एक ऐसा खिलाड़ी जो कभी महेंद्र सिंह धोनी से मिलने के ख्वाब (Dream) देखा करता था। एक ऐसा खिलाड़ी जिसका करियर (Career) कभी अच्छे से शुरू ही नहीं हो पाया। एक ऐसा तेज गेंदबाज जो छोटे से गांव से निकलकर आईपीएल (IPL) तक पहुंचा, मगर इंडियन क्रिकेट टीम की जर्सी (Jersey) पहनने का उसका ख्वाब अधूरा ही रह गया, लेकिन डोमेस्टिक (Domestic) क्रिकेट में उसने खूब नाम कमाया। जब इस खिलाड़ी का चयन (selection) आईपीएल में हुआ तो इनके पिता की आंखो से आंसू निकल आए। शायद हर पिता को अपने बेटे की कामयाबी पर फक्र महसूस होता होगा लेकिन ये कामयाबी (Success) इतनी आसान नहीं थी। इस तेज गेंदबाज (Bowler) ने जब अपना क्रिकेट करियर शुरू किया तो आगरा जैसे छोटे से शहर में टर्फ (Turf) विकेट तक नहीं हुआ करती थी और सीमेंट (Cement) पर ही बाॅलिंग (Bowling) करनी पड़ती थी। लेकिन जिन परिंदों के हौसलों में उड़ान होती है वो परिंदे कभी भी हवा के रूख से नही डरा करते और सारी मुसीबतों (Troubles) को पार करते हुए अपने आशियाने (Sheltes) तक पहुंच ही जाते हैं। इस खिलाड़ी का सफर भी कुछ ऐसा ही रहा। हाल फिलहाल में कुछ दिनों पहले ही राजस्थान रॉयल्स ने इस खिलाड़ी को आईपीएल के अगले सीजन के लिए तेज नेट गेंदबाज ढूंढने का जिम्मा दिया है। दोस्तों आज हम जिस खिलाड़ी की बात करने वाले हैं शायद आपमें से 10% लोग भी उसका नाम नहीं जानते होंगे लेकिन आगरा और मथुरा वृंदावन के क्रिकेट गलियारों में कृष्णकांत उपाध्याय का नाम बड़ी ही इज्जत के साथ लिया जाता है। नारद टीवी के इस खास एपिसोड में आज हम बात करेंगे पूर्व रणजी ट्रॉफी (Trophy) और आईपीएल प्लेयर केके उपाध्याय के बारे में।
दोस्तों जिस तरह महेंद्र सिंह धोनी रेलवे की तरफ से मैच (Match) खेला करते थे ठीक उसी तरह कृष्णकांत उपाध्याय भी रेलवे (Railway) की तरफ से रणजी टीम का हिस्सा हुआ करते थे। केके उपाध्याय ने 2009 में उड़ीसा के खिलाफ अपने डोमेस्टिक (Domestic) क्रिकेट की शुरुआत की। भुवनेश्वर में रेलवे और उड़ीसा की टीम के बीच साल 2009 में 17 से 20 नवंबर के बीच रणजी मैच खेला जाना था और रेलवे की टीम ने अपने स्क्वाट्स (Squats) में करीब 6 फुट लंबे एक यंग (Young) लड़के को शामिल किया। कद काठी में हट्टा कट्टा दिखने वाला ये यंग लड़का कृष्णकांत उपाध्याय था, जो आगरा से आया था। उड़ीसा की टीम ने टॉस (Toss) जीता और पहले फील्डिंग (Feilding) करने का फैसला लिया। रेलवे की तरफ से पहले बैटिंग करने आए Faiz Fazal और V Cheluvraj ने रेलवे की टीम को एक सधी हुई शुरुआत दी। लेकिन उड़ीसा की टीम की तरफ से बॉलिंग कर रहे एक जैसे नाम वाले दो गेंदबाज डीएस मोहंती और बसंत मोहंती ने कसी हुई गेंदबाजी का नमूना (Samle) पेश किया और रेलवे के विकेट (Wicket) गिरना शुरू हो गए। लगातार विकेट गिरने के बाद कृष्णकांत उपाध्याय को भी इस मैच में बैटिंग (Batting) करने का मौका मिला। केके उपाध्याय को रेलवे की टीम में एक तेज गेंदबाज के रूप में शामिल किया गया था लेकिन उन्होंने अपने पहले ही मैच में 105 गेंदों पर शानदार 49 रन की पारी खेली, जिसमें 7 चौके भी शामिल थे। कृष्णकांत