गीत ‘खइके पान बनारस वाला’ गाने के किस स्टेप को अमिताभ बच्चन ने अभिषेक बच्चन से कॉपी किया था
बॉलीवुड की किसी भी फिल्म की सफलता के पीछे सबसे बड़ा योगदान उसकी कहानी और उसके संगीत का होता है। आज के दौर में भले ही फिल्मों में टेक्नोलॉजी पर विशेष ध्यान दिया जाता हो और संगीत महज खानापूर्ति बन कर के रह गया हो, लेकिन कुछ वर्षों पहले तक ऐसा नहीं हुआ करता था, भले ही फिल्म का विषय कैसा भी हो।
सिचुएशन न भी हो तो गीत डालने के लिये कहानी में सिचुएशन बना ली जाती थी जिससे दर्शकों को भी थोड़ा रिलीफ मिल जाया करता था।
फिल्म की कहानी का हिस्सा बने उन गीतों के पीछे, उनके बनने से लेकर फिल्माये जाने तक न जाने कितनी ही और कहानियाँ भी बन जाया करती थीं, जो आज भी सुनने में बेहद दिलचस्प लगती हैं। ऐसी ही कुछ कुछ दिलचस्प कहानियों को हम आपके लिये लेकर आये हैं जो जुड़ी हैं 70 के दशक के एक सुपरहिट गीत से, जिसके बोल हैं ‘खइके पान बनारस वाला’।
कैसे लिया गया डॉन फिल्म में ये गाना-
दोस्तों वर्ष 1978 में रिलीज हुई फिल्म डॉन तो आपको याद ही होगी। क्राइम और थ्रिलर पर आधारित होने के बावज़ूद यह फिल्म म्यूज़िकली भी सुपरहिट साबित हुई थी।
हालांकि इस फिल्म के सारे ही गाने सुपरहिट हिट हुये लेकिन इसके सबसे ख़ास गीत ‘खइके पान बनारस वाला’ की बात ही कुछ अलग है जो अपने रिलीज़ से लेकर आज तक हर वर्ग के दर्शकों की पसंद बना हुआ है, क्या शहर क्या गाँव।
जाने माने गीतकार अंजान द्वारा लिखे इस गीत को अपने कर्णप्रिय संगीत से सजाया था महान संगीतकार जोड़ी कल्याणजी-आनंदजी ने। हालांकि इस फिल्म में कुछ गीत मशहूर गीतकार इंदीवर ने भी लिखे थे।
क्यों किया गया है लोक संगीत का अधिक इस्तेमाल
दोस्तों महान गायक किशोर कुमार द्वारा गाये इस गीत की एक ख़ास बात यह भी है कि इसमें लोक संगीत का भरपूर इस्तेमाल हुआ है जिसके बारे में संगीतकार कल्याण जी-आनंद जी की जोड़ी के आनंद जी बताते हैं कि क्लासिकल और फोक दोनों ही संगीत का निचोड़ हैं और इनके बिना कोई भी गीत पूरा नहीं हो सकता और मौक़ा मिलते ही इसका तड़का वे अपने पांच मिनट के गाने में लगा ही दिया करते थे।
इस गीत में पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोक संगीत की ख़ुश्बू को आप आसानी से महसूस कर सकते हैं।
हालांकि फिल्म संगीत विशेषज्ञ राजेश सुब्रमण्यम के मुताबिक, इस गीत की धुन संगीतकार कल्याणजी आनंदजी के छोटे भाई बबला जी ने बनाई थी जिसे कल्याणजी आनंदजी ने अपने संगीत से और सँवार दिया था।
दोस्तों कम लोगों को ही पता होगा कि यह गाना इस फिल्म में पहले था ही नहीं और न ही फिल्म में इस गीत की पहले से कोई सिचुएशन ही बनायी गयी थी।दरअसल इस गाने को फिल्म डॉन में फिल्म के कम्पलीट हो जाने के बाद जोड़ा गया था और यह गाना पहले देव आनंद की फिल्म बनारसी बाबू के लिए बनाया गया था जिसे बाद में देव आनंद ने इस गाने को अपनी फिल्म से हटवा दिया क्योंकि उन्हें लगा कि यह गाना उनपे और उनकी फिल्म में फिट नहीं बैठेगा।
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बहरहाल जब इस गीत को डॉन फिल्म में रखने का विचार किया गया तब तक अमिताभ अपने दूसरे प्रोजेक्ट्स में व्यस्त हो चुके थे फिर भी जब अमिताभ ने इस गीत को सुना तो उन्होंने इसकी शुटिंग के लिये समय निकाल ही लिया लेकिन समस्या इस बात की थी कि उन दिनों एक शूटिंग के दौरान अमिताभ के पैरों में चोट लग गई थी जबकि इस गीत में उन्हें लगातार डांस करना था।
चोट लगने के बावजूद अमिताभ ने कैसे किया डांस –
एक इंटरव्यू में अमिताभ बच्चन जी ने ख़ुद बताया था कि, उन दिनों वै कई फिल्मों के लिए 2-3 शिफ्ट में काम किया करते थे। उसी दौरान एक एक्शन सीक्वेंस करते हुए उनके पैर में चोट लग गई और पैर में छाले पड़ गए थे।
उन्होंने बताया कि इस गाने में उन्हें नंगे पैर डांस करना था, लेकिन छाले की वजह से चलना भी मुश्किल हो रहा था। मजबूरन डॉक्टर को बुलाकर अमिताभ को एनेस्थीसिया इंजेक्शन दिलवाया गया तब कहीं जाकर लगातार 4-5 दिन में उस गाने की शूटिंग पूरी हुई।
