मुन्ना भाई एम. बी. बी. एस. के बनने की दिलचस्प कहानी क्यों चूक गए शाहरुख खान इस फिल्म को करने में।
कुछ फिल्में सफल फिल्मों की श्रेणी में आती हैं, तो कुछ फिल्में को ख़ूबसूरत फ़िल्म का दर्ज़ा दिया जाता है, तो वहीं कुछ फ़िल्में असफल होने के बावज़ूद भी क्लासिक बन जाती हैं। लेकिन वर्ष 2003 में एक ऐसी फिल्म आयी जो बेहद सफल और ख़ूबसूरत होने के साथ-साथ क्लासिक भी बन गयी।
इस फ़िल्म का नाम है ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस‘ जिसकी सबसे बड़ी ख़ासियत यह भी थी कि एकदम अलग विषय होने के बाद भी यह हर वर्ग और हर उम्र के लोगों को पसंद आयी। दोस्तों इस बेहतरीन फिल्म से जुड़े किस्से भी बेहद दिलचस्प हैं जिन्हें सुनकर आपको यक़ीनन मज़ा आयेगा।
फ़िल्म: मुन्नाभाई एमबीबीएस ( Munnabhai MBBS )-
19 दिसंबर 2003 को रिलीज़ हुई इस फिल्म से संजय दत्त की एक नई इमेज तो बनी ही साथ ही बॉलीवुड को एक बेहतरीन राइटर और डायरेक्टर भी मिला जिसका नाम है राजकुमार हिरानी। बतौर डायरेक्टर यह उनकी पहली फिल्म थी।
डायरेक्टर: राजकुमार हिरानी
मुन्ना भाई फिल्म से पहले राजकुमार हीरानी एडिटिंग के साथ-साथ एडवरटाइजमेंट के क्षेत्र में सक्रिय थे और उस क्षेत्र में एक बड़ा नाम भी थे। एक दिन अचानक उन्होंने फैसला लिया कि अब तो फ़िल्में ही बनानी है और सब काम छोड़कर इस फिल्म को लिखने बैठ गए .लगभग 6 महीने में इसकी स्क्रिप्ट तैयार कर ली गयी ।
निर्माता: विधु विनोद चोपड़ा
हिरानी को इस फिल्म का आइडिया अपने मेडिकल लाइन के दोस्तों के साथ रहने के दौरान मिले अनुभवों से आया था। बहरहाल स्क्रिप्ट पूरी हो जाने के बाद वे उसे लेकर सलाह मशविरा के लिये निर्माता विधु विनोद चोपड़ा के पास गए जिनके साथ वे बतौर एडिटर पहले भी काम कर चुके थे।
यह स्क्रिप्ट विधु विनोद चोपड़ा को इतनी पसंद आई कि उन्होंने ख़ुद ही इस फिल्म को बनाने का ऑफर दे दिया। बात करें फ़िल्म के ऐक्टर्स की तो उनके चुनाव से जुड़े किस्से भी बेहद दिलचस्प हैं।
शाहरुख खान
दोस्तों, संजय दत्त से पहले फिल्म में लीड रोल के लिए शाहरुख़ ख़ान से बात हो चुकी थी, लेकिन उसी दौरान शाहरुख खान को अपने बैकपेन का इलाज़ करवाने के लिए अमेरिका जाना पड़ा। मजबूरन इस रोल के लिए अन्य ऐक्टर्स के बारे में विचार किया गया कभी अनिल कपूर तो कभी विवेक ओबेराय लेकिन बात नहीं बन पाई।
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संजय दत्त
आख़िरकार विधू विनोद चोपड़ा ने सलाह दिया कि क्यों न ये रोल संजय दत्त को दिया जाये। हिरानी ने भी संजय दत्त की कुछ फिल्में देखीं और तय कर लिया कि संजय ही बेस्ट हैं इस रोल के लिये।
ऐश्वर्या राय
शाहरुख़ खान की तरह ही लीड एक्ट्रेस के लिए हिरानी ने पहले ऐश्वर्या राय से बात की लेकिन डेट्स प्रॉब्लम की वजह से उन्होंने मना कर दिया।
