जैकी श्रॉफ के परिवार का इतिहास

वक़्त का खेल है सब, अपना-अपना नसीब है, भाग्य में जो लिखा है वही मिलता है। अक्सर लोगों के मुंह से आपने ऐसी बातें सुनी होंगी और यह कहते हुए भी सुना होगा कि इंसान के कर्म से ही उसका भाग्य बदलता है, मेहनत और लगन से ही सफलता मिलती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि दुनियाँ में नसीब जैसी कोई चीज़ नहीं होती , नसीब का रोल इतना तो ज़रूर है कि किसी को अपनी मंज़िल हासिल करने के लिए लम्बे समय तक जूझना पड़ता है ,तो किसी को हल्के प्रयास से ही सब हासिल हो जाता है और किसी-किसी के पास तो मंज़िल ख़ुद चलकर आती है । दोस्तों आज हम चर्चा करेंगे 80 के दशक के एक ऐसे ही सफल और सदाबहार अभिनेता जैकी श्राफ की । जिन्हें फिल्मों में काम पाने के लिए तो विशेष संघर्ष नहीं करना पड़ा लेकिन उनका शुरुआती जीवन बहुत ही कठिनाईओं में गुज़रा। आप सभी दर्शकों की बेहद मांग पर , बॉलीवुड फैमिली के इस एपिसोड में आज बात होगी जैकी श्रॉफ परिवार के बारे में ।
नमस्कार दोस्तों
जैकी श्रॉफ का प्रारंभिक जीवन
जयकिशन काकूभाई श्राफ यानि जैकी श्रॉफ का जन्म 1 फरवरी 1957 को महाराष्ट्र के उदगीर में हुआ था, जो की लातूर ज़िले में स्थित है। बाद में इनके पिता परिवार सहित मुंबई के मालाबार हिल एरिया के तीन बत्ती इलाके में आकर बस गये। जैकी श्रॉफ का बचपन और किशोरावस्था का समय बहुत ही ग़रीबी में बीता ।गरीबी का आलम ये था की जब ये ग्यारहवीं में थे तो इन्हे अपनी पढाई बीच में ही छोड़ देनी पड़ी। जैकी श्राफ बताते हैं कि उन्हें अपनी पढ़ाई इसलिये भी छोड़नी पड़ी क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि उनकी पढ़ाई की वज़ह से उनकी फीस का बोझ घर पर पड़े। अक्सर उनकी फीस भरने के लिये उनकी माँ घर के बर्तन और अपनी साड़ी बेच देती, यह बात जैकी श्राफ को बहुत तक़लीफ़ देती। जैकी श्राफ ने एक प्राइवेट कंपनी में अपरेंटिस के नाम पर काम करना शुरू किया और इस दौरान वो अपने मोहल्ले में जितना बन पड़ता सबकी मदद करते । प्यार से लोग उन्हें जग्गू दादा कहा करते और जैकी भी सबको बीड़ू कह के पुकारते ठीक वैसे ही जैसे राजकुमार सबको जानी कह के पुकारा करते थे।
जैकी श्राफ चाहते थे कि वो अपने घर और अपने माता-पिता के लिये कुछ अच्छा करें जिससे उन सबका आगे का जीवन अच्छा बीते। उन्होंने काफी प्रयास भी किया लेकिन कुछ काम नहीं सूझ रहा था । जैकी पायलट बनना चाहते थे लेकिन उतनी पढ़ाई ही नहीं की थी, नेवी में भी जाना चाहते थे लेकिन मैथ और साइंस में मात खा जाते । थक -हारकर उन्होंने कुक बनने का निर्णय लिया क्योंकि यही वो काम था जिसे जैकी बड़े मन से किया करते थे। एक दिन इसी उधेड़बुन में जैकी एक बस स्टॉप पर खड़े कुछ सोच रहे थे कि अब आगे क्या किया जाए तभी वहां एक आदमी आया जिसने अपना परिचय एक ऐड कम्पनी के अकाउंटेंट के रूप में दिया और जैकी से पुछा की माॅडलिंंग करना पसंद करोगे? जैकी को मॉडलिंग के बारे में ज्यादा कुछ जानकारी नहीं थी उन्होंने पूूछा