रहे थे तो उन्होंने ज़मीन पर सोने का फैसला लिया था। उस दौरान उन्होंने अपना कंबल साइड में रखा था और जमीन पर ही सोए थे।
सात मार्च 1982 को राजेश खन्ना व शबाना आजमी डायरेक्टर मोहन कुमार के साथ अवतार फिल्म की शूटिंग करने के लिए कटरा पहुंचे थे। वहाँ के लोग आज भी उस शूटिंग को याद करते हुए बताते हैं कि राजेश खन्ना सुपर स्टार होते हुए भी सादगी से भरे थे। इस भेंट की शूटिंग के दौरान मां वैष्णो देवी के पूर्व बारीदार पंडित श्रृष्टि रमन तथा पंडित शंकर दास भी राजेश खन्ना व शबाना आजमी के साथ शामिल थे।
दोस्तों इस भेंट में आपने राजेश खन्ना व शबाना आज़मी की गोद में एक बच्चा भी देखा होगा दरअसल इस दृश्य को फिल्माने के लिए स्थानीय निवासी मुहम्मद शरीफ के पांच माह के बच्चे को चुना गया था क्योंकि वहाँ के बेहद ठंडे मौसम को वहीं के वातावरण में पला बढ़ा बच्चा ही बर्दाश्त कर सकता था।
बर्फबारी के बीच हुई 2 दिनों तक हुई शूटिंग में राजेश खन्ना व शबाना आजमी नंगे पांव बच्चे को उठाकर इसकी शूटिंग पूरी की। हालांकि बर्फबारी की वजह से राजेश खन्ना व शबाना आजमी को वहाँ चार दिन तक रूकना पड़ा था। राजेश खन्ना ने माता के दर्शन के बाद कहा था कि माता के दर्शन की इच्छा आज पूरी हुई है। उनकी कामना थी कि वह नंगे पांव माता के दरबार में आएं। दोस्तों अवतार फिल्म की इस प्रसिद्ध भेट के देश भर में गूंजने के बाद माता वैष्णो देवी के दरबार को काफी प्रसिद्धी मिली थी।
बात शूटिंग की चल ही निकली है तो एक बड़ा ही मज़ेदार किस्सा और शबाना आजमी जी ने बताया था जो कि राजेश खन्ना जी से जुड़ा है। दरअसल एक बार राजेश खन्ना अपनी ही लुंगी में फंसकर गिर गए थे लेकिन इस बारे में सेट पर बताने में उन्हें शर्म आ रही थी जिसकी वजह से उन्होंने सेट पर झूठ बोला था कि वह घोड़े से गिर गए थे। हुआ ये था कि एक बार राजेश खन्ना पैर में बैंडेज बांधकर सेट पर आए और जब उनसे पूछा गया कि क्या हुआ तो उन्होंने कहा कि मैं घोड़े से गिर गया था।
शबाना आजमी ये बात सुनकर चौंक गईं और उन्होंने कहा “लेकिन काकाजी कल तो आप मेरे साथ शूटिंग कर रहे थे और मैंने आपके साथ कोई घोड़ा नहीं देखा था।” शबाना आजमी ने आगे कहा कि उनकी बात सुनकर काकाजी बड़बड़ाने लगे और उन्हें चुप होने के लिए कहा। हालांकि जब सब वहां से चले गए तो उन्होंने शबाना आज़मी से बताया कि “मेरा पैर लुंगी में फंस गया था जिसकी वजह से मैं गिर गया था। मैं कैसे ये सबके सामने बता सकता था।”
दोस्तों फिल्म अवतार का दर्शकों पर बहुत ज़्यादा असर पड़ा था कह सकते हैं कि इस फिल्म ने लोगों की आँखें खोलने का भी काम किया थे। इस फिल्म को देखने के बाद ज़्यादातर माता पिताओं ने अपने घर को अपने जीते जी बच्चों के नाम पर करना छोड़ दिया था, क्योंकि उन्हें डर था की अवतार फिल्म की तरह उनका भी ऐसा हश्र न हो जाए।
लगभग डेढ़ करोड़ के आस पास के बजट में बनी इस फिल्म ने साढ़े तीन करोड़ से भी ज़्यादा की कमाई की थी साथ ही वर्ल्ड वाइड कलेक्शन की बात करें तो वो 7 करोड़ से भी ज़्यादा थी।
व्यावसायिक नजरिये से हिट यह फिल्म समीक्षकों द्वारा भी सराही गयी थी साथ ही वर्ष 1973 के दस साल बाद बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के लिहाज से यह राजेश खन्ना की सबसे बड़ी सफल फिल्म रही। फिल्म अवतार ने कई कटेगरी में फिल्मफेयर द्वारा नामांकित हुई थी।
राजेश खन्ना बेस्ट ऐक्टर
बेस्ट ऐक्टर के लिये राजेश खन्ना का नाम भी नामांकित हुआ लेकिन यह उनकी बजाय यह अवाॅर्ड नसीरुद्दीन शाह को फिल्म मासूम के लिये मिला। हालांकि बाद में राजेश खन्ना को इस फिल्म में उनके प्रदर्शन के लिए फिल्म समीक्षकों की संस्था ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का एक अलग से पुरस्कार दिया। ख़ैर अवाॅर्ड की बात छोड़ दी जाये तो वर्ष 1983 राजेश खन्ना के लिये बहुत ही लकी रहा था क्योंकि उसी वर्ष अवतार के साथ साथ उनकी दो और यादगार फिल्में रिलीज हुई थीं और वो फिल्में थीं सौतन और अगर तुम ना होते।