BollywoodEntertainment

अंडरवर्ल्ड और रियल लाइफ गैंगस्टर से प्रेरित बॉलीवुड फिल्में

Bollywood Movies Inspired By Underworld And Real Life Gangster

हिंदी फ़िल्मों में जब एंग्री यंग मैन जैसे किरदार का उदय हुआ तो परिस्थितियों के शिकार आम आदमी के आक्रोश की कहानियाँ बार-बार दिखाई गयीं। इन कहानियों को दर्शकों ने ख़ुद से रिलेट करके देखा और उन्हें ख़ूब पसंद भी किया। देखते ही देखते ऐसी फ़िल्मों का एक दौर सा चल पड़ा और एक के बाद एक ढेरों फ़िल्में बनती ही चली गयीं।

लेकिन इसी बीच आम आदमी के बगावत के बहाने एक और सब्जेक्ट ने फ़िल्मों में अपनी जगह बनाना शुरू कर दिया और वह सब्जेक्ट था अंडरवर्ल्ड। 70s में आयी दीवार और डॉन जैसी फ़िल्में हों या 1990 में रिलीज़ हुईं अग्निपथ और शिवा जैसी फ़िल्में, इन सभी फ़िल्मों में जहाँ अंडरवर्ल्ड की कहानियों को दिखाया गया तो वहीं इनके मुख्य किरदार भी किसी न किसी अंडरवर्ल्ड डॉन से इंस्पायर्ड थे।

हालांकि शुरुआत की फ़िल्मों में इन कहानियों में अच्छाई- बुराई जैसे सोशल मैसेज देने के लिये बहुत सारी बातें जोड़ी जाती थीं, साथ ही दर्शकों के इंटरटेनमेंट का भी भरपूर ख़याल रखा जाता था, लेकिन आगे चलकर जैसे-जैसे रियलिस्टिक फ़िल्मों का चलन शुरू हुआ तो ओरिजिनल कहानियों के साथ-साथ रियल किरदारों को भी दिखाना शुरू कर दिया गया।

भले ही उनके असल नाम बदल दिये गये हों, लेकिन वे किनसे इंस्पायर्ड हैं यह मीडिया के ज़रिये पता चल ही जाता है।

Amitabh Bachchan Angry Young Man
Amitabh Bachchan Angry Young Man

अंडरवर्ल्ड जैसे सब्जेक्ट से पहले भी और उसके साथ-साथ भी बॉलीवुड में इससे मिलते-जुलते सब्जेक्ट यानि डाकुओं पर आधारित बहुत सी फ़िल्में बनीं हैं जो काफी हद तक अंडरवर्ल्ड जैसा ही है। हालांकि देखा जाये तो 60s में आयी फ़िल्में ‘जिस देश में गंगा बहती है’ और ‘मुझे जीने दो’ के अलावा सालों बाद आयी बैंडिट क्वीन और पान सिंह तोमर जैसी कुछ ही फ़िल्में थीं

जिनमें रियलिटी दिखाने की कोशिश की गयी थी। वहीं अंडरवर्ल्ड पर आधारित बॉलीवुड फ़िल्मों और उनके रियल किरदारों की बात करें तो अब तक कई कहानियों और किरदारों को स्क्रीन पर दिखाया जा चुका है। जिनमें शुरुआत होती है 80s में आयी फ़िल्म दयावान से।

दयावान- वरदराजन मुदलियार

मुंबई के साउथ इंडियन डॉन वरदराजन मुदलियार पर बनी ‘दयावान’ 1987 में बनी तमिल फिल्म नायकन का रीमेक थी। साल 1988 में आई ऐक्टर डायरेक्टर और प्रोड्यूसर फिरोज खान के डायरेक्शन में बनी फिल्म दयावान में वरदराजन का किरदार ऐक्टर विनोद खन्ना ने निभाया था।

 

-वरदराजन मुदलियार, जिसे वरदा और काला बाबू भी कहते थे तो वहीं कुछ लोग उसे मुंबई का पहला हिंदू अंडरवर्ल्ड डॉन भी कहते हैं। हाजी मस्तान के सपोर्ट से उसने करीब दो दशक तक आधी मुंबई पर राज किया था। वरदराजन मुदालियर का जन्म साल 1926 में मद्रास के थूटुकुडी में एक साधारण परिवार में हुआ था।