ग्रेसी सिंह
उसके बाद इस रोल के लिये रानी मुखर्जी और तब्बू जैसे नाम पर विचार किया गया लेकिन वहाँ भी इनकार ही मिला। बाद में इस रोल के लिये ग्रेसी सिंह को चुना गया जो फ़िल्म लगान के बाद काफी मशहूर हुई थीं।
सर्किट-अरशद वारसी
दोस्तों इस फिल्म का एक बेहद ख़ास किरदार था सर्किट, मज़े की बात कि इस रोल के लिये भी हिरानी की पहली पसंद अरशद वारसी न होकर मकरंद देशपांडे थे बाद में यह रोल अरशद को दिया गया।
दोस्तों इस किरदार से जुड़ी एक मज़ेदार बात यह भी है कि पहले इस किरदार का नाम फारूख़ खुजली रखा गया था और इस नाम से फिल्म के कुछ दृश्य शूट भी कर लिए थे, लेकिन अरशद को यह नाम बिल्कुल पसंद नहीं था इसलिए उन्होंने इसे बदलकर सर्किट रखने का प्रस्ताव दिया और हिरानी को समझाया कि जब आप इस फिल्म का दूसरा भाग बनाओगे और, जब मेरा बेटा होगा तब आप उसका नाम शॉर्ट सर्किट रख देना, हिरानी को यह बात पसंद आ गयी और सर्किट नाम फाइनल कर दिया गया।
सुनील दत्त जी
इस फ़िल्म में मुन्नाभाई के पिता की भूमिका में संजय दत्त के रियल लाइफ फादर सुनील दत्त जी को ही चुना गया था और यह फिल्म सुनील दत्त और संजय दत्त की एकमात्र ऐसी फिल्म बन गई जिसमें उन्होंने एक साथ स्क्रीन शेयर किया है। हालांकि, इससे पहले बाप-बेटे की यह जोड़ी फिल्म रॉकी और क्षत्रिय में परदे पर नज़र आ चुकी है और इसके अलावा संजय, सुनील दत्त की फिल्म रेशमा और शेरा में भी काम कर चुके हैं लेकिन उन फिल्मों में उन्हें साथ में नहीं दिखाया गया था।
दोस्तों बताया जाता है कि इस फिल्म के अंतिम दृश्य में जब संजय अपने पिता सुनील दत्त से गले लगे तो वे इतने इमोशनल हो गये की दोनों ऐक्टर काफी देर तक एक दूसरे के गले लगे रहे और उनकी आँखों में सच में आंसू आ गए थे। लगभग 15 वर्षों के बाद परदे पर लौटे सुनील दत्त जी की यही आख़िरी फिल्म भी साबित हुई।
सुनील दत्त के बचपन की घटना-
दोस्तों इस फिल्म के शुरुआत के दृश्य में सुनील दत्त का रोल स्क्रिप्ट में नहीं लिखा गया था लेकिन जब निर्माता विधू विनोद चोपड़ा ने इसकी सलाह दी तो हिरानी ने इस दृश्य को स्क्रिप्ट में बढ़ा दिया। हिरानी ने बताया कि इस दृश्य में सुनील दत्त और चोर से जुड़ी वो घटना उनके बचपन में उनके पिता के साथ घटी थी जिसे उन्होने फिल्म में दिखाया था।
नवाजुद्दीन सिद्दिकी-
बात इस दृश्य की हो रही है तो हम आपको याद दिला दें कि चोर की उस छोटी सी भूमिका को आज के सफल और मँजे हुये ऐक्टर नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने निभाया था।
डॉक्टर अस्थाना- बोमन ईरानी
बोमन ईरानी की भी यह पहली फिल्म थी इससे पहले वे नाटकों और विज्ञापनों में बतौर ऐक्टर सक्रिय थे। इस फिल्म में उनके द्वारा निभाये डॉक्टर अस्थाना के किरदार को लोगों ने इतना पसंद किया कि वे बॉलीवुड के सबसे कामयाब और व्यस्त ऐक्टर्स में से एक बन गये।
