नहीं रहे घनश्याम नायक उर्फ़ नट्टू काका ,जानें उनके फिल्मी सफर की कहानी

नहीं रहे तारक मेहता उल्टा चश्मा टीवी शो के नट्टू काका “घनशयाम नायक ” !
दोस्तों अगर धारावाहिक ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ के सबसे उम्रदराज किरदार की बात की जाये तो जो नाम सबसे पहले हर किसी के जेहन में आता है वो है जेठालाल के पिता चंपकलाल का किरदार। लेकिन आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि इस भूमिका को निभाने वाले अभिनेता अमित भट्ट, इस शो में उनके बेटे जेठालाल की भूमिका निभा रहे दिलीप जोशी जी से भी छोटे हैं।
हाँ, अगर वास्तव में इस धारावाहिक के सबसे सीनियर ऐक्टर की बात की जाये तो उस ऐक्टर का नाम है घनश्याम नायक, जिन्हें उनके चाहनेवाले, इस शो में उनके द्वारा निभाये उनके किरदार ‘नट्टू काका’ के नाम से जानते हैं। तो पेश है इसी कड़ी में इस शो के सबसे वरिष्ठ कलाकार घनश्याम नायक जी के जीवन और उनके ऐक्टिंग कॅरियर से जुड़ी कुछ रोचक बातें।

दोस्तों घनश्याम नायक जी के परिवार की कई पीढ़ियाँ गुजरात के लोक नाट्य ‘भवाई’ से जुड़ी हुई थीं। भवाई के बारे में जिन्हें नहीं पता है उन्हें हम बता दें कि भवाई ठीक वैसा ही लोक नाट्य है जैसे महाराष्ट्र में तमाशा या उत्तर प्रदेश में नौटंकी होती है, जिसमें कलाकारों को अभिनय के दौरान संवाद बोलने के साथ-साथ ख़ास शैलियों में गाना भी होता है।
12 मई 1944 को उत्तर गुजरात के ‘उंधाइ’ नामक गाँव में जन्मे घनश्याम नायक जी को भी अपने परिवार से यह कला विरासत में मिल गयी। दोस्तों आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि घनश्याम जी ने महज 7 वर्ष की आयू में ही एक लड़की की भूमिका में गरबा करते हुए अपने ऐक्टिंग कॅरियर की शुरुआत कर ली थी।
उनके पिता भी भवाई के एक कलाकार थे . वर्ष 1956 में घनश्याम जी का परिवार मुंबई आकर बस गया। जहाँ मुंबई के सेठ एनएल स्कूल से उनकी शुरूआती पढ़ाई हुई। स्कूल के दौरान ही घनश्याम जी को निर्देशक सत्येन बोस की फिल्म में बतौर बाल कलाकार वर्ष 1960 की फिल्म मासूम में काम मिल गया। इस फिल्म में उन्होंने एक विद्यार्थी की भूमिका की थी।
दोस्तों यहाँ हम आपको याद दिला दें कि यह वही फिल्म है जिसका गीत ‘नानी तेरी मोरनी को मोर ले गये’ आज भी बच्चों का सबसे पसंदीदा गीत है। बहरहाल इस फिल्म के बाद घनश्याम जी ने अपनी पढ़ाई के साथ साथ कई सारी फिल्मों में काम किया जिनमें सीताराम-राधेश्याम और बालक ध्रुव जैसी फिल्में भी शामिल हैं।
घनश्याम बताते हैं कि उस वक़्त उन्हें कई घंटे काम करने पड़ते थे तब कहीं जाकर उन्हें 3 रुपये मिला करते थे। घनश्याम जी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने राज कपूर जी के गुरु रह चुके ‘किदार शर्मा’ जी की आख़िरी फिल्म ‘सहमे हुये सितारे’ में भी काम किया था। उन दिनों को याद करते हुए उन्होंने उस फिल्म से जुड़ा एक किस्सा सुनाया जो बहुत ही दिलचस्प है।
उन्होंने बताया कि किदार शर्मा जी जब किसी के अभिनय से ख़ुश होते तो उसे इनाम में चवन्नी दिया करते थे, घनश्याम भी यही सोचते कि काश किसी दृश्य में उन्हें भी चवन्नी मिल जाये तो मज़ा आ जाये। दोस्तों उस ‘एक आना के ज़माने’ में चवन्नी भी एक अच्छी रकम हुआ करती थी।

