1 . नारद टीवी के लिस्ट में जो सबसे पहला नाम हैँ .
आप उनके नाम से भले ही रूबरू ना हो लेकिन अगर आप पुरानी फ़िल्में देखने के शौक़ीन होंगे तो उनका ये खलनायक रूप आपको जरूर याद होगा | नाम हैँ इनका, मार्क ज़ुबेर.जुबेर अहमद सिद्दीकी का जन्म 5मई 1944 को लखनऊ में हुआ था | लेकिन जब ये 7 साल के ही थे तो इनके माता -पिता ने सात समंदर पार, लंदन का रुख कर लिया और फिर ये परिवार सहित ब्रिटेन की हो कर रह गये | लंदन में इनके पिता उस समय के प्रसिद्ध बीबीसी रेडियो में प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया करते थे |
इनकी शुरुआती पढ़ाई हैरो टेक्निकल कॉलेज से हुई| लेकिन इनका ड्रामा और थियेटर में काफ़ी रूचि थी तो इन्होंने वेब डगलस अकेडमी ऑफ़ ड्रामेट्रिक आर्ट से अभिनेता के तौर पर प्रशिक्षण लिया | और इसी दौरान ही जुबेर अहमद सिद्द्की को इनका मंच नाम मार्क जुबेर मिला | जैसा कि अभिनेता बनना इनके जीवन में पहले ही तय हो गया था |
ड्रामा स्कूल छोड़ने के बाद इन्होंने रॉयल शेक्सपियर कंपनी के साथ अपने थिएटर करियर की शुरुआत की और फ़िल्मी पर्दे पर अपने करियर का आगाज ब्रिटिश हॉलीवुड फ़िल्म ” devine lover” से किया |
हॉलीवुड फिल्मों में सक्रिय होते ही, इन्हें बॉलीवुड से भी फिल्मों के ऑफर आने लगे लेकिन हिंदी पर अच्छी पकड़ ना होने कारण जुबेर उन्हें मना कर देते थे | जो उस वक्त तक लाजमी भी था |लेकिन उनके पिता की उनकों हिंदी फिल्मों में देखने की खास इच्छा थी फिर इन्होंने अपने पिता की बात मानकर 1984 में एक बॉलीवुड फिल्म कमला साइन किया|
कैसे मिला हॉलीवुड में काम
ये कम बजट की फ़िल्म अपने रूखेपन को रिलीज में देरी को लेकर काफ़ी विवादित रही | मार्क ज़ुबैर की का पहली फिल्म 1986 में “कतल रिलीज हुआ | जिसमे इनका प्रदर्शन संतोषजनक रहा | करियर के शुरुवाती दिनों में इन्हें हिंदी फिल्मों में रोल तो दिये जाते थे | लेकिन इनके western expression की वजह से वो हिंदी फिल्मों के हीरो के सॉफ्ट ऐटिटूड से तालमेल नहीं बना पाते |
कहा जाता हैँ कि इनके चेहरे से ही आक्रमकता स्पष्ट झलकती थी | यहीं वजह थी कि इन्हें नकरात्मक छबि के रोल में ज्यादा पसंद किया जाने लगा. इन्होंने बॉलीवुड में “दूरीं “, रुक्सत, डाक बांग्ला, एक नया रिश्ता और डिवाइन जैसी फिल्मो में कुछ इसी तरह के रोल किये | बॉलीवुड में सफलता की इबारत लिखते ही इनके हॉलीवुड करियर का दौर भी शुरू हो गया|
अब मार्क जुबेर को ब्रिटिश फिल्मों से भी ऑफर मिलने लगे|अपने आक्रमक लुक और लंबी कद काठी के कारण इन्हें फिल्मों में अधिकतर नेगेटिव रोल में ही देखा जाता था| 80-90 का वो दौर था जिसमे हत्या -बलात्कार जैसी घटनाएं खलनायको पर बहुत ज्यादा फिल्मायी जाती थी .इसी दौरान मार्क जुबेर ब्रिटिश फिल्मों में भी एक नामचीन हस्ती बनकर उभरे|
इन्होंने हॉलीवुड के 50 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया उनके कुछ प्रसिद्ध टीवी प्रदर्शन डूमवॉच, द ओनेडिन लाइन, द चेंजेस, द रेजिमेन, मिंडर, द स्वीनी, ब्लेक 7, द चाइनीज डिटेक्टिव, द एनिग्मा फाइल्स, द बिल, बुकेनेर, होल्बी सिटी और द किंग एंड कैसल हैँ . द विंड एंड द लायन, द सैटेनिक राइट्स ऑफ़ द ड्रामा, द सी वोल्फ्स, रॉबिन हुड: प्रिंस चोर और शर्ली वेलेंटाइन फिल्मों जरिये इन्होने अपने करियर के शीर्ष को हासिल किया |
कैसे मिली हॉलीवुड में सफलता
