दोस्तों एक कहावत है, ऊंची दुकान फीका (Pale) पकवान (Dish)। कहते हैं कि भगवान हर किसी को सब कुछ नहीं देते। कुछ हमें विरासत (Heritage) में मिलता है,तो कुछ हमें ख़ुद अपने दम पर सीखना पड़ता है। माना जाता है कि लीडर पैदा होते हैं, बनाए नहीं जाते। सुनने को चाहे ये केवल एक आम सी बात लगे,पर इस बात का अर्थ बहुत गहरा है, जो बार बार क्रिकेट के मैदान पर कई खिलाड़ियों के मामले में फिट बैठता है। जो बतौर प्लेयर तो ज़बरदस्त थे, लेकिन अपने देश की कप्तानी (Captaincy) करते हुए नजाने उन्हें क्या हो जाता था। हालांकि एक कैटेगरी रिकी पॉन्टिंग, एमएस धोनी की भी है, जो जितने जबरदस्त खिलाड़ी थे, उतने ही कमाल के लीडर। लेकिन हर कोई पॉन्टिंग नहीं,कप्तानी का कार्यभार हर खिलाड़ी से संभाला नहीं जाता। तो आइए, आज हम नारद टीवी की इस श्रृंखला ग्रेट प्लेयर्स, फ्लॉप कैप्टेंस के के इस पहले एपिसोड में आपको उन महान खिलाड़ियों से रूबरू कराते हैं जो कप्तानी में बुरी तरह फ्लॉप रहे।
5. शाकिब अल हसन: शाकिब अल हसन बंग्लादेश के महानतम खिलाड़ी और विश्व (World) के टॉप ऑलराउंडर्स (All Rounders) में शुमार हैं जिन्होंने कई बार अपने हरफनमौला (All Rounder) प्रदर्शन से टीम को मैच जिताए। बतौर खिलाड़ी, उनकी पीक देखने लायक थी,जब 2019 के विश्व कप में उनके बल्ले ने खूब आग उगली और 600 से भी अधिक रन बनाए और गेंदबाजी में भी महत्त्वपूर्ण विकेट निकाले। एक खिलाड़ी के तौर पर तो शाकिब की काबीलियत (Ability) पर कोई शक ही नहीं। लेकिन एक कप्तान के तौर पर उनके रिकॉर्ड्स (Records) बहुत खराब हैं। जहां 13 टेस्ट में उन्हें 10 में हार का सामना करना पड़ा, वहीं 50 ओडीआई (ODI) में 46% विन रेट के साथ केवल 23 मुकाबले में उन्होंने टीम को जीत दिलाई।वे टीम में जीत के उस जुनून (Passion) को भरने में नाकाम रहे। हालांकि अब बांग्लादेश ने इस दिग्गज (Giants) को दोबारा टीम का नेतृत्व (Leadership) करने का अवसर दिया है। लेकिन क्या पता,इस बार इनकी कप्तानी कुछ जादू कर दिखाए, और कौन जाने इनकी अगुवाई वाली बांग्लादेश आने वाले टूर्नामेंट (Tournament) में किस बड़ी टीम को पटखनी देदे।
4. एंड्रयू फ्लिंटॉफ: एक समय था जब एंड्रयू फ्लिंटॉफ विश्व के सर्वश्रेष्ठ (Best) ऑलराउंडर खिलाड़ी माने जाते थे, जो जितने धाकड़ (Dashing) बल्लेबाज थे, उतने ही अनप्लेबेल (Unplayable) गेंदबाज। उनका टीम में होना, मानो एक समय पर दो खिलाड़ियों का टीम में होने के समान था। अपने आक्रामक (Aggressive) अंदाज़ के लिए मशहूर फ्लिंटॉफ को जब इस शैली को टीम में भरने का अवसर, यानी इंग्लैड का नेतृत्व (Leadership) करने का अवसर मिला,तो वे बुरी तरह से फेल हो गए। हालांकि उनके प्रदर्शन और मैच अवेलेबिलिटी पर भी चोटों का काफी बुरा प्रभाव (Effect) पड़ा, परंतु एक कप्तान के तौर पर भी वे कभी अपनी छाप (Impression) नहीं छोड़ पाए। और 11 टेस्ट में टीम का नेतृत्व करने वाले फ्लिंटॉफ ने केवल 2 मुकाबलों में जीत हासिल की, जहां उनका विन रेट महज़ 18.18% रहा। भले ही उन्होंने अपना करियर विश्व के टॉप 3 ऑलराउंडर्स की अपनी रेप्यूटेशन (Reputation) पर खत्म किया।पर बदकिस्मती से ये प्रदर्शन कभी अपनी कप्तानी में न दिखा सके और इस छवि वाले दिग्गज के ये कप्तानी आंकड़े एक धब्बे की तरह हैं।
