Weird Cricketers of The World,Part 2,Mark Vermeulen Biography: जिसका करियर इरफान पठान की बाउंसर ने खत्म कर दिया था। आखिर क्यों इस खिलाड़ी ने अपने ही देश के क्रिकेट अकैडमी, हेडक्वार्टर को आग लगा दी ।वो सनकी खिलाड़ी जिसने अपने ही देश का भविष्य बर्बाद कर दिया था, जिसने जिम्बाब्वे में क्रिकेट बंद करा दिया था। एक फेसबुक पोस्ट ने कैसे बैन करा दिया।
बात है नवंबर 2006 की, जब क्रिकेट इतिहास (History) का शायद सबसे शर्मनाक (Embarrassing) और दिल दहला (Shook) देने वाला एक ऐसा वाकया (Event) हुआ जिसे याद करके आज भी खून खौल उठता है। जिम्बाब्वे के ही एक खिलाड़ी ने अपने ही देश (Country) की क्रिकेट अकैडमी (Academy), और जिम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड के हेडक्वार्टर ((Headquarter) में ही आग लगा दी। जिसके बाद उसे पूलिस (Police) हिरासत (Custody) में लिया गया। लेकिन उसका मानसिक (Mental) संतुलन (Balance) ठीक न था। कौन था ये खिलाड़ी, जिसने अपने ही देश में आग लगा आने वाली नई जेनरेशन/पीढ़ी के क्रिकेटर्स के भविष्य पर सवालिया निशान लगा दिया था।
दोस्तों क्रिकेट की दुनिया में एक से बढ़कर एक कलाकार, फनकार आए, टॉप के कप्तान (Captain) आए। कुछ को लीजेंड (Legend), तो कुछ को सुपरस्टार (Superstar) का टैग (Tag) मिला। कुछ ऑल टाइम ग्रेटेस्ट (Greatest) बने, तो कुछ फैन (Fan) फेवरेट। वहीं कुछ अंडररेटेड शब्द की छाया (Shadow) में दबकर रह गए, तो कुछ वेस्टेड (Wested) टैलेंट्स (Talents) बनकर। लेकिन कुछ खिलाड़ी इतने विचित्र (Strange) थे, जिनका कैरियर (Career) हमेशा विवादों (Controversy) में घिरा रहा। जो हमेशा ही अपनी कुछ अजीबोगरीब (Kinda weird), तो कभी शर्मनाक गतिविधियों (Activities) के चलते खूब बदनाम (Infamous) हुए, खूब सुर्खियों में आए। ऐसे खिलाड़ी कहलाए वियर्ड क्रिकेटर्स। जिनकी हरकतों से पूरा क्रिकेट जगत बदनाम हुआ। नारद टीवी पर हमने ऐसे ही कुछ सिरफिरे क्रिकेटर्स की एक नई सीरीज (Series) शुरु की है वियर्ड क्रिकेटर्स ऑफ़ द वर्ल्ड। जिसके पहले पोस्ट में आपसे हमने ऑस्ट्रेलिया के ल्यूक पोमर्सबैच की बात की थी, जिसका डेब्यू (Debut)तो अपने आप में विचित्र था ही, लेकिन उस खिलाड़ी की हरकतें भी अजीबोगरीब ही थी। आपने अगर अभी तक पिछली पोस्ट नहीं देखा है तो उसे भी ज़रूर देखें। आज हम वेयर्ड क्रिकेटर्स की अपनी इस सीरीज के दूसरे पोस्ट में आपसे रूबरू कराएंगे जिम्बाब्वे के एक सिरफिरे (Crazy People) खिलाड़ी मार्क वर्मूलेन से, उस चिराग से जिसने अपने घर में ही आग लगा दी। तो कभी फेसबुक पर एक ऐसी पोस्ट डाली जिससे उन पर आजीवन बैन लग गया। और क्रिकेट जगत में जिनकी काफ़ी बदनामी हुई। जानेंगे इनके जीवन और उनके इस मूव के पीछे की कहानी और उनके ऐसा करने के मुख्य कारण के बारे में। तो चलिए आज का एपिसोड शुरु करते हैं।