इनकी आखिरी indo -pak ब्रिटिश फ़िल्म “जिन्नाह ” 1998 मे रिलीज़ हुई थी जिसमें शशि कपूर जैसे दिग्गज अभिनेता भी शामिल थे | मार्क जुबेर की सफलता तो अपने आप मे ही प्रेरक हैं, लेकिन गौर करने वाली बात ये हैं कि उन्होंने उस दौर मे हॉलीवुड मे सफलता हासिल की जब भारतीय अभिनेताओं के लिए हॉलीवुड का सफर एक सपने जैसा ही होता था
लेकिन दुर्भाग्य से वह 28 मई 2003 को इंग्लैंड के लंदन शहर में इनका निधन हो गया। जिसका कारण दिल का दौरा बताया गया जो काफ़ी विवादित भी रहा |
नारद टीवी के लिस्ट में अगला नाम है 78 वर्षीय रोशन सेठ का
इनकी उम्र से आपको शायद ऐसा लग सकता हैँ कि ये 20 वी शताब्दी के कोई अभिनेता रहें होंगे लेकिन हकीकत इससे कहीं अलग हैँ | प्रतिभा कहाँ उम्र के बंधन में सिमटती हैँ | पिछले वर्ष ही इनकी हॉलीवुड की फ़िल्म “dumbo” रिलीज़ हुई है | और बात करें बॉलीवुड की तो आखिरी बार फ़िल्म ” एक था टाइगर में इन्होने एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी|
हालांकि ये फ़िल्मो में मुख्य भूमिका में बहुत कम ही रहें | जिससे आप में से बहुत से दर्शक इनसे अनजान होंगे | लेकिन इनके द्वारा निभाए गये उम्दा किरदार इन्हें विशेष पहचान दिलाते हैँ | रोशन सेठ का जन्म 1942 में पटना हुआ था | प्रारंभिक शिक्षा पूरी करके इन्होंने सेंट स्टीफन कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरी की |
इसके बाद ही इनको अभिनय में रूचि हुई लेकिन शुरुआत मे इनकी प्रतिभा नाट्य मंच तक ही सीमित रही | इसके बाद इन्होंने ब्रिटेन का रुख कर लिया जहाँ इन्होंने प्रसिद्ध थिएटर “लंदन एकेडमी ऑफ़ म्यूजिक एंड ड्रामेट्रिक ” से अभिनय का प्रशिक्षण लिया | जब ये वापस भारत लौटे तो इन्होंने एक जर्नलिस्ट के तौर पर इन्होने अपना करियर की शुरुआत की |
लेकिन इनके लिए अपने सपनो से नजर चुराना इतना आसान नहीं था | अभिनय से इनका अटूट लगाव तो था ही और जब इनके करीबियों द्वारा इन्हें प्रेरित किया गया तो इन्होंने अनायास ही सब कुछ छोड़कर फिल्मों मे ऑडिशन देना शुरू किया और संजोग कहें या किस्मत .
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1978 मे आयी अवार्ड विजेता फ़िल्म “गाँधी ” मे इन्हे नेहरू जैसा गंभीर किरदार मिला जो काफ़ी चुनौतीपूर्ण था जिसे इन्होने इतनी संजीदगी से निभाया कि, ये चुनौती इनके लिए अवसर में तब्दील हो गयी . जहाँ फ़िल्म ऑस्कर के लिए प्रस्तावित रही वहीं रोशन सेठ भी बेस्ट सपोर्टिंग अभिनेता के लिए नामित रहें |
अब इनके करियर को एक अच्छा शुरुआत तो मिल चुका था बाक़ी था तो सिर्फ एक शानदार सफर | इसके बाद इन्होंने अब तक ब्रिटिश – अमेरिकन और बॉलीवुड की 50 से अधिक फिल्मों मेँ छोट -बड़े किरदार निभाए . लेकिन इन्हें अपनी पहली लीड रोल की फ़िल्म “सच ए लॉन्ग जर्नी “1998 मेँ मिली | जो इनकी एक कॉमेडी फ़िल्म हैँ
जिसके लिए इन्हे बेस्ट एक्टर “गिनी अवार्ड ” भी मिला | जैसा कि हमने आपको बताया के इनके द्वारा निभाए गये सभी किरदार उम्दा ही हैँ जिनमे से “Monsoon Wedding””Wings of Hope”‘A Passage to India,Guru,frozen और गाँधी जैसी फिल्मों में इनके प्रतिभा के बेहतरीन झलक देखने को मिलते हैं |
रोशन सेठ जी अभी भी फिल्मों मेँ सक्रिय हैँ और हमें पूर्ण विश्वास हैँ कि इनके उपलब्धियों मेँ आगे नये पन्ने जुड़ते रहेंगे| नारद टीवी इनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हैँ |