इसमें मुझेे करना क्या होगा ? तो उस व्यक्ति ने बताया कि आपको फोटो खींचानी होगी और उसके बदले में आपको पैसे मिलेंगे। जैकी ख़ुशी ख़ुशी यह काम करने के लिए मान गए । अगले दिन जैकी उस व्यक्ति के बताए पते पर पहुंचे जहाँ उन्हें ऐड कम्पनी के मालिक मिस्टर और मिसेज जैन मिले और उन्होंने जैकी को उनका काम समझाया, कुछ दिनोंं के बाद उनका फोटो शूट हुआ और इसके लिये उन्हें 7000 रूपये की पेमेंट मिली ,जैकी को यह काम अच्छा लगा और उन्होंने घर आकर बताया अपने माता पिता से इजाज़त माँँगी कि मैं अपनी प्राइवेट जाॅब छोड़कर इसी काम को करना चाहता हूँँ। जैकी को इस काम के लिए अपने माता पिता की इजाजत मिल गयी ।
वो 80 के दशक की शुरुआत थी जैकी ने चार मीनार सिगरेट जैसे प्रोडक्ट के लिए भी विज्ञापन किया आपको बता दें की तब वो विज्ञापन पेपर में छपा करते थे। जैकी के कद काठी से प्रभावित होकर कई लोगों ने इन्हे सलाह दी की तुम्हे फिल्मों में भी ट्राई करना चाहिए । जैकी ने भी मन बने और एक एक्टिंग क्लास ज्वाइन कर ली ।

उसी दौरान उनकी मुलाकात सुनील आनंद से हुई ,जो कि लेजेंड्री एक्टर देवानंद साहब के सुपुत्र हैं ।जैकी ने सुनील से कहा कि मैं देव साहब का बहुत बड़ा फैन हूं क्या आप मुझे उनसे मिलवा सकते हैं । सुनील आनंद ने अगले दिन शाम को अपने पिता देवानंद से उनकी मुलाकात करवाई । देवानंद जैकी को देखकर बहुत खुश हुए -और कहा कि सवेरे तुम्हारा पोस्टर देखा और शाम को तुम मेरे सामने खड़े हो ।मैं तुम्हें काम ज़रूर दूँगा। देव साहब ने उन्हें अपनी अगली फिल्म स्वामी दादा में सेकंड लीड का रोल दिया जैकी बहुत खुश थे ।लेकिन कुछ दिनों के बाद ही देव साहब ने उन्हें बताया कि वह रोल मैंने मिथुन चक्रवर्ती को दे दिया है । तुम्हारे लिए एक दूसरा रोल है क्या तुम इसे करना चाहोगे। जैकी को तो उन्हें ना करने का कोई सवाल ही नहीं था। उन्होंने अपने रोल के बारे में पूछा तो पता चला कि उन्हें शक्ति कपूर के राइट हैंड का करैक्टर निभाना है । ख़ैर जैकी श्रॉफ ने उस काम को अपने अभिनय और फिल्म की एक ट्रेनिंग मानकर कर लिया ।1982 में रिलीज़ इस फिल्म से उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला जिसका फायदा उन्हें आगे की फिल्मों में मिला उन्होंने देवानंद के साथ कई फिल्में की। उसी दौरान डायरेक्टर सुभाष घई को अपनी नई फिल्म के लिये एक नए लड़के की तलाश थी उनकी ये तलाश जैकी श्रॉफ पर जाकर खत्म हुई । फिल्म का नाम था हीरो। 1983 में रिलीज़ यह फिल्म सुपर डुपर हिट हुई। इसी फिल्म से उनका नाम जयकिशन से जैकी श्राफ में तब्दील हुआ, हीरो फिल्म की कामयाबी के बाद जैकी श्रॉफ ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। फिल्म दर फिल्म वो सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गये और उनका नाम फिल्म इंडस्ट्री के ऊंचे पायदान के एक्टर्स में शुमार हो गया। 200 से भी ज़्यादा भारत की लगभग हर भाषा की फिल्मों के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा की फिल्म में भी उन्होंने अपनी ऐक्टिंग का लोहा मनवाया।