कम उम्र में ही वरदराजन काम धंधे में लग गया था और बाद में कमाई बढ़ाने के इरादे से 60 के दशक में वह अपना घर छोड़कर मुंबई चला गया। शुरुआत में उसने मुंबई के वीटी यानि अब के सीएसटी स्टेशन पर कुली का काम किया और स्टेशन के पास बाबा बिस्मिल्लाह शाह की दरगाह पर शरण लिया जहाँ वह गरीबों को खाना भी खिलाता था।

उसी दौरान एक दिन स्टेशन पर उसकी मुलाकात अवैध शराब का कारोबार करने वाले कुछ लोगों से हुई और वह भी इस धंधे में आ गया। वरदाभाई के नाम से मशहूर वरदराजन पहले खुद एक गुर्गे के तौर पर शराब की तस्करी करता था, लेकिन जल्द ही उसने कुछ आदमी साथ लेकर कारोबार बढ़ा लिया।

वरदराजन के साथ मुंबई में रहने वाले तमिल समुदाय के काफी लोग जुड़ गये थे। उन दिनों मुंबई में हाजी मस्तान और करीम लाला का सिक्का चलता था। राइटर एस. हुसैन जैदी ने अपनी किताब ‘डोंगरी टू दुबई’ में यह किस्सा लिखते हुए बताया है कि हाजी मस्तान को कुछ ऐसे लोगों की आवश्यकता थी जो उसके लिए काम कर सकें और जिनकी लोगों के बीच अच्छी पैठ भी हो।

ऐसे में वरदराजन मुदालियार के रूप में उसे एक सही साथी मिल गया क्योंकि मुंबई में रहने वाले तमिल लोगों के बीच उसकी मजबूत पकड़ थी। वरदराजन, हाजी मस्तान और करीम लाला की तिकड़ी ने मुंबई पर काफी लंबे समय तक राज किया। 70 के दशक तक मुंबई के अलग-अलग हिस्सों में हाजी मस्तान, करीम लाला और वरदराजन ने मिलकर सालों तक राज किया

लेकिन उसी दौरान पुलिस अधिकारी वाईसी पवार की निगाह वरदराजन पर गड़ गयी थी और लाख कोशिश करके भी वह इस पुलिस अधिकारी को खरीद नहीं पाया। पवार ने इस गैंग के कई सदस्यों का एनकाउंटर कर दिया और कई को जेल भेज दिया, साथ ही वरदराजन को मुंबई से तमिलनाडु भागने के लिए मजबूर कर दिया।

जिसके बाद उसके सारे गैर-कानूनी कामों पर ताला लग गया। 2 जनवरी 1988 में चेन्‍नई में वरदराजन की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी, जिसके बाद हाजी मस्तान ने प्राइवेट प्लेन से उसकी बॉडी तमिलनाडु से मुंबई मंगवाई और उसका दाह-संस्कार किया।

Varadarajan Mudaliar

दयावान के अलावा वरदराजन की जिंदगी पर कई और फिल्‍में भी बन चुकी हैं। 1983 में बनी फिल्‍म ‘अर्ध सत्‍य’ में जिस राम शेट्टी का किरदार जिसे सदाशिव अमरापुरकर ने निभाया था और 1984 में आयी फिल्‍म मशाल में अमरीश पुरी का डॉन का किरदार वरदराजन से ही इंस्पायर्ड था। यहाँ तक कि अमिताभ बच्चन ने भी एक इंटरव्‍यू में कहा था कि फिल्म ‘अग्निपथ’ में उन्होंने कुई डायलॉग वरदराजन स्टाइल में बोले थे।

कंपनी- दाउद इब्राहिम & छोटा राजन

साल 2002 में आयी अजय देवगन और विवेक ओबरॉय स्टारर फिल्म कंपनी अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम और छोटा राजन की कहानी से इंस्पायर्ड थी। यह विवेक ओबरॉय की डेब्यू फिल्म है जिसे रामगोपाल वर्मा ने बनाया था। इस फ़िल्म में दाऊद और छोटा राजन के बीच के रिश्‍तों को दिखाया गया था। पुलिस के मुताबिक दाऊद इब्राहिम 1993 के मुंबई बम धमाकों का जिम्‍मेदार है और पाकिस्तान की शरण में है।