अब बात करते हैं इस लिस्ट के अगले चेहरे की,
ये वो युवा अभिनेता हैँ जो पूरी तरह से हॉलीवुड को ही समर्पित रहें | इसी कारण कुछ लोग इन्हें हॉलीवुड का ही अभिनेता मानते हैँ और वो नाम है कुणाल नय्यर जी हाँ… big bang theory के राजेश कुथ्रापल्ली | इनका जन्म 30 अप्रैल 1982 को लंदन में हुआ ,वहीं इनका पालन पोषण दिल्ली में ही हुआ | 1990 में बैचलर ऑफ़ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई के लिए कुणाल अमेरिका चले गये |
कॉलेज के बाद इन्हें भी अभिनय का सुरूर चढ़ा जिसके बाद इन्होंने ‘अमेरिकन कॉलेज थिएटर फेस्टिवल ” में दाखिला ले लिया इसके लिए कुणाल को पार्ट टाइम जॉब भी करना पड़ा | इसके बाद साल 2004 में हॉलीवुड फिल्म ‘S.C.I.E.N.C.E’ से कुणाल ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। फ़िल्म में भले ही कुणाल का छोटा किरदार था
लेकिन ये इनकी सफलता की पहली सीढ़ी साबित हुई . जिसने कुणाल के फ़िल्मी करियर को एक नयी दिशा दी . इसके बाद इन्हें 2007 में युसफ ज़िदान ” इराकी आतंकवादी के रूप में CBS drama NCIS के चौथे एपिसोड “Suspicion” में एक प्रभावी किरदार मिला | इसके बाद जब कुणाल ने टीवी धारावाहिक का रुख किया तो कुछ ही समय में हॉलीवुड के छोटे पर्दे की बादशाहत हासिल कर ली |
कैसे बने दुनिया के सबसे महंगे अभिनेता
2010 का ऐसा समय था जब कुणाल दुनिया के सबसे महंगे टीवी अभिनेता बन गये | और 5 साल तक लगातार अमेरिका के | हॉलीवुड की दर्जनों फ़िल्म और टीवी धारावाहिक में काम किया. लेकिन इन्हें इनकी वास्तविक पहचान “ice age”, “big bang theory” और troll guys diamond से ही मिली | जैसा की हमने बताया की कुणाल नय्यर बॉलीवुड में सक्रिय नहीं रहें |
ऐसा नहीं था की बॉलीवुड से इन्हें फिल्मों के प्रस्ताव नहीं मिले बल्कि इन्हें बॉलीवुड कभी रास नहीं आया| 2014 में इन्होंने सलमान खान के अनुरोध पर फ़िल्म Dr.Cabbie साइन किया | इस कॉमेडी फ़िल्म में भी इनके किरदार को काफ़ी सराहा गया इस इंडो -कनाडियन फ़िल्म को भारत में भी खूब पसंद किया गया |
और आज भी उनके बॉलीवुड प्रशंसक को उनके हिंदी फ़िल्मी पर्दे पर पहली झलक का इंतज़ार है….. कुणाल नय्यर इस साल भी हॉलीवुड की troll world tour और think like a dog मे भी नजर आये | इस युवा अभिनेता की कई उपलब्धियां भविष्य के दामन में भी समायी है |
इस लिस्ट में जो अगला नाम है वो हैँ वो हैँ दिवंगत अभिनेत्री पर्ल पदम्सी के बेटे रंजीत चौधरी की .
1955 में जन्मे रंजीत, अपने फ़िल्मी पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण बचपन से ही फिल्मों से जुड़े रहे .इसी कारण इनका फ़िल्मी सफर भी अपनी माँ के साथ शुरू हुआ | 1979 में आई फ़िल्म “बातों ही बातों में “इन्हे एक किरदार मिला जो इनकी माँ के साथ ही था | हालांकि इन्होंने फ़िल्म जगत में पर्दापर्ण “खट्टा -मीठा ” से 1978 में ही कर दिया था लेकिन 2 मिनट के किरदार से इन्हें भला क्या ख्याति मिलती |
और फिर अगले वर्ष 1980 में ही फ़िल्म “खूबसूरत “में ये नज़र आये रेखा के भाई के किरदार में .इन फिल्मों के बाद रंजीत के चेहरे को तो पहचान मिल गई थी लेकिन नाम नहीं | फिर इनके जीवन में कुछ ऐसा हुआ जिससे वो बॉलीवुड से हॉलीवुड का रुख करने को प्रेरित हुए. या यूँ कहें कि मजबूर हुए |बात 1981 की हैँ जब अमिताभ बच्चन द्वारा फ़िल्म “कालिया” में इनकी भूमिका समाप्त कर दी गयी .
