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करुण नायर कहानी भारत के दूसरे सहवाग की

करुण नायरKarun Nair 

Karun Nair Biography: कहानी भारत के दूसरे सहवाग की, जिसका करियर एक ट्रिपल सेंचुरी खा गई। आखिर कैसे एक ट्रिपल सेंचुरी से अर्श से फर्श पर आ गया ये नायाब हीरा। कहानी उस बदनसीब खिलाड़ी की, जिसे देखते ही देखते भूला दिया गया। कहानी उस घोड़े की, जिसे बिना दौड़े ही रेस में हरा दिया गया।जब बैरस्टो की वजह से बना डाला तिहरा शतक। कैसे स्टार्क की एक यॉर्कर ने उनका करियर खत्म कर दिया।

गुमनामी के समंदर में, ख़ामोशी के आलम में,
नजाने कहां खो गया है,
आखिर क्यों वो क्रिकेट से जूदा हो गया है!

दोस्तों अगर मैं आपसे पुछूं कि एक खिलाड़ी के करियर पर द एंड यानी पूर्ण विराम कब लगता है। तो आप में से कोई कहेगा कि बढ़ती उम्र,खराब फिटनेस,कोई ऐसी इंजरी जो खिलाड़ी की दुश्मन बन जाए, स्पॉट फिक्सिंग या फिर कोई बेहद ही बुरी कंट्रोवरसी। पर क्या कोई क्रिकेटर ऐसा भी हो सकता है जिसका करियर एक ट्रिपल सेंचुरी की वजह से ही खत्म हो गया हो? तो आप विश्वास करने से इंकार कर देंगे।सुनने में चाहे अविश्वसनीय/झूठ लगे, परंतु/लेकिन सत्य है। तिहरा शतक,कोई मजाक नहीं। जहां एक शतक बनाने में खिलाड़ी का तेल निकल जाता है,आज कल दोहरे शतक तक कोई नहीं पहुंच पाता है।लेकिन जो खिलाड़ी तिहरा शतक लगा दे,वो तो मौके डिजर्व करता है।ज़रा सोचिए कितना बदनसीब होगा वो खिलाड़ी, जो एक महान पारी खेलकर भी सबकी नजरों से अचानक ओझल हो गया।एक बड़ा तिहरा शतक लगाने के बावजूद, पूरी दुनिया द्वारा इस नायाब हीरे को भूला दिया गया। ये खिलाड़ी कोई और नहीं, बल्कि करुण नायर है,किसी समय भारत का उभरता सितारा, जो आज कहीं गुमनाम सा हो गया है।
आज हम अनसंग हीरोज ऑफ़ इण्डियन क्रिकेट के इस नए एपिसोड में आपको बताएंगे कि कैसे ये शानदार खिलाड़ी अर्श से फर्श पर आ गया।

