दोस्तों कहते हैं कि ताली कभी भी एक हाथ से नहीं बजती। जैसे एक रथ दो पहियों के बिना नहीं चल सकता,वैसे ही एक क्रिकेट मैच में तब तक वो मज़ा नहीं आता जब तक गेंद और बल्ले में कांटे की टक्कर देखने को ना मिले। एक समय था जब बल्लेबाजों को एक एक रन बनाने में काफी कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी, लंबी बाउंड्री, पतले बल्ले और चुनौतीपूर्ण पिच इस खेल को और रोचक बनाते थे।
परंतु पिछले 1–1.5 दशक से वो गेंद बल्ले की भिड़ंत मानो कहीं लुप्त सी हो गई है।ना केवल छोटे मैदान, भारी बल्ले और 2 पारियों में नई गेंदों जैसे नियमों से ना केवल रिवर्स स्विंग का दायरा खत्म हो गया है, अपितु गेंदबाजों की जमकर पिटाई देख ये खेल अब एक तरफा सा लगता है, जो कि अब केवल बल्लेबाजों के अनुकूल होता जा रहा है।
ऐसे दौर में एक युवा तेज़ गेंदबाज ऐसा भी है,जिसने ना केवल पावरप्ले में अपनी दोनों तरफ लहराती नई गेंद से बल्लेबाजों को परेशान किया है,अपितु डेथ ओवरों में पुरानी गेंद से अपनी विविधताओं और सटीक लाइन लेंथ वाली गेंदों से रनों पर अंकुश भी लगाया है। वैसे तो उन्होनें अभी अधिक मुकाबले नहीं खेले हैं,
प्रारंभिक जीवन
परंतु अपने करियर की शुरूआत में ही उन्होंने गजब की परिपक्वता दिखाई है और कई मुकाबलों में अपनी गेंदबाजी से मुश्किल परिस्थितियों से निकाल अपनी टीम को जीत दिलाई है। उनके पास 135–145 की गति तो है ही, इसके अलावा वे कमाल का मिश्रण कर बल्लेबाजों को चकमा देने में भी माहिर हैं। उनकी गेंदों पर बाउंड्री लगाना बल्लेबाजों के लिए काफ़ी कठीन कार्य हो गया है।
यही कारण है कि कुछ ही समय में वे अपने कप्तान के सबसे भरोसेमंद गेंदबाज बन चुके हैं। और इसी की बदौलत आगामी दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ़ टी 20 श्रृंखला में उनका चयन भारतीय टीम में भी हुआ है। जी हां, वो खिलाड़ी कोई और नहीं, बल्कि अर्शदीप सिंह ही है। दोस्तों अर्शदीप ने अपनी शानदार गेंदबाजी से कई बल्लेबाज़ों के हौंसले पस्त किए।
परंतु क्या आप जानते हैं, कि एक समय अर्शदीप क्रिकेट छोड़ कर कैनेडा जाने वाले थे। फिर आखिर कैसे वे एक क्रिकेटर बने, कुछ ऐसे ही और फैक्ट्स जानेंगे नारद टीवी की ख़ास सिरीज़ राइजिंग स्टार में।
अर्शदीप सिंह का जन्म 5 फरवरी 1999 में गूना, मध्य प्रदेश में हुआ ।उनके पिता दर्शन सिंह सीआईएसएफ से इंस्पेक्टर के रूप में सेनावृत थे। अर्शदीप को बचपन से ही क्रिकेट से काफ़ी लगाव था। वे अपने आईडल पूर्व महान भारतीय महान गेंदबाज इरफान पठान और पाकिस्तान के दिग्गज वसीम अकरम को मानते हैं।
इरफान की 2006 में पाकिस्तान के खिलाफ़ हैट्रिक के बाद ही अर्शदीप ने एक बाएं हाथ का तेज़ गेंदबाज बनने की ठान ली। वे पंजाब में खरड़ में रहा करते थे। उन्होंने अपनी शिक्षा गुरु नानक पब्लिक स्कूल, चंडीगढ़ से ग्रहण की। जब अर्शदीप 13 वर्ष के थे, तभी से वे अपनी स्कूल टीम में क्रिकेट खेला करते थे।
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अर्शदीप अपनी गति में मिश्रण कर, बल्लेबाजों को चकमा देने में तो माहिर थे ही, अब बस जरूरत थी तो एक गुरु के मार्गदर्शन की। और 2015 में जब चंडीगढ़ में कोच जसवंत राए के पास गए, तो पहली ही बार में उनकी विविधताएं और प्रतिभा का आकलन कर कोच समझ गए थे कि ये लड़का काफी आगे जायेगा।वो कहते हैं ना की हीरे की असली परख जोहरी को ही होती है।
परंतु उस वक्त अर्शदीप एक ओवर में 6 अलग अलग प्रकार की गेंदे डालने को सोचते थे। जिससे कई बार वे दिशा से भटक भी जाते।
इस पर कोच ने उनके स्किलसेट पर काम किया और उनकी गेंदबाजी में निखारने के लिए सबसे पहले उनकी लाइन लेंथ की सटीकता पर काम किया। और घंटों की कड़ी मेहनत और लगन के बाद वो सुधार उनकी गेंदबाजी में दिखा और 2018 में अंडर 23 सीके नायडू टूर्नामेंट में पंजाब की ओर से खेल रहे अर्शदीप मात्र 6 मुकाबलों में 27 विकेट लेकर सुर्खियों में आ गए।