कैसे मिला हॉलीवुड की मूवी में काम
जिससे ये काफ़ी हताश हुए | और अमेरिका चले गये इसी दौरान इनकी मुलाक़ात हुई संघर्ष कर रही दीपा मेहता से और दीपा के अनुरोध पर इन्होंने उनकी फ़िल्म “sam & me” में ना सिर्फ अभिनय किया बल्कि फ़िल्म की पटकथा भी लिखी | इस फ़िल्म से ही इस गुमनाम सितारे की प्रतिभा दुनिया के सामने आई | जब इस फ़िल्म को ” honorable mention ” का अवार्ड मिला |
इसके बाद इन्होंने कई फिल्मों की पटकथा लिखी जिसमे “bandit queen” और “last holiday ” भी शामिल हैँ | इन्होंने 2006 में अमेरिका के नंबर 1 वेबसीरीज “prison break” के दूसरे सीजन मेँ काफ़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई | जो इनके अभिनय के कद को दर्शाता है| इनके बॉलीवुड सफर की आखिरी फ़िल्म 2002 मेँ आई “कांटे ” रही तो वहीं हॉलीवुड करियर की ” आखिरी फ़िल्म 2011 की ” breakaway ” रही.
आपने कुछ महीनें पहले उनका नाम खबरों में भी सुना होगा | और दुर्भाग्यवश इनका समाचार पत्रों में वो आखिरी खबर था | 65 वर्षीय रंजीत चौधरी का इसी साल 16 अप्रैल को निधन हो गया |
नारद टीवी के इस लिस्ट में जो आखरी नाम है वो इसी वीडियो में जिक्र किए गए फिल्म “गांधी” के मुख्य पात्र हैँ |
जिसमे रोशन सेठ ने पंडित नेहरू की भूमिका निभाई है | ये वही अभिनेता हैँ जिन्होंने जिन्होंने 1982 में आई ऑस्कर नामित फ़िल्म “गाँधी ” में महात्मा में गांधी का किरदार निभाया| जिनका नाम है बेन किंग्सले . 1943 में योर्कशिरे में जन्मे इस अभिनेता का नाम कृष्ण पंडित भांजी है | इनके पिता रहीमतुल्ला हर्जी भांजी गुजरात से इंग्लैंड में ही बस गए थे |
इनकी माता एक ब्रिटिश एक्ट्रेस और मॉडल थी|जिससे इनका फिल्मों के प्रति रुझान लाजमी था . इसी कारण इन्होंने 1967 में लंदन बेस्ट थिएटर में दाखिला लिया और 15 साल तक लंदन के जाने-माने थिएटर में अभिनय करते रहें इसी दौरान उन्होंनेThe Love School और Dickens of London जैसे टीवी धारावाहिको में छोटे-मोटे किरदार निभाए और काफ़ी मशक्कत के बाद इन्हें इनकी पहली फिल्म 1972 में “fear is the key” मिली |
कैसे मिला आयरन मैन 3 में काम
लेकिन जो इनके success ki key बनी वह फिल्म “गांधी” है| इन्होंने इस किरदार को इस तरह जीवंत किया कि इस फ़िल्म को बेस्ट एक्टर और बेस्ट costume ऑस्कर अवार्ड मिला और साथ ही इस फ़िल्म ने सभी एकेडमी अवार्ड भी अपने नाम किये | जो भारतीय फ़िल्म जगत के लिए एक सपना जैसा ही था | इन्होंने अपने करियर मे 35 से भी अधिक फिल्मों में काम किया
जिसमे Ironman 3, The Dictator, You kill me , ,house of sand और Prince of persia जैसी बड़ी फिल्मे भी शामिल है | ये 2010 के हिंदी फ़िल्म “तीन पत्ती ” में अमिताभ बच्चन के साथ भी नज़र आये . इन्होंने बेस्ट सपोर्टिंग अभिनेता का एकेडमी अवार्ड भी अपने नाम किया |आप इनकी अभिनय प्रतिभा का अंदाजा लगा सकते हैं
वरना इनकी उपलब्धियों को इस वीडियो में समेटना मुमकिन नहीं है..लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता हैँ कि इनकी जितनी सक्रियता फ़िल्मी पर्दे पर हैँ उससे कहीं ज्यादा जरूरत फ़िल्मी जगत को इनके जैसे अभिनेताओं की हैँ | हिंदी फिल्मों में इनका सीमित सफर भी अपने आप में गौरवपूर्ण और अतुलनीय हैँ |
लेखक : विकास चौहान , (आभार : ज़ीशान अहमद)