फिल्म: द कश्मीर फाइल्स रियल स्टोरी से जुड़े सारे तथ्य।
आज जिस विषय पर हम ये पोस्ट कर रहे हैं , मुझे नहीं लगता कि इसकी शुरुआत करने के लिए रोज़ की तरह मुझे इसके लिए भूमिका बनाने की ज़रूरत पड़ेगी क्यूंकि पिछले कुछ दिनों से आप सभी लोग मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक इसकी चर्चा सुन ही रहे होंगे, मैंने भी सुना , सुना क्या दिल से मह्सूस किया अब चूँकि ये विषय राजनीती से लेकर सिनेमा जगत को भी अपने आगोश में ले रहा है तो नारद टीवी का भी ये फ़र्ज़ बनता ही की हम अपने दर्शकों से इस विषय पर चर्चा करें और हमारे नज़रिये से इस विषयवस्तु के ज्ञात अज्ञात तथ्यों को आपके सामने रखें।
कश्मीर , कश्मीरी पंडित , अलगाववादी, JNU, धारा 370 ये कुछ ऐसे शब्द हैं जिन्हे हम अक्सर आये दिन मीडिया में सुनते ही रहते हैं। लेकिन ये सारे शब्द जब इकट्ठा होते हैं तो एक ऐसे इतिहास का शक्ल ले लेते हैं जिसमें भयानक पीड़ा , बर्बरता ,बेबसी और इंसन्नियत को तार तार कर देने वाली गाथा छिपी है।
Film: The Kashmir Files Real Story
जिसे एक फिल्म द कश्मीर फाइल्स के माध्यम से लोगों के सामने रखने की कोशिश की गयी है। आप में से बहुतों ने ये फिल्म देख ली होगी कुछ लोग देखने का मन बना रहे होंगे और कुछ लोग तो बिना देखे ही अपनी-अपनी धारणा बना लिए होंगे।
मैंने भी ये फिल्म देखी, नारद टीवी की टीम ने ये फिल्म देखी फिर सोचा गया इस पर बात तो होनी ही चाहिए हम सबने अपनी– अपनी तरफ से कुछ खोजबीन की और उसी खोजबीन में से कुछ ऐसे तथ्य आपके सामने रख रहे हैं जिसे आप फिल्म देखने के बाद इंटरनेट पर ज़रूर ढूंढेंगे।
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Film Director: Vivek Agnihotri
विवेक अग्निहोत्री, एक ऐसे फ़िल्मकार जिनकी फिल्मों में कपोल कल्पना से ज्यादा वास्तविक तथ्य सामने रखे जाते हैं जिनकी फ़िल्में चीख–चीखकर सच्चाई बयां करती हैं।
कश्मीर फाइल्स देखते हुए ये बिलकुल नहीं लगता की हम कोई फिल्म देख रहे हैं ऐसा लगता है की हम खुद उस कलंकित इतिहास को जी रहे हैं। फिल्म के कुछ किरदारों को देखने के बाद आपके मन में भी ये प्रश्न उठा होगा कि ये बर्बरता जिन पर बीती या इस बर्बरता को अंजाम देने वाले वास्तविक किरदार कौन हैं ? तो आईए एक नज़र डालते हैं कश्मीर फाइल्स के उन गुनहगारों और जिन पर ये बीती उन बेबस कश्मीरियों पर।
1.सबसे पहले बात करते हैं फिल्म के सबसे क्रूर किरदार फारूक अहमद डार यानी बिट्टा कराटे की फिल्म में इस किरदार को निभाया है चिन्मय मंडलेकर ने. फिल्म के एक सीन में जब पत्रकार बने अभिनेता अतुल श्रीवास्तव बिट्टा से ये पूंछते हैं की तुमने कितने लोगों को मारा जिसके जवाब में बिट्टा कहता है 20 -25।
अगर उसे अपने सगे भाई या माँ को मारने को कहा जाता तो वो क्या करता जवाब में बिट्टा कहता है -हाँ मार देता। आप में से बहुत से लोगों ने बिट्टा के इस रियल इंटरव्यू को इंटरनेट पर देख भी लिया होगा।