 

– दाऊद इब्राहिम का जन्‍म 27 दिसंबर 1955 को महाराष्‍ट्र के रत्नागिरी जिले के मुमका में एक पुलिस कांस्टेबल के यहां हुआ था। दाऊद ने अपराध की दुनिया में कदम रखने के दौरान शुरुआत में करीम लाला गिरोह और हाजी मस्तान के लिए काम किया था। बाद में दाऊद और हाजी मस्तान के बीच अलगाव हो गया।

जिसके बाद दाऊद इब्राहिम ने अपने भाई शब्बीर इब्राहिम कास्कर के साथ मिलकर डी-कंपनी बना ली थी जो कुछ ही सालों में दक्षिण पूर्व एशिया में सबसे बड़ी अंडरवर्ल्ड कंपनी बन गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक इसी के ​ज़रिए ही हवाला कराबोर से लेकर डराने-धमकाने का काम किया जाता था। साथ ही फिल्म इंडस्ट्री से लेकर सट्टे और शेयर बाजार तक डी कंपनी का कारोबार फैला हुआ था।

Dawood Ibrahim
Dawood Ibrahim

जब मुंबई में सिलसिलेवार बम धमाकों में दाऊद का नाम सामने आया था उससे पहले ही वह भारत छोड़ चुका था। पुलिस के मुताबिक दाऊद इब्राहिम ने विदेश में रहते हुए भी भारत में कई वारदातों को अंजाम दिया है।

छोटा राजन-

कंपनी फ़िल्म में विवेक ओबेराय का किरदार ही नहीं बल्कि वास्तव फिल्म में संजय दत्त द्वारा निभाया रघू का किरदार, दोनों ही छोटा राजन से इंस्पायर्ड हैं। ख़ास बात कि महेश मांजरेकर के डायरेक्‍शन में बनी ‘वास्‍तव: द रियलिटी’ को छोटा राजन के छोटे भाई दीपक निखल्‍जे ने ही प्रोड्यूस किया था। फ़िल्म में ‘रघु’ का किरदार छोटा राजन की असल कहानी से प्रेरित था।

 

-मुंबई के चेंबूर के तिलक नगर में साल 1959 में एक साधारण परिवार में राजेंद्र सदाशिव निखल्जे उर्फ छोटा राजन का जन्‍म हुआ था। राजन के पिता एक सामान्‍य नौकरी करते थे। राजन ने पांचवीं तक पढ़ाई करने के बाद मन न लगने के कारण स्कूल छोड़ दिया था और कम उम्र में ही सिनेमा के बाहर ब्‍लैक में टिकटें बेचना शुरू कर दिया था।

एक दिन पुलिस के लाठीचार्ज से गुस्‍सा होकर राजन एक कॉन्‍सटेबल से लाठी छीनकर उसे ही पीटने लगा जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। जब वह जेल से जमानत पर रिहा हुआ तो कुछ ही दिनों बाद गैंगस्‍टर राजन नायर उर्फ बड़ा राजन के गैंग को जॉइन कर लिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1982 में बड़ा राजन के दुश्‍मनों ने उसकी हत्‍या कर दी,

जिसके बाद गैंग का सारा काम अब राजन के हाथों में आ गया था और यहीं से उसे छोटा राजन के नाम से पुकारा जाने लगा था। देखते ही देखते छोटा राजन मुंबई अंडरवर्ल्ड के सबसे खूंखार नामों में से एक हो गया और जल्द ही उसने दाऊद के करीबियों में अपनी जगह बना ली। दोनों अब एक साथ मिलकर मुंबई में तस्करी, हत्या, वसूली, और बॉलीवुड की फिल्मों में फाइनेंस करने के काम करने लगे थे।

