साल 2008 में,आई पी एल को भारतीय क्रिकेट बोर्ड द्वारा स्वीकृति देना दो धारी तलवार
को हाथ में पकड़ने के समान था।क्योंकि, उस समय क्रिकेट में वर्तमान की तरह फ़्रेंचाइज़ और
लीग परंपरा सामान्य नहीं थी।लेकिन, अपने अटल और साहसिक फैसलों के लिए मशहूर
बी.सी.सी.आई ने 18 –अप्रैल-2008 से आई पी एल के प्रथम संकरण की शुरुआत का एलान
किया।
आई पी एल 2008 प्रारूप के अनुसार 8 फ्रैंचाइज़ टीमों को डबल राउंड रोबिन मुक़ाबले
खेलने थे।जिसमें 7 मुक़ाबले घरेलू मैदान पर और बचे 7 मुक़ाबले अन्य टीमों के होम ग्राउंड्स
पर खेले जाने थे। लीग स्टेज में सर्वश्रेष्ठ पॉइंट्स अर्जित करने वाली टीम प्ले ऑफ़ के लिए
क्वालीफाई करती।भारत को पहले आई. पी. एल. विजेता के लिए 45 दिन और 59 मैचों का
सफर तय करना था। आई. पी. एल. 2008 के दौरान मैदान और मैदान के बाहर कई विवाद
हुए। लेकिन, हम आपको याद दिलाएंगे आई.पी.एल. 2008 के दौरान हुए वो 5 बेहतरीन
प्रदर्शन जो अब भी याद आने पर चेहरे को धीमी मुस्कान से रोशन कर जाते हैं।
5. आतिशी अंदाज़ में उठा पर्दा-
ब्रेंडन मैक्कुलम- 158 नाबाद , कोलकाता नाइट राइडर्स बनाम रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर, 18 –
अप्रैल -2008:-
आई पी एल अपने आग़ाज़ के लिए तैयार था। लेकिन,क्या आई.पी.एल. दर्शकों को मैदान
तक खींच पायेगा ? क्या अन्य खेलों की लीग की तरह आई.पी.एल. सफ़ल हो पाएगा ? जैसे
अनेकों सवाल और दबाव के साथ ब्रेंडन मैक्कुलम आई.पी.एल. इतिहास की पहली गेंद का
सामना कर रहे थे। मैक्कुलम ने आई.पी.एल. के पहले ही मैच में बैंगलोर के गेंदबाज़ों की
बेरहमी से पिटाई करते हुए 73 गेंदों में नाबाद 158 रन बनाएं। मैक्कुलम की इस आतिशी
पारी में लगे 10 चौक्कों और 13 छक्कों ने एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम आये दर्शकों को कभी न
भूलने वाली यादें दे दी। मैक्कुलम की इस शानदार पारी की बदौलत कोलकाता ने 140 रनो के
बड़े अंतर से मैच जीता। अभी मैक्कुलम की पारी का खुमार उतरा नहीं था। कि ,दूसरे मैच में
चेन्नई की तरफ़ से माइक हसी ने पंजाब के विरुद्ध 9 गगन चुम्बी छक्कों की मदद से मात्र 54
गेंदों में 116 रनों की पारी खेली। इन दो परियों ने दर्शकों से लेकर आलाचकों तक को आई. पी.
एल. का फैन बना दिया।
4. आई.पी.एल. इतिहास का सर्वश्रेष्ठ रन चेज़।
राजस्थान रॉयल्स -217 /7 बनाम डेक्कन चार्जर , 24 -अप्रैल -2008:-
राजीव गाँधी स्टेडियम में राजस्थान ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाज़ी का फैसला किया।
डेक्कन चार्जर्स ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 20 ओवर मे 214 रनो का पहाड़ नुमा स्कोर
बनाया। जिसमे एंड्रू सीमंड्स ने नाबाद 117 रन बनायें। 215 रनो के सामने राजस्थान का
पहला विकेट मात्र 14 रन पर गिरने के बाद ग्रीम स्मिथ और यूसुफ़ पठान के बीच मात्र 44 गेंदों
में हुई 98 रनों की साझेदारी राजस्थान को मैच में वापस ले आई। पठान ने मात्र 28 गेंदों में 61
रन और स्मिथ ने 71 रन बनाये। 186 के स्कोर पर जब कैफ़ का विकेट गिरा तो राजस्थान को
अभी भी जीतने के लिए 17 गेंदों में 29 रनों की दरकार थी। यहां से से कप्तान शेन वॉर्न ने 2
छक्कों की मदद से मात्र 9 गेंदों में 22 रन बनाये और राजस्थान ने 1 गेंद रहते 3 विकेट से मैच
जीत लिया। राजस्थान द्वारा प्राप्त किया गया 215 रनों का लक्ष्य आई.पी.एल. इतिहास का
सबसे सफ़ल रन चेज़ है।
3. हैटट्रिक ली और खबर भी नहीं।
मखाया एंटिनी- 21 रन देकर 4 विकेट , कोलकाता नाइट राइडर्स बनाम चेन्नई सुपर किंग्स, 18
-मई -2008 :-
आई पी एल 2008 के यादगार क़िस्सों में अब बारी है उस हैट ट्रिक की, जिसका गेंदबाज़
