मैने प्यार किया मूवी के बनने की दिलचस्प कहानी
हिंदी फिल्मों में समय-समय पर ऐसी फिल्में आती रही हैं, जिन्होंने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन तो किया ही, साथ ही साथ एक नया ट्रेंड भी स्थापित कर दिया। 80 का दशक- वो दौर जब ऐक्शन फिल्मों का बोलबाला हुआ करता था, दशक के आख़िर में एक ऐसी फिल्म आयी, जिसने न सिर्फ दर्शकों को एक राहत देने का काम किया,
बल्कि उन्हें वापस सिनेमाघरों में आने को मजबूर कर दिया और एक बार फिर से जुबली फिल्मों का वह दौर ला दिया जो तब सिनेमाघरों के लिये एक ख़्वाब बन चुका था। राजश्री प्रोडक्शंस के बैनर तले बनी इस कालजयी फिल्म का नाम है ‘मैंने प्यार किया’।
फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ का स्क्रीनप्ले लिखने में राइटर- डायरेक्टर सूरज बड़जात्या को कुल 10 महीने लगे थे। कम बजट में नये कलाकारों को लेकर फिल्में बनाने के लिये मशहूर राजश्री प्रोडक्शंस के लिये यह फिल्म कई मायनों में महत्वपूर्ण थी एक तो डायरेक्टर सूरज बड़जात्या की यह पहली फिल्म थी
और उससे भी महत्वपूर्ण यह था कि राजश्री प्रोडक्शंस की कोई भी फिल्म काफी दिनों से वह सफलता नहीं हासिल कर पा रही थी जिसके लिये इसे जाना जाता है। पूरे दिल से बनायी गयी यह फिल्म 29 दिसंबर 1989 को रिलीज़ हुई और सफलता के कई सारे रिकॉर्ड भी बना डाले। इस फिल्म की सफलता ने न सिर्फ राजश्री प्रोडक्शन को फिर से स्थापित कर दिया बल्कि ऐक्शन फिल्मों के उस दौर में, लव स्टोरी और पारिवारिक फिल्मों का माहौल बनाने का श्रेय भी इसी फिल्म को जाता है।
बताया जाता है कि शुरुआत में इस फिल्म को अच्छा रिस्पांस नहीं मिला था लेकिन बाद में इस फिल्म का जादू लोगों के सिर पर कुछ ऐसा चढ़ा कि लोगों ने इस फिल्म को कई-कई बार देखा, जिसका श्रेय फिल्म की स्टोरी और निर्देशन के साथ-साथ फिल्म के संगीत और फिल्म की मासूम नायिका भाग्यश्री को भी जाता है।
यह फिल्म भाग्यश्री की डेब्यू फिल्म थी हालांकि इसके पहले उन्होंने दूरदर्शन के सीरियल कच्ची धूप में काम किया था। बतौर नायक सलमान की भी ये डेब्यू फिल्म ही थी क्योंकि उनकी पहली फिल्म ‘बीवी हो तो ऐसी’ में उनका रोल कैमियो ही था। दोस्तों आपको हैरानी होगी कि फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ में काम करने से पहले भाग्यश्री ने डायरेक्टर सूरज को सात बार ना कर दिया था।
अपने कई इंटरव्यू में भाग्यश्री ने बताया है कि जब निर्देशक सूरज बड़जात्या उनसे पूछते थे कि क्या वे इस फिल्म करना चाहेंगी तो वे उन्हें यही जवाब दिया करतीं कि मुझे स्क्रिप्ट तो पसंद आई, लेकिन मैं फिल्म नहीं करूंगी। दरअसल तब भाग्य श्री आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जाना चाहती थीं, यहाँ तक कि उनका एडमिशन भी सिक्योर हो चुका था।
सूरज हर बार स्क्रिप्ट में बदलाव के साथ आते और भाग्यश्री को मनाते लेकिन हर बार भाग्य श्री उन्हें एक नया बहाना बनाकर फिल्म के लिए इनकार कर देतीं। इधर सूरज भी कहाँ हार मानने वाले थे, जब वह आठवीं बार भाग्य श्री के पास गए तो वे उन्हें ना नहीं कर सकीं। इस फ़िल्म के नायक की भूमिका के लिये सलमान ख़ान के चुने जाने के पीछे की कहानी भी बेहद दिलचस्प है,
दरअसल जब मुख्य अभिनेत्री की भूमिका के लिए चुनाव हो रहा था तब अभिनेत्री Shabana Dutt ने भी स्क्रीन टेस्ट दिया था लेकिन वे स्क्रीन टेस्ट में फेल हो गईं थीं तब सूरज बड़जात्या ने उनसे पूछा कि क्या वह मुख्य भूमिका के लिए किसी अभिनेता का सुझाव दे सकती हैं। तब शबiना ने उन्हें सलमान खान का नाम सुझाया जिनके साथ उन्होंने एक विज्ञापन में काम किया हुआ था।