इस फिल्म के एक कलाकार से जुड़ी एक दर्दनाक ख़बर भी सुनने में आयी थी जिसके बारे में कम लोगों को ही पता होगा। इस फिल्म में सपॉर्टिंग रोल में एक ऐसे लड़के का किरदार नज़र आया था जो सूइसाइड करने की कोशिश करता है।
परदे पर इस किरदार को निभाने वाले ऐक्टर का नाम है विशाल ठक्कर जो 1 जनवरी 2016 को अचानक लापता हो गये जिनका आज तक कुछ पता नहीं चला।
जिमी शेरगिल-
दोस्तों इस फिल्म में एक कैमियो रोल में जिमी शेरगिल भी नज़र आये थे। बताया जाता है कि पहले मुन्नाभाई का रोल जिमी को और जिमी वाला रोल बतौर गेस्टरोल संजय को देने का भी विचार किया गया था लेकिन बाद में दोनों रोल को एक्सचेंज कर दिया गया।
फिल्म के एक seen से जुड़ा बेहद दिलचस्प किस्सा है जिसे जिमी शेरगिल ने बताया था कि एक seen की शूटिंग के दौरान उन्हें संजय दत्त को एक थप्पड़ मारना था जिसके लिये वे बिल्कुल तैयार नहीं थे।
हालांकि राजकुमार हिरानी ने जिमी को स्क्रिप्ट सुनाते वक्त जब इस सीन के बारे में बताया था तब भी जिमी ने उनसे कहा था कि वह ऐसा नहीं कर पाएंगे और जब इस दृश्य की शूटिंग की बारी आयी तो उन्होंने राजकुमार हिरानी से माफी मांगकर साफ़ साफ़ मना कर दिया कि वे संजय दत्त को थप्पड़ नहीं मार पायेंगे।
इसके बाद संजय दत्त ने ख़ुद जिमी शेरगिल को इस सीन के बारे में बताते हुए कहा कि यह सीन इस फिल्म के लिए बहुत ही ज़रूरी है क्योंकि फिल्म का यही दृश्य मुन्नाभाई को बदलने का काम करता है, तब मजबूरन जिमी शेरगिल को यह दृश्य करने के लिए मानना ही पड़ा। बहरहाल जिमी के साथ एक अच्छी बात यह हुई कि यह दृश्य एक बार में ही फाइनल हो गया।
दोस्तों इस फिल्म में एक दृश्य है जहां पर एक लाश को लिटाकर मेडिकल स्टूडेंट्स को उस विषय के बारे में पढ़ाया जाता है। दृश्य में वास्तविकता नज़र आने के लिये हिरानी चाहते थे कि असली लाश रखकर इस दृश्य को शूट किया जाये। लेकिन इस बात से फिल्म के कई आर्टिस्ट घबरा गए इस वज़ह से उस दृश्य को ज़िंदा आदमी के ज़रिये ही शूट किया गया।
फिल्म के आख़िर के एक दृश्य में जब मुन्नाभाई की शादी की एक फोटो दिखानी थी तब महज एक फोटो की शूटिंग के लिए 40-50 हजार का खर्चा आ रहा था, इस खर्च से बचने के लिए हिरानी ने एक आइडिया निकाला।
दरअसल जिस जगह इस फिल्म की शूटिंग हो रही थी, वहां से दस मिनट की दूरी पर एक मैरिज़ हॉल था, जिसमें लगभग हर दिन किसी न किसी की शादी होती रहती थी। हिरानी ने अपने एक असिस्टेंट को वहाँ भेजा और सिर्फ दस मिनट के लिए स्टेज मांगा। हॉल वाला मान गया और अगले दिन दस बजे का समय दिया और बोला जैसे ही यहां हॉल खाली होगा वो फोन कर देगा।