हालांकि इसके बाद का कुछ समय संघर्ष से भरा रहा। जब उन्हें हैमस्ट्रिंग में चोट लग गई और उससे उनकी गति भी कम होने लगी। हर माता पिता चाहते हैं कि उनकी संतान अच्छे से पढ़ लिखकर सेट हो जाए, और क्योंकि अर्शदीप को बढ़िया प्रदर्शन के बावजूद अधिक मौके नहीं मिल रहे थे, इसी कारण उनके पिता ने उन्हें बड़े भाई के पास कनाडा भेजने का मन बना लिया।
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परंतु अर्शदीप का तो क्रिकेट में करियर बनाने को अग्रसर थे। उन्होंने अपने पिता से एक वर्ष का समय मांगा और अपनी पूरी जी जान लगादी। ये उनका क्रिकेट के प्रति प्यार और खुद पर विश्वास ही था, जिसकी बदौलत आगे उनका चयन अंडर 19 विश्व कप 2018 में हुआ जो भारत ने जीता।
हालांकि अर्शदीप को उस टूर्नामेंट में अधिक मौके नहीं मिले, परंतु उन्हें आगे के मार्ग में मानो एक उम्मीद की किरण मिल गई।इसके बाद उसी साल सितंबर में आयोजित 2018–19 विजय हजारे ट्रॉफी से पंजाब की ओर से अर्शदीप ने लिस्ट ए करियर में पदार्पण किया।
घरेलू मुकाबलों में निरंतर बढ़िया प्रदर्शन कर रहे अर्शदीप की मेहनत तब रंग लाई जब आईपीएल में पंजाब ने उन्हें 2019 संस्करण में अपने साथ जोड़ा। हालांकि अपने पहले ही मैच में उन्होंने 4 ओवर में 43 रन लिया दिए,पर 2 विकेट भी लिए।2019 में उन्होंने केवल 3 मुकाबले खेले और 3 विकेट लिए। इसी साल नवंबर में उनका चयन एसीसी इमर्जिंग टीम्स एशिया कप में हुआ।
और दिसंबर में उन्होंने प्रथम श्रेणी करियर में कदम रखा जब,पंजाब की ओर से उन्हें पहली बार रणजी ट्रॉफी खेलने का मौका मिला।परंतु 2020 में जब कोविड 19 महामारी आई,सब कुछ लगभग रुक सा गया और आईपीएल भी तब दुबई में हुआ,इस सीजन अर्शदीप ने 8 मुकाबलों में 9 विकेट लिए।
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इसी दौरान सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ़ मुकाबले में 126 जैसे मामूली स्कोर का बचाव करते हुए पंजाब की 12 रन की जीत में उन्होंने किफायती गेंदबाजी करते हुए 3 विकेट लिए थे। इसके बाद आईपीएल 2021 में राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ़ एक मुकाबले में 4 ओवर में 32 रन देकर 5 विकेट लिए। जिसमें एविन लेविस और लिविंगस्टन जैसे बड़े खिलाडियों के विकेट भी शामिल थे। ऐसा करने वाले वे तीसरे सबसे कम उम्र वाले खिलाड़ी बने।
तभी कुछ मुकाबलों के बाद जब आईपीएल स्थगित हो गया। उसके बाद जुलाई में भारत के श्रीलंका दौरे में उनका नाम एक नेट बॉलर के तौर पर आया। लेकिन बदकिस्मती से जब सूर्यकुमार यादव, क्रुणाल पांड्या सहित कई खिलाड़ी कॉविड के चलते बाहर हो गए, तो अर्शदीप को भारत के टी 20 स्क्वाड में शामिल किया गया। पर उन्हें कोई मुकाबला खेलने का मौका नहीं मिला।
शायद अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उनके पदार्पण का समय अभी नहीं आया। हालांकि इसके बाद आईपीएल के बचे हुए मैच खेले गए और अर्शदीप ने सबको प्रभावित किया। इसके बाद 2022 मेगा ऑक्शन के लिए सभी टीमों ने कई खिलाड़ी रिटेन किए, परंतु पंजाब ने सभी को चौंकाते हुए केएल राहुल, क्रिस गेल जैसे दिग्गजों को रिलीज़ कर,
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मयंक अग्रवाल के अलावा केवल अर्शदीप पर भरोसा जताते हुए उनको 4 करोड़ में रिटेन किया। इस वर्ष के आईपीएल में उनकी इकोनॉमी में भी काफी सुधार देखने को मिला और उन्होंने 7.7 की इकोनॉमी से 14 मुकाबलों में 10 विकेट लिए। और उनके इस अनुशासन भरी गेंदबाजी की बदौलत आज भारतीय टीम में उनका नाम आया।
तो दोस्तों अर्शदीप सिंह में एक महान गेंदबाज बनने के सारे गुण हैं, बस जरूरत है तो बड़े मंच पर मौकों को भुनाने की। हम उम्मीद करते हैं कि जल्द ही अर्शदीप नीली जर्सी में खेलेंगे और वे भारतीय टीम में भी वैसा शानदार प्रदर्शन कर, बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज के उस रिक्त स्थान को भरेंगे जिसकी कमी भारत को काफ़ी समय से खल रही है,और उनका करियर बुलंदियों को छुए।
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