तारीख थी 16 दिसंबर 2016, जब भारत और इंग्लैंड के बीच 5वा टैस्ट चैन्नई की रैंक टर्नर पिच पर खेला जा रहा था। अपनी पीक पर चल रहे भारतीय उपकप्तान अजिंक्य रहाणे चोटिल हो कर टीम से बाहर हो गए थे,उनकी रिप्लेसमेंट करुण को खिलाया जा रहा था। इंग्लैंड के विशाल 477 रन के जवाब में भारतीय पारी 211/3 होकर भारत संघर्ष कर रहा था। तभी क्रीज़ पर आया कर्नाटक का 25 वर्षीय युवा।भारतीय पारी का आगाज़ कर रहे केएल 199 पर दुर्भाग्यवश आउट हो गए।करुण नायर अपना तीसरा मुकाबला खेल रहे थे,पहले 2 मुकाबलों में वे कुछ खास कमाल नहीं कर पाए।और यह मैच उनके लिए काफ़ी महत्वपूर्ण होने वाला था। क्योंकि वे रहाणे की जगह खेल रहे थे। अभी उनके टीम में होने से किसी को कोई खास फर्क नहीं पड़ रहा था,और न ही किसी को कोई उम्मीद दी। कहते हैं जो कुछ नहीं करते वो कमाल करते हैं। ऐसा ही कुछ कमाल होने वाला था यहां। जब स्टंप्स हुई तो करुण 71* रन पर नाबाद लौटे। अगले दिन 19 दिसंबर को जो होने वाला था,उसकी किसी को तो क्या,खुद करुण को भी उम्मीद नहीं थी।एक ही दिन में उन्होंने 100,200 और फिर 300 रन पूरे किए।एक ही दिन में ये कारनामा करने वाले वे पहले खिलाड़ी बने। वहीं तीहरा शतक लगाने वाले वीरेंद्र सहवाग के बाद वे दूसरे भारतीय बने।एक ही दिन में 232 रन जड़ उन्होंने कोहराम मचा दिया।आपको बता दें कि ये उनके कैरियर का पहला शतक था।और अपने पहले ही शतक को बतौर 300 जड़ने वाले वे विश्व के महज़ तीसरे खिलाड़ी बने।और ये पारी आई भी तो इंग्लैंड जैसी मजबूत टीम के खिलाफ।303 रन की उनकी इस पारी की बदौलत भारत ये मैच एक पारी के अंतर से जीता।जिस करुण नायर को कोई नहीं जानता था।उसे अब पूरी दुनिया पहचानने लगी थी।हम सभी फैंस की ज़ुबान पर उन्हीं का नाम था,सभी अखबारों में उन्हीं का नाम था। क्रिकेट पंडितों ने तो ये तक कह दिया था कि जो भी शॉट इस खिलाड़ी के बल्ले से निकला वो मिडिल था,और कोई मिसटाइम शॉट नहीं था। बाद में करुण ने बताया कि 2 मैच में उनके फीके प्रदर्शन के बाद इस मैच में उन्हें कुछ कर गुजरना था।और विकेट के पीछे से जॉनी बेयरस्टो उन्हें बार बार ये कहते दिखे कि रोहित आ चुके हैं, रहाणे भी आने वाले हैं,यह आखिरी मौका है। लेकिन इस सबका का क्या फायदा हुआ।जैसे ही रहाणे टीम में आए,अगले मैच में करुण को बाहर कर दिया गया।ये बिल्कुल एक्सेप्टेबल नहीं है। क्योंकि ये क्रिकेटर्स भी अक्सर को इंसान है।कोई मशीन नहीं जिसे जब चाहे ऑन ऑफ कर दिया जाए।करुण जिस रैड हॉट फॉर्म में थे,उन्हें किसी भी कीमत पर खिलाना बनता था। ऐसे खिलाड़ी को टीम से बाहर किया ही नहीं जा सकता। जिसकी देश के पीएम ने भी खूब तारीफ़ की हो।लेकिन ये इंडिया है। यहां खिलाड़ी का करियर बर्बाद करने के मौके ढूंढे जाते हैं। पूरे देश की उम्मीदें जगा चुके नायर को 2017 में बांग्लादेश दौरे की टीम में तो चुना गया,लेकिन खिलाया नहीं गया।और न ही पहले बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के टेस्ट में। अब क्योंकि रहाणे वापिस आए,और उस समय भारत के टॉप खिलाड़ी थे जिनका भौकाल सेना देशों में खूब था।तो करुण की टीम में जगह ही नहीं बनी।
333 रन से पहले टेस्ट में करारी शिकस्त झेलने के बाद आखिरकार दूसरे और तीसरे टैस्ट में उन्हें मौका मिला,जहां उनका असली टैस्ट था। क्योंकि बड़ा प्लेयर वो नहीं, जो एक मैच में चलकर उम्मीदें जगाए,बड़ा प्लेयर वो,जो जरूरत पड़ने पर कमाल कर दिखाया। नायर 4 पारियों में फ्लॉप रहे और सस्ते में ही आउट हो गए।यहां गलती पूरी तरह से उनकी भी नहीं थी। भाई जब सामने 154 की गति से आग सी यॉर्कर दाग रहे स्टार्क हों,तो दुनिया का नंबर 1 बल्लेबाज भी लड़खड़ा जाए। उस वक्त टीम में कंपटीशन काफ़ी हाई था।तो ये 4 पारियां उनके करियर की अंतिम पारियां बनकर रह गई। इसके बाद उन्हें और उनके फ़ॉर्म, टैलेंट को केवल बर्बाद किया गया। अगले एक साल तक वो टीम में रहे,इंग्लैंड दौरे पर भी ले जाए गए।लेकिन हद तो तब हो गई जब इंजरी रिप्लेसमेंट आए हनुमा विहारी को मौका दे दिया गया।ये वही दौर था जब टीम में फेवरेटिज्म चल रहा था और कोच और बाकी स्टाफ ने ये तक कह डाला कि नेट्स में उनकी बैटिंग में कुछ खास मजा नहीं आ रहा।और देखते ही देखते उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया।इस दौरान सबसे बड़ा हार्टब्रेक ये था कि उनसे किसी सिलेक्टर,टीम मेंबर या कप्तान कोच ने कोई बात तक नहीं की, न ही उन्हें आगे की स्कीम में रखा गया।1 साल पहले जो खिलाड़ी सुपरस्टार था,आज एक भुला बिसरा मोती बन चुका था। अब लगभग हर फैन की ज़ुबान से उनका नाम कहीं अलोप सा हो गया था। क्योंकि जब ये सब हुआ, उस वक्त कितने लोगों को ये भी न पता था कि वो स्क्वाड में हैं भी या नहीं। हालांकि उन्हें इंडिया ए टीम की कप्तानी दी गई।लेकिन टीम की इंटरनल पॉलिटिक्स ने उन्हें बुरी तरह हिलाकर रख दिया जिससे करुण के कॉन्फिडेंस को बेहद ठेस पहुंची।और यहां से उनका ग्राफ केवल नीचे की ओर आया। ज़रा खुद सोचिए, जो खिलाड़ी 300 रन बनाकर भी टीम से बाहर हो जाए,उसके पास मोटिवेशन का जरिया बचेगा ही क्या।

