सुनील शेट्टी परिवार का इतिहास

महत्वाकांक्षाएं जब जुनून बन जायें तो उसे पूरा करने के लिये इंसान कुछ भी कर गुज़रने के लिये तैयार रहता है । संघर्ष के कठिन रास्तों पर चलते हुए वो एक न एक दिन अपनी मंज़िल को पा ही लेता है। भले ही उसे जीवन में कई बातों के लिये समझौता ही क्यूँ न करना पड़े, लेकिन वो लोग विरले ही होते हैं जो अपने सपनों और अपनी ज़िम्मेदारियों के बीच सामंजस्य बिठाकर चलते हैं और जीवन में सफल भी होते हैं। उनका संघर्ष, उनका धैर्य और उनका जीवन लोगों के लिये एक प्रेरणा बन जाता है ।
आज हम चर्चा करेंगे 90 के दशक के हिन्दी फिल्म जगत के एक ऐसे ही होनहार और सफल अभिनेता सुनील शेट्टी की जिन्होंने अपना फिल्मी करियर शुरू करने से पहले अपने पिता के व्यवसाय को न सिर्फ संभाला बल्कि उसे और ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया, साथ ही रोशनी डालेंगे उनके परिवार और उनके जीवन से जुड़ी कुछ ख़ास घटनाओं पर।
सबसे पहले बात करते हैं इस परिवार के मुख्य क़िरदार यानी सुनील शेट्टी की, इनका पूरा नाम है सुनील वीरप्पा शेट्टी , और बाॅलीवुड में प्यार से लोग इन्हें अन्ना कहते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि फिल्म *काँटे* की शूटिंग के दौरान महानायक अमिताभ बच्चन उन्हें प्यार से अन्ना पुकारा करते थे जो इतना पॉपुलर हुआ कि हर कोई इन्हें अन्ना कहने लगा।
सुनील शेट्टी का जन्म एक तुलू भाषी हिन्दू बन्त परिवार में 11 अगस्त 1961 को कर्नाटक के मुल्की में हुआ था जो कि मैंग्लोर के समीप स्थित है। कम लोगों को पता होगा कि होटल मैनेजमेंट के डिग्रीधारक सुनील एक बहुत अच्छे क्रिकेटर भी हैं। बचपन से ही सुनील एक क्रिकेटर बनना चाहते थे।
साथ ही वो अपने पिता के व्यवसाय में हाथ बँटाते बँटाते नौजवानी की उम्र में ही एक सफल बिज़नस मैन भी बन गये ।और बाद में पिता के उस व्यवसाय का उन्होंने और भी विस्तार कर लिया। सुनील होटल व्यवसाय के साथ साथ कपड़ों, बुटीक, ज़िम व फिल्म प्रोडक्शन के क्षेत्र में भी वो कार्यरत हैं और सफल भी हैं ।
दोस्तों सुनील का फिल्मों में अभिनय करने की कभी कोई ख्वाईश नहीं थी लेकिन मुंबई में एक सफल बिजनेस मैन होने की वज़ह से सुनील शेट्टी का फिल्म इंडस्ट्री में कई लोगों के साथ उठना बैठना लगा रहता था। सेेेेहत केे प्रति जागरूक सुनील शेट्टी की पर्सनालिटी शुुरू से लोगों को आकर्षित करती थी।
उसी दौरान डायरेक्टर राजीव राय और शब्बीर बोक्स्वाला जैसे सुनील के फिल्मी दुुनियाँ केे साथियों ने ज़ोर दे कर उस ज़माने के मशहूर फोटोग्राफर जे पी सिंघल से सुनील का पोर्टफोलियो फोटोशूट करवाया और समझाया कि वो अभिनेता बनने के लिये कोशिश करें तो ज़रूर सफल होंगे।
उन लोगोंं की बात सही साबित हुई और जल्द ही वो फिल्म *एक और फौलाद* के लिये बतौर हीरो साईन कर लिये गये जिसे डायरेेक्ट कर रहेे थे उस दौर के मशहूर निर्देशक पहलाज निहलानी। लेकिन कुछ कारणों वश वह फिल्म शुरू नहीं हो सकी। कुछ और फिल्मों के लिये सुुनील
को बतौर हीरो चुना गया लेकिन बात नहीं बन सकी। ख़ैर इन सब बातों से एक बात तो तय हो गयी थी सुनील हीरो बन सकते थे और निर्देशक इसके लिये इच्छुक भी थे ।शायद इसीलिए सुनील का मनोबल कभी भी टूटा नहीं।
