स्पोर्ट्स, वो विषय है जहां फिजिकल के साथ साथ मैंटली (Mantley) भी आपको स्ट्रॉन्ग (Strong) होना होता है। अपने अपोनेंट (Opponent) को हर डिपार्टमेंट में मात देनी हो, तो 4 कदम आगे की सोच रखनी होती है। क्योंकि जिसके पास जितनी स्किल्स (Skills) होती हैं, उसमें उतनी ही ज़्यादा क्रिएटिविटी (Creativity) और इनोवेशन (Innovation) होगी, दिमाग़ के साथ साथ उतने ही तेज़ तर्रार उस खिलाड़ी के हाथ पांव चलेंगे। और क्रिकेट जैसे खेल का तो इतिहास भी गवा है कि जिसने ये साफ़ साफ़ दर्शाया है कि जिस खिलाड़ी ने जितने टैक्टिक्स (Tactics), और शातिर दिमाग दिखाया है। उतना ही ज्यादा नाम और शोहरत हासिल की। यही कारण है कि गांगुली दादा,एमएस धोनी और अश्विन (Ashwin) जैसे क्रिकेटर्स को उनके बोल्ड मूव्स और चाबुक से तेज़ दिमाग़ के लिए काफ़ी सराहा जाता है। और कमाल के मास्टरमूव्स के लिए इन दिग्गजों की कलाकारी को दुनियाभर ने सलाम किया है। अब क्रिकेट खेल ही ऐसा है, जहां फिजिकल पावर/ ताकत के साथ साथ दिमाग की नज़ाकत का भी काफ़ी बोलबाला है। पर क्रिकेट इतिहास में ऐसे कई मौके आए जब क्रिकेटर्स मानो अपना दिमाग़ घर ही भूल आए थे। अंग्रेजी में बोले तो वो ब्रेन फेड लम्हें जब क्रिकेटर्स अपना दिमाग लगाना ही भूल गए और हँसी का पात्र बन गए। आज नारद टीवी के इस नए पोस्ट में हम कुछ ऐसे ही गजब के ब्रेन फेड मोमेंट्स की बात करेंगे जब क्रिकेटर्स की बुद्धि ऐसे ऐसे मौकों पर शिथिल हो गई जिसपर हम सभी की हँसी निकल पड़ी। और खिलाड़ी दिमाग़ नाम की वस्तु ही भूल गए।
5. इन्जी भाई, बैट किधर है: इंजमाम उल हक जितना ज़्यादा अपनी क्लासी बैटिंग को लेकर जाने जाते हैं उससे कई ज्यादा उन्हें उनके एक से बढ़कर एक रन आउट और अटपटे से कारनामों के लिए जाना जाता है। अब क्योंकि वे थे ही इतने महान खिलाड़ी जो आसानी से आउट ही नहीं होते थे, तो उन्हें आउट उन्हीं के ब्रेन फेड या रन आउट किया करते थे। लेकिन एक बार जो इंग्लैंड में हुआ, उसे ब्रेन फेड कहें या घबराहट या मिस जजमेंट, कुछ समझ नहीं आता।बात है 2001 की, इंग्लैंड और पाकिस्तान के बीच मैच हो रहा था जब इंजी बैटिंग कर रहे थे। और इंग्लैंड के तेज़ गेंदबाज ने एक गेंद खूब गती से यॉर्कर की, जिसे इंजी बाउंसर समझने की भूल कर गए और ओर अपनी विकेट क्रॉस कर डक करने के लिए झुकने लगे, लेकिन तब तक गेंद स्टंप्स में जा लगी।और ऊपर से आप बिना बल्ले (Bat) के यॉर्कर (yoker) खेल रहे थे। तो ऐसा तो होना ही था। इंजमाम को खुद ही यकीन नहीं हुआ। वो शौक उनके चेहरे पर साफ नज़र आया और साथ ही उनके फैंस पर भी। आखिर यॉर्कर को बाउंसर (Bouncer) समझने की गलती कोई रोज़ रोज़ थोड़ा देखने को मिलती हैं।
