
दोस्तों इस दुनिया में समय की धारा अनगिनत पलों से बंधी हुई होती है। और समय का हर एक पल अपने आप में एक घटना को समेटे रखता है।
इस दुनिया में हर घटना के लिए समय का एक पल निश्चित होता है। इसी एक पल में जहां बड़े से बड़ा राजा रंक बन जाता है तो वहीं एक ही पल में दुनिया की भीड़ में अपने वजूद की तलाश में निकले किसी प्रतिभाशाली इन्सान को अपनी खोई हुई पहचान मिल जाती है।
विश्व की सबसे कठिन क्रिकेट लीग आईपीएल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है जहां हर साल कई ऐसे खिलाड़ी हमें देखने को मिलते हैं जिनके लिए कोई एक मैच गुमनामी के अंधेरे में उम्मीद की रोशनी का काम करता है। जिसके बाद उस खिलाड़ी का नाम क्रिकेट के मैदान से लेकर क्रिकेट प्रेमियों की जुबान पर अमर हो जाता है।

राहुल तेवटिया का शुरुआती जीवन-
राहुल तेवटिया का जन्म 20 मई 1993 को हरियाणा के फरीदाबाद जिले के सिही नामक गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम कृष्णपाल सिंह है जो पेशे से एक वकील है। राहुल तेवटिया के गांव में क्रिकेट से ज्यादा होकी के खेल को पसंद किया जाता है।
लेकिन राहुल के मन में क्रिकेट के लिए प्यार बचपन से ही था। जिसकी शुरुआत चार साल की उम्र में तब हुई जब राहुल के पिता ने इन्हें पहली बार एक बैट लाकर दिया था।
हरियाणा सरकार की तरफ से राहुल को नौ साल की उम्र में दो साल के लिए स्कोलरशिप दी गई जिसके तहत इन्हें हरियाणा नर्सरी में अपने हुनर को निखारने का मौका मिला। उसी साल राहुल के पिता ने इनका दाखिला भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व विकेटकीपर विजय यादव की क्रिकेट एकेडमी में करवा दिया।

राहुल तेवटिया का क्रिकेट में रूचि-
विजय यादव की क्रिकेट एकेडमी में राहुल तेवटिया एक लेग स्पिन गेंदबाज बनने की इच्छा लेकर आए थे लेकिन विजय यादव ने इनके अंदर छुपी हुई बल्लेबाजी करने की क्षमता को पहचाना और राहुल को एक बैटिंग आलराउंडर बनाने की कोशिश में लग गए।
इसके बाद राहुल को राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में शामिल होने का मौका भी मिल गया। कोच विजय यादव की कोशिशों और राहुल के जूनून का ही परिणाम था कि राहुल का सलेक्शन जल्द ही हरियाणा की अंडर 15 में हो गया और फिर राहुल को U19 में भी खेलने का मौका मिल गया।
लेकिन रणजी ट्रॉफी का सफर अब भी मुश्किल नजर आ रहा था क्योंकि हरियाणा की रणजी टीम में उस समय अमित मिश्रा, युजवेन्द्र चहल और जयन्त यादव जैसे स्पिन गेंदबाज मौजूद थे।
लगभग दो साल इंतजार करने के बाद भी जब कोई उम्मीद नजर नहीं आई तो राहुल ने क्रिकेट छोड़ने का मन बना लिया लेकिन राहुल के पिता को अपने बेटे पर पुरा भरोसा था।
अपने पिता और अपने कोच विजय यादव के कहने पर राहुल अपनी बल्लेबाजी को निखारने की कोशिश में लग गए और खुद को एक आक्रामक बल्लेबाज के रूप में ढालना शुरू कर दिया।
आखिरकार एक पिता की उम्मीद और एक कोच की मेहनत रंग लाई और राहुल तेवटिया ने अपना रणजी ट्रॉफी डेब्यू हरियाणा की तरफ से खेलते हुए 6 दिसंबर 2013 को बंशी लाल क्रिकेट स्टेडियम में कर्नाटक के खिलाफ किया। अपने पहले सीजन में राहुल को सिर्फ एक ही मैच खेलने का मौका मिला था जिसमें राहुल के बल्ले से कुल 17 रन ही निकले थे।
इसी मैच के दौरान आईपीएल टीम राजस्थान रॉयल्स के CEO रघु अय्यर की नजर इन पर पड़ी। और वो राहुल की गेंदबाजी से बहुत प्रभावित हुए। इस तरह राहुल को 2014 के आईपीएल सीजन में राजस्थान की तरफ से अपना पहला आईपीएल मैच खेलने का मौका मिला। राजस्थान रॉयल्स की तरफ से अपने पहले दो सीजन खेलने के दौरान राहुल ने कुल 16 बनाए और तीन विकेट अपने नाम किए।
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किंग्स इलेवन पंजाब-
अपने पहले दो सीजन में खराब प्रदर्शन के कारण राहुल को 2016 आईपीएल सीजन में खेलने का मौका नहीं मिला। 2017 आईपीएल सीजन में राहुल तेवटिया को किंग्स इलेवन पंजाब के रुप में अपनी नई टीम मिली। इस आईपीएल सीजन में राहुल ने सबसे बेहतरीन प्रदर्शन कोलकाता नाइटराइडर्स के खिलाफ एक डू और डाई मैच के दौरान किया।
इस मैच में राहुल ने कोलकाता के कप्तान गौतम गंभीर और राबिन उथप्पा का विकेट अपने नाम किया। और साथ ही इस मैच में बल्लेबाजी करते हुए 8 गेंदों में महत्वपूर्ण 15 रन भी बनाए।
इसी प्रर्दशन को देखते हुए 2018 में हुई आईपीएल आक्शन में राहुल को अपनी टीम में शामिल करने के लिए बैंगलोर, हैदराबाद और दिल्ली की टीम में बीड लगाने की होड़ शुरू हो गई। और देखते ही देखते 10 लाख की बेस प्राइस वाला यह खिलाड़ी 3 करोड़ के आंकड़े तक पहुंच गया।
3 करोड़ आते ही बैंगलोर और हैदराबाद ने अपने हाथ खड़े कर दिए और इस तरह राहुल को एक बार फिर एक नई टीम में शामिल होने का मौका मिला।