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इसी दौरान सुनील के हाथ दो फिल्में और आयीं एक अक्षय कुमार के साथ *वक़्त हमारा है* और दूसरी *बलवान*। निर्देशक दीपक आनंद की फिल्म *बलवान* जिसमें सुनील सोलो हीरो थे वो पहले रिलीज़ हुई इसलिए ये फिल्म उनकी पहली फिल्म बन गयी।
ये दोनो ही फिल्में 1992 में रिलीज़ हुईं और आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि फिल्मी दुनिया में लोग सुनील को लेके इतने आश्वस्त थे कि *बलवान* फिल्म के रिलीज़ होने से पहले ही उनके हाथ में ढेरों फिल्में आ चुकी थीं।
कहा जाता है कि उन्होंने उसी दौरान तकरीबन 30 फिल्में साइन कर ली थीं। सुनील जहाँ अपनी पर्सनैलिटी और स्टंट की वज़ह से निर्देशकों के चहेते बन गये थे तो वहीं दूसरी तरफ उन्हें अपनी संवाद अदायगी और अभिनय के लिये आलोचना भी झेलनी पड़ती थी।
वर्ष 1994 में रिलीज़ सुपरहिट फिल्म मोहरा में उनके ऐक्शन के साथ अभिनय को भी लोगों ने थोड़ी बहुत सराहना तो की लेकिन इसके बावजूद अभी भी उनके हिस्से में ज़्यादातर ऐक्शन फिल्में ही आ रही थीं।
फिल्मी दुनिया के ही बहुत से दिग्गज़ लोगों ने उन्हें अधूरा ऐक्टर कहा, कइयों ने तो उन्हें पहलवान और ऐक्टिंग के नाम पर चीखने चिल्लाने वाला ऐक्टर तक कह डाला। ऐसा नहीं है कि ये बातें पहली बार सुनील जी को ही सुनने को मिली ऐसी ही बातों का सामना धर्मेन्द्र और अमिताभ बच्चन जैसे महान अभिनेताओं को भी करना पड़ता था जब वो नये नये आये थे।
कुछ लोगों ने तो सुनील से यहाँ तक कह दिया कि एक्टिंग उनके बस की नहीं है वो अपने होटल के बिजनेस पे ही ध्यान दें वरना कहीं वो भी ना बरबाद हो जाये। अपने बारे में ऐसी बातें सुनकर सुनील का मन बहुत दुखी हो जाता, उन दिनों सुनील कई दिनों तक अकेले में रोते रहते ।
एक इंटरव्यू में सुनील ने बताया कि “मैंने जब अपना करियर स्टार्ट किया था तो मुझे कोई भी गाइड करने वाला नहीं था। जब मेरी पहली फिल्म सफल हुई थी तो मैं खुशी से पागल हो गया , अपनी सफलता और लोगों द्वारा अपनी बॉडी की तारीफ सुन के मुझे ऐसा लगने लगा कि इंडस्ट्री का दूसरा अमिताभ बच्चन मैं ही बनूंगा, लेकिन वो ख़्वाब एक ख़्वाब ही रह गया।
बाद में मेरी कई फिल्में उतनी नहीं चली जितनी की मुझे उनसे उम्मीदें थीं ।इस वज़ह से कभी-कभी मैं ख़ुद ही अपने ऐक्टर बनने के निर्णय पर सवाल उठाने लगा था”
बहरहाल सुनील ने अपनी असफलताओं और अपनी कमियों को स्वीकार कर अभिनय की बारीकियों पर मेहनत करना शुरू किया और उसी दौरान उन्हें गोपी किशन और हम हैं बेमिसाल जैसी काॅमेडी फिल्मों में काम करने का अवसर मिला। इन फिल्मों में उनके अभिनय को हर किसी ने सराहा।
उसके बाद कई और हास्य, रोमांस और ऐक्शन मिश्रित फिल्मों के साथ उनकी कुछ संजीदा फिल्में भी आईं जिसमें भाई और बॉर्डर जैैैसी फिल्में भी हैैं। जहाँ एक ओर *भाई* फिल्म में उन्होंने भाई के जज़्बात को अपने अभिनय से ज़ाहिर किया वहीं *बार्डर* फिल्म में शहीद कप्तान भैैरो सिंह की भूमिका मेंं जान डालकर उसे अमर कर दिया ।
वर्ष 2000 में आई फिल्म *धड़कन* में अपने ज़बरदस्त अभिनय से उन्होंने हर आलोचक का मुह बंद कर दिया । उनके बहतरीन अभिनय के लिये सन 2001 में पहली बार उन्हें बेस्ट विलेन के फिल्मफेयर अवार्ड से सम्मानित भी कियाा गया।
जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि अभिनय के अलावा सुनील शेट्टी फिल्म प्रोडक्शन के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं और उनकी कम्पनी का नाम है पोपकॉर्न एंटरटेनमेंट। फिल्म *खेल , रक्त और भागमभाग* जैसी कई फिल्मों का निर्माण इस बैनर तले हो चुका है।