सूरज ने सलमान का स्क्रीन टेस्ट लिया, लेकिन उन्हें तब उस रोल के लिये सलमान फिट नहीं लगे, इसलिए उन्होंने दूसरे किसी एक्टर की खोज शुरू कर दी थी मज़े की बात कि सलमान भी इस दौरान सूरज को कई ऐक्टर्स के नाम सजेस्ट कर रहे थे।
इस रोल के लिये विंदु दारा सिंह, पीयूष मिश्रा, फ़राज़ ख़ान और दीपक तिजोरी आदि के नाम पर विचार किया गया लेकिन बात नहीं बनी। ऐक्टर फराज खान को तो बाकायदा साइन भी कर लिया गया था, लेकिन उनका बैडलक था कि उनकी तबीयत ख़राब हो गई और आख़िरकार यह फिल्म सलमान खान की झोली में आ गिरी। हालांकि तब तक सलमान इस फ़िल्म से बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम शुरू कर चुके थे।
बताया जाता है कि जब ऐक्टर मोहनीश बहल को विलेन की भूमिका दी गई, थो उनकी मां, लेजेंडरी ऐक्ट्रेस नूतन जी बिल्कुल खुश नहीं थीं। तब बड़जात्या ने उन्हें आश्वासन दिया कि मोहनीश बहल को इस रोल के लिये लंबे समय तक याद किया जाएगा।
दोस्तों इस फिल्म में सीमा नाम का एक नकारात्मक किरदार भी नज़र आया था जिसे निभाया था ऐक्ट्रेस परवीन दस्तूर ने। सूरज बड़जात्या ने इस किरदार को निभाने के लिए परवीन को मुंबई के अंग्रेजी रंगमंच से चुना था। इसी फिल्म से मराठी एक्टर और जाने माने कॉमेडियन लक्ष्मीकांत बेर्डे जी ने भी हिंदी फिल्मों में डेब्यू किया था और बहुत मशहूर भी हुए थे।
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दोस्तों जब यह फिल्म बनकर तैयार हुई तो रिलीज के पहले यह इंडस्ट्री के चुनिंदा लोगों को दिखाई गयी, जिनमें अभिनेत्री जीनत अमान भी शामिल थीं। लेकिन जैसे ही फिल्म खत्म हुई, ज़ीनत अमान बहुत ही गुस्से के साथ तेज़ी से थिएटर से बाहर निकलने लगीं। तभी सलमान ने उन्हें रोकते हुए पूछा, मैडम आपको फिल्म कैसी लगी?
तब ज़ीनत ने सीधे ही बोल दिया कि “यह कैसी बचकानी फिल्म है, जिसमें हीरोइन की एड़ी पर क्रीम लगाते हुए हीरो अपनी आंखें बंद कर लेता है।” दोस्तों ‘मैंने प्यार किया’ बॉलिवुड की पहली फिल्म है जिसमें फोर-ट्रैक साउंड का इस्तेमाल किया गया था।
इस फिल्म का म्यूजिक दिया था संगीतकार ‘राम-लक्ष्मण’ जोड़ी के लक्ष्मण जी ने जिनका असली नाम था विजय काशीनाथ पाटिल और म्यूज़िक अरेंजमेंट जाने माने संगीतकार उत्तम सिंह जी ने किया था।। दरअसल इस जोड़ी के राम जिनका नाम था सुरेंद्र हेंद्रे, अपनी पहली ही हिंदी फिल्म ‘एजेंट विनोद’ के दौरान वर्ष 1976 में ही उनका निधन हो गया था।
बाद में विजय उर्फ लक्ष्मण ने अपने जोड़ीदार का नाम साथ लेकर बतौर संगीतकार राम-लक्ष्मण के नाम से अपनी पहचान बनायी। 22 मई 2021 को विजय पाटिल का भी देहांत हो गया।
इस फिल्म में ढेर सारे गाने थे जिनमें एक अंताक्षरी भी शामिल है। इस अंताक्षरी को कुल 19 गानों की मदद से बनाया गया था, जिन्हें फाइनल करने के लिए सूरज बड़जात्या को पूरे तीन महीने का वक्त लगा था। गीतकार असद भोपाली द्वारा लिखे फिल्म के सभी गीत बहुत मशहूर हुए थे, खास तौर पर ‘कबूतर जा जा’ गीत, जिसकी शूटिंग के दौरान एक बेहद ही मज़ेदार बात हुई थी,
दरअसल तब सलमान का शरीर बहुत ही दुबला-पतला था खासकर उनकी टांगे बहुत पतली थीं। जिसके कारण तेज़ हवा में उनकी ढीली-ढाली पैंट लहरा रही थी जो बहुत फनी लग रहा था। बताया जाता है कि तब सलमान ने लगभग 6-7 लेगिंग्स पहनकर अपनी पैंट पहनी, और तब जाकर उनकी टांगे थोड़ी भरी हुई नजर आईं और फिर शूट पूरा हो पाया।
एक इंटरव्यू में सलमान ने बताया था कि अपने दुबले होने की वज़ह से वे काफी परेशान रहते थे और ‘मैंने प्यार किया’ के सेट पर वे 30 रोटियां और खूब केले खाया करते थे। इस गाने से जुड़ा एक और किस्सा है जिसने सबको डरा दिया था। दरअसल एक सीन में सलमान खान को भाग्यश्री को बाहों में लेना था और जैसे ही ये सीन शूट हुआ,