DAWOOD IBRAHIM (L) AND CHHOTA RAJAN
DAWOOD IBRAHIM (L) AND CHHOTA RAJAN

बाद में साल 1988 में कारोबार बढ़ाने के लिये छोटा राजन दुबई चला गया लेकिन साल 1993 में हुये बम कांड के बाद दाऊद और उसके बीच दूरियां बढ़ती गईं और देखते ही देखते दोनों एक दूसरे की जान के दुश्मन बन बैठे। छोटा राजन पर अपराध और हत्या के कई मामलों समेत 70 से भी अधिक मुकदमे दर्ज हैं और उसे मुंबई के सीनियर पत्रकार ज्योतिर्मय डे की हत्या में दोषी करार देते हुए न्यायालय द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। फिलहाल, छोटा राजन कई क्रिमिनल केसों के तहत तिहाड़ जेल में सज़ा काट रहा है।

ब्लैक फ्राइडे- दाऊद & टाइगर मेमन

1993 के बम ब्लास्ट पर बनी ‘ब्लैक फ्राइडे’ फिल्म अनुराग कश्यप ने लिखी और निर्देशित की थी जो कि लेखक हुसैन जैदी की किताब 1993 बॉम्बे बॉम्बिंग पर आधारित है। इस फिल्म को कई सारे अवॉर्ड भी मिले हैं।  पहले ये फिल्म 2004 में रिलीज होने वाली थी, लेकिन विवादों की वज़ह से यह 2007 में रिलीज हुई। इस फ़िल्म में दाऊद के साथ साथ टाइगर मेमन की कहानी को भी दिखाया गया है जो मुंबई में हुए बम विस्फोटों में शामिल बताया गया है।

 

-24 नवंबर 1960 को मुंबई में जन्मे टाइगर मेमन का पूरा नाम इब्राहीम मुश्ताक अब्दुल रजाक नादिम मेमन है। ग़रीबी के चलते मुश्ताक अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर मुंबई के एक कोआपरेटिव बैंक में बतौर चपरासी काम करने लगा था। बताया जाता है कि कुछ ही दिनों के अंदर चाय लाने के विवाद में उसने अपने बैंक मैनेजर की पिटाई कर दी थी,

जिसके बाद उसे नौकरी से निकाल दिया गया था। जिसके बाद मुश्ताक की मुलाकात स्मगलर मोहम्मद मुश्तफा दौसा से हुई, जिसने उसे अपना ड्राइवर रख लिया। दौसा के साथ काम करते हुए मुश्ताक दुबई के स्मगलर याकूब भट्टी से मिला दुबई से सोना स्मगलिंग करने का काम करने लगा।

जल्द ही वह एक बड़ा गोल्ड स्मगलर बन गया और स्मगलिंग की दुनिया में ‘टाइगर’ के नाम से पुकारा जाने लगा। इस दौरान उसकी दोस्ती तौफीक जलियांवाला से हुई जो पाकिस्तानी स्मगलर था और उसे ही मुंबई में सिलसिलेवार धमाकों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान से पैसे और हथियार दिलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

इधर बॉर्डर से मुंबई तक लाने के लिए और लोगों का इंतजाम करने की जिम्मेदारी टाइगर मेमन को दी गई थी। सीबीआई के मुताबिक टाइगर मेमन ही धमाकों में इस्तेमाल किए गए हैंड ग्रेनेट, डेटोनेटर और विस्फोटक पदार्थों बाहर से मुंबई में लाया था। पुलिस के मुताबिक टाइगर मेमन ने फरवरी और मार्च 1993 के बीच कई लोगों को हथियार, बम और रॉकेट लांचर चलाने की ट्रेनिंग लेने के लिए पाकिस्तान भेजा था।

Tiger Memon
Tiger Memon

इस पूरी साजिश को अंजाम देकर टाइगर देश छोड़कर फरार हो गया था। वह अब भी पुलिस की गिरफ्त से अभी बाहर है। खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक टाइगर मेमन वर्तमान समय में कराची में आईएसआई की छत्रछाया में रह रहा है। वह एक बिजनेसमैन के तौर पर ज्यादातर समय दुबई और पाकिस्तान में गुज़ारता है। सूत्रों के मुताबिक टाइगर वर्तमान समय में रियल एस्टेट और मीट एक्सपोर्ट के बिजनेस को फैलाने के काम में जुटा हुआ है।

 