अगले दिन दस बजे, फिर साढ़े दस बज गये लेकिन हॉल वाले का कोई फोन नहीं आया फिर प्रोडक्शन वालों ने वहाँ फोन किया तो पता चला कि बारात के लोग अभी यहीं हैं। बहरहाल ग्यारह बजे मैरिज़ हॉल से फोन आया और वे लोग तुरंत वहाँ पहुँच गये।
मज़े की बात कि अभी वहाँ असली दुल्हा-दुल्हन बस स्टेज से उतर ही रहे थे और उनके उतरते ही इनकी टीम लपककर स्टेज पर चढ़ गयी। वहाँ मौजूद लोग इससे पहले कुछ समझ पाते कि संजय दत्त यहां क्या कर रहे हैं तब तक नॉर्मल कैमरों से उनकी और ग्रेसी सिंह की तस्वीरें खींच कर वहाँ से उन्हें निकाल लाया गया और बाद में उन तस्वीरों को डवलप करके फिल्म में दिखाया गया।
दोस्तों जब मुन्नाभाई एमबीबीएस फिल्म रिलीज़ हुई, तब लोगों का रिएक्शन देखने के लिये राजकुमार हीरानी अपनी टीम के साथ मुंबई के कुछ सिनेमाघरों में चले जाया करते थे।
एक दिन ऐसे ही वे बोमन ईरानी के साथ एक सिनेमाहॉल में पहुँच गये, फिल्म में जब का कैरम वाला दृश्य चल रहा था, जहां मुन्नाभाई और सर्किट, रुस्तम के पप्पा और ज़हीर के साथ कैरम खेल रहे होते हैं। इस दृश्य के पूरा होने पर पब्लिक ने जमकर तालियां बजाईं। लोगों का ऐसा रिएक्शन देखकर बोमन इरानी इमोशनल होकर हॉल में ही खड़े-खड़े रो पड़े।
दोस्तों ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ फिल्म थियेटर्स में 25 हफ़्तों से भी ज्यादा चली थी। इस सिल्वर जुबली फिल्म को दर्शकों के साथ-साथ क्रिटिक्स ने भी ख़ूब सराहा था। इस फिल्म के बजट की बात करें तो वो लगभग 10 करोड़ रूपये का था और मात्र इंडिया में ही इस फिल्म ने 23 करोड़ रूपये से ज़्यादा की कमाई की थी।
बॉक्स ऑफिस-
अगर वर्ल्डवाइड कलेक्शन की बात करें तो वो था लगभग 34 करोड़ रूपये। वर्ष 2003 में मुन्ना भाई एमबीबीएस उस साल की टॉप 10 सबसे ज्यादा कमाई करने वाली बॉलीवुड फिल्मों में से एक थी, उन 10 फिल्मों में कोई मिल गया, कल हो न हो, द हीरो, चलते चलते और बागवान जैसी बड़ी बड़ी फिल्मों के नाम भी शामिल हैं।
बॉक्स ऑफिस पर हिट होने के साथ-साथ इस फिल्म ने उस साल कई अवॉर्ड भी जीते थे. फिल्म को उस साल फिल्मफेयर से लेकर आईफा के अलग-अलग केटेगरी में 54 नॉमिनेशन मिले थे जिनमे से इस फिल्म ने 25 अवॉर्ड हासिल किये थे साथ ही इस फिल्म को नेशनल अवॉर्ड से भी नवाज़ा गया था।
इस फिल्म की सफलता को देखते हुये वर्ष 2006 में इस फिल्म का सीक्वल भी बनाया गया था जिसका नाम है लगे रहो मुन्नाभाई और यह फिल्म भी बेहद सफल रही।
इसके साथ ही मुन्ना भाई एमबीबीएस की 4 भाषाओँ में रीमेक भी बन चुकी है। जिनमें तमिल भाषा की Vasool Raja MBBS, तेलुगु भाषा की Shankar Dada M.B.B.S. और कन्नड़ भाषा की Uppi Dada M.B.B.S. के साथ-साथ श्रीलंका में बनी Dr. Nawariyan नाम की फिल्म भी शामिल है.
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