भाग्यश्री फूट-फूटकर रोने लगीं जिसे देखकर सलमान और सूरज दोनों ही घबरा गए, उन्होंने भाग्यश्री से रोने का कारण पूछा। थोड़ी देर के बाद भाग्यश्री ने बताया वो एक ऐसे परिवार से आती हैं जहां चूड़ीदार के अलावा और कोई ड्रेस पहनने तक की इजाजात नहीं दी जाती है। ऐसे में बाहों में भरने वाला सीन करते हुए वो घबरा गई थीं और इसी कारण रोने लगी।
दरअसल भाग्य श्री एक राजशी परिवार से ताल्लुक रखती हैं और तब उन्हें न तो इन बातों की इजाज़त ही मिलती थी और न ही वे ख़ुद इन सबको सहजता से ले पाती थीं। दोस्तों इस फिल्म में काँच की मदद से एक बहुत ही साफ सुथरा किसिंग सीन भी फिल्माया गया था जो बहुत ही मशहूर हुआ था, दरअसल इसके पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है।
जब इस सीन की बात आयी तब सलमान खान ने घबराकर सूरज से कहा कि “सूरज बाबू मैं ये कैसे करूंगा, क्योंकि मैं तो बहुत अनकंफर्टेबल हूं इसमें।” इस पर सूरज बोले कि तुम तो अनकंफर्टेबल हो और भाग्यश्री तो सीधे मना ही कर रही हैं । इसके बाद सूरज ने कांच वाला आइडिया सोचा और उस सीन को पूरा किया।
दोस्तों इस फिल्म के दौरान, भाग्यश्री और उनके पति हिमालय दसानी प्रेम संबंध में थे और भाग्यश्री को इस बात का पता नहीं था कि सलमान को उनके प्रेमी हिमालय के बारे में पता है। एक दिन जब फिल्म के गीत ‘दिल दीवाना बिन सजना के’ की शूटिंग हो रही थी, उसी दौरान ब्रेक में मौक़ा मिलते ही बीच-बीच में सलमान खान फुसफुसाते भाग्यश्री के कान में, ‘दिल दीवाना’ बोल देते।
भाग्यश्री परेशान होकर सोचने लगीं, पूरी शूटिंग के दौरान तो सल्लू ने कभी फ्लर्ट नहीं किया, फिर अचानक इन्हें क्या हो गया। गुस्से में भाग्य श्री सलमान को एक किनारे ले जा के पूछ ही बैठीं कि “सलमान क्यों ऐसा कर रहे हो ? देखते नहीं यहां प्रेस वाले हैं। कितनी बदनामी हो सकती है।” तब सलमान ने हँसते हुये जवाब दिया कि “बहना, मैं अपने लिए थोड़े ही ये कह रहा था, ये तो हिमालय के दिल की बात है, जिसे मैं अपनी जुबान से बोल रहा था।”
इस फिल्म में लोगों ने सलमान खान से ज्यादा भाग्यश्री को पसंद किया था जिसका खुलासा ख़ुद सलमान ने टीवी शो आप की अदालत मे किया था। उन्होंने बताया था कि “मैंने प्यार किया के चार- पांच महीने तक कोई काम नहीं मिला था मुझे, ऐसा लग रहा था कि काम मिलेगा भी नहीं, क्योंकि फिल्म के बाद ही भाग्यश्री मैडम ने शादी कर ली और फिल्म का पूरा क्रेडिट भी लेकर निकल गईं।”
‘मैंने प्यार किया’ ने उस दौर में बहुत से फैशन ट्रेंड भी चलाए थे, जिनमें भाग्य श्री की ड्रेस और सलमान की ‘फ्रेंड्स’ वाली टोपी और जैकेट भी शामिल है। सूरज बड़जात्या को सलमान के जैकेट का आइडिया हॉलीवुड अभिनेता टॉम क्रूज की फिल्म ‘टॉप गन’ से मिला था।
वर्ष 1989 की सबसे हिट म्यूजिकल फिल्म होने के साथ-साथ यह फिल्म, फिल्मफेयर पुरस्कारों की 13 अलग-अलग कैटेगरी में नामित हुई और इसने कुल सात पुरस्कार भी जीते, जिनमें सर्वश्रेष्ठ फिल्म , सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक , सर्वश्रेष्ठ गीतकार, बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर , बेस्ट मेल डेब्यू और बेस्ट फीमेल डेब्यू शामिल हैं।
दोस्तों इस फिल्म की पॉप्युलैरिटी का अंदाज़ा आप इस बात से भी लगा सकतै हैं कि इसे तमिल और तेलुगू जैसी भारतीय भाषाओं के अलावा, स्पेनिश और अंग्रेजी में भी रिलीज़ किया गया था। महज 2 करोड़ रुपये के बजटमें बनी इस फिल्म ने उस दौर में लगभग 28 करोड़ रुपये का बिजनेस किया था, जो उस वर्ष की सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म के साथ-साथ बॉलीवुड की तब तक की सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म भी बन गई थी।
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