भारत बनाम पाकिस्तान, एक मैच जो हर क्रिकेट प्रेमी के लिऐ खेल से कहीं आगे की घटना है। मैदान में मौजूद खिलाड़ियों से लेकर टी. वी. से चुपके दर्शकों तक, सभी अपनी टीम की जीत के लिये सबकुछ दाँव पर लगाने को तैयार रहते हैं। क्योंकि, Champions Trophy भारत-पाकिस्तान भौगोलिक और क्रिकेट दोनों ही नज़रिये से चिर प्रतिद्वंद्वी हैं।
ख़ासकर क्रिकेट में तो 90 के दशक में भारत और पाकिस्तान दोनों एक ही स्तर के सितारों से सजी हुई टीमें थीं। हालांकि, कुछ सालों तक पाकिस्तान को भारत से आगे भी गिना गया। लेकिन, 21वीं सदी की शुरुआत से ही भारत खेल के हर हिस्से में पाकिस्तान पर भारी पड़ा और जीत के नये रिकॉर्ड बनाता गया। भारत के वर्चस्व को दर्शाता हुआ, एक ऐसा ही मैच था साल 2013 चैंपियंस ट्रॉफी का 10वां मैच।
Champions Trophy 2013 मैच की शुरुआत
जहाँ हम आज 15 June 2013 चैंपियंस ट्रॉफी मुक़ाबले में भारत बनाम पाकिस्तान मैच के दिलचस्प लम्हों की यादें ताज़ा करेंगे। दोस्तों, चैंपियंस ट्रॉफी 2013 में अभी तक भारत इकलौती ऐसी टीम थी जो एक भी मैच नहीं हारी थी और इसलिये अपने ग्रुप में भारत का रन रेट सबसे बेहतर था। जिसे देखते हुए सेमीफाइनल में भारत की सीट पक्की थी।
मगर, दूसरी ओर 2013 चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तानी टीम ट्रैक से भटकी हुई थी। उन्हें अपने पहले दो मुक़ाबलों में वेस्टइंडीज और साउथ अफ्रीका के हाथों करारी हार मिली थी। पाकिस्तान के पास सेमीफाइनल में जाने का कोई मौका नहीं था। अगर, चैंपियंस ट्रॉफी 2013 के हिसाब से देखा जाये तो इस मैच का कोई महत्त्व नही था।
लेकिन, यहीं आता है भारत बनाम पाकिस्तान मैच फ़ैक्टर। टूर्नामेंट पर जिस मैच के होने या ना होने का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। उसके सभी टिकट सिर्फ़ कुछ घंटों में ही बिक गये थे। बरसात के आसार होने के बावजूद भी दर्शक पूरे जोश में थे। ख़ासकर पाकिस्तानी क्रिकेट प्रेमी, उनके लिये चैंपियंस ट्रॉफी विश्व कप में मिली हार का बदला हुआ करती थी।
जिस तरह पाकिस्तान विश्व कप में भारत को कभी हरा नहीं पाया है। उसी तरह 2013 से पहले भारत भी कभी पाकिस्तान को चैंपियंस ट्रॉफी मैच में नहीं हरा पाया था। उसके ऊपर से ये मैच उस एजबेस्टन ग्राउंड में था। जहां भारत 2004 चैंपियंस ट्रॉफी में जीत के क़रीब जाकर भी मैच हार गया था।
यानी उस रोज़ भारत की साख दाँव पर थी और अच्छी स्थिति में होने के बावजूद भी दबाव की कोई कमी नहीं थी। भारतीय टीम इस बड़े दबाव के बीच जीत की उम्मीद लिये मैदान में उतरी। बारिश के कारण मैच देरी से शुरू हुआ और 40-40 ओवर का कर दिया गया। मैदान बादलों से घिरा हुआ था और पिच पर हल्की-हल्की घास थीं। यानी गेंदबाज़ी करने के लिये यह सबसे अच्छा समय था।
ये भी पढ़ें- फ़िल्मी परिवार की वो संतानें जिन्होंने अलग राह चुनी
