2003 विश्व कप! जहाँ एक तरफ़ बदनामी का विश्व कप, झगड़ों का विश्व कप और बेतुके विवादों का विश्व कप कहा जाता है। तो वहीं ये करिश्माई प्रदर्शनों का विश्व कप, मज़बूत इरादों का विश्व कप और कभी ना भूलने वाली यादों का विश्व कप भी है।
वो यादें जिन्हें नारद टी.वी. इतिहास के पहलुओं से चुनकर ख़ास आपके लिये संजोकर लाया है। उन्हीं सुनहरी यादों का ये अनूठा सफ़र आज पहुँच गया है 2003 विश्व कप के सबसे चर्चित और यादगार मैच की कहानी तक। वो कहानी जो क्रिकेट की सबसे बड़ी जंग भारत बनाम पाकिस्तान मैच की दास्तान समेटे हुए है।
वो दास्तान जो हमारी ख़ास श्रंखला ‘रिवाइंड वर्ल्ड कप 2003’ के छठे और मच अवेटेड एपिसोड की जान है। तो चलिये, वक़्त का दामन थामकर आपको लिये चलते हैं आज से ठीक 19 साल पहले वाले साउथ अफ़्रीका की तनावपूर्ण और उत्साहित सरज़मीं पर। जहां विश्व क्रिकेट गवाह बनने जा-रहा था क्रिकेट इतिहास के महान मुक़ाबलों में से एक मुक़ाबले का।
India vs Pakistan World Cup 2003
दोस्तो! 2003 विश्व कप के 36वें मैच यानी पाकिस्तान बनाम भारत मैच तक ग्रुप-‘ए’ की तस्वीर लगभग साफ़ हो चुकी थी। ऑस्ट्रेलिया सारे मैच जीतने के चलते आसानी से क्वालीफाई कर चुका था। होलैंड और नामीबिया का बाहर होना तय था। जबकि, ज़िम्बाब्वे को इंग्लैंड से मिले वॉकओवर ने ज़िम्बाब्वे का काम तो आसान कर दिया था। लेकिन, पाकिस्तान और इंग्लैंड के लिये परेशानियां बढ़ा दी थीं।
हालाँकि, भारतीय टीम इंग्लैंड के विरुद्ध शानदार जीत के बाद अब ग़ज़ब की लय में दिख रही थी। मगर, पाकिस्तान से बड़ी हार भारत को वर्ल्ड कप से सीधे बाहर भी कर सकती थी। इसलिये, ये मुक़ाबला दोनों टीमों के लिए किसी क्वार्टर फाइनल से कम नहीं था। यही वजह है कि उस रोज़ मैदान में उतरने से पहले भारत अच्छी स्थिति में होने के बावजूद दबाव में था। क्योंकि, 2003 विश्व कप में अभी तक पाकिस्तान टीम भले ही ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के विरुद्ध दो मुक़ाबले हार चुकी थी। मगर, एक सच ये भी है कि उस पूरे विश्व कप में सिर्फ़ पाकिस्तान ही ऐसी टीम थी जो एकसमय ऑस्ट्रेलिया को हराने के बहुत क़रीब थी।
जिसकी ख़ास वजह थी अफ़्रीका की उछाल लेती तेज़ पिचों पर शोएब अख़्तर, वसीम अकरम और वकार यूनुस जैसे खिलाड़ियों से सजी घातक गेंदबाज़ी लाइनअप। जबकि, बल्लेबाज़ी में पाकिस्तान की उम्मीदें सईद अनवर, मोहम्मद यूसुफ़, इंज़माम-उल-हक़ और यूनिस खान के अनुभवी कंधों पर टिकी थीं। जिन्हें शाहिद अफ़रीदी और अब्दुल रज़्ज़ाक जैसे तेज़ खेलने वाले निडर ऑलराउंडरों का साथ मिला हुआ था। आसान भाषा मे कहें तो उस रोज़ ग्रुप की स्थिति का दबाव और पाकिस्तानी टीम देखते हुए कुछ भी कह पाना मुश्किल था।