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3. क्रिस गेल : यूनिवर्स बॉस के नाम से मशहूर (Famous) क्रिस गेल विश्व के सबसे विस्फोटक (Explosive) बल्लेबाजों (Batters) में शुमार हैं जिनकी हिटिंग एबिलिटी की तो दुनिया दीवानी है। विश्व भर की लीग, फ्रेंचाइजी क्रिकेट हो या फिर अंतरराष्ट्रीय (International) क्रिकेट का कोई भी प्रारूप (Format), गेल ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। उनकी दहशत (Panic) तो ऐसी कि बड़े से बड़े गेंदबाज (Bowlers) भी उन्हें गेंदबाजी करने से कतराते हैं। गेंदबाजों की बखियां तोड़, गेंद को अद्भुत ताकत से मारने वाले गेल की बल्लेबाज़ी शुरू से ही काफ़ी अटैकिंग थी।और उनकी इसी अटैकिंग और ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी की कायल (Convincing) हो चुकी वेस्टइंडीज बोर्ड ने उन्हें इस उम्मीद में कप्तान बनाया कि अपनी बल्लेबाज़ी की ही तरह वे कप्तानी में भी कई कीर्तिमान (Record)vरचेंगे।लेकिन अफ़सोस, हुआ इसके उल्ट।53 मुकाबलों में नेतृत्व करने वाले गेल के हिस्से मात्र 17 मुकाबलों में जीत, और उससे अधिक 30 में हार आई। उनका विनिंग परसेंटेज सिर्फ 32 का है। कप्तान बन ना ही वे टीम का मनोबल ऊंचा कर सके,और ना ही कभी टीम को उन ऊंचाईयों तक लेजा सके जिसकी उनसे उम्मीदें थी। और 2 दशक (Decade) से भी अधिक लंबे करियर में जो उच्च कोटि का नाम, मकाम उन्हें बतौर बल्लेबाज हासिल हुआ, वो विख्याती (Celebrity), सफलता कभी एक कप्तान के तौर पर उन्हें नहीं मिली।
2. ब्रायन लारा: ब्रायन चार्ल्स लारा विश्व के वो महानतम खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपनी करिश्माई (CHARISMATIC) बल्लेबाज़ी से हमें अनगिनत (Countless) ( यादें और अविस्मरणीय लम्हें दिए जो हर क्रिकेट फैन याद रखेगा। उस वक्त सभी अपना रोल मॉडल (Model) लारा को मानते, और उनकी बेमिसाल तकनीक (Technique) को फॉलो किया करते। जहां अधिकतर,11 लोगों की टीम मिलकर बल्लेबाजी में भी 350–400 रन बनाने में संघर्ष करती हैं, वहीं इस दिग्गज ने अकेले टेस्ट में रिकॉर्ड 401 रन बनाकर ये साबित कर दिया था कि ये रन मशीन भी तेंदुलकर से किसी मामले में कम नहीं। लेकिन बल्लेबाज़ी के अलावा कप्तानी में भी उनका तेंदुलकर जैसा ही हाल था। सुनकर कितना अजीब (Strange) लगता है ना कि वो खिलाड़ी जो अपने दम पर टीमों को धूल चटा दिया करते, वो कप्तान बनकर अपनी टीम को ही ठीक से न चला सके। जब उन्हें कप्तान बनाया गया तो सबको यह उम्मीद थी कि अपनी आकर्षक (Arract) बल्लेबाज़ी की तरह( जिसकी सुंदरता को “पोएट्री इन मोशन” कहकर संबोधित किया गया) वे कप्तानी में भी कहर ढाएंगे,और कमाल कर दिखाएंगे। लेकिन अफ़सोस, ये ख़्वाब केवल एक ख़्वाब ही बनकर रह गया। क्योंकि शायद कप्तानी लारा के लिए थी ही नहीं।