साल 1999, एक युवा लेफ्ट हैंडेड (Handed) बैट्समैन ऑस्ट्रेलिया के लिए टेस्ट डेब्यू (Debut) करता है, सामने की टीम थी पाकिस्तान। हां वही; वसीम वक़ार शोएब सकलैन से पैक्ड बौलिंग (Bowling) लाइन अप वाली। दूसरे ही टेस्ट की चौथी पारी में वो बल्लेबाज 163 गेंदों में शानदार 149 नाबाद (Unbeaten) ठोक देता है।
दूसरा बल्लेबाज अपने आखिरी टेस्ट में महज 54 गेंदों में शतक (Century) बना डालता है। दोनों का खेलने का तरीका (Method) एकदम आक्रामक (Aggressive) चाहे सामने जर्सी (Jersey) सफेद हो या कलरफुल (Color full)। बस दौर अलग अलग। एक लेट 90s और अर्ली 20s का और दूसरा अर्ली 20s और लेट 2010s का। ये जो दो रिकॉर्ड (Record) की हमने ऊपर बात की है, इन्हीं रिकार्ड्स को मुकम्मल (Complete) करने वाले अलग अलग दौर के आक्रामक ओपनिंग (Opening) बल्लेबाजों (Batsman) की आज हम बात करेंगे। ऑस्ट्रेलिया की ओपनिंग का जिम्मा सम्भालने वाले एडम गिलक्रिस्ट (Gilchrist) और ब्लैक कैप्स के पूर्व कप्तान ब्रैंडन मैकुलम के बारे में।
नमस्कार दोस्तों, नारद टीवी की खास सीरीज (Series) दिएर एरा वर्सेज आवर एरा की एक और (Post) लेकर हम आपके सामने हाजिर हुए हैं। आज बात दो ऐसे धाकड़ ओपनर्स (Openers) की जो पहले मिडिल (Middle) आर्डर (Order) से खेले और फिर टॉप आर्डर के टॉपर बन गए। साथ ही उनकी अमेज़िंग (Amazing) कीपिंग (Keeping) स्किल्स (Skills) ने मैदान में कई यादगार (Memorial)) लम्हें दिए और आने वाली पीढ़ियों (Generations) को प्रेरित (Inspired) किया। यहां उनकी तुलना (Compare) नहीं, बल्कि उनके खेल को, उनके लिए खेलप्रेमियों के जज्बातों (emotions) की बात की जाएगी।
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एडम गिलक्रिस्ट, बॉल के बल्ले में आने तक का इंतज़ार (Wait) करने वाला बल्लेबाज। इससे कहीं ज्यादा इज़्ज़त उन्होंने खेल भावना (Emotion) के सम्मान (Respect) से कमाई। ऑस्ट्रलिया के लिए तीनों विश्व (World) कप में विकेट कीपर और ओपनर (Openers) की भूमिका उन्होंने बखूबी (Well) निभाई। 2003 का सेमीफाइनल (Semifinal), गिलक्रिस्ट के बल्ले का बेहद ही बारीक किनारा (Edge) लेकर गेंद कीपर (Keeper) के ग्लव्स में समा गई। सेमीफाइनल (Semifinal) मुकाबला था। अपील जोरदार हुई, अंपायर ने एक सिरे से नकार (Denial) दिया। गेंदबाज़ और कप्तान (Captain) अफसोस मनाते कि उससे पहले ही गिली पैवेलियन की तरफ़ रुखसत हो गए। ऐसी स्पोर्ट्समैनशिप वो भी वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल मुकाबले में, वाक़ई क्रिकेट को गेम ऑफ जेंटलमेन बनाती है।
ऑस्ट्रलिया ने करीब 2 दशक (Century) तक राज किया, लेकिन उनके व्यवहार (Behaviour) के पैमाने (Measures) एकदम विपरीत (Adverse) थे। स्लेजिंग, नस्लीय टिप्पणी, अनावश्यक गुस्सा, अंपायर पर झल्लाना (Fret) उनके स्वभाव (Mood) का हिस्सा बन चुका था। लेकिन गिलक्रिस्ट के स्वभाव का नहीं, कभी भी नहीं। पहले मैच से लेकर आखिरी मैच तक । “ही ऑलवेज स्टूड फ़ॉर हिज स्पोर्ट्समैनशिप”। टेस्ट क्रिकेट में सबसे पहले 100 छक्के मारने का मुकाम हासिल करने वाले गिलक्रिस्ट की जो पारी सबसे यादगार मानी जाती है, वो है अपने दूसरे टेस्ट में शानदार 149 रनों की पारी। जिसका न केवल हम ऊपर जिक्र कर चुके हैं बल्कि टॉप 5 टेस्ट इनिंग्स ऑफ 90s वाली (Post) में उसे कवर (Cover) भी कर चुके हैं। गिली तीन वर्ल्ड (World) कप फाइनल्स खेले , साल 1999, 2003 और 2007। तीनों ही बार उन्होंने 50 से ऊपर का स्कोर (Score) बनाया।