साल 2013 में आयी दाऊद इब्राहिम और टाइगर मेमन पर बनी ‘वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा’ में शोएब का किरदार दाऊद से इंस्पायर्ड था जिसे अक्षय कुमार ने निभाया था। वहीं फिल्म में शोएब का फेवरिट असलम का किरदार जिसे इमरान खान ने निभाया है उसे टाइगर मेमन से इंस्पायर्ड बताया जाता है।

वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई- हाजी मस्तान

इस कड़ी में अगला नाम है साल 2010 में आयी इमरान हाशमी और अजय देवगन स्टारर फिल्म ‘वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई’ का जो गैंगस्टर हाजी मस्तान की जिंदगी से प्रेरित थी। मिलन लुथरिया के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में हाजी मस्तान से इंस्पायर्ड सुल्तान मिर्जा का किरदार अजय देवगन ने निभाया था

तो वहीं, दूसरे कैरक्टर शोएब को दाऊद इब्राहिम से इंस्पायर्ड बताया जाता है, जिसे इमरान हाशमी ने प्ले किया था। फिल्म में हाजी मस्तान की जर्नी और पॉलिटिक्स में उसकी एंट्री दिखाई गई है।

-हाजी मस्तान का असली नाम मस्तान मिर्जा था जो मुंबई का सबसे बड़े गैंग्स्टर में से एक था। मस्तान का मुख्य काम स्मगलिंग के साथ-साथ फिल्म फाइनैंस और रियल एस्टेट से जुड़ा हुआ था था। 60-70 के दशक में मुंबई में कई गैंगवार में मस्तान का नाम आया था। हाजी मस्तान के बारे में कहा जाता था कि उसे पैसे के लिए हत्या करना पसंद नहीं था,

और उसे जितना मिलता था उतना ही दान दे देता था। बताया जाता है कि वह ऐसा पहला अंडरवर्ल्ड डॉन था, जिसने कभी भी बंदूक को हाथ तक नहीं लगाया था।

हाजी ने खुद कोई गैंग नहीं बनायी थी बल्कि वह करीम लाला और वरदराजन मुदलियार जैसे लोगों के सहारे अपना काम करता था। बताया जाता है कि दाऊद इब्राहिम, छोटा शकील, छोटा राजन और अरुण गवली को हाजी मस्तान ने ही ट्रेन्ड किया था। भारतीय आपातकाल के दौरान हाजी मस्तान को जेल में डाल दिया गया था।

Haji Mastan Mirza

जेल में रहते हुए वह राजनेता जयप्रकाश नारायण के आदर्शों से प्रभावित था और हिंदी सीखना भी शुरू किया। जेल से रिहा होने के बाद मस्तान ने राजनीति में प्रवेश किया और 1980-81 में एक राजनीतिक दल का गठन किया और 1985 में इसे दलित मुस्लिम सुरक्षा महा संघ का नाम दिया। 25 जून 1994 को हाजी मस्तान का दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई।

साल 1975 में आयी फ़िल्म दीवार की शुटिंग के दौरान, अमिताभ और राइटर सलीम खान अक्सर मुंबई अंडरवर्ल्ड के इस पहले डॉन से मिलने जाते थे। अमिताभ ने इस फ़िल्म में मस्तान के कई अंदाज़ को अपनाया था।

शूटआउट एट वडाला- मान्‍या सुर्वे-

साल 2013 में आयी फ़िल्म ‘शूटआउट एट वडाला’ मुंबई के गैंगस्‍टर मान्‍या सुर्वे के जीवन पर आधारित थी। संजय गुप्ता के डायरेक्शन में बनी इस फिल्‍म में मान्‍या का किरदार जॉन अब्राहम ने निभाया था। माना जाता है कि मान्‍या सुर्वे प्रकरण मुंबई पुलिस का पहला दर्ज एनकाउंटर था।

 

– मान्या सुरवे एक कुख्यात अपराधी था, जिसे जनवरी, 1982 में वडाला में मुंबई पुलिस ने एनकाउंटर में मार दिया गया था। साल 1944 में जन्मे मन्या सुर्वे का असली नाम मनोहर अर्जुन सुर्वे था और उसने मुंबई के कीर्ति कॉलेज से ग्रैजुएशन किया था और वो भी 78% मार्क्स के साथ। मान्या सुरवे को लेकर यह कहा जाता है कि उसे उस हत्या के लिए उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई जो उसने की ही नहीं थी।