आइये अब एक नज़र डाल लेते हैं उनके परिवार के बारे में जिसके अंतर्गत हम सबसे पहले बात करेंगे सुनील शेट्टी के पिता जी के बारे में। सुनील के पिता का नाम वीरप्पा शेट्टी था। 9 साल की उम्र से ही वीरप्पा एक वेटर के रूप में काम करने लगे थे, वो होटल में प्लेटें भी धोते और कभी-कभी थक कर रात में होटल के गोदाम में रखी सरसों की बोरियों पर ही सो जाते।

किसी फिल्मी कहानी की तरह ही वीरप्पा अपनी मेहनत और लगन से एक ज़माने में मुंबई और कर्नाटक के होटल व्यवसाय के क्षेत्र में एक जाना-माना नाम बन गये।और एक दिन उन्होंने मुंबई के वर्ली में स्थित उस होटल को भी ख़रीद लिया जहाँ पर कभी वो प्लेटें साफ करने का काम किया करते थे।
भारत के चुनिंदा नामी होटल व्यवसाइयों में कभी एक नाम विरप्पा शेट्टी का भी हुआ करता था। सुनील बताते हैं कि उनके पिता ही उनके असली हीरो हैं उन्होंने बहुत कठिन संघर्षों से अपने दम पर अपना मुकाम बनाया था जो हमेशा उनको प्रेरित करता है और हौसला देता रहता है। सन् 2013 में वीरप्पा जी को लकवा का अटैक आया था ।
सुनील ने दिन रात अपने पिता की सेवा की यहाँ तक की उन्होंने उनके लिए घर में ही एक आइ सी यू बनवा दिया ताकि वो ज़्यादा से ज़्यादा अपने पिता की देख रेख कर सके। इस दौरान न उन्होंने अपने करियर की परवाह की और न ही अपनी बेटी की फिल्मी दुनियाँ में शुरुआत पर ही ध्यान दे पाये।
इस बात का ज़िक्र वो अक्सर अपने इंटरव्यूज़ में करते हैं कि एक तरफ पिता की देख रेख और दूसरी तरफ बेटी की पहली फिल्म वो बहुत धर्मसंकट में पड़ जाया करते थे लेकिन उन्होंने उस वक़्त वही किया जो एक लायक बेटे का फर्ज़ होता है।
1 मार्च 2017 को लम्बी बीमारी के बाद मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में सुनील के पिता विरप्पन शेट्टी जी का निधन हो गया उस वक़्त वो 93 साल के थे।
सुनील शेट्टी की माँ के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं होने से हम उनके बारे में कोई चर्चा नहीं कर पा रहे हैं इसके लिये हमें खेद है।
अब बात करते हैं सुनील की पत्नी यानि *माना शेट्टी * की। जब सुनील और माना की मुलाक़ात हुई उस वक़्त सुनील लगभग 21 वर्ष के थे और माना कि उम्र 17 वर्ष के आस-पास थी, दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई लेकिन 1982 में हुये इस प्यार को अपनी मंज़िल मिली जब 25 दिसम्बर सन 1991 को, सुनील और माना का विवाह हुआ।

9 वर्ष समय के बाद हुये इनके विवाह की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। एक मुस्लिम परिवार जन्मी माना का असली नाम मोनिषा क़ादरी है इनके पिता आई एम क़ादरी मशहूर आर्किटेक्ट थे तो इनकी माँ विपुला क़ादरी एक समाज सेविका थीं।
अलग धर्म होने की वज़ह से *सुनील और माना* की शादी होने में बहुत सी रुकावटें आयीं लेकिन सुनील ने अपने अच्छे व्यवहार और धैर्य से एक दिन क़ादरी परिवार का दिल जीत ही लिया।
माना सुनील के लिये बहुत लकी भी साबित हुई क्योंकि अभी तक सुनील को फिल्में तो मिल रही थी लेकिन किसी न किसी वज़ह से अधर में लटक जा रही थी या शुरू ही नहीं हो पा रही थी लेकिन उनका सुनील की ज़िंदगी में आने के बाद सुनील की दोनों फिल्में बलवान और वक़्त हमारा है बनी भी बड़े पैमाने पर रिलीज़ भी हुईं।
