बेदी ब्रदर्स की कहानी एक हीरो और एक विलेन।
हिंदी फ़िल्मों में कई ऐसी भाइयों की जोड़ियां आयीं जो बहुत कामयाब हुईं, तो बहुत सी जोड़ियां ऐसी भी हुई जिनके बारे में लोग कम ही जान पाये। 90 के दशक में भी ऐसी ही कुछ जोड़ियां आयीं थी जिनमें से किसी एक भाई की पहचान बनी भी तो दूसरे को उतनी कामयाबी न मिल सकी, और कामयाबी मिली भी तो वो लम्बे वक़्त तक न टिक सकी।
उस दौर की बात करें तो ऐसी जोड़ियों में रोनित रॉय और रोहित रॉय जैसे भाइयों के अलावा भाइयों की एक और जोड़ी का बड़े परदे पर आगमन हुआ था, जिनके नाम हैं माणिक बेदी और रजत बेदी।
ख़ूबसूरत चेहरा, लम्बी चौड़ी पर्सनैलिटी और बढ़िया ऐक्टिंग- फ़िल्मों में बतौर नायक काम करने के लिये भला और क्या चाहिए। लेकिन आज हम जिस ऐक्टर की बात करने जा रहे हैं उसने इन सारी ख़ूबियों के बावज़ूद ख़ुद को विलेन के रूप में ही परदे पर लाने का फ़ैसला किया और अपनी एक अलग पहचान भी बनायी, उस ऐक्टर का नाम है रजत बेदी।
रजत बेदी का जन्म और शिक्षा-
1 जनवरी, 1970 को मुंबई में जन्मे रजत बेदी के पिता नरेन्द्र बेदी जी 70 के दशक के मशहूर राइटर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर हुआ करते थे। उस दौर में उन्होंने जवानी दीवानी, खोटे सिक्के और रफ़ू चक्कर जैसी सुपरहिट फिल्मों के अलावा सुपरस्टार राजेश खन्ना के साथ बंधन और महाचोर जैसी बेहतरीन फ़िल्में बनायीं तो वहीं उन्होंने अमिताभ बच्चन को लेकर बेनाम और अदालत जैसी शानदार फ़िल्में भी बनायी।
रजत बेदी की मां वीना बेदी जी भी एक राइटर और कॉस्ट्यूम डिजाइनर हुआ करती थीं। उन्होंने 80 के दशक में रिलीज़ हुई विनोद खन्ना की फिल्म इंसान की स्टोरी लिखी थी जिसका स्क्रीनप्ले लिखने के साथ निर्देशन किया था नरेन्द्र बेदी जी ने।
रजत के दादाजी स्वर्गीय राजिंदर सिंह बेदी जी एक जाने माने राइटर हुआ करते थे। ढेरों कहानियाँ आदि लिखने के साथ-साथ उन्होंने एक चादर मैली सी और अभिमान जैसी कई शानदार क्लासिक फ़िल्में भी लिखी हैं।
रजत बेदी का फ़िल्मी करियर-
रजत ने अपनी स्कूली शिक्षा मुंबई के जमनाबाई नरसी स्कूल से की थी। बेहद ही शानदार व्यक्तित्व के मालिक रजत ने पढ़ाई के बाद मॉडलिंग शुरू कर दी और कई प्रतियोगिताओं में विनर भी रहे। दोस्तों आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि रजत ने “करण अर्जुन ” और “डुप्लिकेट” जैसी फिल्मों में शाहरुख़ ख़ान का बॉडी डबल बनकर बॉलीवुड में प्रवेश किया था।
वर्ष 1998 में उन्होंने राज एन सिप्पी द्वारा निर्देशित फिल्म ” दो हज़ार एक” से बतौर अभिनेता अपनी शुरुआत की।
थ्रिलर और मिस्ट्री बेस्ड जॉनर की इस फ़िल्म में डिंपल कपाड़िया, जैकी श्रॉफ और तब्बू जैसे उम्दा ऐक्टर्स की भरमार थी। इंटरनेशनल खिलाड़ी, जोड़ी नम्बर वन, “ये दिल आशिकाना”, चोर मचाये शोर, इंडियन, जानी दुश्मन: एक अनोखी कहानी, माँ तुझे सलाम, “रक्त”, अक्सर”, जान-ए-मन, द हीरो, “पार्टनर”, “द ट्रेन” और “बॉर्डर हिंदुस्तान का” आदि जैसी तकरीबन 40 फ़िल्मों में उन्होंने काम किया।
हालांकि रजत को असल पहचान मिली थी राकेश रोशन की फ़िल्म “कोई मिल गया ” से। वर्ष 2003 में रिलीज़ हुई इस फ़िल्म में उन्होंने “राज सक्सेना” की नकारात्मक भूमिका निभाई थी। इस फिल्म की ज़बरदस्त कामयाबी के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
