दोस्तों आज के दौर में जहां भारतीय क्रिकेट में कप्तान और कोच के नए नए विवाद मीडिया जगत में सुर्खियां बटोरते रहते हैं। वहीं इसके विपरीत भारतीय क्रिकेट में साल 2008 से साल 2011 तक एक ऐसा दौर भी रहा था जहां भारतीय क्रिकेट टीम ने बिना किसी अस्थिरता के, विश्व विजेता बनने तक का सफर तय किया था। और दोस्तों इस सफलता के मुख्य सूत्रधार बने थे पूर्व भारतीय कोच गैरी कर्स्टन।
गैरी कर्स्टन जो भारतीय टीम से साल 2007 वर्ल्ड कप की शर्मनाक हार के बाद बतौर मुख्य कोच की भूमिका में जुड़े थे। और साल 2008 से 2011 तक अपने कोचिंग कार्यकाल में ना सिर्फ भारतीय टीम को विश्व विजेता बनाया बल्कि कई युवा क्रिकेट सितारों को गैरी कर्स्टन ने एवरेज प्लेयर्स की लिस्ट से उठाकर स्टार क्रिकेट खिलाड़ी तक की रैंकिंग में लाकर खड़ा कर दिया।
क्रिकेट के भगवान से लेकर वीरेन्द्र सहवाग तक, लक्ष्मन से लेकर धोनी तक और कोहली से लेकर रोहित शर्मा तक सभी भारतीय क्रिकेट सितारे गैरी की कोचिंग के दीवाने थे।
गैरी कर्स्टन ने ड्रेसिंग रूम के अंदर जो माहौल बनाया था उस माहौल में खेलते हुए खिलाड़ी, हमेशा विश्व में नए नए cricket standards स्थापित करते चले गए।
और दोस्तों cricket standards, cricket coaching, और cricket action से भरे गैरी कर्स्टन की इसी सफ़रनामे को आज हम आपसे शुरू से साझा करने वाले हैं।
और इस कहानी में आगे हम जानेंगे आखिर कैसे रवि शास्त्री और सुनील गावस्कर के एक फोन ने cape town में अपनी क्रिकेट एकेडमी चला रहे गैरी कर्स्टन को भारतीय क्रिकेट टीम का मुख्य कोच बना दिया।
गैरी कर्स्टन का परिचय
तो दोस्तों गैरी कर्स्टन की कहानी शुरू होती है 23 नवंबर साल 1967 से, इसी दिन गैरी कर्स्टन का जन्म साउथ अफ्रीका के शहर cape town में हुआ था।
गैरी के पिता नोएल कर्स्टन पेशे से एक सिविल इंजीनियर थे लेकिन बाद में किन्ही कारणों वश नौकरी छोड़ने के बाद वे Newlands cricket ground में बतौर Grounds man के तौर पर कार्यरत हो गए। गैरी कर्स्टन का परिवार Newlands cricket ground में ही रहा करता था।
क्रिकेट ग्राउंड में रहते हुए गैरी कर्स्टन का बिता पूरा बचपन
क्रिकेट खेलते हुए और क्रिकेट की बारीकियों को समझते हुए निकला। बचपन में गैरी अपने दो भाइयों के साथ मैदान पर दिनभर क्रिकेट खेला करते थे और यहीं से गैरी कर्स्टन
क्रिकेट खेल के प्रति अपनी दीवानगी निरंतर बढ़ाते चले गए। गैरी अपने स्कूल के दिनों से ही पढ़ाई से ज्यादा अपने खेल पर ध्यान दिया करते थे। गैरी क्रिकेट के अलावा रग्बी Squash, और टेनिस जैसे खेलों में भी जमकर पसीना बहाया करते थे।
गैरी कर्स्टन का बचपन
गैरी कर्स्टन का बचपन बाकी बच्चों की तरह simple नहीं रहा था उनके माता और पिता के बीच अक्सर झगड़े होते रहते थे इसी के चलते बचपन में ही गैरी के माता-पिता का तलाक भी हो गया था। हालांकि ऐसे मानसिक तनावों से गुज़रने के बाद भी गैरी कर्स्टन ने कभी भी अपने बचपन में अपने ध्यान को क्रिकेट खेल से नहीं हटने दिया और निरंतर अपनी पहली पसंद क्रिकेट खेल में गैरी कर्स्टन बेहतर से बेहतरीन होते चले गए।