बिट्टा ने इस इंटरव्यू में क़ुबूल किया है कि उसने कैसे 22 वर्षीय कश्मीरी पंडित सतीश कुमार टिक्कू की हत्या से कत्लेआम का सिलिसला शुरू किया था। लेकिन आपको ये जानकर ताज़्ज़ुब होगा की इतने लोगों का कत्ले आम करने वाला बिट्टा जिसने अपना गुनाह खुद कुबूला था आज भी सरे आम आज़ाद घूम रहा है। और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का चेयरमैन है. आज तक के यू ट्यूब चैनल पर आपको बिट्टा का 4 साल पुराना इंटरव्यू भी मिल जायेगा। हालांकि फिल्म के दूसरे कुछ दृश्यों को देखकर ऐसा भी लगेगा की बिट्टा का किरदार अलगाव वादी नेता यासीन मलिक से भी प्रेरित है।
- बात करते हैं फिल्म के एक और किरदार राधिका मेनन ( Radhika Menon ) की और इस किरदार को निभाया है अभिनेत्री पल्लवी जोशी ( Pallavi Joshi ) ने जो की रियल लाइफ में विवेक अग्निहोत्री की पत्नी भी हैं। हालाँकि ये दावा हम मीडिया तथ्यों के आधार पर ही कर रहे हैं कि रियल लाइफ में ये किरदार प्रेरित है JNU की प्रोफेसर निवेदिता मेनन से। जैसा की आपको पता ही होगा की JNU की प्रोफेसर निवेदिता मेनन ने हमेशा कश्मीर को भारत से अलग माना है। कई बार उनके लीडरशिप में फ्री कश्मीर के केम्पेन चले हैं। वह कश्मीर के लोगों के लिए आवाज उठाती हैं और कश्मीरी पंडितों के साथ हुई घटना को फेक प्रोपेगंडा कहती हैं। निवेदिता मेनन ने एक बार कहा था हिन्दू इस दुनिया के सबसे ज्यादा हिंसा करने वाला समाज है।
3. आगे बात करते हैं फिल्म के एक और पात्र शारदा पंडित की जिसे फिल्म में निभाया है अभिनेत्री भाषा सुमब्ली ने। फिल्म के अंत में एक दृश्य है जहाँ टेरररिस्ट भीड़ में ही उसके ससुर और 8 साल के बच्चे के सामने शारदा के कपडे फाड देते हैं और लकड़ी चीरने वाली मशीन में रखकर उसके शरीर के दो टुकड़े कर देते हैं। असल में जिस महिला के साथ ये दर्दनाक घटना अंजाम दी गयी थी उनका नाम था गिरिजा कुमारी टिक्कू।
सुनंदा वशिष्ठ की रिपोर्ट के मुताबिक- गिरजा टिकू ( Girija Tickoo ) नाम की एक कश्मीरी महिला थीं, जो की सरकारी स्कूल में लैब असिस्टेंट थीं जब कश्मीरी हिन्दू, कश्मीर छोड़कर जम्मू जाने लगे तो गिरजा भी जम्मू चली गयीं लेकिन अचानक जून-1990 को उनके पास एक फ़ोन आता है, जिसमे ये कहा जाता है की कश्मीर के हालात अब सुधर गए हैं, आप स्कूल आकर ड्यूटी join कीजिये और अपना बचा हुआ वेतन भी ले लीजिये इसके बाद गिरिजा जी स्कूल से वेतन लेकर अपने मुस्लिम दोस्त के घर जाकर रुकीं लेकिन वहीँ से उन्हें किडनैप कर लिया गया लगभग एक महीने बाद उनकी बॉडी 2 हिस्से में सडक के किनारे मिली PostMortam की रिपोर्ट में आया की उनका काफी दिनों तक सामूहिक बलात्कार किया गया और जिन्दा ही उनके शरीर के 2 टुकड़े कर दिए गए।
- फिल्म के एक और दृश्य की बात करते हैं- जिसमें करण पंडित नाम के एक किरदार को आतंकवादियों द्वारा चावल के कंटेनर में गोलियों से भून दिया जाता है और उस खून से सने चावल को उसकी पत्नी यानि शारदा पंडित को खिलाया जाता है। फिल्म में करण पंडित के किरदार को निभाया है अभिनेता अमान इकबाल ने।