की इस पारी ने रेलवे की टीम को एक अच्छे स्कोर (Score) तक पहुंचाने में मदद की और रेलवे की टीम में 307 रनों की अपनी पारी डिक्लेअर (Declare) कर दी। और अब बारी थी कृष्णकांत उपाध्याय के बॉलिंग स्पेल की। कृष्णकांत उपाध्याय ने उड़ीसा के खिलाफ शानदार गेंदबाजी की और 15 ओवर में महज 27 रन दिए लेकिन बदकिस्मती से उन्हें कोई भी विकेट नहीं मिला। उस समय कृष्णकांत उपाध्याय के साथ संजय बांगर, मुरली कार्तिक और करण शर्मा भी रेलवे की तरफ से बोलिंग कर रहे थे। किसी कारण से ये मैच ड्रा हो गया और कृष्णकांत उपाध्याय को अपने डेब्यू (Debut) मैच में एक भी विकेट नहीं मिला लेकिन उनकी गेंदबाजी ने हर किसी को प्रभावित (Affect) किया। केके उपाध्याय की गेंदबाजी का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उन्होंने अपने डेब्यू मैच के 15 ओवर में एक भी वाइड (Wide) और नो बोल नहीं फेंकी थीं। और इस मैच के बाद एक बात तो बिल्कुल साफ हो गई थी कि कृष्णकांत उपाध्याय अगले कई सालों तक रेलवे की रणजी टीम का अहम हिस्सा बनने वाले हैं।
फर्स्ट (Frist) क्लास क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करने के लगभग 3 साल बाद फरवरी 2012 में कृष्णकांत उपाध्याय को लिस्ट ए क्रिकेट खेलने का मौका मिला। अपने लिस्ट ए डेब्यू मैच में रेलवे की तरफ से खेलते हुए कृष्णकांत उपाध्याय के सामने उत्तर प्रदेश की टीम थी। 20 फरवरी 2012 को नागपुर के मैदान में केके उपाध्याय ने अपने लिस्ट (List) ए करियर की शुरुआत की। उस समय उत्तर प्रदेश की घरेलू टीम सितारों से सजी हुई थी। मोहम्मद कैफ, पियूष चावला, आरपी सिंह और भुवनेश्वर कुमार जैसे खतरनाक खिलाड़ी उत्तर प्रदेश की घरेलू टीम का हिस्सा हुआ करते थे। लेकिन विजय हजारे ट्रॉफी के अपने पहले ही मैच में कृष्णकांत उपाध्याय ने अपनी बोलिंग तर्कश के सारे तीर चला दिए और उत्तर प्रदेश की घरेलू (Domestic) टीम ताश के पत्तों की तरह 186 रनों पर बिखर गई। और इस मैच में उन्होंने 4 विकेट अपने नाम किए लेकिन फिर भी रेलवे की टीम महज 169 रनों पर ऑल आउट (Out) होकर ये मैच हार गई। उत्तर प्रदेश की तरफ से भुवनेश्वर कुमार ने भी 4 विकेट अपने नाम किए, जिसमें कृष्णकांत उपाध्याय का विकेट भी था।
ये भी पढ़े – Sachin के शतकों के शतक का सफर
वहीं अगर टी20 क्रिकेट की बात करें तो कृष्णकांत उपाध्याय ने 12 मार्च 2010 को सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी (Trophy) में रेलवे की तरफ से असम के खिलाफ second Preliminary क्वार्टर फाइनल में डेब्यू किया। इस मैच में भी रेलवे की टीम को हार का सामना करना पड़ा। कृष्णकांत उपाध्याय और जयप्रकाश यादव ने एक-एक विकेट अपने नाम किए इसके अलावा कोई भी गेंदबाज असम के बल्लेबाजों को नहीं रोक पाया और असम ने बड़ी आसानी से 155 रनों के लक्ष्य (Target) को हासिल कर लिया।
