अमृत पाल: बॉलीवुड फिल्मों का एक खतरनाक चहेरा लोग ऐसे भूले कि मौत भी गुमनाम रही।
अट्रैक्टिव चेहरा और लम्बी चौड़ी पर्सनैलिटी एक फ़िल्मी हीरो की पहचान होती है लेकिन हिंदी फ़िल्मों में बहुत से ऐसे विलेन भी हुए हैं जिनके अंदर ये दोनों ख़ूबियाँ नज़र आयीं।
ऐसे ऐक्टर भले ही कम फ़िल्मों में दिखाई देते हों या छोटे-छोटे रोल्स में ही क्यों न नज़र आते हों, अपनी छाप वो दर्शकों पर छोड़ ही जाते हैं। ऐसे ही ऐक्टर्स में से एक हैं अमृत पाल जी जिन्होंने ढेरों छोटे- बड़े निगेटिव और कैरेक्टर रोल्स करने के अलावा बतौर मेन विलेन भी अपनी पहचान बनाई थी।
फ़िल्म ‘प्यार के दो पल’ के डैशिंग लुक के विलेन को भला कौन भूल सकता है जो मिथुन चक्रवर्ती जैसे उस वक़्त के सबसे कामयाब ऐक्टर के सामने भी दर्शकों का ध्यान बड़ी आसानी से अपनी ओर खींच लेता है।
भला कौन भूल सकता है फ़िल्म गुरु के उस ख़तरनाक विलेन को जिसे अपनी ऐक्टिंग से अमृतपाल ने पूरी फ़िल्म में कहीं भी हल्का नहीं पड़ने दिया। हालांकि अमृतपाल जी को लोग उनके नाम से तो कम ही जानते हैं लेकिन उनके काम और उनके चेहरे को दर्शक कभी नहीं भुल पायेंगे।
अमृतपाल जी का जन्म और शिक्षा-
6 फुट 2 इंच लम्बे अमृतपाल जी ने ज़्यादातर फिल्मों में खलनायक की भूमिकाएँ ही निभाईं हैं। 80 और 90 के दशक में इन्होंने बतौर विलेन और कैरेक्टर ऐक्टर विनोद खन्ना, धर्मेंद्र, मिथुन चक्रवर्ती और अनिल कपूर जैसे उस दौर के सभी सुपरस्टार्स के साथ काम किया और अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने में सफल हुए ।
30 नवंबर, 1940 को जन्मे अमृतपाल जी ने बतौर ऐक्टर अपनी शुरूआत वर्ष 1960 में आयी देव आनंद की क्लासिक फ़िल्म काला बाजार से की थी। इस फ़िल्म में उन्होंने देव आनंद के गिरोह के एक सदस्य की छोटी सी भूमिका निभाई थी। इसके बाद कई फ़िल्मों में छोटे छोटे रोल्स करने के बाद अमृतपाल को अमिताभ बच्चन अभिनीत प्रकाश मेहरा की फिल्म जंजीर में पहली बार नोटिस किया गया।
वर्ष 1973 में आयी इस फ़िल्म में अमृतपाल ने तेजा हेंचमैन की भूमिका निभाई थी। धीरे-धीरे फ़िल्म-दर-फिल्म पहचान बनती गयी और 80 का दशक आते-आते अमृतपाल को फ़िल्मों में अच्छे-अच्छे रोल्स मिलने लगे। इस दौरान उन्होंने कसम’, मशाल, जाल, वारिस और हिरासत जैसी दर्जनों फ़िल्मों में काम किया।
अमृतपाल जी का फिल्म जगत में प्रवेश –
वर्ष 1986 में रिलीज़ हुई फ़िल्म ‘प्यार के दो पल’ में अमृतपाल के नेगेटिव किरदार की ख़ूब चर्चा हुई थी। इस फिल्म में वे मिथुन चक्रवर्ती के साथ नज़र आये थे। इस फ़िल्म में उनकी ऐक्टिंग के साथ-साथ उनके लुक की भी बहुत तारीफ़ हुई।
बतौर विलेन अमृतपाल जी की सबसे ख़ास और बड़ी भूमिका की बात करें तो वो है वर्ष 1989 में आयी मिथुन चक्रवर्ती और श्रीदेवी अभिनीत फ़िल्म गुरु। इस फ़िल्म में अमृतपाल शक्ति कपूर के साथ मेन विलेन के रूप में नज़र आये थे। देखा जाये तो इस फ़िल्म में अमृतपाल जी को पहली बार फुल लेंथ विलेन का रोल दिया गया था।
इसमें कोई शक़ नहीं कि अगर ऐसी भुमिकायें कुछ और फ़िल्मों में उन्हें मिली होती तो उनके करियर का ग्राफ कुछ और होता। दोस्तों यह वही दौर था जब फ़िल्मों में अमरीश पुरी, रंजीत, शक्ति कपूर जैसे विलेन ऐक्टर का बोलबाला था और सदाशिव अमरापुरकर और गुलशन ग्रोवर जैसे ढेरों ऐक्टर अपनी जगह मजबूत कर रहे थे।