माना की पहचान सिर्फ ऐक्टर सुनील शेट्टी पत्नी की न होकर एक समाज सेविका के साथ साथ एक सफल बिज़नस बुमेन के तौर पर भी है, माना अपने परिवार और बिजनेस दोनों को ही बखूबी भी संभालती है। माना शेट्टी की अपनी कम्पनी है जो लग्जरी डेकोर एंड गिफ्ट आइटम से रिलेटेड है साथ ही वो अपनी रियल एस्टेट की कम्पनी की डायरेक्टर का पद भी संभालती हैँ।
सुनील और माना के दो बच्चे हैं बेटी अथिया शेट्टी और बेटा अहान शेट्टी।

पहले बात करते हैं बेटी अथिया शेट्टी की। 5 नवम्बर 1992 को मुंबई में जन्मी अथिया की शुरुआती पढाई मुंबई में हुई बाद में वो आगे की पढ़ाई के लिये अमेरिका चली गईं।
जब उन्होंने फिल्मों में अभिनय को ही अपना कैरियर बनाने की बात घर में बताई तो सुनील ने अपनी गलतियों से सबक लेते हुए अथिया को पहले फिल्मों में अभिनय की बारीकियों को सीखने की सलाह दी ताकि अथिया को भी उनकी तरह अभिनय के लिये आलोचकों की कड़वी बातें न सहनी पड़े जो कभी सुनील को सुननी पड़ी थीं।
पिता की बातों को अथिया ने भी गंभीरता से लिया और *न्यूयॉर्क फिल्म एकेडमी* से *अभिनय और फिल्म तकनीकी* की बाकायदा ट्रेनिंग ली । अथिया शेट्टी ने सन् 2015 में फिल्म *हीरो* से बॉलीवुड में अपने फिल्मी जीवन की शुरुआत की इसके बाद वह 3 और फिल्मों *मुबारकां, नवाबजादे और मोतीचूर-चकनाचूर* में नज़र आईं।
उनके अभिनय की प्रशंसा तो हर किसी ने की लेकिन उन्हें पता है कि अभी उनको और मेहनत करके एक मुकाम बनाना है जिसके लिये वो जी तोड़ मेहनत भी कर रही हैं और इसी वज़ह से वो हमेशा अपनी फिल्मों के चुनाव को लेके सजग भी रहा करती हैं।
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अब बात करते हैं सुनील के बेटे अहान शेट्टी की। 15 जनवरी 1996 को मुंबई में जन्में और फिल्मी माहौल में पले-बढ़े अहान शेट्टी ने भी पिता और बहन के नक़्शे-कदम पर चलते हुए फिल्मों में अभिनय को ही अपने करियर के रूप में चुना और कोई जल्दबाज़ी न करते हुए पूरी तैयारी के साथ 24 वर्ष की उम्र में वो अभिनय के क्षेत्र में कदम भी रख चुके हैं।
अहान की पहली फिल्म *आर एक्स 100* पे काफी हद तक काम पूरा हो चुका है इस फिल्म के निर्माता साजिद नाडियावाला हैं और फिल्म के निर्देशन की बागडोर सँभाली है मिलन लुथारिया ने। दर्शकों को भी उनकी इस फिल्म का बेेेेसब्री से इंतज़ार है।
सुनील शेट्टी की दो बहनें हैं सुजाता शेट्टी और सुनीता तरुण प्रताप। सुजाता शेट्टी सुनील से बड़ी हैंं वो लाइम लाइट से दूर अपने पारिवारिक जीवन में व्यस्त हैं और समाज सेवा का कार्य से भी जुड़ी हुई हैं।
छोटी बहन सुनीता भी फिल्मी दुनिया से अलग अपने पति तरुन प्रताप के साथ समाज सेवा से जुड़ी हुई हैंं।
दोस्तों बेशक सुनील शेट्टी की फिल्में अब काम आ रही हैंं लेकिन वो चुनिंदा हिंदी फिल्मों के अलावा साउथ के कुछ प्रोजेक्ट्स पर भी काम कर रहे हैं साथ ही कुछ वेब सिरीज़ में भी वो जल्द नज़र आने वाले हैं।
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कम फिल्मों के मिलने की एक वज़ह सुनील यह भी बताते हैं कि 59 वर्ष की उम्र होने के बावज़ूद भी वो न तो जवान ही हैं और ना ही बूढ़े, इस उम्र में भी पूरी तरह फिट होने की वज़ह से उन्हें न तो पिता के रोल ही ऑफर होते हैं और ना ही वो इतने यंग हैं कि उन्हें हीरो की मुख्य भूमिकाएं मिलेंगी। बहरहाल सुनील शेट्टी ने जो अपना एक मुकाम दर्शकों के दिल में बना लिया है उसका जादू कभी कम नहीं हो सकता है।