ऐसे में इस मैच की हाइप (के प्रचार) ने आग में घी का काम किया। पिछले एक साल से आई.सी.सी. इस मैच को बेच रहा था। पिछले छह महीने से ब्रॉडकास्टर इस मैच के इंतज़ार में एड्स पर पैसों का बोझ बढ़ाये जा-रहे थे और पिछले एक महीने से सभी क्रिकेट फ़ैन्स किसी-ना-किसी अंदाज़ में भारतीय खिलाड़ियों को इस मैच में जीत की एहमियत याद दिला रहे थे।
राहुल द्रविड़( Rahul Dravid ) –
सीधे मैच वाले दिन पर आये तो, आज से ठीक 19 साल पहले यानी 1 मार्च 2003 को मैच की सुबह माहौल क्रिकेट मैच से ज़्यादा जंग जैसा लग रहा था। सेंचूरियन के तापमान से ज़्यादा गर्मी दोनों देशों के क्रिकेट प्रेमियों के बीच थी। हालाँकि, खिलाड़ी अपने आप को चिल (शान्त) दिखाने की पूरी कोशिश कर रहे थे। जिसका ही एक भाग था राहुल द्रविड़ का बयान।
दरअसल मैच से ठीक पहले राहुल ने कहा था कि “इस मैच का भारतीय खिलाड़ियों पर कोई दबाव नहीं है। ये मैच हमारे लिये अन्य मैचों जैसा एक साधारण मैच ही है“। लेकिन, राहुल की इस बात में कितना दम था। ये इस बात से पता लगता है कि मैच वाले रोज़ खिलाड़ियों ने नाश्ता डाइनिंग हॉल में नहीं, बल्कि होटल रूम की टी.टी. (टेबल टेनिस) टेबल पर किया था।
खिलाड़ी जब होटल से स्टेडियम पहुँचे तो बल्ले किट में रखने की जगह अपने हाथों में यूँ पकड़े थे जैसे कोई सिपाही हथियार थामे जंग में उतरता था। इतना ही नहीं जब मैच से पहले दोनों टीमों के खिलाड़ियों को आपस मे हाथ मिलाकर मोमेंटम (यादगार के तौर पर तोहफ़े) एक्सचेंज (बदलने) करने को कहा गया।
तो, एक सीनियर खिलाड़ी ने इस कदम पर ऐतराज़ जताते हुए कहा कि “ये विश्व कप का एक आम मैच है, तो इतना ताम-झाम किस बात का। आई.सी.सी. ख़ुद को यू.एन. मानकर सरहद के मसले मैदान पर सुलझाना चाहता है क्या?” उस भारतीय खिलाड़ी का ये स्टेटमेंट बताने के लिये काफ़ी है कि 2003 का वो ‘भारत बनाम पाकिस्तान मैच किसी अन्य क्रिकेट मैच जैसा बिलकुल भी नही था’।
तो दोस्तों, इस तरह खिलाड़ियों के दबाव, आई.सी.सी. ऑफिशियल्स (अधिकारियों) की चिंता और क्रिकेट फ़ैन्स की दुआओं के बीच आज से ठीक 19 साल पहले भारतीय समयानुसार दोपहर ढाई बजे पाकिस्तान के टॉस जीतने से शुरू हुआ ये इतिहासिक हाईवोल्टेज मुक़ाबला। क्योंकि, उस दौरान सेंचूरियन की पिच दूसरी पारी में गेंदबाज़ों को मदद करने के लिये जानी जाती थी। इसलिये, पाकिस्तानी कप्तान वकार यूनुस ने टॉस जीतकर बल्लेबाज़ी चुनी।
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कप्तान वक़ार यूनुस-