दोस्तों इस गाने में अमिताभ द्वारा किया हुआ डांस आज भी हर किसी का पसंदीदा है और जिन्हें डांस करना नहीं भी आता है वो भी इन स्टेप्स की कॉपी करते हैं। इन स्टेप्स को अमिताभ ने कैसे किया उससे जुड़ा भी एक दिलचस्प किस्सा है जिसे अमिताभ ने ख़ुद बताया था कि ‘खइके पान बनारस वाला’ का मेन स्टेप उन्हें, उनके बेटे अभिषेक बच्चन से मिला था जो उस वक़्त महज दो-ढाई वर्ष के थे।
दरअसल जब भी यह गाना बजता था तो गाना सुनते ही अभिषेक डांस करने लगते थे, अमिताभ ने अभिषेक के उसी स्टेप को अपना हुक स्टेप बनाकर गाने में डाल दिया जो सुपरहिट हो गया। बताया जाता है कि इस गाने के लिए अमिताभ बच्चन को 30-40 पान खाने पड़े थे जिससे उनकी जीभ पुरी तरह लाल नज़र आये और दृश्य में वास्तविकता दिखायी दे।
गाते वक्त किशोर कुमार ने क्यों खाया पान-
मज़े की बात ये कि इस गाने को रिकॉर्ड करने से पहले किशोर कुमार ने खुद म्यूजिक डायरेक्टर्स से पान मांगा था और गाते हुए उसे खाया भी था। बताया तो यहाँ तक जाता है कि गाना गाते वक़्त पूरा फील आये इसके लिये किशोर कुमार ने रिकॉर्डिंग के दौरान गाने की शुरुआत में ही प्लास्टिक की एक शीट पर उस पान को चबाकर थूका भी था।
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आइये अब उस किस्से को भी जान लेते हैं कि फिल्म पूरी हो जाने के बाद इस गीत को फिल्म में क्यों डाला गया। दरअसल हुआ ये कि फिल्म डॉन के पूरी होने पर जब इसका प्रीमियर रखा गया, तब फिल्म को देखने इंडस्ट्री के सारे दिग्गज आए थे जिनमें अभिनेता, लेखक, निर्माता और निर्देशक मनोज कुमार जी भी आये थे।
मनोज कुमार जी ने पूरी फिल्म को देखा और देखने के बाद डायरेक्टर चंद्रा बरोट जी को सलाह दिया कि अगर इसमें भागने वाले सीक्वेंस के बाद एक गाना डाल दिया जाए तो दर्शकों को एक्शन से भरी इस फिल्म में थोड़ी राहत मिल जायेगी और फिल्म बोझिल होने से भी बच जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि फिल्म इतनी कसी हुई है कि हर दृश्य में दर्शकों को जोड़ कर रखती है और ऐसे में टॉयलेट जाना भी मुश्किल हो जाता है। मनोज कुमार जी की यह सलाह सबको समझ में आ गयी जिसके बाद फिल्म में इस गीत को शामिल करने का निर्णय लिया गया।
दोस्तों इस गाने से जुड़ा एक और किस्सा आनंद जी ने सुनाया था जो बेहद ही दिलचस्प है। जिसे आनंदजी ने एक इंटरव्यू में बताया था, उन्होंने बताया था कि इस किस्से को यादकर के उन्हें भी आज भी शर्म आ जाती है।
किस हद तक दर्शको को पसंद आया ये गीत-
दरअसल इलाहाबाद में रहनेवाले एक व्यक्ति को यह गाना इतना पसंद था कि वो हर समय इसी गाने को सुनता रहता था। हद तो तब हो गई जब उसने अपनी मौत के समय वसीयत में ये लिखा कि ‘जब भी मेरी मौत होगी तो मेरे जनाजे के साथ इस गाने को बजाया जाए।’ और मज़े की बात कि ऐसा हुआ भी, उस व्यक्ति के जनाजे में इस गाने को वाकई में बजाया गया।
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दोस्तों अमिताभ बच्चन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि दिवंगत कोरियोग्राफर सरोज ख़ान जी को फिल्म डॉन का गाना ‘खई के पान बनारस वाला’ इतना पसंद आया था कि उस दौर में वे मात्र उस गाने को देखने के लिये लगभग रोज़ ही थिएटर जाया करती थीं।
वर्ष 1979 के फिल्मफेयर पुरस्कारों में “खइके पान बनारस वाला” के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के रूप किशोर कुमार, और ‘ये मेरा दिल’ के लिये सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका के रूप में आशा भोसले को पुरस्कृत किया गया था।
इसके साथ ही सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के रूप में कल्याणजी आनन्दजी और इसी गीत के लिये गीतकार अंजान जी को भी नामांकित किया गया था।
फिल्म डॉन के संगीत की एक उपलब्धि यह भी थी कि 70 के दशक के सबसे ज़्यादा बिकने वाले एल्बम्स में यह 13वें स्थान पे था। जिसमें गीत ‘खइके पान बनारस वाला’ की भी विशेष भूमिका थी।
दोस्तों इस गीत का जादू ही कुछ ऐसा है कि जब वर्ष 2006 में डॉन फिल्म दोबारा बनायी गयी तो गीत “ये मेरा दिल” के साथ-साथ “खइके पान बनारस वाला” को भी दोबारा इस्तेमाल किया गया।