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जो ख़ुद में ही एक रिकॉर्ड (Record) है। आखिरी विश्व (world) कप फाइनल में कम रोशनी के बावजूद 104 गेंदों में 149 रन बनाकर न केवल रिकॉर्ड कायम किया, बल्कि श्रीलंका को हराकर 1996 विश्व कप फाइनल का बदला भी ले लिया। याद है ना वो लेग साइड (Side) पर फ्लिक (Flick) करते ही उनके लंबे लंबे छक्के और शानदर कवर ड्राइव्स (Drives)। कभी भी विकेट (Wicket) के पीछे से किसी बल्लेबाज को तंग नहीं किया, हालांकि उनकी हल्की सी चहलकदमी (Strolls) पर उनको स्टंप (Stump) आउट जरूर किया। 2006 में अपने होम ग्राउंड (Ground) वाका में उन्होंने एशेज (Ashes) के तीसरे मुक़ाबले में केवल 57 गेंदों में शतक (Century) ठोक डाला। गिलक्रिस्ट को कीपिंग (Keeping) से इतनी मोहब्बत थी कि जब उनसे 2007 में एक टेस्ट में विकेट के पीछे लक्ष्मण का कैच छूटा तो उन्होंने रिटायरमेंट के फैसला लिया। क्रिकेट का एक सच्चा जेंटलमैन (Gentleman) विदा ले रहा था। वो पल भावुक कर देने वाला था। ऑस्ट्रेलिया को अजेय बनाने वाली टीम का एक और खिलाड़ी रिटायर (Retire) हो रहा था। जॉन बुकानन ने कहा था कि गिली के संन्यास (Retirement) का प्रभाव (Effect) मार्टिन, मैक्ग्रा, वार्न, लेंगर के सन्यास से पड़े प्रभाव से भी ज्यादा है,क्योंकि तेज़ शुरुवात (Begining) के साथ साथ लम्बा खेलना और विकेट के पीछे सबसे मुस्तैद हाथ शायद ही अब ऑस्ट्रेलिया को मिलने वाले थे। तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री (Prime Minister) केविन रूड ने गिलक्रिस्ट को पुनर्विचार (Renthink) की सलाह दी थी। लेकिन पूरे कैरियर (Career) में अपने उसूलों (Principle) पर चलने वाला शख़्स अब क्रिकेट से दूर जा चुका था। थैंक यू गिली आपके योगदान के लिए।
ब्रेंडन मैकुलम या यूं कहें गिलक्रिस्ट के दाएं हाथ की कॉपी। 2015 वर्ल्ड कप में अपनी यूनिक बल्लेबाजी स्टाइल (Style) के दम पर न्यूज़ीलैंड को फाइनल (Final) में ले जाने वाला कप्तान (Captain)। फाइनल में मैकुलम फेल (Fail) हुए तो टीम बुरी तरह हारी। वैसे भी ऑस्ट्रेलिया से वर्ल्ड कप फाइनल जीतना थोड़ा बहुत नामुमकिन (Impossible) से रहता है। खैर, जाते जाते उन्होंने कई रिकार्ड्स (Records) अपने नाम लिखवाए, जैसे कि सबसे तेज़ टेस्ट शतक (Century) का, टेस्ट में ट्रिपल (Triple) हंड्रेड का, टेस्ट का सबसे तेज़ शतक जो कि महज 54 गेंदों पर बना, वो तो आखिरी टेस्ट में बना। मैकुलम पोस्ट 90s के क्रिकेट फैंस के लिए उनके विवियन रिचर्ड्स थे। याद आता है आईपीएल (IPL) इतिहास का पहला मैच, ब्रेंडन मैकुलम के तेज 158 रनों ने आंखें चौंधियां (Dazzles) कर रख दी। कई दिन तक तो यकीन नहीं हुआ कि एक टीम की कुल महज 120 गेंदों की पारी में एक बल्लेबाज (Batsman) अकेले ही 158 बना सकता है। खेलने का अंदाज़ एकदम गिली जैसा। बस अंतर था अप्प्रोच (Apporach) का। गिली