कप्तान यूनुस के फ़ैसले को सईद अनवर और तौफ़ीक़ उमर की सलामी जोड़ी ने 58 रनों की अच्छी शुरुआत से सही साबित किया। दोनों बल्लेबाज़ों ने अच्छी गेंदों को सम्मान दिया और ख़राब गेंदों पर ज़्यादा से ज़्यादा रन बटोरे। जब तौफ़ीक़ 22 रन बनाकर ज़हीर की गेंद पर बोल्ड हुए तो पाकिस्तान पहला मुश्किल घंटा निकाल चुका था। इसलिये, पिंच हिटिंग के लिये अब्दुल रज़्ज़ाक को नम्बर 3 पर भेजा गया। मगर, पिछले मैच में 6 विकेट लेने वाले नेहरा ने एक शानदार गेंद पर रज़्ज़ाक को विकेट के पीछे कैच आउट कराया। जिसके बाद बल्लेबाज़ी करने आये इंज़माम तालमेल की कमी के चलते रन आउट हो गये और 22 ओवर के बाद पाकिस्तान को 3 विकेट के नुकसान पर 98 रन के मुश्किल हालातों में छोड़कर चले गये।
सईद अनवर-
यहाँ से मुहम्मद यूसुफ़ के साथ सईद अनवर ने पारी को संभालना शुरू किया और धीरे-धीरे पाकिस्तान को मुश्किल से निकालकर ले गये। लेकिन, जब ऐसा लगा कि अब पाकिस्तानी गाड़ी रनों की रफ़्तार पकड़ेगी तभी 171 के स्कोर पर यूसुफ़ 25 रन बनाकर आउट हो गये। हालाँकि, अनवर ने एक तरफ़ से रन बनाने चालू रखे। मगर, अनवर भी शतक बनाते ही 101 रन पर बोल्ड हो गये। फिर, 8 गेंदों बाद ही शाहिद अफ़रीदी भी सिर्फ़ 9 रन बनाकर छठे विकेट के रूप में आउट हो गये।
अब पाकिस्तान के लिए पूरे 50 ओवर खेलना भी मुश्किल लग रहा था। लेकिन, यहां से पहले यूनिस खान ने और बाद में विकेटकीपर राशिद लतीफ़ ने कुछ अच्छे स्ट्रोक्स लगाकर ढाई सौ रनों के लिये भी तरस रही पाकिस्तान का स्कोर 273 रनो तक पहुँचाया।
दोस्तों, एक दबाव भरे मुक़ाबले में पहली पारी में जब 273 रन बने हों और सामने अख़्तर-अकरम-वक़ार की तिकड़ी हो तो 274 रनों का लक्ष्य हासिल करना आसान नहीं होता है।
यही वजह थी कि सचिन जैसे खिलाड़ी ने दबाव को सोखने के लिये लंच ब्रेक में कुछ नहीं खाया और बीती रात भी मैच की टेंशन में देर से सोने के बावजूद सचिन के चेहरे पर थकान बिल्कुल भी नहीं थी। क्योंकि, सचिन ने उस रोज़ ठान लिया था कि ‘इस दबाव में ग़लती करनी नहीं करवानी है’।
274 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी सचिन और सहवाग की सलामी जोड़ी ने पहली गेंद से ही चढ़कर खेलना शुरू किया। ख़ासकर सचिन ने जिस तरह शोएब के एक ओवर में अपर कट पर छक्का और 2 चौक्के लगाये, उसके लिये पाकिस्तानी टीम बिल्कुल भी तैयार नहीं थी।
सचिन और सहवाग ने उस रोज बिल्कुल टी-ट्वेंटी के अंदाज़ में शुरुआत की। मगर, जब छठे ओवर में 53 के स्कोर पर एक के बाद एक सहवाग और गाँगुली के विकेट वक़ार यूनुस ने लिये।