और साथी खलाड़ियों को भी पता नहीं चला। हुआ ये था कि ,कोलकाता ने ईडन गार्डन में टॉस
जीतकर बल्लेबाज़ी करने का फैसला किया। पहली पारी का 5वां ओवर मखाया एंटिनी कर रहे
थे। एंटिनी के उस ओवर की अंतिम गेंद पर सौरव गांगुली बोल्ड हो गए। मखाया इस
ओवर के बाद 17वे ओवर में अपना दूसरा स्पेल लेकर लौटे। एंटिनी ने 17वे ओवर की पहली गेंद
पर दास और दूसरी गेंद पर डेविड हसी को क्लीन बोल्ड किया। इस तरह एंटिनी ने ब्रोकन
हैटट्रिक ली। लेकिन, एंटिनी और अन्य खिलाडियों को ये बात पता ही नहीं थी । चेन्नई ने मैच
जीता और एंटिनी को ‘मैन ऑफ़ द मैच’ अवार्ड देने के दौरान उनकी हैट ट्रिक के विषय में
बताया गया। उस साल आई.पी.एल. में 3 गेंदबाज़ों ने हैट ट्रिक लेने का कारनामा किया था।
एंटिनी के अलावा दिल्ली की और से अमित मिश्रा और चेन्नई के ही लक्ष्मीपति बालाजी ने हैट
ट्रिक ली थी। बालाजी द्वारा पंजाब के विरूद्ध ली गयी हैट ट्रिक आई.पी.एल. इतिहास की पहली
हैट ट्रिक थी।
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2. पर्पल कैप रावलपिंडी गया।
सोहेल तनवीर-11 मैचों में 22 विकेट (पर्पल कैप विजेता ):-
जब हम अखंड भारत सुनते हैं। तो, अक्सर आँखों के सामने एक ख्वाब आता है। काश!
बंटवारा ना हुआ होता। काश! सचिन तेदुंलकर और वसीम अकरम एक ही टीम से खेलते।मगर
,अफ़सोस यह एक कल्पना मात्र है।लेकिन, आई.पी.एल. ने इस सपने को लगभग पूरा ही कर
दिया था। जिस सौरव गांगुली को आउट करने के लिए शोएब अख्तर घंटो अभ्यास किया करते
थे। उनके साथ मिलकर कोलकाता को आई.पी.एल. चैंपियन बनाने की कोशिश कर रहे थे।
उस साल शोएब अख़्तर , शाहिद अफ़रीदी समेत 10 पाकिस्तानी खिलाडियों ने आई.पी.एल. खेला
था । सोहेल तनवीर राजस्थान की तरफ से खेल रहे थे। सोहेल ने 12.09 की असाधारण औसत से
11 मैचों में सर्वाधिक 22 विकेट हासिल किये। चेन्नई के विरुद्ध 14 रन देकर 6 विकेट लेने का
कारनामा भी किया । आई.पी.एल. 2008 में सबसे ज़्यादा विकेट लेने के लिए सोहेल तनवीर
को पर्पल कैप अवॉर्ड मिला । अभी तक के आई.पी.एल. इतिहास में यह पाकिस्तानी खिलाडियों
के खेलने का पहला और आखरी मौका साबित हुआ।
1- सस्ता पड़ा महंगे पर भारी।
आई.पी.एल. 2008 विजेता- राजस्थान रॉयल्स:-
आई.पी.एल. 2008 ग्रुप राउंड समाप्त होने पर राजस्थान , पंजाब, दिल्ली और चेन्नई ने
सेमी फ़ाइनल्स के लिए क्वालीफाई किया। सेमी फाइनल में राजस्थान ने दिल्ली, और चेन्नई ने
पंजाब को हराकर फाइनल के लिए क्वालीफाई किया। राजस्थान रॉयल्स फ़्रेंचाइज़ फ़ीस के
आधार पर आई.पी.एल. 2008 की सबसे सस्ती टीम थी। अब सवाल यह था कि क्या यूसुफ़
पठान,रविन्द्र जडेजा, स्वप्निल असनोदकर जैसे युवाओं के दम पर शेन वॉर्न की अगुआई वाली राजस्थान रॉयल्स
धोनी, रैना , मुरलीधरन , एंटिनी से लैस चेन्नई सुपरकिंग्स को हराकर पहली
आई.पी.एल. विजेता बनेगी ? 1-जून-2008 को मुंबई के डी. वाई. पाटिल स्टेडियम में
राजस्थान ने टॉस जीतकर गेंदबाज़ी का फैसला किया। चेन्नई ने सुरेश रैना के 43 , पार्थिव पटेल
के 38 और धोनी के 29 रनों की मदद से 163 रन बनायें। जवाब में राजस्थान ने 42 के स्कोर
पर तीन विकेट खो दिए थे। यहाँ से पठान ने 56 रनों की पारी खेलकर राजस्थान को मैच में
बनाये रखा। राजस्थान आसानी से मैच जीतता दिख रहा था कि 139 के स्कोर पर 4 रन के
अंदर ही कैफ़ ,पठान और जडेजा आउट हो गए। लेकिन, गेंदबाज़ी के लिए मशहूर तनवीर ने
कोई गलती नहीं की और अंतिम गेंद पर मैच जीतने वाला शॉट लगाकर आई.पी.एल. 2008
राजस्थान रॉयल्स के नाम किया।
इस तरह 2008 आई. पी. एल. खेल और व्यापार दोनों नज़रियों से सफ़ल टूर्नामेंट साबित
हुआ। इस दुआ के साथ कि आई. पी. एल. 2020 भी एक यादगार टूर्नामेंट रहें !