जहां देर तक गेंद का वेट (Wait) करते थे, वहीं मैकुलम गेंद की सीम और स्विंग को रोकने के लिए प्रोएक्टिव (proactive) अप्रोच रखते थे। यही वजह है कि वो तेज़ से तेज़ गेंदबाज़ (Bowlers) को भी स्पिनर (Spiner) की तरह आगे बढ़कर खेलते थे। पैडल स्वीप, मैकस्कूप, रिवर्स स्वीप जैसे शॉट्स में महारत (Mastery) रखने वाले बैज विकेट के पीछे न्यूज़ीलैंड के सबसे सुरक्षित हाथ के रूप में बने रहे। गिलक्रिस्ट के बाद मैकुलम की ही कीपिंग आकर्षक (Attaractive) लगती है, जैसे गिली फर्स्ट स्लिप (Slip) का काम भी किया करते थे, ठीक यही ड्यूटी (Duty) मैकुलम ने भी बड़ी ही शिद्दत से निभाई।
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गिलक्रिस्ट ने एज ए फील्डर (Filder) वो नाम नहीं कमाया हो लेकिन बैज एक कीपर के साथ साथ बेहतरीन फील्डर भी थे। आम तौर पर कवर और मिड ऑफ के सबसे मजबूत स्तम्भ (Pillar) के रूप में उन्होंने कई बार अपनी कला का प्रदर्शन किया है। 2013 के आसपास उन्होंने कीपिंग (Keeping) कम कर दी थी, लेकिन एक फील्डर के तौर पर वो रिटायरमेंट (Retirement) तक एक्टिव रहे। आम तौर पर एक बेहतरीन शॉट के गैप से निकल जाने के बाद फील्डर हिलते तक नहीं हैं, लेकिन मैकुलम तब तक गेंद के पीछे भागते हैं जब तक वो उसे बाउंडरी से जस्ट पहले रोक न लें। 2015 के वर्ल्ड कप में बांग्लादेश के खिलाफ (Against) उनका ये नज़ारा भी देखने को मिला था। जब ये कहा गया था कि बैज टी20 को ही सूट करते हैं तो उन्होंने टेस्ट में भी ऐसा ही खेलना शुरू कर दिया और लंबी पारियां खेलने लग गए। यानी उन्होंने अपनी क्लास (Class) से कभी समझौता नहीं किया। कुछ यही काम गिलक्रिस्ट और सहवाग ने भी किया था। शायद हम सबसे खुशनसीब हैं कि हमने बैज, वीरू और गिली की अटैकिंग बल्लेबाजी को लाइव देखा है। उनकी अलर्टनेस का सबसे बड़ा उदाहरण (Example) है जब 2009 में राहुल द्रविड़ वेटोरी की एक गेंद पर स्वीप खेलने गए तो मैकुलम ने पहले से ही भांपकर अपने बायीं ओर मूवमेंट (Movement) की और द्रविड़ का वो कैच पकड़ा जो शायद वहां पर खड़ी लेग स्लिप पकड़ती। 2015 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के खिलाफ 25 गेंदों पर 77 ने उनके इरादे (Intensions) दर्शा दिए थे। दरअसल मैकुलम हर मैच में चल रहे थे और इसी फॉर्म (Form) के साथ खेल रहे थे।
बस फाइनल में उनके डक ने टीम के वर्ल्ड चैंपियन (Champion) बनने पर पानी फेर दिया। उनका टेस्ट में स्ट्राइक रेट भले ही 64 का हो, लेकिन 2014 से 2016 तक वो 95 और 120 के बीच खेले। एक ऐसा खिलाड़ी या शायद उस गैंग (Gang) का आखिरी खिलाड़ी जो टेस्ट में आक्रामकता (Aggression) से खेलकर दर्शकों को कंफ्यूज (Confuse) करके रख देता था कि ये टेस्ट है या ट्वेंटी ट्वेंटी। उनके 107 टेस्ट छक्के आज भी रिकॉर्ड हैं।
गिली और बैज की रिटायरमेंट (Retirement) ने क्रिकेट जगत के दो सबसे बड़े विकेटकीपर (Wicketkeeper) ओपनर (Opener) बल्लेबाजों के महान युग (Era) का अंत कर दिया, बैज के दिल मे शायद एक अफसोस (Alas) रहा होगा कि काश मैं उस दिन थोड़ा रुक कर खेल लेता तो आज शायद न्यूज़ीलैंड वर्ल्ड चैंपियन होती।““
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