मार्क वर्मेयूलेन का जन्म 2 मार्च 1979 को हरारे, जिम्बाब्वे में हुआ जो उस वक्त रहोडेशिया हुआ करता था। वर्मेयूलेन को बचपन से ही क्रिकेट का काफ़ी शौंक था। उनकी अटैकिंग (Attacking) गेम और एक से बढ़कर एक शॉट्स (Shorts) की उनकी वो लाजवाब (Excellent) रेंज शुरु से ही सबको काफ़ी आकर्षित (Attract) करती। और जूनियर लेवल (Level) पर शानदार परफॉर्मेंस (Performance) की बदौलत उन्हें जिम्बाब्वे की अंडर 19 टीम की कप्तानी करने का भी मौका मिला। कई वर्ष के उनके कंसिस्टैंट (Consistent) खेल ने चयनकर्ताओं को काफ़ी प्रभावित (Affected) किया जिसकी बदौलत 2000 में उन्हें जिम्बाब्वे की सीनियर टीम में शामिल किया गया। और श्रीलंका के खिलाफ शारजाह मैच में उन्होंने अपना डेब्यू (Debut) किया। डेब्यू से ही अपने अटैकिंग और एथलेटिक (Athletic) गेम से उन्होंने काफ़ी इंप्रेस (Impress) किया। बैकफुट (Backfoot) पर उनका गेम शानदार था और उनके कट और पुल शॉट देखने लायक थे।साल 2002 में उन्हें गाय व्हिटल की जगह टीम में शामिल किया गया। और पाकिस्तान के खिलाफ़ वर्मेयूलेन ने अपना टैस्ट डेब्यू किया। वेस्टइंडीज के खिलाफ़ उन्होंने अपना पहला टैस्ट शतक (Century) भी बनाया। जहाँ 304 गेंदों पर 118 रनों की उनकी संयम भरी पारी ने सबको दर्शाया (Shown) कि अटैकिंग के अलावा उनके पास पेशेंस (Pecence) वाली डिफेंसिव (defencive) गेम भी है। उनका खेल तो अच्छा था और स्टाइल भी इंटरनेशनल (International) क्रिकेट के अनुकूल था। लेकिन दिक्कत थी डिसिप्लिन (Discipline) की, अपनी मनमानी करना। ये सिलसिला स्कूली दिनों से ही शुरु था जब एलबीडबल्यू (LBW) डिसीजन (Decision) से नाखुश वर्मेयूलेन (Vermeulen) स्टंप्स (Stamps) लेकर ही चल दिए थे जिसके बाद उनके स्कूल ने उन्हें स्कूल टीम से बैन (Ban) कर दिया था।
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2003 विश्व कप में वर्मेयूलेन का नाम जिम्बाब्वे टीम में था। लेकिन टीम के सभी खिलाड़ियों के साथ ट्रैवल (Travel) करने की जो हिदायत थी, उसे उन्होंने फॉलो (Follow) न किया और परिणाम (Result) स्वरूप उन्हें वापिस घर भेज दिया गया।
लेकिन 20 जनवरी 2004, उस दिन उनके साथ एक ऐसा विनाशकारी (Destructive) हादसा हुआ जिसने न केवल एक खिलाड़ी, बल्कि एक इंसान के तौर पर भी वर्मेयूलेन को तोड़कर रख दिया। जब ऑस्ट्रेलिया में कॉमनवेल्थ (Commonwealth) बैंक सीरीज में भारत और जिम्बाब्वे के बीच एक मैच खेला जा रहा था। जब इरफान पठान की एक तीखी बाउंसर (Bouncer) उनके हेलमेट के ग्रिल में बुरी तरह जा घुसी और वे मैदान (Field) पर बेहोश हो गए। चोट इतनी गहरी और दर्दनाक थी कि इससे वर्मेयूलेन को हेयरलाइन फ्रैक्टर (Fraktor)) हो गया और डॉक्टर ने ये तक कह दिया कि अगर दोबारा इस जगह चोट लगी तो उनकी जान भी जा सकती है। इस चोट के बाद वे कभी उभर ही नहीं पाए। और उनका मानसिक (Mental) संतुलन काफ़ी बिगड़ता चला गया, साथ ही उन्हें मिर्की के दौरे पड़ने लगे। उस बाउंसर (Bouncer) के बाद वे टीम से तो ड्रॉप (Drop) हुए ही थे लेकिन जिम्बाब्वे क्रिकेट में भी हालत काफ़ी खराब थे।
2006 में काउंटी क्रिकेट के दौरान उनकी एक दर्शक (Audience) के साथ कुछ कहासुनी, झगड़ा हो गया जिसके बाद उन्हें 1 साल के लिए इंग्लैंड बोर्ड (Board) ने बैन कर दिया था। हालत उस वक्त और बत्तर तब हो गए जब जिम्बाब्वे क्रिकेट में बढ़ रही करप्शन (Corruption)और पॉलिटिक्स (Politics) से तंग आकर उन्होंने जिम्बाब्वे क्रिकेट अकैडमी (Academy) और अपने ही बोर्ड के हेडक्वार्टर को आग लगा दी थी। जिसके तुरंत बाद उन्हें पूलिस हिरासत (Custody) में ले लिया गया। पर क्योंकि उनकी मानसिक हालत काफ़ी खराब थी जिसके चलते 2008 में ये केस क्लीयर और उन्हें रिहा कर दिया गया।