तो, भारतीय टीम मुश्किल में दिख रही थी। कि, तभी अगले ओवर में वसीम अकरम की गेंद पर अब्दुल रज़्ज़ाक ने मिडऑफ़ पर एक आसान कैच छोड़ दिया। वसीम ने गुस्से में रज़्ज़ाक से कहा “तुझे पता है। ये किसका कैच था”। क्राउड कुछ देर के लिए सन्न (सुन) हो गया था। मगर, सचिन के चेहरे पर शिकन का नाम भी नहीं था। क्योंकि, वो समझ गये थे कि ‘किस्मत आज बहादुर के साथ है’। फिर क्या था सचिन ने पाकिस्तानी गेंदबाज़ों को बल्लेबाज़ी की मास्टर क्लास देनी शुरू की। क्या शोएब की रफ़्तार, क्या वसीम की स्विंग और क्या वक़ार का नियंत्रण। उस रोज़ सचिन के सामने सब बोलिंग मशीन लग रहे थे। हर पाकिस्तानी गेंदबाज़ तेज़ी से भागते हुए आकर सचिन की तरफ़ गेंद फेंकता, तेंदुलकर मनचाहा शॉट खेलते और बॉलर सिसकते हुए क़दमों से रनअप पर पहुँचता।
भारत को असली झटका 28वें ओवर में लगा जब सचिन 98 रन पर आउट हो गये-
सचिन पाकिस्तानी गेंदबाज़ी के साथ खिलवाड़ करते रहे और कैफ़ एक ऐंड पर डटे रहे। मगर, 22वें ओवर में कैफ़ की एकाग्रता भंग हुई और पाकिस्तान को तीसरी सफ़लता मिली। लेकिन, भारत को असली झटका 28वें ओवर में तब लगा। जब सचिन 98 रन बनाकर 177 के स्कोर पर आउट हो गये। उस रोज़ पिच से लेकर पविलियन तक के वो 64 क़दम प्रत्येक क्रिकेट प्रेमी के लिये बहुत लंबे थे। जिसको याद करते हुए जॉन राइट ने कहा था “सचिन को इतना चुप हमने कभी नहीं देखा था। उसकी आँखों मे पानी था। ड्रैसिंग रूम में मैच के ख़त्म होने तक मातम छा गया था”।
हालाँकि, सचिन के आउट होने पर भारत का रन रेट बहुत अच्छा था। इसलिए, राहुल के साथ युवराज ने सँभलकर खेलते हुए और कोई विकेट खोये बिना भारत को 7 विकेट से मैच जिताकर ही दम लिया। इस तरह भारत ने एक जंग जीतकर विश्व कप में पाकिस्तान से कभी नही हारने का रिकॉर्ड आगे बढ़ाया और लाजवाब अंदाज़ में सुपर सिक्स में एंट्री की। मगर, सचिन के शतक से चूक जाने के ग़म ने जीत में खटास का काम किया। लेकिन, ये खटास आगे होने वाले हादसों के आगे कुछ नहीं थी।
सौरभ गांगुली पहली ही गेंद पर आउट-
दरअसल, हुआ ये था कि जीत के बावजूद 2 मार्च की सुबह भारत जल रहा था। कोलकाता में सौरव के पहली ही गेंद पर आउट होने पर क्रिकट प्रेमी नाराज़ थे। तो, अहमदाबाद, बरोडा, बैंगलोर, शाहपुर जैसे कई शहरों में जीत के जश्न में हुई आतिशबाज़ी ने विक्राल आग का रूप ले लिया था।
हालाँकि, इन हादसों में जान-माल का नुकसान कम हुआ। मगर, उस बड़ी जीत के बावजूद जश्न में खटास ज़रूर पड़ गयी थी। लेकिन, भारत देश ख़ुशी का पिटारा है। इसलिए, पूरा देश 2 मार्च तक ये हादसे भूलकर फिर जीत के जश्न में डूबा और ऐसा डूबा कि आँख सीधे सुपर सिक्स में खोली। वो सुपर सिक्स जिसकी दास्तान लेकर नारद टी.वी. जल्द लौटेगा ‘रिवाइंड वर्ल्ड कप 2003‘ के अगले एपिसोड में।
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