मन्या को अपराध की दुनिया में उसका सौतेला भाई भार्गव दादा लाया था जो पहले से ही इसमें लिप्त था। कहा जाता है कि भार्गव और उसके दोस्त पोधाकर के साथ मिलकर मन्या सुर्वे ने सन 1969 में दांदेकर नाम के शख़्स का मर्डर किया था। और इस कत्ल में तीनों गिरफ्तार हुए थे और तीनों को आजीवन कारावास की सजा हुई।

Manya Surve
Manya Surve

चूँकि मान्या एक पढ़ा-लिखा लड़का था इसलिए उसने अपने दिमाग का इस्तेमाल किया और कस्टडी से भाग निकला जिसके बाद उसने अंडरवर्ल्ड को अपना लिया था। लेकिन 11 जनवरी 1982 को पुलिस ने वडाला में उसका एनकाउंटर कर दिया। कहा जाता है कि उस दौर में मान्या दाऊद को टक्कर देता था। यहां तक कि खुद दाऊद को उसकी मदद मांगनी पड़ती थी।

 

दोस्तों इन किरदारों के अलावा भी अंडरवर्ल्ड के बहुत से ऐसे नाम हैं जिन पर फ़िल्मे बन चुकी हैं। और इन्हीं में से एक है  फिल्म ‘डैडी’ जिसका मुख्य किरदार बेस्ड है मशहूर मराठी गैंगस्टर और पॉलिटिशन अरुण गवली पर। अरुण गवली का किरदार ‘अर्जुन रामपाल’ ने निभाया था। शाहरुख खान ने फिल्म ‘रईस’ में गुजरात के शराब माफिया अब्दुल लतीफ शेख का रोल किया था।

1999 में शबाना आजमी की फिल्म आई ‘गॉड मदर’  लेडी डॉन संतोकबेन जडेजा की असल जिंदगी पर आधारित थी। फिल्म में शबाना आजमी के अभियन की काफी प्रशांसा हुई साथ ही इस फिल्म ने 6 नेशनल अवॉर्ड भी जीते। अपूर्व लखिया द्वारा डायरेक्ट फ़िल्म हसीना: द क्वीन ऑफ मुंबई दाऊद की बहन हसीना पार्कर की ज़िन्दगी पर बनी है। इस फिल्म में हसीना का किरदार श्रद्धा कपूर ने निभाया था तो वहीं हसीना के भाई यानी दाऊद इब्राहिम का रोल में श्रद्धा के सगे भाई सिद्धार्थ कपूर थे।

फ़िल्म गंगूबाई काठियावाड़ी फिल्म में अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला के रोल में अजय देवगन थे। करीम लाला को मुंबई का सबसे पहला माफिया डॉन माना जाता है। अंगार में कादर खान का रोल हो, जंजीर में शेरखान वाली प्राण की भूमिका हो या खुदा गवाह का बादशाह खान, करीम लला से ही इंस्पायर्ड है।

करीम लला की बेटी के मुताबिक लला के सबसे अच्छा रोल फिल्म हथियार में धर्मेंद्र ने अंजाम दिया था। कहा जाता है कि फिल्म प्रोड्यूसर संजय खान ने तो करीम लला को फिल्म काला धंधा गोरे लोग में रोल तक ऑफर किया था, लेकिन लाला ने ये रोल ठुकरा दिया। जिसको बाद इस रोल को सुनील दत्त ने किया था।

साल 2013 में आयी फिल्म डी-डे में ऋषि कपूर ने इकबाल सेठ उर्फ गोल्‍डमैन का किरदार निभाया था। जो पाकिस्‍तान में रहने वाला एक गैंगस्‍टर है और वहीं से भारत में आतंकी गतिविधियों का संचालन करता है। फ़िल्म शूटआउट ऐट लोखंडवाला में गैंगस्टर माया डोलस का किरदार विवेक ओबेरॉय ने निभाया है। माया डोलस दाऊद के लिए काम करता था और इसी एनकाउंटर में मारा गया था।

 

 

Show More

Related Articles

Back to top button