भारत एक ऐसा देश जिसने किसी दुसरे देश में जन्मे एक खेल को एक धर्म और एक एहसास की तरह अपनी संस्कृति, अपनी चाल ढाल और दैनिक जीवन में इस तरह शामिल कर लिया है कि उसे इस देश से अलग रखकर देखना लगभग नामुमकिन है।
इस असम्भव से नजर आने वाले काम को पूरा करने में इस देश के हर राज्य, हर गांव और हर शहर का अपना एक हाथ रहा है।
कहीं से बेहतरीन खिलाड़ी निकले तो किसी ने महान अम्पायरों को देश के लिए समर्पित किया, कहीं क्रिकेट सीखने के लिए सुविधाएं रखी गई तो कुछ जगह क्रिकेट देखने वाले प्रशंसकों ने भी अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है।
भारत में कुछ स्थान ऐसे भी हैं जो अपने भव्य क्रिकेट मैदानों के लिए भी प्रसिद्ध है और इन स्थानों में एक नाम गुजरात का भी जुड़ता है जहां विश्व का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम मौजूद हैं।
आज की अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में नरेन्द्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम के नाम से हर कोई वाकिफ हैं लेकिन हर कोई इसके इतिहास को नहीं जानता है।
नरेन्द्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम का इतिहास-
साल 1982 से पहले भारत में अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट को होस्ट करने के लिए बहुत कम विकल्प मौजूद थे जिसमें से एक भारत के गुजरात राज्य में स्थित सरदार पटेल क्रिकेट स्टेडियम भी था जो अहमदाबाद मुनिसिपल कोरपोरेशन के अन्तर्गत आता था।
नवरंगपुर इलाके में स्थित इस स्टेडियम के अलावा गुजरात और भारत को अपना नया क्रिकेट स्टेडियम देने के मकसद से साल 1982 में गुजरात सरकार ने गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन को साबरमती नदी के किनारे एक नया क्रिकेट स्टेडियम बनाने के लिए 100 एकड़ जमीन देने का फैसला किया था।
भारत के नये सरदार पटेल क्रिकेट स्टेडियम के बनने में 9 महीने का समय लगा और इस स्टेडियम के वजूद में आने के बाद इस पर लगभग हर साल अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के मैचों का आयोजन होने लगा, भारतीय क्रिकेट को कई यादगार पल देने वाले इसी मैदान को हम मोटेरा स्टेडियम के नाम से जानते हैं।
12 से 16 नवम्बर साल 1983 को मोटेरा स्टेडियम की जमीन पर पहला टेस्ट मैच वेस्टइंडीज और भारत के बीच खेला गया था जिसके बाद अगले साल 5 अक्टूबर से यहां वनडे मैच भी खेले जाने लगे थे।
नरेन्द्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम खेले गए मैच –
28 दिसम्बर साल 2012 के दिन इस मैदान ने अपना पहला टी20 मैच भी होस्ट किया जिसमें भारत और पाकिस्तान जैसी दो बड़ी टीमों के बीच मैच खेला गया था।
गुजरते समय के साथ यह मैदान विश्व क्रिकेट के कई अहम मुकाबलों और पलों का हिस्सेदार भी बनता गया।
सचिन तेंदुलकर से पहले भारतीय क्रिकेट के सबसे बड़े क्रिकेट हीरो यानि सुनील गावस्कर ने इसी मैदान पर पाकिस्तान के खिलाफ खेलते हुए टेस्ट क्रिकेट में सबसे पहले 10000 रन बनाने का काम किया था, कपिल देव ने इसी मैदान पर सर रिचर्ड हेडली का रिकॉर्ड तोड़ते हुए अपने टेस्ट करियर की 432 वीं विकेट ली थी।
सचिन तेंदुलकर ने साल 2011 वर्ल्डकप के दौरान इसी मैदान पर आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलते हुए वनडे क्रिकेट में पहली बार 18000 रन का आंकड़ा छूने का नामुमकिन प्रतित होने वाला काम किया था।
साल 1983 के बाद इस मैदान पर कुछ यादगार वर्ल्डकप मैच भी खेले गए थे जिसमें साल 2011 वर्ल्डकप के दौरान भारत और आस्ट्रेलिया के बीच खेला गया यादगार क्वार्टर फाइनल मुकाबला भी शामिल है जहां भारत ने विश्व विजेता कंगारू टीम को वर्ल्डकप से बाहर कर दिया था।