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2009 में वर्मेयूलेन ने एक साल के बैन के बाद क्रिकेट में वापसी की और बांग्लादेश के खिलाफ़ टैस्ट (Test) में शानदार 92 रन भी बनाए। लेकिन नजाने क्यों उन्हें फिर ड्रॉप (Drop) कर दिया गया। जो कि उनका आखिरी टेस्ट भी साबित हुआ। वर्मेयूलेन ने गोल्फ (Golf) में भी अपने हाथ आजमाए और इस खेल में अपना करियर बनाने के लिए साल 2011 में उन्होंने क्रिकेट से संन्यास (Retirement) ले लिया।लेकिन सिलसिला यहां पर ही नहीं थमा। इंग्लैंड में लीग क्रिकेट के दौरान उन्होंने कुछ फैंस के ऊपर बॉल दे मारी थी जब वह उनके साथ कुछ मज़ाक, छेड़छाड़ कर रहे थे। जिसके बाद उन्हें इंग्लैंड ने लीग (League) क्रिकेट से 10 साल का बैन (Ban) लगा दिया था।
2012 में उन्होंने फिर से क्रिकेट में वापसी की और एक डोमेस्टिक (Domestic) टूर्नामेंट खेले। इस वक्त जिम्बाब्वे बोर्ड इतना ज्यादा कंगाल था कि प्लेयर्स को होटल (Hotel) में ठहरने का प्रबंध तक करने के उनके पास पैसे न थे। तब खिलाड़ियों को रेंट पर कुछ घरों में रखा गया जहां सोने के लिए बेड तक न थे। इस दौरान वर्मेयूलेन डाइनिंग टेबल पर रात को सोते। बिना कोई फैसिलिटी (Facility) और रिकॉग्निशन (Recognition) के बावजूद वे इस टूर्नामेंट (Tournament) के सेकंड हाईएस्ट ( Highest) रन गेटर बने और ये स्टेटमेंट (Statement) तक दे दिया था कि वे क्रिकेट फील्ड (Field) में मरने से भी डरते नहीं है।
एक समय तो ऐसा लगा कि वे क्रिकेट में वापसी कर सकते हैं जब साउथ अफ्रीका के खिलाफ़ टैस्ट स्क्वाड में उनका नाम आया। पर उन्हें कोई मैच नहीं खेलने को न मिला।
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अपने डगमगाते कैरियर का बेड़ा गर्क तो खुद उन्होंने साल 2015 में किया जब एक फेसबुक (Facebook) पोस्ट पर उन्होंने जिम्बाब्वे के ब्लैक क्रिकेटर्स की तुलना ऐप्स (गोरिल्ला जैसे दिखने वाले जीव) से कर दी थी। ये तो अब काफ़ी भद्दी और गिरी हुई हरकत थी। जो कि किसी कीमत पर एक्सेप्टेबल (Acceptable) न थी। जिसके तुरंत बाद उन्हें जिम्बाब्वे क्रिकेट ने क्रिकेट के हर फॉर्मेट (Format) से बैन कर दिया।
वर्मेयूलेन ने अपने उतार चढ़ाव भरे बेहद कंट्रोवरसियल करियर में 9 टेस्ट और 43 ओडीआई ही खेले। जहाँ उनका औसत बेहद मामूली था और 25 से भी नीचे था।
जितने बुरे जिम्बाब्वे के हालात और घटिया राजनीति (Politics) वहां थी, उसने उन्हें काफ़ी घात पहुंचाया। माना कि उनका अजीबोगरीब हरकतें करना ठीक नहीं था। लेकिन जो जिम्बाब्वे बोर्ड ने उनके साथ ट्रीटमेंट (Treatment) किया वो भी ठीक नहीं था। अगर वे अपने गुस्से पर काबू और डिसिप्लिन रख सारा फोकस क्रिकेट पर लगाते तो आज कहीं ऊंचे मुकाम पर होते। और उनके टैलेंट के साथ ये आंकड़े भी न्याय करते।
तो ये थी कहानी क्रिकेट इतिहास के बेहद विवादित और अजीबोगरीब क्रिकेटर की।आज की वीडियो में इतना ही। आशा करते हैं कि आज का पोस्ट आपको पसंद आया होगा। इसे लाइक करें, साथ ही कॉमेंट में बताएं कि अगले पार्ट में कौनसे रिकॉर्ड देखना चाहेंगे।अब हमें दीजिए इजाज़त। धन्यवाद।
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