जैकी श्रॉफ के माता-पिता
आइये अब थोड़ी चर्चा कर लेते हैं उनके परिवार के सदस्यों की जिसके अंतर्गत सबसे पहले हम बात करेंगे उनके पिताजी के बारे में ।जैकी श्राफ के पिता का नाम *काकूभाई हरीभाई श्रॉफ* था जो कि एक गुजराती परिवार से थे, कम उम्र में ही उन्हें स्टॉक शेयर के काम में पैसे लगाने का शौक हो गया था। एक बार उन्होंने घर के पैसे के साथ-साथ रिश्तेदारों के पैसे भी स्टॉक में लगावा दिए । जिसमें उन्हें बहुत नुकसान हुआ, नतीजतन 17 साल की उम्र में ही उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा। वह गुजरात छोड़ मुंबई आ गए यहां छोटा – मोटा काम करने के बाद उन्होंने ज्योतिष का काम करना शुरू कर दिया। जैकी श्रॉफ बताते हैं कि वह ज्योतिष और नसीब जैसी बातों पर विश्वास तो नहीं करते थे लेकिन बाद में वह सोचने लगे कि उनके पिताजी के ज्योतिष विद्या में काफी दम था। दरअसल जैकी के हीरो बनने की भविष्यवाणी उनके पिताजी ने पहले ही कर दी थी । साथ ही जैकी एक उदाहरण और भी देते हैं कि उनके पिताजी ने बहुत पहले ही अनिल अंबानी और मुकेश अंबानी की मां कोकिलाबेन अंबानी को बता दिया था कि आपके बच्चे एक दिन बहुत बड़ा नाम करेंगे ।और पूरी दुनियां में बहुत बड़े लेवल के बिजनेसमैन के रूप में गिने जायेंगे। उनकी बातों को सुनकर उस वक्त वो लोग भी हंसते थे लेकिन बाद में उनकी बातें सही साबित हुईं ।
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अब बात करते हैं जैकी श्राॅफ के माँ के बारे में , जैकी श्रॉफ की माँँ का नाम रीता श्राॅफ था वह एक तुर्की महिला थीं और कज़ाकिस्तान की रहने वाली थीं। बचपन में ही कज़ाकिस्तानी उग्रवादियों के आतंक से किसी तरह से जान बचाकर वो अपनी मां और अपनी 7 बहनों के साथ भारत चली आयीं । भारत में आकर उन लोगों ने लद्दाख में शरण ली और उसके बाद एक शरणार्थी के तौर पर दिल्ली आ गये। और बाद में मुंबई में बस गये जहाँ उनकी मुलाकात जैकी श्रॉफ के पिता यानी काकूभाई से हुई और उन दोनों ने शादी का फैसला किया जिसे उन्होंने आजीवन निभाया। शादी के बाद वो लोग पहले लातूर में रहे और फिर मुंबई के तीन बत्ती इलाके में एक छोटी सी खोली यानी एक कमरे के घर में अपना जीवन शुरू किया जहाँ उन्होंने एक लंबा समय बिताया।

जैकी श्रॉफ के एक बड़े भाई भी थे वो भी अपनी माँ की बातों से बहुत ही प्रभावित थे और लोगों की मदद किया करते थे। लोगों की लिये कुछ भी कर गुजरने के इसी जुनून ने उनकी जान भी ले ली । हुआ यूँ कि एक बार कोई व्यक्ति पानी में डूब रहा था वहीं पास में ही जैकी के साथ खड़े उनके भाई ने जब उस व्यक्ति को डूबते हुये देखा तो उनसे रहा नहीं गया, तैरना ना जानते हुये भी वो पानी में कूद गये और पानी में डूबने से उनकी मौत हो गई उस वक्त उनकी उम्र 17 साल थी और जैकी श्राफ मात्र 10 साल के थे। अपनी आँखों के सामने इस घटना को देखकर जैकी श्रॉफ बहुत डर गए और हर वक़्त सहमें सहमें से रहने लगे, इतने ज्यादा कि तेज़ आवाज़ और छोटी-छोटी बातों पर भी डर जाया करते लेकिन वक़्त के साथ जैकी मजबूत होते गये और अपने भाई की जिम्मेदारी धीरे-धीरे उन्होंने अपने कंधों पर ले ली।