इस फिल्म में घनश्याम एक धोबी का किरदार निभा रहे थे, वे बताते हैं कि शूटिंग के दौरान एक दृश्य को करते वक़्त वे उसमें इतने डूब गये कि बगैर ग्लीसरीन लगाये ही उनकी आँखों से असली आँसू निकल आये। दृश्य पूरा होते ही किदार जी ने जब घनश्याम जी को ईनाम देने के लिए अपनी जेब में हाथ डाला तो देखा कि उनकी सारी चवन्नियाँ ख़त्म हो चुकी हैं क्योंकि उस दिन वे सब कलाकारों को पहले ही बाँट चुके थे।
उस वक़्त उन्होंने चवन्नी की जगह 2 रुपये का नोट घनश्याम जी को ईनाम में दिया जिसे घनश्याम जी ने आज तक खर्च नहीं किया है। बहरहाल समय बीतता गया और उम्र के साथ-साथ ज़रूरतें बढ़ी तो संघर्ष भी बढ़ता गया, उस दौरान उनकी शादी हुई, बच्चे हुए। दोस्तों घनश्याम जी के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी,
घनश्याम नायक ने एक इंटरव्यू में बताया था कि अपनी जीविका चलाने के लिए उन्हें सड़कों पर भी परफॉर्म करना पड़ता था, और जब कभी परफॉर्म करने पर भी पैसे नहीं मिलते थे तो कई बार पड़ोसियों और रिश्तेदारों से भी उधार लेना पड़ जाता था। उन दिनों कई बार उन्हें उधार ले-लेकर अपने बच्चों की स्कूल की फीस भरनी पड़ी थी।
बहरहाल फिल्मों में छोटे-छोटे रोल करते हुए घनश्याम जब थोड़े बड़े हुये तो नाटकों में भी काम करने लगे और साथ ही अभिनय के अलावा अन्य विधाओं में भी हाथ आजमाने लगे। दोस्तों आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि उन्होंने कुछ गुजराती फिल्मों में बतौर पार्श्वगायक गीत भी गाये हैं। उन्होंने अपना पहला पार्श्वगायन 12 वर्ष की आयु में महेंद्र कपूर और आशा भोसले जैसे महान गायकों के साथ गाया था
उस वक़्त घनश्याम कभी लड़की की आवाज़ तो कभी बूढ़ी औरत की आवाज़ में भी गाया करते थे। वर्ष 1972 में प्रसारित होने वाले एक गुजराती कार्यक्रम “आओ म्हारे साथी” में उन्होंने ‘रंगिलो’ की मुख्य भूमिका भी निभाई थी।

इसके अलावा घनश्याम जी ने बतौर डबिंग आर्टिस्ट भी काफी काम किया है। जब लेजेंडरी ऐक्टर कन्हैयालाल जी की मृत्यु हुई तो उनकी फिल्मों की डबिंग के लिये घनश्याम जी की आवाज़ को ही चुना गया जिसे उन्होंने 4-5 घण्टे में ही पूरा कर दिया। उन फिल्मों के नाम हैं ‘एक और संग्राम’ जो कि हिंदी में थी और दूसरी है भोजपुरी भाषा में बनी ‘बैरी सावन’।
बहरहाल इतने कामों को करने के बावज़ूद घनश्याम जी का संघर्ष बदस्तूर ज़ारी रहा। 90 का दशक आते आते उन्हें हिंदी फिल्मों में थोड़े अच्छे किरदार मिलने लगे और देखते ही देखते उन्होंने 100 से भी ज्यादा हिंदी फ़िल्मों में काम कर लिया जिनमें बेटा, तिरंगा, क्रांतिवीर, घातक, ईश्क़, हम दिल दे चुके सनम, तेरे नाम, चोरी-चोरी और खाकी जैसी ढेरों बड़ी फिल्में भी शामिल हैं।
साथ ही उन्होंने कई धारावाहिक और लगभग 250 से अधिक गुजराती फिल्मों में भी काम किया। फिल्म हम दिल दे चुके सनम से जुड़ने की बात याद करते हुए घनश्याम जी बताते हैं कि संजय लीला भंसाली ने उन्हें दूरदर्शन के ज़माने से ही देखा था जब उन्होंने दूरदर्शन के कार्यक्रम में गुजरात का ‘भवाई’ किया था उस वक़्त संजय एक स्टूडेंट थे
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और जब संजय ने इस फिल्म में विट्ठल काका के किरदार के लिये ऐक्टर चुनने की बात आयी तो उन्हें ही वो रोल दिया। दोस्तों इस फिल्म के एक दृश्य में जब ऐश्वर्या राय ने भवाई करते वक़्त जो लम्बी चौड़ी लाइन बोली थी उसे घनश्याम जी ने ही तैयार करवाया था और साथ ही उसमें उन्होंने कुछ और पंक्तियाँ भी जोड़ी थीं जो घनश्याम जी के परिवार में लोग भवाई के दौरान गाया करते थे।
दोस्तों घनश्याम जी को एक बार देव आनंद जी ने भी अपनी एक फिल्म में वकील की भूमिका दी थी लेकिन उन्होंने उस रोल को इसलिए करने से इनकार कर दिया क्योंकि उसमें उनका कोई संवाद नहीं था और उन्हें सिर्फ कोर्ट में बैठना था। घनश्याम जी ने देव आनंद जी से साफ साफ कह दिया कि “मैं एक कलाकार हूँ और कोई ऐसा रोल जिसमें कुछ करने के लिये होगा तो ही मैं करूँगा।
” दोस्तों बढ़ती उम्र में घनश्याम जी का संघर्ष लगातार ज़ारी रहा। 60 वर्ष की आयु के बावज़ूद भी उनका हौसला कभी कम नहीं हुआ और तभी उन्हें एक ऐसा किरदार ऑफर हुआ जिसने उनकी पूरी ज़िन्दगी ही बदल कर रख दी और वह किरदार था तारक मेहता शो के ’नट्टू काका’ का।
हालांकि वर्ष 2008 में इस शो से जुड़ने से पहले वे इस शो के निर्माता असित मोदी के साथ पहले भी धारावाहिक सारथी में तकरीबन 500 एपीसोड तक काम कर चुके थे और जब उन्होंने यह शो शुरू किया तो घनश्याम जी को किसी और रोल में कास्ट करने का मन बनाया था लेकिन जब जेठालाल बने दिलीप जोशी जी ने नट्टू काका के रोल के लिये घनश्याम जी का नाम सुझाया जो असित मोदी जी को भी यह पसंद आया। दोस्तों घनश्याम के उस किरदार को नट्टू काका नाम ख़ुद घनश्याम जी ने ही दिया था।