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4. बनने चले थे धोनी, पर बन गया मज़ाक: एमएस धोनी, दुनिया के बेस्ट फिनिशर जिन्होंने अपनी कमाल की विकेटकीपिंग (Wicketkeeping) से कई बार हमारा दिल जीता। सिर्फ़ हम इंडियंस का ही नहीं, माही ने देश विदेश में सभी फैंस को काफ़ी एंटरटेन किया, काफ़ी खुशियों के पल दिए। और जो वो उनके नो लुक फ्लिप रनआउट थे न, ओय होय होए होए। लाज़वाब। जितनी तारीफ़ की जाए, उतनी कम। उनका इंपैक्ट (Impact) कुछ ऐसा रहा कि जो बंदा विकेटकीपर नहीं भी था, उसका भी एक बार को तो कीपिंग करने का दिल हो ही जाता था। और ग्लव्स देखकर हाथ खुदी उस तरफ़ चला जाता था। ऐसा ही कुछ हुआ था पाकिस्तान और वेस्टइंडीज के मैच में, जब अलजारी जोसेफ ने स्क्वायर (Square) लेग साइड पर एक शॉट खेला, जिसे पकड़ने अपना एक ग्लव्स उतार कीपर रिज़वान दौड़ चले। और विकेट कवर करने आए कप्तान बाबर आज़म। लेकिन बाबर को पता नहीं कीपिंग का क्या शौंक चढ़ा। कौनसा धोनी की आत्मा आ गई जो वो रिज़वान का एक ग्लव्स हाथ में पहन बाबर विकेट पर फ्लिक (Flick) मारने को देखने लगे। बनने तो चले थे धोनी, पर बन गया मज़ाक। क्योंकि जैसे ही उन्होंने बॉल पकड़ी। अंपायर महोदय ने लगा दी उनकी अच्छी खासी क्लास। कुछ देर कि अच्छी खासी चर्चा विमर्श के बाद अंपायर ने साफ़ कह दिया कि भैया ये है इल्लीगल (Illegal)। और पाकिस्तान को लग गई 5 रनों की पेनल्टी। अब बाबर कुछ न कर सके, सिवाय अपनी इस हास्यास्पद हरकत पर हसने के। 5 मिनट तक बार बार ये रिप्ले (Replay) चलता रहा और बाबर इससे काफ़ी एंबारेस हुए थे। अब ये बात तो वहीं साफ़ थी कि बाबर को ये रूल पता नहीं था। अब ये उनका ब्रेन फेड था या कोई बचपन का विकेटकीपिंग का ख़्वाब, ये तो वोही जानें। पर जनाब ऐसे शौंक कहीं किसी वर्ल्ड कप मैच में मत पूरा करने लग जाना। अच्छा खासा मैच फस जायेगा।
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3. मैक्सी आ बैल मुझे मार/द बिग शो बना द फ्लॉप शो: दोस्तों आपने ये मुहावरा तो सुना ही होगा कि आ बैल मुझे मार। मतलब ख़ुद ही मुसीबत को अपने घर दावत देना। आम तौर पर ऐसा देखने को नहीं मिलता जब कोई क्रिकेट एक ऐसी गेंद को लीव (Leave) कर दे जो कि आके उसी के स्टंप्स उखाड़ दे। नहीं हरगिज नहीं । और वो भी तब जब सामने बैट्समैन हों ग्लैन मैक्सवेल। जो अपने शातिर दिमाग से ऑफ की बॉल लेग में खेल, तो मिडिल और लेग स्टंप्स से स्विच हिट जड़ बॉलर्स का दिमाग़ कंफ्यूज कर देते हैं। भला ऐसा ताबड़तोड़ बैट्समैन जो छोड़ने वाली बॉलों पर भी तोड़ फोड़ करता हो, वो “द बिग शो” , भला मारने वाली बॉल को छोड़ कैसे सकता है। पर क्या करें दोस्त, ये क्रिकेट है, कॉरिडोर ऑफ़ अनसर्टेन्टी। कभी कभी द बिग शो भी द फ्लॉप शो हो जाता है। बात है 2014 बीबीएल की, जब पहले ओवर में ही मैक्सवैल की बैटिंग आ गई।और अपनी पहली बॉल खेल रहे थे, सामने बॉलर रयान डफीलड बॉलिंग कर रहे थे। उन्होंने एक शानदार गेंद डाली, जिसे मैक्सी एक आउटस्विंगर (Outswiger)) सोच लीव कर गए, पर ये गेंद शानदार इनस्विंग हुई और उनके मिडिल स्टंप पर जा लगी। मैक्सवेल केवल देखते ही रह गए। उन्हें खुद पर यकीन नहीं हो रहा था। कमेंट्री कर रहे गिलक्रिस्ट भी स्तब्ध (Stunned) हो गए और कहने लगे कि ये सबसे अविश्वसनीय (Incredible) विकेट था। इस ब्रेन फेड को बयां (Statement) करने के किसी के पास शब्द नहीं थे। पर इसके बाद मैक्सवेल को काफ़ी ज़्यादा ट्रॉल (Troll) किया गया। उन्हें काफ़ी फोन कॉल आए। स्पॉट फ़िक्सिंग तक के इल्जाम लगा दिए गए। यह ब्रेन फेड मैक्सी को काफ़ी भारी पड़ा और उन्हें इससे बाहर आ वापिस अपने नैचुरल गेम खेलने में कई इनिंग्स लग गए।