जब गैरी महज़ 18 वर्ष के थे तब कैंसर के चलते उनके पिता ने भी दम तोड़ दिया, पिता के चले जाने के बाद क्रिकेट खेल को अपने करियर का एक ऑप्शन बनाने के लिए गैरी कर्स्टन को बहुत से संघर्षों का सामना करना पड़ा। एक ओर जहां गैरी cricket academies की फीस के लिए मोहताज हो गए, वहीं दूसरी ओर जीवनयापन में भी गैरी कर्स्टन को आर्थिक संघर्षों का सामना करना पड़ा।
फिर भी गैरी के आगे खड़ी मुश्किल चुनौतिया उन्हें उनके मजबूत इरादों से डिगा नहीं पाईं, और विपरीत परिस्थितियों में भी इंटर स्कूल क्रिकेट टूर्नामेंट में रनों का अंबार लगाने के बाद गैरी दक्षिण अफ्रीकाई अंडर-19 क्रिकेट टीम में अपनी जगह सुनिश्चित कर बैठे।
अंडर-19 क्रिकेट में भी गैरी कर्स्टन अपने शानदार प्रदर्शन और कौशल के दम पर चयनकर्ताओं की वाहवाही बटोरने में कामयाब रहे और यहां अपने लाजवाब batting form के दम पर South African domestic cricket में भी गैरी कर्स्टन अपना नाम दर्ज करवाने में कामयाब रहे।
प्रथम श्रेणी क्रिकेट की शुरुआत गैरी कर्स्टन ने western province की ओर से खेलते हुए की और यहां अपने लाजवाब बैटिंग अंदाज को जारी रखते हुए एक ओपनर बल्लेबाज के तौर पर गैरी कर्स्टन का प्रदर्शन बेहद ही संतोषजनक रहा।
फर्स्ट क्लास और जूनियर लेवल क्रिकेट स्तरों पर पूरी तरह से अपने हुनर का सिक्का चला लेने के बाद गैरी कर्स्टन आखिरकार 26 दिसंबर साल 1993 को क्रिकेट के सर्वोच्च मुकाम, अंतर्राष्ट्रीय टेस्ट स्तर पर अपने देश का प्रतिनिधित्व करने में कामयाब हो जाते हैं।
गैरी कर्स्टन ने साल 1993 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना टेस्ट डेब्यू किया और अंतरराष्ट्रीय स्तर क्रिकेट के अपने दूसरे ही टेस्ट में 67 और 41 रन की पारियां खेलते हुए दक्षिण अफ्रीका को पांच रन से सिडनी टेस्ट जिताने में अहम भूमिका निभाई। गैरी कर्स्टन को अपने पहले टेस्ट शतक के लिए करीब दो साल और 17 टेस्ट का लंबा इंतजार करना पड़ा।
मगर इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और कई बड़ी पारियां खेलीं। साल 1999 में इंग्लैंड के खिलाफ 275 रन की पारी खेलकर उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की ओर से टेस्ट में सबसे बड़ी पारी के रिकॉर्ड की बराबरी की। इस पारी के दौरान उन्होंने साढ़े 14 घंटे बैटिंग की थी। और यह पारी खेलने के घंटों के हिसाब से आज भी विश्व क्रिकेट में दूसरी सबसे बड़ी खेली गई पारी है।
गैरी कर्स्टन ने अपने पूरे टेस्ट क्रिकेट करियर में 21 टेस्ट शतक अपने नाम किए, और इनमें से आठ बार गैरी कर्स्टन का स्कोर डेढ़ सौ रनों से भी ज्यादा का रहा।