लारा को कप्तानी के दौरान 47 टेस्ट में सिर्फ़ 10 में ही जीत हाथ लगी(विन रेट 21%),वहीं 125 एकदिवसीय (ODI) में उनका विनिंग रेट 50 का रहा। भले ही इस अव्वल दर्जे के बल्लेबाज के 20000 से भी अधिक रन हों,लेकिन वो कभी कप्तानी में वो कमाल न कर सके।
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1.राहुल द्रविड़: दीवार के नाम से मशहूर राहुल द्रविड़ ने कई बार कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी ज़बरदस्त पारियां (Shifts) खेल अपनी टीम को जीत (Victory) दिलाई और जब हालात बिगड़ते तो भारतीय टीम और हार के बीच द्रविड़ दीवार बनकर डट खड़े होते।2001 के उस कोलकाता टेस्ट में जब भारत फ़ॉलो (Follow) ऑन कर बल्लेबाज़ी करने आई तो किसी ने न सोचा था कि बीमार (Sick) होने के बावजूद दृढ़ (Strong) संकल्पी द्रविड़ और लक्ष्मण मिलकर भारत को जीत दिलाएंगे। तेज़ से तेज़ गेंदबाजों की एक्सप्रैस गति (Speed) को भी सहजता से खेलने वाले द्रविड़ को टीम की मुसीबत और ज़रूरत के हिसाब से कभी विकेटकीपर,तो कभी बतौर ओपनर,3 नंबर या 6 नंबर जैसी पोजीशन के अलग अलग रोल मिले। जिसे उन्होंने बखूबी (Well) निभाया। ऐसे ही 2005 में जब टीम के कप्तान सौरव गांगुली को टीम से ड्रॉप किया गया ,तो द्रविड़ को टीम का उस वक्त नेतृत्व करने का मौक़ा मिला और सबने सोचा कि ये संकट मोचक खिलाड़ी अपनी करिश्माई कप्तानी से टीम को टूटने नहीं देगा और कुछ कमाल कर दिखाएगा। और कुछ हद तक उन्हें सफ़लता मिली भी।लेकिन घरेलू मुकाबलों में अच्छा करने वाली टीम को विदेशी श्रृंखला (Chain) में बहुत बुरी पटखनी (Beat) मिली।और 2007 के विश्व कप में भारतीय टीम का लचर प्रदर्शन और ग्रुप स्टेज में ही वो शर्मनाक एग्जिट किसी बुरे सपने सा है। 25 टेस्ट और 79 एकदिवसीय में टीम की कमान संभालने वाले द्रविड़ को केवल 8 टेस्ट(32% विन रेट) और 42 ओडीआई में जीत हाथ लगी(53% विन रेट)। भले ही उनके नाम 24000 से भी अधिक रन और 46 शतक हैं । पर अफ़सोस (Regret),टीम की हर ज़रूरत को पूरा करने वाला ऑल इन वन ये ये दिग्गज खिलाड़ी कप्तानी की कसौटी पर खरा ही नहीं उतर सका।
तो दोस्तों ये थे वो महान खिलाड़ी, जिनका बतौर प्लेयर जितना कोहराम था, कप्तानी में उतना ही बुरा हाल।आज की पोस्ट में इतना ही।आशा करते हैं कि आपको ये पोस्ट पसंद आई होगी,इसे अपना प्यार दें और शेयर ज़रूर करें।साथ ही हमें कमेंट में बताएं कि अगले पार्ट में आप किन प्लेयर्स को देखना चाहेंगे।
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