2. ख़्वाब था जॉन्टी बनने का, पर डाइव तो लगाई ही नहीं: 90s की पाकिस्तान टीम की फील्डिंग अपने आप में एक नाइटमेयर थी। और उनके फील्डर्स को देखकर सब यही कहते थे कि अगर इन खिलाड़ियों को बॉल कैच करनी आती होती तो वसीम के नाम 100–150 विकेट और होते। और कामरान अकमल की गोलकीपिंग तो हमने देखी ही है। लेकिन जिम्बाब्वे टीम के फील्डर्स और कीपर तो अच्छा खासे फील्डर हैं। जो ऐसे ब्लंडर्स भी नहीं करते। एक बार जिम्बाब्वे और अफगानिस्तान के बीच एक टी 20 खेला जा रहा था जहां अफ़गानी बल्लेबाज घानी बैकवर्ड प्वाइंट की तरफ शॉट खेलकर दौड़ पड़े। गेंद सीधी हैमिल्टन मजाकदज़ा के हाथ में गई। ये साफ़ सीधा सा रनआउट था। लेकिन भगवान जाने मजाकदज़ा को कीपर कामरान अकमल लगा, जिसके हाथ में थ्रो मारने की बजाए वो ख़ुद ही दौड़ पड़े, और जब तक उन्होंने स्टंप्स उखाड़े तब तक घानी क्रीज़ में पहुंच चुके थे। चलो माना जॉन्टी रहोड्स दुनिया के बेस्ट फील्डर हैं। और जो इंजमाम को उन्होंने सुपरमैन रन आउट किया वो ग्रेटेस्ट था। अब सुपरमैन किसको पसंद नहीं, वैसे स्टंट करना तो सब चाहते हैं। शायद हैमिल्टन भी कुछ ऐसा ही दोहराने की कोशिश कर रहे थे और वैसे ही भागते हुए रन आउट करना चाहते थे। पर भैया डाइव कहां थी। वो ब्रेन फेड देखकर गुस्सा कम, हंसी ज्यादा आ रही थी। न सिर्फ़ कॉमेंटेटर (Commentator) को, बल्कि उनकी खुद की टीम वालों को भी।
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1.जब रोहित बने गजनी: दोस्तों अभी तक हमने आपसे जो भी ब्रेन फेड मोमेंट्स की बात की, वो एक लेवल की थी, जैसे रन आउट मिस करना या बॉल लीव करना।लेकिन जो ये ब्रेन फेड था, ये ब्रेन फेड नहीं ब्रेन डेड था। किसी भी मैच शुरु होने की बुनियाद होता है टॉस। वो टॉस ही होता है जो कई बार हार जीत का फर्क बन जाता है। और टीमें मैच से पहले घंटों टीम मीटिंग में कप्तान के साथ विचार विमर्श करते हैं कि भाई पहले बैटिंग करें या बॉलिंग। लेकिन क्या आपने कोई कप्तान को टॉस ही भूलते देखा है। आजतक पहले तो ऐसा कुछ नहीं हुआ। लेकिन ऐसी सिली मिस्टेक लगता नहीं कि कोई भूलकर भी करेगा।21 जनवरी 2023, इंडिया न्यूज़ीलैंड के बीच दूसरा ओडीआई, टॉस जीता रोहित से जब पूछा गया तो साहब गजनी बन गए, अरे क्या करने आया था यार बैट या बॉल, और पिछे खड़े सारे टीम मेट्स ठहाके मारकर हंस रहे थे।आखिरकार रोहित को याद आ ही गया कि हां, हम बॉलिंग करने आए थे। भले ही कई क्रिकेटर्स के इंटरव्यू में सुनने को मिला कि रोहित एक बड़े भुलक्कड़ हैं। लेकिन इतने बड़े भुलक्कड़ हैं, ये दुनियाभर के फैंस ने देख लिया।
तो दोस्तों ये थे क्रिकेट इतिहास के कुछ अजीबोग़रीब फनी से लम्हें, जब क्रिकेटर्स अपना दिमाग़ घर पर ही भूल आए। और उनका ये ब्रेन फेड दुनियाभर में हसी का सबब बन गया। आज की पोस्ट वी में इतना ही। आशा करते हैं कि आज का पोस्ट पसंद आया होगा। इसे शेयर करें, साथ ही कॉमेंट में बताएं कि अगले पार्ट में कौनसे रिकॉर्ड देखना चाहेंगे। अब हमें दीजिए इजाज़त। धन्यवाद।
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