सबसे ज्यादा कैच का रिकॉर्ड-
2019 में मुम्बई इंडियंस के खिलाफ वानखेड़े स्टेडियम में एक मैच के दौरान राहुल ने चार कैच लपके और एक आईपीएल मैच में किसी फिल्डर द्वारा पकड़े गए सबसे ज्यादा कैच का रिकॉर्ड अपने नाम किया। लेकिन इस प्रर्दशन के लिए राहुल को वो सराहना नहीं मिली जो एक रिकोर्ड दर्ज करवाने वाले खिलाड़ी को मिलती हैं।
दरअसल 2019 के आईपीएल सीजन में दिल्ली की टीम के मुख्य कोच रिकी पोंटिंग थे जो हर मैच के दौरान एक डायरी अपने साथ रखते थे जिसमें वो हर खिलाड़ी के प्रर्दशन को लिखते थे। और साथ ही ड्रेसिंग रूम में एक ऐसे खिलाड़ी को कुछ उपहार भी देते थे जिसने मैच में छोटा लेकिन महत्वपूर्ण योगदान दिया हो। इस अवार्ड सेरेमनी को चेंज रुम मैन आफ द मैच का नाम दिया गया क्योंकि यह अवार्ड दिल्ली के खिलाड़ियों के लिए किसी मैन ऑफ द मैच अवार्ड से कम नहीं होता था।
मुंबई इंडियंस के खिलाफ हुए इस मैच के बाद रिकी पोंटिंग ने रिषभ पन्त के द्वारा बनाए गए 78 रनों की तारीफ करते हुए और सभी गेंदबाजों के लिए तालियां बजाते हुए कोलिन इंग्राम को इस अवार्ड के लिए चुना जिन्होंने 47 रनों की पारी खेलने के साथ साथ 2 विकेट भी अपने नाम किए।
लेकिन पोंटिंग ने इस दौरान राहुल का नाम एक बार भी नहीं लिया। पोंटिंग जब अवार्ड देकर ड्रेसिंग रूम से जाने लगे तो राहुल तेवटिया ने उन्हें रोककर कहा कि मैंने भी इस मैच में चार कैच लिए है। राहुल की इस बात को सुनकर पोंटिंग ने हंसते हुए सभी खिलाड़ियों से कहा कि इस लड़के ने चार कैच पकड़े है और इसे इनाम चाहिए।
पोंटिंग के जाने के बाद अक्षर पटेल ने राहुल से कहा कि अपने प्रर्दशन के लिए ईनाम की भीग कौन मांगता है। अक्षर को जवाब देते हुए राहुल ने कहा कि मैंने भीग नहीं अपना हक मांगा था। इसके बाद सभी खिलाड़ी ड्रेसिंग रूम से चले गए लेकिन राहुल के मन में पोंटिंग की हंसी और अक्षर पटेल की बात कहीं ना कहीं चुभ रही थी।

