जब दिवालिया हो गये थे बिग बी।

पाँच दशकों से सक्रिय अमिताभ बच्चन को आज हिन्दी सिनेमा का सबसे बड़ा और सबसे महान ऐक्टर माना जाता है। 70 के दशक से लेकर आज तक लम्बूजी, शहंशाह, महानायक, बिग बी और स्टार ऑफ मिलेनियम जैसे ढेरों नाम और ख़िताब अमिताभ बच्चन को दिये जाते रहे हैं, लेकिन हिंदी सिनेमा के दूसरे सुपर स्टार बनने से लेकर स्टार ऑफ मिलेनियम बनने के बीच अमिताभ का सफर बड़े ही संघर्षों और उतार-चढ़ाव भरा रहा है।

कठिन संघर्षों से मिली शुरुआती सफलता के बाद भी अमिताभ को कई बार बुरे दौर का भी सामना करना पड़ा, यहाँ तक कि एक ऐसा वक़्त भी आया कि उनके पास एक भी फ़िल्म नहीं थी। आख़िर ऐसा क्या हुआ था कि इतने संघर्षों से मिली सफलता ने अचानक अमिताभ का साथ छोड़ दिया था और यह तक कहा जाने लगा था कि अमिताभ का दौर अब ख़त्म हो चुका है?
आज के पोस्ट में हम जानेंगे ऐसी ही कुछ वज़हों और ख़ुद अमिताभ द्वारा की गयी ग़लतियों के बारे में, जिन्होंने अमिताभ बच्चन को अपने स्टारडम बनाये रखने के लिये दोबारा संघर्ष करने पर मजबूर कर दिया था।

( Amitabh Bachchan) संघर्षों से मिली सफलता-
मृणाल सेन निर्देशित फिल्म ‘भुवन शोम’ में अपनी आवाज देकर फ़िल्मी कॅरियर शुरू करने वाले अमिताभ का अभिनय के क्षेत्र में आगमन वर्ष 1969 में आयी फ़िल्म ‘सात हिन्दुस्तानी’ से हुआ था। हालांकि न तो यह फिल्म सफल हुई न ही अमिताभ के करियर को कोई दिशा मिल सकी। आगे जो भी फिल्में मिलीं वो भी असफल ही रहीं।
इसी बीच वर्ष 1971 में उन्हें हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना के साथ फिल्म ‘आनंद’ में मौक़ा मिला, इस फिल्म में अमिताभ को उनके शानदार अभिनय के लिए फिल्मफेयर की ओर से सपोर्टिंग ऐक्टर का अवॉर्ड दिया गया। हालांकि इस फिल्म के बाद भी अमिताभ बच्चन की असफलता का दौर अभी ख़त्म नहीं हुआ था और 17 फ़िल्मों में काम कर चुके अमिताभ बतक नायक अभी भी एक बड़ी सफलता के इंतज़ार में थे।