दोस्तों ज़्यादातर फिल्मों में रजत ने मुख्य रूप से एक नकारात्मक किरदार ही निभाये। उनका मानना था कि ऐसे किरदारों में उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का ज़्यादा मौक़ा मिलता है। हिंदी के अलावा रजत ने पंजाबी, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ आदि भाषाओं की फ़िल्मों में भी काम किया है।
हालांकि ढेरों फ़िल्मों में काम करने के बावज़ूद भी रजत को एक जैसे ही रोल ऑफर हो रहे थे जिससे रजत को बतौर ऐक्टर न तो संतुष्टि मिल रही थी और न ही अपना सफल भविष्य ही नज़र आ रहा था इसलिए अचानक ही वे फ़िल्म लाइन छोड़ बिजनेस करने कनाडा चले गए और वहीं बस गए। रजत कहते हैं कि ”दूसरे देश में जाना कोई सुनियोजित फैसला नहीं था
दरअसल वे अपने फिल्मी कॅरियर से खुश नहीं थे।” रजत ने कनाडा में ‘क्राफ्ट्समेन हॉर्शम कंस्ट्रक्शन लिमिटेड’ नाम की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी शुरू की और कुछ साल वहाँ काम किया लेकिन फिल्म इंडस्ट्री से दूर रहकर उन्हें अपनी जिंदगी हमेशा अधूरी लगती थी।
रजत कहते हैं कि वे अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी के हैं जो फिल्म व्यवसाय में हैं और वे इस व्यवसाय को आगे भी ज़ारी रखना चाहते हैं।
रजत की दूसरी पारी एक टेलीविजन निर्माता के रूप में शो “लाजवंती” से शुरू हुई, जो वर्ष 2015 में ज़ी टीवी पर प्रसारित हुआ था। इस शो की कहानी स्वर्गीय राजिंदर सिंह बेदी द्वारा लिखी गई किताब पर आधारित थी, जिसमें पंजाब में बंटवारे की अवधि के दौरान दंपति को हुई कठिनाइयों का वर्णन है।
इस कहानी को रजत और उनकी बहन इला बेदी दत्ता ने शो की पटकथा के रूप में रूपांतरित किया है, हालांकि शो बनाने से पहले इला सालों से लाजवंती को फिल्म बनाने की कोशिश कर रही थी लेकिन जब उन्हें इसमें सफलता न मिल पायी तो उन्होंने इसे छोटे पर्दे के लिए बनाने का फैसला किया।
रजत ‘डालमोरा एंटरटेनमेंट’ के बैनर तले फिल्मों का सह-निर्माण भी करते हैं जो कि उनकी कनाडाई कंपनी है। इस प्रोडक्शन में उन्होंने “पंजाब 1984” और “सरदारजी ” जैसी कुछ पंजाबी फ़िल्में बनायी हैं, जो बहुत ही सफल रही हैं। इसके अलावा कुछ बॉलीवुड प्रोजेक्ट्स पर भी उनका काम चल रहा है।
रजत बेदी बॉलीवुड में अपनी वापसी को लेकर कहते हैं कि “मैंने हमेशा भारतीय फिल्म और मनोरंजन उद्योग से दूर रहकर ख़ुद को अधूरा महसूस किया क्योंकि मैं यहीं से हूं।
अब समय एकदम सही है – कई प्लेटफार्मों का उदय नई प्रतिभाओं के साथ मेल खा रहा है जो अलग-अलग कहानियां कह रहे हैं और वर्तमान में उन्हें एक अलग तरीके से पेश किया जा रहा है। बॉलीवुड वापसी करने पर बतौर प्रोड्यूसर शुरुआत करने के साथ-साथ रजत ने हिंदी के अलावा पंजाबी और तेलुगू आदि भाषाओं को कुछ फ़िल्मों में काम भी कर लिया है।
रजत ने ख़ुद को राज सिंह बेदी नाम दिया-
दोस्तों कम लोग जानते हैं कि इस बार रजत ने ख़ुद को राज सिंह बेदी नाम दिया है। वह बताते हैं कि ‘मेरे पिता हमेशा मुझे राज बुलाना चाहते थे, लेकिन मेरी मां ने इसे बदलकर रजत कर दिया। चूंकि यह व्यवसाय में मेरी दूसरी पारी है, इसलिए मैं अपना नाम बदलकर राज करना चाहूंगा। साथ ही, यह इंडस्ट्री में हमेशा एक भाग्यशाली नाम भी रहा है।”
एक्टर रजत बेदी की कार से टक्कर लगने वाले शख्स की मौत-
दोस्तों रजत बॉलीवुड में दोबारा अपने पैर जमा रहे थे लेकिन तभी उनके साथ एक दुःखद घटना हो गयी। दरअसल कुछ महीनों पहले ही रजत बेदी की कार से एक बड़ा हादसा हो गया था। बताया जाता है कि उनकी गाड़ी के आगे अचानक एक आदमी आ गया जो नशे में था। इस हादसे के बाद रजत ने ख़ुद घायल शख्स को अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन अफ़सोस कि इस शख्स की अस्पताल में मौत हो गई।