इसलिए धोनी ने टॉस जीतकर बिना वक़्त गवाये पाकिस्तान को बल्लेबाज़ी के लिये कहा। पाकिस्तान की ओर से मोहम्मद हफ़ीज़ और कामरान अकमल की सलामी जोड़ी उतरी। भुवनेश्वर कुमार ने पहली ही गेंद से स्विंग का जादू दिखाना शुरू कर दिया। नासिर जमशेद को भुवनेश्वर ने बहार जाती हुई गेंद पर स्लिप में खड़े रैना के हाथों का कैच आउट करवा के विकेटों का सिलसिला शुरू कर दिया।
तीसरे नम्बर पर बल्लेबाजी करने आये हफ़ीज़ ने कामरान अकमल के साथ मिलकर सूझबूझ से रन बनाने शुरू किये। लेकिन, विकेट बचाने का दबाव साफ़ दिख रहा था। कामरान अकमल अपने खेल के विपरीत संभल कर खेल रहे थे। जबकि, हफ़ीज़ मौका मिलने पर अच्छे स्ट्रोक लगा रहे थे।
यहीं, पहले भुवनेश्वर ने 27 रन बनाकर खेल रहे हफ़ीज़ को और फिर अश्विन ने 21 रन पर खेल रहे अकमल को आउट किया। क़रीब 15 ओवर के बाद स्कोरबोर्ड सिर्फ़ 56 रन थे और तीन बड़े विकेट गिर चुके थे। पाकिस्तान के लिये अब वापसी बहुत मुश्किल थी। लेकिन, मिस्बाह ने असद शफ़ीक़ के साथ मिलकर पाकिस्तान को मैच में वापस लाने की कोशिश जारी रखी।
मिस्बाह और असद ने चौथे विकेट के लिये 59 गेंदों में 54 रन जोड़े। रन रेट बढ़ाने की कोशिश मे मिस्बाह 22 रन बनाकर जडेजा की गेंद पर बोल्ड हो गये। इसके बाद 131 के स्कोर पर पाकिस्तान की ओर से सबसे अधिक 41 रन बनाने वाले असद शफ़ीक़ भी आउट हो गये। असद के आउट होते ही पाकिस्तानी बल्लेबाज़ी ताश के पत्तों की तरह ढह गयी और पूरे 40 ओवर भी नहीं खेल पायी।
पायी।असल मे पाकिस्तान की बल्लेबाजी में कुछ ऐसा नहीं था, जिससे लगा हो कि वो बड़ा स्कोर बनायेंगे। जो बल्लेबाज़ शुरू की मुश्किलों के बाद जमते दिखाई दिये वो भी बीच मे ग़लती करते रहे और आउट होते रहे। वो तो आख़िर में उमर अमीन के 27 रनों के चलते पाकिस्तान ने जैसे-तैसे 165 रन बना लिये थे।
भारतीय टीम की बल्लेबाजी
मैच में बरसात होने के कारण भारत को ‘डकवर्थ लुईस मेथड’ के आधार पर 168 रनों का लक्ष्य मिला। इतिहास रचने के इरादे से उतरी रोहित और धवन की जोड़ी ने एक अलग अंदाज़ में बल्लेबाज़ी करना शुरू किया। एक तरफ़ रोहित अपन वक़्त लेकर खेल रहे थे। दूसरी तरफ़, धवन ने वहाब रियाज़ और जुनैद खान की जमकर पिटाई करना शुरू की।
रोहित धीरे-धीरे लय पकड़ते दिख रहे थे। लेकिन, सिर्फ़ 18 के स्कोर पर आउट हो गये। मगर, तब तक भारत 58 रन बना चुका था और बार-बार बारिश के कारण लक्ष्य 168 से घटकर 102 हो गया था। मैदान में मौजूद हर कोई यह चाहता था कि किसी न किसी तरह पारी के 20 ओवर हो, ताकि डकवर्थ लुईस मेथड लागू कर मैच का निर्णय निकल सके। लेकिन, पहले धवन और कोहली ने रनगति तेज़ की।
फिर, धवन के आउट होने के बाद दिनेश कार्तिक ने भी तेज़ से रन बनाते हुए भारत को 20वें ओवर में ही जीत दिला दी। भारत की ओर से धवन ने सबसे अधिक 48 रन बनाये। जबकि, 8 ओवर में सिर्फ़ 19 रन देकर 2 विकेट लेने वाले भुवनेश्वर कुमार ‘मैन ऑफ़ द मैच’ रहे। इस तरह भारत ने इतिहास बनाते हुए पहली बार चैंपियंस ट्रॉफी में जीत हासिल की और अतिरिक्त मनोबल के साथ सेमीफाइनल में प्रवेश किया।
Watch on YouTube-