साल 2006 में मोटेरा में स्थित इस स्टेडियम को रेनोवेट करने का फैसला लिया गया जिसके अंतर्गत मैदान में तीन नई पीच, फ्लडलाइट और आउटफील्ड को बदलने का काम शुरू किया गया।
यहां से लगातार नौ साल तक यह स्टेडियम भारत में क्रिकेट मैचों को होस्ट करने वाले मुख्य मैदानों में से एक रहा, लेकिन फिर नौ साल बाद लिए गए एक फैसले से सबकुछ बदलने वाला था, अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट इतिहास में कुछ ऐसा होने वाला था जो इससे पहले कभी नहीं हुआ था और शायद आगे होगा भी नहीं।
दरअसल साल 2014 आते आते इस स्टेडियम पर एक बार फिर समय की धूल दिखाई देने लगी थी, 32 साल पुराना यह स्टेडियम एक बार फिर समय के साथ चलने के लिए तैयार था लेकिन इसके लिए कुछ बदलाव करने की जरूरत थी।
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मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में स्टेडियम का निर्माण-
शुरू शुरू में इस मैदान को सिर्फ रेनोवेट कराने की बात हुई थी लेकिन फिर गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के तत्कालीन प्रेजिडेंट और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस स्टेडियम की जगह एक नया मैदान खड़ा करने का फैसला किया।
तीन दशकों के एक स्वर्णिम इतिहास की जगह एक सुनहरे भविष्य की नींव रखने के इस विचार पर तत्कालीन वाइस प्रेसिडेंट ओफ गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन यानि अमित शाह और जोइंट सेक्रेटरी जय शाह ने भी अपनी मंजूरी दे दी।
इस तरह साल 2015 में एक नयी शुरुआत हुई और मोटेरा स्टेडियम को पुरी तरह से तोड़ दिया गया, फिर साल 2016 की पहली तारीख को गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन की तरफ से टाईम्स ओफ इंडिया और दी इंडियन एक्सप्रेस जैसे अखबारों में मैदान के पुनर्निर्माण के लिए टेंडर जारी किए गए।
नौ कम्पनीज़ ने इस शाहकार को वजूद में लाने के लिए अपनी मांगे और सभी दस्तावेज गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन को भेज दिए थे जिसमें से तीन को फाइनल किया गया था, अब इन तीनों में से फाइनेंशियली और टेक्निकली सबसे उम्दा कम्पनी को ढुंढना और फिर उसे काम सौंपना था।
लार्सन एंड टुब्रो, शापूरजी पालूंजी और नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी ने इस मैदान को बनाने के लिए अपना अपना प्लान गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के सामने रखा जिसमें से मुम्बई की लार्सन एंड टुब्रो कम्पनी को सलेक्ट किया गया जिसने कुल 677.19 करोड़ रुपए की मांग रखी थी जो बाकि दो कम्पनीज़ से बहुत कम था।
नरेन्द्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम की क्षमता-
इसके बाद मैदान के लिए तय की गई 63 एकड़ भूमि पर मैदान को साकार रुप देने का काम शुरू हुआ जिसे पुरा करने के लिए मात्र 38 महीने का समय ही दिया गया था।
भारत में अपने विजन और काम से पुरे विश्व को मंत्रमुग्ध कर देने वाली कंस्ट्रक्शन कंपनी लार्सन एंड टुब्रो ने इस चुनौती का सामना करने के लिए विश्व के अन्य देशों की कम्पनीज़ को भी अपने साथ जोड़ लिया, डिजाइन आर्किटेक आस्ट्रेलिया और छत को तैयार करने के लिए अमेरिकी स्पेशलिस्ट लोगों की मदद ली गई थी, इसके अलावा फैब्रिक जर्मनी से मंगवाया गया था, केबल्स इटली से और फ्लडलाइट की जगह इस मैदान में उपयोग होने वाली एलीडी लाईट्स को स्पेन से मंगवाया गया था।
