कुमार हेगड़े: रामानंद सागर श्री कृष्णा के दुर्योधन
फ़िल्मी दुनियाँ का रूपहला परदा हो या टेलीविज़न का स्क्रीन। आजकल दोनों ही हमारी ज़िन्दगी का एक अहम हिस्सा हैं। ऐसे में एक कलाकार जब परदे पर कोई किरदार निभाता है तो उससे एक रिश्ता सा बन जाता है, एक अपनापन सा महसूस होता है . हिंदी धारावाहिकों में काम करने वाले ऐसे बहुत से कलाकार हैं जिन्होंने अपने अभिनय से दर्शकों के दिलों पर एक गहरी छाप छोड़ी है .
ऐसे कलाकारों के नाम सामने आते ही उनके चेहरे, उनके द्वारा निभाये हर क़िरदार, उनके अंदाज़ और उनके द्वारा बोले गये संवाद सब आँखों के सामने आ जाते हैं। दोस्तों आज हम जिस हस्ती को आप सब से रूबरू करवाने जा रहे हैं उनको आपने हिंदी टेलीविशन की दुनिया में कई बेहतरीन भूमिकाओं में देखा होगा .
फिर चाहे वो श्री कृष्णा के दुर्योधन हों , साई बाबा के वैद्य कुलकर्णी या फिर कालजयी धारावहिक देवों के देव महादेव के नंदी .बात हो रही है भारतीय टेलीविशन जगत के जाने -माने अभिनेता कुमार हेगड़े की . नारद टीवी से हुई खाश बातचीत में कुमार जी ने अपने निजी जीवन और फ़िल्मी करियर की बहुत सी दिलचस्प बातें साझा की ।
कुमार जी का जन्म 30 मार्च 1969 को महाराष्ट्र के ठाणे जिले के गणेशपुरी गांव में हुआ था .और यही से इनकी प्रारंभिक शिक्षा भी पूरी हुई. आपको बता दे की कुमार जी एक सम्प्पन परिवार से आते हैं ,इनके पिता जी का होटल का बिज़नेस था . इनके अलावा इनके पांच भाई और एक बहन भी हैं . कुमार के पिता जी चाहते थे की ये बड़े होकर उनके काम में हाथ बटाएँ. यानि की उनके होटल के बिज़नेस को आगे ले जाएँ.
कुमार जी की अभिनय में रुचि बचपन से ही हो गयी थी . जब ये चौथी कक्षा में थे, तब इन्होंने अपने स्कूल की तरफ से एक प्ले में हिस्सा लिया जहाँ इनके अभिनय के लिए इन्हे प्रथम पुरस्कार मिला . बस यही से इनका अभिनय के प्रति लगाव और भी बढ़ता चला गया . सातवीं कक्षा में पहुँचने के बाद कुमार शारदाश्रम नामक थिएटर ग्रुप से जुड़ गए .
धीरे धीरे उन्होंने theather करना शुरू किया और फिर वहीं से इनका रुझान फिल्मों और नाटकों के प्रति और बढ़ने लगा. परन्तु इनकी राह इतनी भी आसान नहीं थी . गाव के एक मध्यम वर्गीय परिवार से होने के कारण इनके परिवार में इन्हे कोई सपोर्ट नहीं कर रहा था .पिता जी का मानना था ये सब तो बेकार की चीज़ें हैं , अगर जीवन यापन करना है तो परिवार के काम में ही हाथ बटाना होगा.
कुमार थोड़ा परेशान हुए लेकिन हार नहीं मानी .आख़िरकार होते करते घर से इजाज़त मिल ही गयी और बोला गया कि अगर सफल ना हुए तो वापस आकर अपना फैमिली बिजनेस संभालना पड़ेगा। फिर शुरू हुआ कुमार का अभिनय की दुनिया में संघर्ष. वो कहते हैं न अपने हिस्से का संघर्ष इंसान को खुद ही करना पड़ता है .हालंकि कुमार एक संपन्न परिवार से थे लेकिन इनका शुरुवाती सफर काफी मुश्किलों से भरा रहा.