अब बात करते हैं जैकी श्रॉफ की पत्नी के बारे में जिनका नाम आयेशा श्राॅफ है, 5 जून 1960 को जन्मी आयशा एक माॅडल और अभिनेत्री थीं ।मॉडलिंग के क्षेत्र में वो आयशा दत्त के नाम से जानी जाती थीं। उन्होंने 1984 में आयी फिल्म *तेरी बाहों में* मशहूर ऐक्ट्रेस नूतन जी के पुत्र मोनीश बहल के ऑपोज़िट बतौर नायिका अभिनय भी किया ।उस फिल्म के सफल नहीं होने से आयशा जी को आगे कोई काम नहीं मिला जिसके बाद उन्होंने अपना मन ऐक्टिंग से हटा लिया। माॅडलिंग के वक़्त से ही उनकी दोस्ती जैकी श्रॉफ से हो गयी थी ।बाद में उन्होंने शादी का फैसला किया और 5 जून 1987 को शादी के बंधन में बंध गये। जैकी श्रॉफ की प्रोडक्शन कंपनी *श्राॅफ इंटरटेनमेंट लिमिटेड* आयशा ही संभालती हैं जैकी श्रॉफ और आयशा की सोनी चैनल में भी 10% की हिस्सेदारी थी जो तक़रीबन 15 साल तक रही। सन 2012 में उन्होंने ये शेयर किसी और को बेच कर अपना पूरा ध्यान अपनी प्रोडक्शन कंपनी पर लगाना शुरू कर दिया।

जैकी श्रॉफ और आयशा जी के दो बच्चे हैं बेटा टाइगर श्राॅफ और बेटी कृष्णा श्राॅफ।पहले बात करते हैं जैकी श्रॉफ के होनहार बेटे और हिंदी फिल्मों के आज के सफल नायक टाइगर श्रॉफ की। टाइगर श्रॉफ का असली नाम जय हेमंत श्राॅफ है और इनका जन्म 2 मार्च 1990 को मुंबई में हुआ था। टाइगर आज की पीढ़ी के ऐक्टर्स में सबसे प्रतिभावान एक्टर के रूप में जाने जाते हैं उन्होंने अपनी पूरी तैयारी के साथ फिल्मों में प्रवेश किया और 2014 में आयी अपनी पहली फिल्म *हीरोपंती’* से ही दर्शकों के दिलों में अपनी एक ख़ास जगह बना ली। उनकी स्टाइल, फाइट और डांस के दीवाने बच्चे ही नहीं बड़े भी हैं । उनकी फिल्में लगातार सफल भी हो रही हैं साथ ही उनका नाम आज के व्यस्ततम नायकों में गिना जाता है ।
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अंत में बात करते हैं जैकी श्राॅफ की बेटी कृष्णा श्राफ की 21जनवरी1993 को मुंबई में जन्मी कृष्णा अपने बोल्ड और बिंदास अंदाज़ के लिये जानी जाती हैं। कृष्ण सोशल साइट ईंस्टाग्राम पर काफी सक्रिय रहतीं हैं। कृष्णा फिलहाल अपनी मां के साथ अपनी होम प्रोडक्शन कंपनी का काम भी देख रही हैंं।
अपने अभिनय के लिये ढेरों पुरस्कारों से सम्मानित हर-दिल-अज़ीज़, ज़िंदादिल और दयावान जैकी श्रॉफ समाज सेवा के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा पर पूरा ज़ोर देते हैं और आने वाली पीढ़ी को साफ शुद्ध हवा मिले इसके लिए वो रोज़ एक पौधा लगाते हैं। गरीब बच्चों की पढ़ाई लिखाई से लेकर जितना कुछ हो सकता है सारी मदद किया करते हैं ।वह जरूरतमंदों को अपना मोबाइल नंबर तक दे देते हैं और कहते हैं मुझ से डायरेक्ट बात करना बीड़ू ।और उनका यही अंदाज उन्हें सबसे अलग बना देता है। जैकी श्राॅफ न सिर्फ एक दमदार एक्टर हैं बल्कि एक जिंदादिल इंसान भी हैं।