वही गैरी कर्स्टन के द्वारा खेले गए 101 टेस्ट मैचों में उनका करियर बैटिंग एवरेज शानदार 45.47 का रहा। एक समय दक्षिण अफ्रीका के लिए टेस्ट में सबसे ज्यादा रन और सबसे ज्यादा शतक जमाने का रिकॉर्ड गैरी के नाम ही था। साथ ही वे पहले टेस्ट बल्लेबाज हैं जिन्होंने टेस्ट खेलने वाले बाकी नौ देशों के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका की तरफ से शतक बनाए थे।
टेस्ट के अलावा गैरी कर्स्टन 185 वनडे मुकाबलों में भी अपने देश का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम रहे। गैरी बतौर ओपनर खेला करते थे और जब वे खेला करते थे तब कहा जाता था कि कर्स्टन के जाने के बाद दक्षिण अफ्रीका उनके बिना World cricket में survive ही नहीं कर पाएगी। कर्स्टन पहले दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज थे, जिन्होंने 5000 टेस्ट रन बनाए थे। गैरी ने अपने द्वारा खेले गए कुल 185 वनडे मुकाबलों में 40.95 की औसत से 6798 रन अपने नाम के आगे दर्ज किए।
वनडे क्रिकेट में गैरी कर्स्टन को आंकड़ों और अपने द्वारा खेली गई पारियों के लिहाज से अच्छी खासी सफलता मिली। खासतौर पर 1996 वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में गैरी कर्स्टन के द्वारा यूएई के खिलाफ खेली गई नाबाद 188 रनों की पारी विश्व क्रिकेट में, वर्ल्ड कप मैच के सर्वोच्च स्कोर के मामले में करीब 19 सालों तक रिकॉर्ड का हिस्सा बनी रही।
बाद में इस पारी का रिकॉर्ड वर्ल्ड कप 2015 में पहले क्रिस गेल ने 215 फिर मार्टिन गप्टिल ने नाबाद 237 रन बनाते हुए तोड़ा। लेकिन वनडे में दक्षिण अफ्रीका की ओर से सर्वोच्च स्कोर का रिकॉर्ड अभी भी गैरी कर्स्टन के नाम ही है।
करीब 11 सालों तक चले अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर पर साल 2004 में गैरी कर्स्टन ने पूर्ण विराम लगा दिया।और क्रिकेट खेल से दूरी बना लेने के बाद वह दक्षिण अफ्रीका की घरेलू क्रिकेट टीम वॉरियर्स के साथ बैटिंग कंसल्टेंट कोच के तौर पर कार्यरत हो गए।
भारतीय क्रिकेट टीम से गैरी कर्स्टन के बतौर मुख्य कोच जुड़ने का सिलसिला तब शुरू हुआ जब शरद पवार के बाद शशांक मनोहर ने बीसीसीआई अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला।
शशांक मनोहर के ही नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट टीम को एक balanced coaching system provide कराने की दिशा में सुनील गावस्कर और रवि शास्त्री के द्वारा गैरी कर्स्टन को फोन पर संपर्क किया गया।
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गैरी कर्स्टन भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच
गैरी कर्स्टन की सहमति से 1 मार्च साल 2008 से ही वे भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच नियुक्त कर दिए गए।
कोच के तौर पर भारतीय क्रिकेट टीम से जुड़ने के बादसबसे पहले गैरी कर्स्टन ने साल 2007 वर्ल्ड कप में बांग्लादेश के हाथों मिली हार से बिगड़े ड्रेसिंग रूम के माहौल को तंदुरुस्त किया, गैरी कस्टर्न ने इंडियन ड्रेसिंग रूम में team oriented culture का प्रचलन शुरू किया।