गणेशपुरी से मुंबई का सफर ये बस और ट्रेन में ही किया करते थे . शुरूआती कुछ दिनों तक ये मुंबई के एक झोपड़ पट्टी में भी रहे. वो जिस जगह रहते थे वहां एक मद्रासी का होटल था और वहां एक बात प्रसिद्ध थी कि जो भी कलाकार इस होटल में आया है वो कभी सफल नहीं हुआ है , खैर कुमार जी इन बातों से दूर रहे और अपना मेहनत बदस्तूर जारी रखा ,
उसी होटल में वो एक्सरसाइज ,तलवार बाज़ी ,डांस और सुबह सुबह घुड़सवारी किया करते । कहते है ना किस्मत भी हमेशा मेहनत करने वालों का ही साथ देती है, कुमार की किस्मत ने भी आखिर एक दिन इनका साथ दे ही दिया . जब कुमार काम कि तलाश में थे उस समय ज़ी टीवी और दूरदर्शन सिर्फ दो ही बड़े चैनल हुआ करते थे.
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डीडी वन पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक ज़रा हटके में इन्होंने लकी अली के बड़े भाई की भूमिका अदा की.इस धारावाहिक में इनके सहकलाकार थे दिलीप जोशी जिन्हें आप सब तरक मेहता का ऊलटा चश्मा में जेठालाल के किरदार में देखते है .इसी धारावाहिक के दौरान इन्हें पता चला कि रामानंद सागर श्री कृष्णा धारावहिक के लिए कलाकारों का चयन कर रहे है.
कुमार जी वहां पहुंचे और ऑडिशन दिया . मोती सागर जी इनके अभिनय से प्रभावित हुए और कुमार जी को अश्वत्थामा और अभिमन्यु के किरदार के लिए चुन लिया गया , परन्तु कुमार जी की रुचि इन किरदारों में नहीं थी. उनकी इक्षा थी की वो अलिफ़ लैला में काम करें . क्युकी उस वक़्त अलिफ लैला काफी लोकप्रिय था. आखिर कुमार जी को अलिफ लैला के लिए चुन लिया गया .
उसके 10 एपिसोड की शूटिंग करके कुमार जी मुंबई वापस आ गए क्यूंकि अलिफ़ लैला की शूटिंग उस वक्त बड़ोदा में हुआ करती थी .मुंबई आने के कुछ दिनों बाद कुमार के पास सागर प्रोडक्शन से फ़ोन आया की कुमार आप जल्दी से बड़ोदा चले आओ पापा जी ने आपको याद किया है . पापा जी यानि की रामानंद सागर .
कुमार जी जब वह पहुंचे तब इन्हे पता चला की रामानंद सागर जी इन्हे श्री कृष्णा में दुर्योधन की भूमिका के लिए चुना है . ये सुनकर कुमार अच्चम्भे में आ गए बोले मैं किस तरह से दुर्योधन लगता हूं .इन्हे दुर्योधन का कॉस्ट्यूम पहनाया गया और आनंद जी ने इन्हे 5-10 मिनट देखने के बाद कहा कुमार तुम दुर्योधन के किरदार के लिए परफेक्ट हो. और इस तरह से कुमार जी को श्री कृष्णा में दुर्योधन का किरदार मिला जिसे वाकई में इन्होने बड़ी शिद्दत से निभाया .
इसके बाद इनके अभिनय का कारवां कुछ इस तरह चला की सागर आर्ट्स में इन्होने लगातार 12 सालों तक काम किया . साथ साथ इन्होने CID, आहट , मां शक्ति, जय दुर्गा मां आदि धारावहिकों में भी काम किया . एक तरफ जहां सागर आर्ट्स की शूटिंग बड़ौदा में होती थी , वहीं दूसरी तरह इन सभी धारावाहिकों के लिए कुमार को मुंबई आना पड़ता था.
कृष्णा में दुर्योधन, ब्रह्मा विष्णु महेश में इन्होंने ब्रह्मा का किरदार इसके अलावा उन्होंने बैरी पिया, परमावतार श्री कृष्ण , सर्वगुण संपन्न, सावधान इंडिया, जैसे सुप्रसिद्ध धारावहिकों में काम किया . इसी बीच इन्हे एक एक ऐसा धारावहिक मिला जिसके लिए दर्शक इन्हे आज भी याद करते हैं . और वो किरदार है साई बाबा के वैद्य कुलकर्णी का.