फ़िल्म के इस सीन को भी सच्ची घटना से उठाया गया है। जानी मानी लेखिका सुनन्दा वशिष्ठ ( Writer Sunanda Vashisht ) ने अमेरिका में हुए एक प्रेस-कांफ्रेंस में इंडिया को Represent करते हुए इस घटना का जिक्र किया था, जिसमे ये बताया गया था कि 22 मार्च 1990 को बीके गंजू नाम के एक कश्मीरी पंडित के घर मे, आतंकी उनके पड़ोसी के मदद से घुस गए और इस बात का पता चलते ही की बीके गंजू चावल के कंटेनर में छिपे हैं आतंकियों ने उन्हें उसी कंटेनर में मार दिया और खून से सने चावल जबरन उनकी पत्नी को खिलाया।
- फिल्म के एक और दृश्य में वायु सेना के अधिकारियों को सरे राह गोलियों से भून दिया जाता है। ये दृश्य भी वास्तविक घटना से प्रेरित है 25.जनवरी.1990 को कश्मीरी-पहाड़ी के पास वायु सेनाधिकार रवि खन्ना और उनके साथ चार और जवानों को आतंकवादियों ने सरेआम दिन-दहाड़े मौत के घाट उतार दिया था। इस बात का ब्योरा उन्ही की पत्नी मिसेस निर्मल खन्ना ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में बताया लेकिन साथ ही साथ उनका ये भी कहना था की विवेक अग्निहोत्री द्वारा फिल्म में दिखाए गये वायुसेना अधिकारी शहीद रवि खन्ना की हत्या को लेकर जो तथ्य हैं, रियल इंसिडेंट से बिलकुल अलग है, क्योकि फिल्म में शहीद रवि खन्ना जी की हत्या को बहुत ही अलग ढंग से पेश किया और इसलिए श्रीमती खन्ना को इस बात पर ऐतराज है की विवेक जी ने उनसे इस तथ्य के बारे में बिलकुल भी जानकारी नही ली। इसके बावजूद श्रीमती खन्ना ने, डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री के काम की प्रशंसा की और उन्हें बधाई भी दी| अब हो सकता हो की सेंसर बोर्ड की बाध्यता की वजह से विवेक ने ये दृश्य अलग तरीके से दिखाया हो।
अभिनेता अमित बहल ने उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला ( Chief Minister Farooq )अब्दुल्लाह का किरदार निभाया है जिसमे उन्हें ये कहते हुए दिखाया गया है की, ये कश्मीर हमारा है, यहाँ का संविधान हमारा है इसलिए हम केवल वही करेंगे जो हमारे लोग चाहते हैं।
अगर आप फिल्म देखेंगे तो उसमे एक बात आप जरुर गौर करेंगे की कश्मीरी हिन्दुओ ने 32 साल पहले से ही आर्टिकल 370 को हटाने के लिए सरकार से बहुत गुहार लगाई थी। फिल्म में अनुपम खेर जी, अपने पुष्करनाथ की भूमिका में एक बैनर लिए घूमते दिखते हैं, जिसमे Remove article 370 लिखा होता है फैक्ट की बात फिल्म में पुष्कर नाथ का किरदार अनुपम खेर के पिता के नाम पर है लेकिन ये किरदार उनके पिता के जीवन से प्रेरित नहीं है।
अब बहुत से लोग इस फिल्म को राजनितिक प्रोपगंडा के तौर पर देखते हैं और ये कहते हैं की ये फिल्म हिन्दूओ और मुस्लिमो के बीच के आपसी सदभाव को बिगाड़ सकती है। उन सबके लिए केवल एक ही सन्देश है, की अक्सर लोग सच्चाई से आँखें चुराते हैं क्योकि सच हमेशा कड़वा होता है।
आप इस नजरिये से मत देखिये की कश्मीर में हिन्दू मरा या मुस्लिम, वहाँ पर तो इंसानियत की सरेआम हत्या हुई है, और इस नरसंहार के वो सब जिम्मेदार और दोषी हैं, जिन्होंने चुप रहकर केवल तमाशा देखा है। ध्यान रहे आतंकवादियो की गोली किसी का मजहब पूछ कर नही चलती। हम ये कामना करते हैं की देश दुनिया में शांति बनी रहे फिर कभी कश्मीर जैसे हालात न पैदा हों।
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