इस कल्चर में सीनियर से लेकर जूनियर खिलाड़ियों तक सभी अपने आप को ज्यादा पॉजिटिव और ज्यादा कॉन्फिडेंट महसूस करने लगे, अपनी कोचिंग के शुरुआती दौर में जब गैरी कर्स्टन ने सचिन तेंदुलकर से पूछा कि मैं आपको कैसे कोच करूं तो सचिन ने जवाब दिया “Coach me as a friend” और फिर सचिन ने गैरी कर्स्टन की कोचिंग को इंजॉय भी बखूबी किया।
गैरी कर्स्टन की कोचिंग के under ही सचिन तेंदुलकर का हाईएस्ट ओडीआई बैटिंग एवरेज भी रहा। विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे युवा खिलाड़ी भी गैरी कर्स्टन के दोस्त बनकर मैदान पर ज्यादा कॉन्फिडेंट दिखने लगे और टीम ओरिएंटेड कल्चर से पूरी टीम के प्रदर्शन में लगातार सुधार होने शुरू हो गए।
गैरी कर्स्टन की कोचिंग के अंदर भारत अपनी पहली सीरीज दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 1-1 से ड्रॉ करने में कामयाब रहा। वहीं न्यूजीलैंड की धरती पर भारत पहली बार टेस्ट सीरीज जीतने में कामयाब रहा। गैरी कर्स्टन की कोचिंग के अंदर ही भारतीय टीम श्रीलंका को श्रीलंका की धरती पर हरा कर लौटी।
टेस्ट में नंबर वन बनने का खिताब भी भारतीय टीम में गैरी कर्स्टन की कोचिंग के under अपने नाम किया। कुल मिलाकर भारतीय क्रिकेट टीम ने कोच गैरी कर्स्टन की अगुवाई में 73 मैचों को खेला जिनमें से 38 मैचों में केवल भारतीय टीम को हार का सामना करना पड़ा।
गैरी कर्स्टन के मार्गदर्शन में टीम इंडिया ने सबसे बड़ी जीत दर्ज की 2 अप्रैल साल 2011 को, जब वानखेड़े में धोनी के छक्के के साथ ही भारतीय टीम 28 साल बाद Icc वर्ल्ड कप ट्रॉफी अपने नाम करने में कामयाब हुई थी।
इस जीत के बाद कोच गैरी कर्स्टन के सम्मान में भारतीय खिलाड़ियों ने उन्हें कंधे पर बैठाकर पूरे मैदान का चक्कर लगाया था। गैरी उस पल को याद करते हुए बताते हैं कि भारतीय क्रिकेट कोचिंग के दौरान यही लम्हा उनके लिए सबसे बड़ा consideration था।
साल 2011 में भारतीय क्रिकेट टीम से कोचिंग contract समाप्त होने के बाद गैरी कर्स्टन दक्षिण अफ्रीका की टीम से बतौर मुख्य कोच जुड़ गए। और इसके बाद कई फ्रेंचाइजी क्रिकेट टीमों में भी गैरी कर्स्टन अपनी कोचिंग कला के हुनर को बिखेरते हुए विश्व क्रिकेट में नजर आए। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु और कराची किंग्स जैसी फ्रेंचाइजियों को भी गैरी कर्स्टन अपनी कोचिंग फैसिलिटीज़ से फैसिलिटेट करते आए हैं।
गैरी कर्स्टन का परिवार
क्रिकेट के अलावा यदि अब हम बात करेंगे गैरी कर्स्टन के निजी जिंदगी की तो गैरी की शादी उनकी बचपन की दोस्त Deborah Kirsten से हुई थी Garry Kirsten के गैरी कर्स्टन में उनकी पत्नी के अलावा उनके दो बेटे Joshua Kirsten, James Kirsten और एक बेटी Joanna Kirsten भी है।
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