इस हादसे के बाद रजत को भी बड़ा झटका लगा है, रजत कहते हैं कि, ‘इस हादसे ने मुझे पूरी तरह से तोड़ दिया है, भले ही इसमें मेरी कोई गलती नहीं थी, लेकिन मैं टूट गया हूं, बस सोच रहा हूं कि मेरे साथ ये कैसे हो गया। मैंने उसकी जान बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन मैं उसे नहीं बचा सका। उन्होंने कहा कि “मैंने मृतक राजेश बौध का सारा खर्चा उठाया है।
यहां तक कि मैंने अंतिम संस्कार के लिए भी भुगतान किया है। मैं उनके परिवार को आर्थिक मदद देता रहूंगा, बस पुलिस का काम पूरा होने का इंतजार कर रहा हूं। जिसके बाद मैं उनकी बेटियों की देखभाल करूंगा और कुछ एफडी भी करवाऊंगा। इसके साथ ही रजत ने उनकी पत्नी को एक स्थिर नौकरी भी दिला दी है।
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रजत बेदी का ब्यक्तिगत जीवन-
बात करें रजत बेदी यानि राज सिंह बेदी के निजी जीवन की तो उन्होंने अपने बचपन की दोस्त मोनालिजा बेदी से शादी की है जो ऐक्ट्रेस ट्यूलिप जोशी की बहन हैं। यहाँ हम आपको याद दिला दें कि ट्यूलिप जोशी वही हैं जो फ़िल्म ‘मेरे यार की शादी है’ में लीड रोल में नज़र आ चुकी हैं। रजत बेदी के दो बच्चे हैं, बेटा विवान बेदी और बेटी वेरा बेदी।
आइये अब बात करते हैं माणिक बेदी जी की जिनके पारिवारिक बैक ग्राउंड के बारे में हम शुरुआत में चर्चा कर ही चुके हैं। दोस्तों माणिक फ़िल्मों में रजत से पहले से ही सक्रिय हैं और एक ऐक्टर होने के साथ साथ आज एक प्रोड्यूसर भी बन चुके हैं ।
90 के दशक में रिलीज़ हुई फ़िल्म राम और श्याम से बतौर ऐक्टर बॉलीवुड में शुरुआत करने वाले माणिक बेदी ने भाई-भाई, दंड नायक और ज़जीर जैसी दर्जन भर फ़िल्में और कुछ टीवी शोज़ करने के बाद निर्माण के क्षेत्र में जाने का मन बना लिया।
माणिक वर्ष 2005 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘पद्मश्री लालू प्रसाद यादव’ से बतौर को-प्रोड्यूसर जुड़े और माणिक बेदी से माणिक एन॰ बेदी बन गये। यहाँ हम बता दें कि अपने नाम में जो उन्होंने एन लगाया है उनके पिता नरेंद्र बेदी जी के नाम का शॉर्ट है।
दोस्तों आज माणिक बतौर फिल्म और टीवी निर्माता पूरी तरह से सक्रिय हैं कम लोगों को ही पता होगा कि ज़ी टीवी के हिट शो “हिटलर दीदी” का निर्माण भी माणिक ने ही किया है। हाल ही में माणिक के निर्माण में बनी पंजाबी फ़िल्म ‘गोल गप्पे’ से उनके भाई रजत बेदी ने बतौर ऐक्टर पंजाबी फ़िल्मों में वापसी भी की है।
माणिक और रजत की एक बहन भी फ़िल्मों में लम्बे समय से बतौर राइटर सक्रिय हैं जिनका नाम है इला बेदी दत्ता। इला ने ‘मेहंदी तेरे नाम की’ सारा आकाश और मिली की पटकथा लिखने के साथ साथ ‘देस में निकला होगा चाँद’, दिशाएं, काव्यंजलि, में एक चाही है पड़ोस में, 2007 में विरुद्ध, मेरे अपने , ‘एक वीर स्त्री की कहानी… झांसी की रानी’ और ‘मुझसे’ जैसे कई शोज़ की सह-लेखिका भी रह चुकी हैं।
बाद में इला ने राइटिंग के साथ साथ बतौर को-प्रोड्यूसर अपने भाइयों के साथ ट्रिलॉजी क्रिकोस लिमिटेड की शुरुआत की और हिटलर दीदी शो को लिखा। कम लोगों को ही पता होगा कि इला वर्ष 2012 में रिलीज़ हुई एक्शन ड्रामा फिल्म, अग्निपथ की भी सह लेखिका हैं।
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