इसी वर्ष अमृतपाल जी की बतौर विलेन ‘मेरी ज़बान’ और ‘लड़ाई’ जैसी फ़िल्में भी आयीं थीं। विलेन के किरदारों को करने के अलावा अमृतपाल कुछ फ़िल्मों में चरित्र भूमिकाओं में भी नज़र आये जिसमें फ़िल्म बँटवारा का नाम सबसे प्रमुख है। मज़े की बात कि ये फ़िल्म भी वर्ष 1989 में ही आयी थी।
इस फ़िल्म में अमृतपाल एक किसान की भूमिका में थे और ऐक्ट्रेस डिंपल कपाडिया के भाई बने थे, जो डकैत बने विनोद खन्ना की गोली का शिकार हो जाता है।
80 के दशक की तरह ही 90 के दशक में भी अमृतपाल ढेरों फ़िल्मों में नज़र आते रहे। उन्होंने इस दौरान फ़रिश्ते, वीरू दादा , दिलजले, बॉर्डर, दुश्मनी, राम जाने, बादशाह और अजनबी जैसी फ़िल्मों में तरह तरह के रोल्स किये और लगभग 100 से भी ज्यादा छोटी- बड़ी फिल्मों में काम कर लिया। अमृतपाल जी ने कुछ भक्ति फ़िल्मों में भी अपनी किस्मत आजमायी थी।
वर्ष 1988 में रिलीज़ हुई फ़िल्म जय करोली मां में वे ऐक्टर अरुण गोविल के साथ भी नज़र आये थे। बाद में उन्होंने टेलीविज़न शो ओम् नमः शिवाय जैसे शोज़ में भी काम किया। वर्ष 1997 में प्रसारित हुये इस शो में अमृतपाल तारकासुर के रूप में दिखाई पड़े थे।
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अमृतपाल जी हॉरर फ़िल्मों में अभिनव-
भक्ति फ़िल्मों में काम करने के अलावा अमृतपाल जी हॉरर फ़िल्मों में काम करने से भी पीछे नहीं हटे। वर्ष 1992 में रिलीज़ हुई हॉरर फिल्म ख़ूनी ड्रैकुला जैसी फ़िल्मों में काम करने के बाद अमृतपाल जी की निर्देशन के क्षेत्र में जाने की रुचि हुई तो उन्होंने हॉरर फ़िल्म बनाने का ही मन बनाया और बतौर निर्देशक वर्ष 2001 में, उन्होंने फिल्म ‘वो कौन थी’ नाम की फ़िल्म बना डाली।
इस फ़िल्म में अमृतपाल जी ने निर्देशन के साथ-साथ अभिनय भी किया था। हालांकि लो बजट की इस फ़िल्म की, इसके नाम की वज़ह से चर्चा तो ज़रूर हुई, क्योंकि इसी नाम से वर्ष 1964 में भी लेजेंडरी मनोज कुमार और साधना अभिनीत एक फ़िल्म आ चुकी है, जो बेहद सफल हुई थी और उसे क्लासिक फ़िल्म की श्रेणी में भी गिना जाता है। लेकिन उसी नाम को लेकर बनी अमृतपाल की यह फ़िल्म कोई कमाल न दिखा सकी। बाद में कुछ एक फ़िल्मों में छोटे-मोटे रोल करने के बाद अमृतपाल जी ने फ़िल्मों से दूरी बना ली।
अमृतपाल जी का ब्यक्तिगत जीवन-
बताया जाता है कि अमृतपाल जी काफी समय से बीमार थे इसलिए भी फिल्मों में काम करना उन्होंने धीरे-धीरे बंद कर दिया था। 19 जून 2017 को 76 वर्ष की आयु में एक्टर अमृत पाल जी का एक लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया था। अपने आख़िरी दिनों में वे ठीक से चल-बैठ भी नहीं पा रहे थे।
अमृतपाल जी की बेटी गीता ने उनके निधन के बाद मीडिया को जानकारी दी कि, उनके पिता यानि अमृतपाल जी लंबे समय से लीवर सिरोसिस से पीड़ित थे और बिस्तर पर पड़े थे। वह कुछ दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे और बाद में उन्हें घर लाया गया था। जहाँ बाद में उनकी मृत्यु हो गयी।
अमृतपाल जी की बेटी ने इस बात की जानकरी भी दी कि उन्होंने बहुत समय पहले अपनी मां को भी खो दिया था। अमृत पाल जी के बाद उनके परिवार में दो बेटियां, एक बेटा और पोता-पोतियां हैं।
एक ऐक्टर जिसने लगभग 100 फ़िल्में की हों। बड़े बड़े दिग्गजों के साथ बड़ी बड़ी भूमिकायें निभाईं हों उसका इतनी गुमनामी से रुख़्सत होना वाकई तक़लीफ़देह है। नारद टीवी अमृतपाल जी को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है।
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