नजाने क्या गुस्ताखी हो गई मुझसे,
जो ये ज़माना मुझे भूल गया है।
जिसे सजदा करते थे कभी फरिश्ते,
आज उसका नाम भी धूल में मिल गया है।।

इससे ज्यादा वो क्या करे।ये सब उनकी गेम को ले डूबा।जहां 2019 रणजी में उनकी औसत 24 की रही।वहीं अगले वर्ष वे 26 के एवरेज से ही रन बना पाए। देखते ही देखते आईपीएल में भी वे कहीं गुम से हो गए। हालात बद से बत्तर तो उस वक्त हो गया,जब उन्हें कर्नाटक की 2023 की रणजी टीम से भी ड्रॉप कर दिया गया।वाइट बॉल फॉर्मेट से तो पहले ही उन्हें बाहर किया जा चुका था।इस सबसे अपनी निराशा बयां करता उनका एक इमोशनल ट्वीट कुछ दिनों पहले खूब वायरल हुआ। करुण ने अपने करियर में अभी तक 6 टेस्ट और 2 ओडीआई मैच खेले हैं। जहां उनके बल्ले से कुल 420 रन आए। इसके अलावा 76 फर्स्ट क्लास मैच में 50 की भारी भरकम औसत से उन्होंने 5436 रन बनाए। उन्होंने अपना ओडीआई डेब्यू जिम्बाब्वे के खिलाफ़ साल 2016 में किया।
बात करें उनके निजी जीवन की तो करुण कालाधरण नायर का जन्म 6 दिसंबर 1991 को कर्नाटक में हुआ।

अंधेरा काफ़ी हो गया है।
मेरा साया ओझल हो गया है।
कोई किरण उम्मीद की नज़र नहीं आती।
ये क्या अंजाम हो गया है।

हम।आशा करते हैं कि करुण को पर्याप्त मौके मिलें और वे क्रिकेट में ताबड़तोड़ वापसी करें।

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