मेलबर्न क्रिकेट स्टेडियम और लोर्डस स्टेडियम के अलावा विश्व के कई बेहतरीन मैदानों को मोर्डनाईज करने और बनाने का काम चुकी कम्पनी पोपुल्यस को इस मैदान को तैयार करने का काम दिया गया था।
49000 लोगों की क्षमता रखने वाले पुराने मैदान को अब लाखों लोगों के बैठने में सक्षम बनाना था और यह काम उसी जगह, कम समय में कम लागत में पुरा करना था।
टु टियर सिटिंग स्ट्रेक्चर की मदद से इस स्टेडियम को दो भागों में बांटा गया जिसमें नीचले तल में 55000 लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई थी और ऊपर 77000 हजार लोगों के बैठने की सुविधा रखी गई थी, इस तरह लगभग 132000 लोगों के बैठने की व्यवस्था उपलब्ध करवाई गई थी।
लोगों को मैच देखते समय किसी भी तरह की दिक्कत ना हो इसलिए मैदान के बीच खंभे खड़े करने की जगह टु टियर सिटिंग स्ट्रेक्चर के नीचे y शेप के कोलम बनाए गए जो मैदान के ढांचे को सहारा देने के लिए थे।
अहमदाबाद की क्षेत्रीय स्थिति को देखते हुए छत तैयार करने में भी पुरी तरह से सावधानी बरतते हुए काम किया गया और छत को वी शेप के आकारो पर टिकाया गया है।
लगभग 3600 मजदूर अपनी अथक मेहनत के जरिए एक सपने को पूरा करने में लगे हुए थे, दिन ब दिन समय सीमा कम होती जा रही थी और काम अब भी पुरा नही हो पाया था।
समय सीमा में जब मात्र पांच छः महीने का समय बचा था तब पीच तैयार करने का काम शुरू किया और पुरी ग्यारह पीच बनाई गई है जिन्हें दो भागों में बांटा गया है और दोनों भागों पर अलग अलग मिट्टी का इस्तेमाल किया गया था जिसमें भारत के अनुभवी पीच क्यूरेटर आशीष भौमिक की मदद ली गई थी।
अमेरिका से मंगाये गए घास के बीजो से बनी शानदार आउटफील्ड के अलावा इस मैदान में बारिश का पानी सोखने के लिए हाईटैक सिस्टम लगाया गया जो आधे घंटे में 75 मिलीमीटर पानी सोख लेता है।
भारत के सबसे चहेते खेल क्रिकेट के लिए गुजरात में तीन साल की पशोपेश और मेहनत के बाद 800 करोड़ रुपए की लागत से नरेन्द्र मोदी स्टेडियम बनकर तैयार हो गया था, इस मैदान को खिलाड़ियों के लिए पुरी तरह से सुख सुविधाओं से लैस बनाने के लिए जय शाह ने कुछ बड़े खिलाड़ियों की मदद भी ली थी जिसमें पार्थिव पटेल का नाम मुख्य रूप से आता है।
विश्व का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम बहुत सी ऐसी सुविधाओं से सुसज्जित है जो बहुत ही कम मैदानों में देखने को मिलती हैं, इस मैदान में चार ड्रेसिंग रूम, एक स्विमिंग पूल, होल ओफ फैम रुम, जीम, इन्डोर क्रिकेट एकेडमी, बैडमिंटन और टेनिस कोर्ट भी शामिल है।
करीब 32 ओलम्पिक साइज्ड फुटबॉल फील्ड के क्षेत्र में फैले इस मैदान के बाहर लगभग 10000 टु व्हीलर वाहनों को खड़ा करने की जगह भी है।
24 फरवरी साल 2021 को इस मैदान पर नमस्ते ट्रंप नाम से एक इंवेट भी होस्ट किया गया था जिसमें डोनाल्ड ट्म्प ने शिरकत की थी।
उसी साल भारत सरकार द्वारा इस स्टेडियम का नाम बदलकर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर रख दिया गया था।
नरेन्द्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम कुल खेले गए मैच-
गुजरात में स्थित यह मैदान अब तक कुल 14 टेस्ट, 24 वनडे और छः टी20 मैच होस्ट कर चुका है। मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड से 30 गुना, कोलकाता में स्थित इंडन गार्डन से दुगुना और क्रिकेट के सबसे ऐतिहासिक स्टेडियम लोर्डस से चार गुना ज्यादा बड़े नरेन्द्र मोदी स्टेडियम में मार्च 2021 से इंग्लैंड और भारत के बीच खेले गए मैच से एक नई शुरुआत हो चुकी है और अब यह स्टेडियम भविष्य के लिए बिल्कुल तैयार है।
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