यह वही वक्त था जब लगातार फ्लॉप होती फिल्मों से परेशान अमिताभ बच्चन मुंबई छोड़कर अपने मां-बाप के पास दिल्ली वापस जा रहे थे तब मनोज कुमार ने अमिताभ को रोका और अपनी फिल्म ‘रोटी, कपड़ा और मकान’ में मौका दिया। उसी दौरान उनके हाथ आयी प्रकाश मेहरा की फिल्म ‘ज़ंजीर’ जो न सिर्फ़ एक ब्लॉकबस्टर फिल्म बनी बल्कि अमिताभ को हिंदी सिनेमा का ‘एंग्री यंग मैन‘ भी बना दिया।
और इसी के बाद शुरू हुआ अमिताभ बच्चन के सुपरस्टारडम का दौर जिसके बारे में आप जानते ही हैं। लेकिन लगातार मिलती सफलताओं के दौरान अचानक हुई दुर्घटना और मौत के मुँह से वापस आने वाले अमिताभ के करियर में अचानक एक ब्रेक सा लग गया था और जब उन्होंने दोबारा वापसी की तो परिस्थितियां काफी बदल चुकी थीं, जिसकी वज़ह थी उनके द्वारा की गयी कुछ ग़लतियां जिनमें से सबसे बड़ी ग़लती थी।
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अमिताभ का राजनीति में प्रवेश-
कुली फिल्म में लगी चोट से उबरने के बाद अमिताभ बच्चन ने कुछ समय के लिए फिल्मों से दूरी बना ली थी जबकि पूरा देश जिसने अमिताभ के लिये दुवायें दी थीं, अमिताभ की वापसी के इंतज़ार में था। इसी दौरान अमिताभ के पारिवारिक मित्र और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उनकी लोकप्रियता को भुनाने के लिये उन्हें राजनीति के क्षेत्र में आमंत्रित किया जिसे वे मना न कर सके।
अमिताभ को आठवीं लोकसभा के लिए इलाहाबाद सीट से खड़ा किया गया जिसमें उन्होंने अनुभवी राजनेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एच.एन. बहुगुणा को बहुत भारी अंतर से हरा दिया। बात इस चुनाव की हो रही है तो उसकी मतगणना से जुड़ा एक बड़ा ही दिलचस्प मामला आपको बता दें जो अमिताभ की फैन फॉलोइंग को भी दर्शाता है।
बताया जाता है कि इस मतगणना में अमिताभ बच्चन को मिले लगभग 4000 वोट कैंसिल करने पड़े थे, और वो इसलिए क्योंकि ढेरों महिला वोटर्स ने बैलेट पेपर पर मुहर की जगह लिपिस्टिक का ठप्पा लगा दिया था। दोस्तों अमिताभ की पॉपुलारिटी का अंदाज़ा आप इसी से लगा सकते हैं कि इस चुनाव में रात दस बजे तक वोटिंग हुई थी।
कुछ पोलिंग बूथ पर तो 95 फीसदी से लेकर 100 फीसदी तक भी वोटिंग हुई थी। जिसे लेकर चुनाव आयोग ने भी चुटकी ली थी कि क्या इस वोटिंग के दौरान कोई भी बीमार नहीं पड़ा।
हालांकि इस ऐतिहासिक जीत के बावज़ूद तीन वर्ष बाद ही राजनीति से त्रस्त आकर अमिताभ बच्चन ने राजनीति को अलविदा कह दिया और उन्होंने न सिर्फ़ सांसद पद से इस्तीफा दिया बल्कि राजनीति से ही हमेशा-हमेशा के लिए संन्यास ले लिया।
दरअसल अमिताभ बच्चन ने उसी दौरान फिल्मों में वापसी करने का मन बना लिया था और कुछ फ़िल्में भी साइन कर लीं थीं। उनके सांसद बनने के दौरान उनकी फिल्म मर्द ने काफी अच्छी कमाई भी की थी।
अमिताभ फिल्मों में लौट आये और फिर राजनीति में नहीं लौटे लेकिन राजनीति से हटते ही विरोधियों द्वारा अमिताभ बच्चन और उनके छोटे भाई अजिताभ बच्चन का नाम बोफोर्स घोटाले में उछाला गया। हालांकि अमिताभ बच्चन ने इन दोषारोपणों का पुरजोर विरोध किया और राजनीति से हमेशा के लिए सन्यास ले लिया। इन राजनीतिक विवादों और आरोपों का अमिताभ के करियर पर भी काफी असर पड़ा।
एक टेलीविजन चैनल को दिए इंटरव्यू में अमिताभ ने कहा था कि “राजनीति में उतरना मेरी सबसे बड़ी भूल थी। मैं केवल भावावेश में आकर इस क्षेत्र में उतर गया था। राजनीतिक अखाड़े की वास्तविकता का पता मुझे बाद में चला कि यह असल भावनाओं से कितनी अलग है।” अमिताभ ने कहा कि “अब मैं राजनीति छोड़ चुका हूं, इसलिए दोबारा राजनीति में जाने की बात सोच भी नहीं सकता।”
अमिताभ बच्चन की ग़लती नंबर 2-
फ़िल्म निर्माण के क्षेत्र में असफल प्रयास-
फ़िल्म निर्माण कम्पनी खोलना अमिताभ बच्चन के जीवन की दूसरी सबसे बड़ी ग़लती थी जिसके कारण अमिताभ की जिंदगी में एक समय ऐसा भी आया, जब उन्हें खुद को दीवालिया घोषित करना पड़ा। इतना ही नहीं, कर्जदार अमिताभ बच्चन के दरवाजे तक पहुंच गए थे। दरअसल 90 के दशक में अमिताभ बच्चन के करियर में उतार चढ़ाव आना शुरू हो गया था।