यहाँ तक कि उस किरदार का पूरा नाम ‘नटवरलाल प्रभाशंकर उंधाइवाला’ में भी अपने गाँव ‘उंधाइ’ का नाम भी ख़ुद घनश्याम जी ने ही जोड़ा था। जिस वक़्त घनश्याम जी इस शो से जुड़े उस वक़्त उनकी उम्र 63 वर्ष की थी और तकरीबन 13 वर्षों से वे इस धारावाहिक से जुड़े हुए हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि,
इस दौरान उन्हें करण जौहर और संजय लीला भंसाली के प्रोडक्शन से भी रोल के ऑफर आए जिनके साथ वे पहले भी काम कर चुके थे, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। घनश्याम कहते हैं कि वे अब किसी और प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं, और अब 76 वर्ष की उम्र में उन्हें और कुछ करने की ज़रूरत भी नहीं है। वे ‘तारक’ का हिस्सा बनकर संतुष्ट हैं।
तारक मेहता शो से पहले घनश्याम जी ने फिलिप्स टॉप टेन, खिचड़ी, एक महल हो सपनों का , दिल मिल गए, सारथी, साराभाई बनाम साराभाई जैसे कई हिंदी धारावाहिकों के साथ-साथ कुछ गुजराती धारावाहिकों में भी काम किया जिनमें ‘मणिमटकू’ और ‘छुटाछेड़ा’ आदि प्रमुख हैं। धारावाहिक मणिमटकू में उन्होंने ‘मटकालाल’ के रूप में मुख्य भूमिका निभाई थी।
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घनश्याम जी ने हिंदी और गुजराती में कुल मिलाकर लगभग 350 धारावाहिकों में अभिनय किया है। दोस्तों घनश्याम जी ने 100 से अधिक गुजराती नाटकों में अभिनय किया है साथ ही उन्होंने 12 से अधिक गुजराती फिल्मों में पार्श्वगायन भी किया है। इसके अलावा घनश्याम जी ने लगभग 350 से भी अधिक फिल्मों में डबिंग का काम किया है जिनमें गुजराती, हिंदी और भोजपुरी फिल्में भी शामिल हैं।
आइये एक नज़र डाल लेते हैं घनश्याम जी के निजी जीवन पर। घनश्याम जी की पत्नी का नाम है निर्मला देवी नायक जो कि एक गृहणी हैं। उनकी दो बेटियां और एक बेटा है। बेटियों के नाम हैं भावना नायक और तेजल नायक। ख़बरों के मुताबिक दोनों ही बेटियों ने अभी तक शादी नहीं की है। बड़ी बेटी भावना घर पर ही अपने माता-पिता की देख रेख करती हैं और छोटी बेटी तेजल एक निजी स्कूल में अध्यापिका हैं।
घनश्याम नायक जी के बेटे का नाम है विकास नायक जो स्टॉक एक्सचेंज मार्केट से जुड़े हुए हैं। विकास तारक मेहता शो में कभी-कभी कोई किरदार भी निभा लिया करते हैं लेकिन पिता के संघर्ष को देखते हुये उन्होंने अभिनय को अपने मुख्य पेशे के रूप में नहीं चुना। विकास शादीशुदा हैं और उनके दो बच्चे हैं।

दोस्तों घनश्याम जी अपनी उम्र और ज़िन्दादिली के सवाल पर यही कहते हैं कि वे अपनी आखिरी सांस तक ऐक्टिंग करना चाहते हैं और मेकअप पहने हुए ही मरना चाहते हैं