कृष्णकांत उपाध्याय ने डोमेस्टिक क्रिकेट में कुल मिलाकर 90 मैच खेले जिसमें उन्होंने 165 विकेट अपने नाम किए। सीजन (Season) 2012-13 में आईपीएल की पुणे वॉरियर्स (Warriors) ने कृष्णकांत उपाध्याय को अपने खेमे में शामिल किया लेकिन शायद उनकी किस्मत में आईपीएल का सफर बहुत छोटा था। केके उपाध्याय को आईपीएल में महज 3 मैच खेलने का मौका मिला और बदकिस्मती से उन्हें एक भी विकेट नहीं मिला। लेकिन आईपीएल खेलने के दौरान केके उपाध्याय की मुलाकात M.S. धोनी से हुई। कृष्णकांत उपाध्याय ने पत्रिका को दिए एक इंटरव्यू (Interview) में बताया था कि जब वो आगरा के आरबीएस (RBS) कॉलेज में पढ़ते थे तो महेंद्र सिंह धोनी के बहुत बड़े फैन हुआ करते थे। उनकी दीवानगी का आलम ये था कि उन्होंने धोनी जैसे बड़े-बड़े बाल भी रख लिए थे। और जब पहली बार कृष्णकांत उपाध्याय को रेलवे की रणजी टीम में खेलने का मौका मिला तो उन्हें यकीन हो गया कि वो एक ना एक दिन धोनी से जरूर मिलेंगे। ये दिन बहुत जल्द आया और आईपीएल के दौरान उनकी मुलाकात एमएस धोनी से हुई। एम एस धोनी से मुलाकात के समय के के उपाध्याय काफी नर्वस फील कर रहे थे लेकिन धोनी ने जिस तरह से उन्हें कंफर्ट कराया उसकी तारीफ वो आज भी करते हैं। स्ट्रेटजी (Strategy) एक्सपर्ट (Expert) और उस समय टीम इंडिया के कप्तान (Captain) महेंद्र सिंह धोनी ने केके उपाध्याय को बहुत सारे बोलिंग टिप्स (Tips) भी दिए थे। महेंद्र सिंह धोनी का नाम सुनकर ही केके उपाध्याय खुद को मोटिवेट (Motivate) महसूस करते हैं। केके उपाध्याय का टीम इंडिया की जर्सी में खेलने का सपना तो कभी पूरा नहीं हुआ लेकिन अब वो राजस्थान रॉयल्स के साथ जुड़ गए हैं और तेज नेट गेंदबाजों को संभालने की जिम्मेदारी ले चुके हैं।
ये भी पढ़े – क्रिकेटर्स जिन्होंने अपना करियर खुद बर्बाद कर लिया
केके उपाध्याय युवा (Young) क्रिकेटरों को ट्रेनिंग (Training) देते हैं और उनका मानना है कि क्रिकेट के साथ-साथ बच्चों को पढ़ाई भी करनी चाहिए क्योंकि हर कोई रणजी ट्रॉफी नहीं खेलता, हर कोई इंडिया के लिए नहीं खेल सकता लेकिन अगर आप ठीक से पढ़ाई लिखाई करेंगे तो आगे चलकर अपने पैरों पर खड़े हो पाएंगे। उनका मानना है कि जिस तरह पढ़ाई करने के लिए स्कूल जाना जरूरी है ठीक उसी तरह एक अच्छा क्रिकेटर बनने के लिए क्रिकेट एकेडमी (Academy) जाना जरूरी है। वैसे तो कृष्णकांत उपाध्याय ने क्रिकेट के मैदान में कई झंडे (Flag) गाड़े हैं और उनके नाम कई उपलब्धियां भी हैं जैसे पंजाब के खिलाफ हैट्रिक (Hat Tick), आगरा से सिलेक्ट होने वाले पहले आईपीएल प्लेयर…लेकिन कृष्णकांत उपाध्याय अपने पिता की खुशी को अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं। केके उपाध्याय का चयन जब आईपीएल के लिए हुआ तो उनके पिता की आंखो से खुशी के आंसू निकल आए। आज कृष्णकांत उपाध्याय के पिता इस दुनिया में नहीं है लेकिन अपने पिता को याद करके आज भी कृष्णकांत उपाध्याय खुद को प्राउड (Proud) फील (Feel) करते हैं क्योंकि वो अपने पिता को वो खुशी दे पाए जिसके लिए उनके पिता ने बहुत संघर्ष (Conflict) किया था।
आज के इस पोस्ट में इतना ही लेकिन हम नारद टीवी के दर्शकों से वादा करते हैं कि बहुत जल्द कृष्णकांत उपाध्याय का इंटरव्यू भी आपके सामने लेकर आएंगे। वीडियो को लाइक और चैनल को सब्सक्राइब कर दीजिए, मिलते हैं अगली वीडियो में तब तक के लिए नमस्कार।
वीडियो देखे –