इतने सारे धारावाहिकों में काम करने के साथ साथ इन्हे भाषा शैली को भी नियंत्रित करना आसान नहीं था .एक तरफ जहाँ इन्हें संस्कृतनिष्ठ हिंदी में संवाद बोलने होते थे वहीं दूसरी तरफ उर्दू में भी . इन सब का श्रेय कुमार जी अपने सह कलाकरों रामानंद सागर जी को देते हैं . इस बात का ध्यान भी रखा जाता की इतने सारे किरदार एक साथ निभाने के साथ साथ कही एक किरदार दूसरे किरदार में मिल न जाए .
बतौर कलाकार कुमार जी का सबसे पसंदीदा चरित्र वैद्य कुलकर्णी का है .इसके बाद कुमार जी को एक ऐसा किरदार मिला जो इनके अभिनय के सफर के लिए मील का पत्थर साबित हुआ. जी हाँ देवों के देव महादेव में नंदी का किरदार .कुमार इसे अपने ऊपर भोलेनाथ की कृपा मानते है क्यूंकि ये किरदार जब कुमार जी को ऑफर हुआ तो वो इसे करने के लिए तैयार नहीं थे .
क्युकी उन्होंने इससे पहले नंदी के बारे में सिर्फ यही सुना और देखा हुआ था कि वो मोटा सा और नाचने गाने वाला होता है. लेकिन जब इस धारावाहिक के निर्देशक ने उन्हें नंदी के बारे में जानकारी दी तब ये मान गए . और फिर क्या था कुमार ने इस किरदार को इस तरह जिया की वो एक इतिहास बन गया ,अपने इस किरदार को इतनी तारीफ मिलने पर कुमार जी इसका श्रेय अपने साथी कलाकारों को देते हैं .
ये इस किरदार का ही असर है की ये अब भी अपने सहकलाकार मोहित रैना को अब भी प्रभु जी कहकर ही बुलाते हैं .कुमार जी के शब्दों में इनका अभी तक का सफर बहुत ही अच्छा रहा उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला . सीरियल में काम भी किया पर इसके बाद भी कुछ किरदार ऐसे होते है जो हमें ज्यादा से ज्यादा करने में मज़ा आता है .
कुमार जी के अनुसार उन्हें नकारात्मक किरदार निभाना बहुत अच्छा लगता है क्युकी उनमें करने के लिए बहुत कुछ होता है. एक और जहा कुमार जी ने इतने सारे नकारात्मक किरदार किए है वहीं इनका मानना है कि इंसान को हमेशा सत्य और धर्म का साथ देना चाहिए भले ही एक बार वो परेशान हो पर अंत में जीत हमेशा सत्य और धर्म की होती है ।
कुमार जी की जीवन यात्रा यही पर नहीं रुकती टीवी सीरियल में काम के अलावा भी इन्होंने कुछ हिन्दी फिल्मों काम किया है ,जैसे सनी देओल के साथ अजय, बॉबी देओल के साथ बरसात, और नसीरुद्दीन शाह के साथ फिल्म दावा में . कुछ समय पहले ही उनकी एक मराठी फिल्म वृंदावन आई है जिसमें इन्होंने मुख्य विलेन का किरदार निभाया है.
सनी और बॉबी के साथ अपने अनुभव को साझा करते हुए कहते है को जहा एक और सनी शांत और सरल है वहीं बॉबी एक चंचल व्यक्तित्व है.कुमार जी जहाँ अभिनय की दुनिया में सक्रिय हैं तो वहीँ अपने परिवार का पुश्तैनी काम यानि होटल का बिज़नेस भी देख रहे हैं .इनके परिवार में इनकी पत्नी और एक बेटी है जिसने हाल ही में दसवीं की पढाई पूरी की है . इसी कामना के साथ की कुमार जी ऐसे ही अभिनय की दुनिया में नए नए आयाम स्थापित करें |