राहुल के जीवन का खुशनुमा साल 2020-
फिर आया साल 2020 जो दुनिया के लिए भले ही भुला देने वाला समय हो लेकिन राहुल के क्रिकेट करियर के सफर में में यह साल एक खुशनुमा मोड़ की तरह रहा है। इस साल राहुल ने आईपीएल से पहले सिर्फ एक मैच खेला था। जो हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के बीच खेला गया था।
इस मैच की पहली पारी में राहुल ने 7 विकेट अपने नाम किए और दुसरी पारी में दो विकेट लेने के साथ-साथ 27 रन की नाबाद पारी भी खेली। फिर आईपीएल के पहले मैच में चेन्नई सुपरकिंग्स के खिलाफ शैन वाटसन और सैम करन को पवैलियन भेजने का काम किया। इसके बाद आईपीएल का वो मैच भी आ गया जिसने पोंटिंग से अपना हक मांगने वाले इस खिलाड़ी को रातों रात स्टार बना दिया।
पंजाब और राजस्थान के बीच खेले गए इस मैच में 223 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी राजस्थान की टीम ने उथप्पा की जगह राहुल तेवटिया को बैटिंग करने भेजा।
एक ओवर पांच छक्के-
अपनी पहली 18 गेंदों में संघर्ष कर रहे राहुल तेवटिया ने वेस्टइंडीज के मुख्य गेंदबाज शेल्डन कोट्रेल के एक ओवर पांच छक्के लगाकर क्रिस गेल का रिकॉर्ड तोड़कर पुरे क्रिकेट वर्ल्ड को हैरान कर दिया।
पहली 15 गेंदों में 5 रन पर खेल रहे राहुल तेवटिया ने जब 30 गेंदों में अपना अर्धशतक पूरा किया तो हर क्रिकेट प्रशंसक उस पारी की प्रशंसा के पुल बांधने लग गया।
राहुल के पिता ने अपने बेटे की इस पारी के बारे में बात करते हुए कहा कि जब राहुल पहली 18 गेंदों में संघर्ष कर रहा था तब भी उन्हें यकीन था कि आज राहुल अपनी टीम को जीताकर ही जाएगा क्योंकि उसने इस मौके के लिए 18 साल का इंतजार किया था।
अब आपको बताते है राहुल तेवटिया से जुड़ा वो किस्सा जिसके अनुसार क्रिकेट प्रेमियों के बीच स्टार बन जाने वाला यह खिलाड़ी एक गौरवमयी इतिहास का भी हिस्सा बन चुका है।
दरअसल राहुल तेवटिया के गांव सीही की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि बहुत ही गौरवशाली रही हैं। जिसका पहला पन्ना महाभारत के उस भाग में खुलता है जहां भगवान श्री कृष्ण दुर्योधन से पांडवों के लिए पांच गांवों की मांग रखते हैं। जिनमें से चार गांवों के नाम श्रीकृष्ण बता देते हैं और पांचवां गांव दुर्योधन की इच्छा पर छोड़ देते हैं।

गांव: सीही
लोकमत की मानें तो उस पांचवें गांव का नाम सीही था जहां आगे चलकर हिन्दी साहित्य के महानतम कवियों में से एक सूरदास का जन्म हुआ था। आज तक यह गांव इन्हीं दो घटनाओं के कारण पहचाना जाता था लेकिन आज इस गांव का नाम इतिहास और साहित्य से उठकर क्रिकेट के गलियारों में भी गूंज रहा है जिसका सबसे बड़ा कारण है राहुल तेवटिया का संघर्ष और अपने हक को छीन लेने का जूनून।

राहुल तेवटिया का प्रदर्शन-
राहुल ने अब तक सात फस्ट क्लास मैच और 21 लिस्ट ए मैच खेले हैं। फस्ट क्लास क्रिकेट करियर में राहुल के नाम अब तक 190 रन और 17 विकेट है। साथ ही लिस्ट ए करियर में राहुल के नाम 484 रन और 27 विकेट है।
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