ऐसे में अमिताभ ने अपना एक प्रोडक्शन हाउस खोला था, जिसका नाम था ABCL, इस प्रोडक्शन हाउस में अमिताभ को बहुत भारी नुकसान झेलना पड़ा था।
अमिताभ कर्ज में पूरी तरह डूब गए थे और उन पर लगभग 90 करोड़ का कर्जा हो गया था। नौबत तो यहां तक आ गई थी कि लोग अपने पैसे मांगने अमिताभ के घर तक आने लगे थे।
एक इंटरव्यू में उस कठिन दौर के बार में बताते हुए अमिताभ ने कहा था कि लोग ना सिर्फ पैसे वापस मांगते थे बल्कि एक बार तो उनके घर ‘प्रतीक्षा’ की कुर्की तक करवाने के लिए भी कुछ लोग आ धमके थे। उन्होंने बताया कि तब लोग पैसे मांगने के दौरान उनको धमकी तक भी दिया करते थे।
शुरू हुआ दोबारा कामयाबी का सफ़र-
अपने एक इंटरव्यू में अमिताभ ने बताया था कि अपने पूरे जीवन में ऐसा बुरा समय उन्होंने कभी नहीं देखा था। उन्होंने कहा कि “लोगों के पैसे कैसे चुकाएं इसे लेकर मैने सभी ऑप्शन पर सोचा और तब मुझे यही समझ आया कि मैं केवल एक्टिंग ही कर सकता हूं। इसके बाद मैं सीधे यश चोपड़ा जी के पास गया और उनसे काम मांगा।
मैंने कहा कि मेरे पास कोई काम नहीं है, मुझे काम दीजिए। मैं बहुत ज़रूरतमंद हूं।” इसके बाद उन्होंने अमिताभ को लेकर फिल्म ‘मोहब्बतें’ बनायी, वर्ष 2000 में आयी यह फिल्म सफल तो हुई ही बल्कि इस फिल्म से अमिताभ की एक नयी पारी की शुरुआत भी हुई।
हालांकि अमिताभ बच्चन यश चोपड़ा के साथ पहले भी कई सफल फिल्में कर चुके थे, जिनमें वर्ष 1975 में आयी दीवार और 1981 में आयी ‘सिलसिला’ जैसी फ़िल्मों के नाम भी शामिल हैं, लेकिन सिलसिला के बाद दोनों ने लम्बे समय से एक दूसरे के साथ काम नहीं किया था।
कैसे उतारा अपने कर्जों को-

इसी दौरान अमिताभ बच्चन को हॉलीवुड के सुपरहिट शो ‘who wants to be millionaire’ के हिन्दी वर्ज़न ‘कौन बनेगा करोड़पति’ को होस्ट करने का ऑफर मिला जिसके लिये अमिताभ को अच्छे ख़ासे मेहनताने का ऑफर भी दिया गया। अमिताभ को अपना कर्ज उतारने के लिये इससे बढ़िया मौक़ा नहीं मिल सकता था इसलिए उन्होंने इस शो के लिये तुरंत हाँ कर दिया।
अमिताभ बच्चन ने अपने इंटरव्यू में बताया था कि, ‘मैने अपना सारा कर्जा एक ही बार में उतार दिया था।’ दोस्तों आज भी अमिताभ बच्चन द्वारा होस्ट किया केबीसी इंडियन टेलीविज़न का सबसे हिट शो है। यह अमिताभ बच्चन के करिश्माई व्यक्तित्व का ही जादू है जो इसकी लोकप्रियता आज भी बरकरार है।
ग़लतियों से मिला सबक-
अमिताभ बच्चन ने अपनी ग़लतियों से सबक लिया और न कभी राजनीति में लौटे और न ही उन्होंने दोबारा फिल्म निर्माण के बारे में सोचा। यहाँ तक कि बुरे वक़्त में उनका साथ देने वाले अमरसिंह के कहने पर वे परिवार सहित उनकी पार्टी के प्रचार में तो गये लेकिन प्रत्यक्ष रूप से राजनीति में आने के लिये साफ मना कर दिया हालांकि अमिताभ बच्चन के स्थान पर उनकी पत्नी अभिनेत्री जया बच्चन राजनीति के क्षेत्र में पूरी तरह से सक्रिय हो गयीं।
बहरहाल अपनी इस पारी में मिली सफलता के बाद अमिताभ ने फिर कभी पीछे पलटकर नहीं देखा और अपने अभिनय का विस्तार कर ऐक्टिंग करियर में नये-नये आयाम स्थापित किये जो आज भी बदस्तूर ज़ारी है। बढ़ती उम्र के बावज़ूद एक से बढ़कर एक सफल और शानदार फिल्मों में तरह तरह के किरदार निभाकर अमिताभ बच्चन आज न सिर्फ़ बॉलीवुड के बल्कि दुनियाँ के सबसे सम्मानित ऐक्टर्स में से एक माने जाते हैं।
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