BiographySports

क्रिकेट इतिहास का वो महान क्रिकेटर जिसने कर ली थी आत्महत्या।

डेविड बेयरस्टो : कहानी बहादुर बेटे के डरपोक बाप (पिता) की।

डिप्रेशन, हाल के दिनों में ये लफ़्ज़ काफ़ी सुना गया। अब डिप्रेशन पर खुलकर बातें  की जाने लगी हैं। मगर, ये मानसिक समस्या अब तक ना-जाने कितनी जानें ले चुकी है, ना-जाने कितने मज़बूत दिमाग़ खोखले कर चुकी है और ना-जाने कितने ही खिलाड़ियों का कैरियर इस बीमारी की भेंट चढ़ चुका है। हालाँकि, खिलाड़ियों को शारीरिक और मानसिक दोनों तौर पर मज़बूत माना  जाता है।

मगर, इसका मतलब ये नहीं कि वो कभी मानसिक तनाव महसूस नहीं करते हैं। क्योंकि, आख़िर वो भी तो इंसान ही हैं। लेकिन, लगभग सभी खिलाड़ी इस परेशानी को पार कर अपने खेल और व्यक्तित्व से आने वाली पीढ़ियों को रास्ता दिखाते हैं। फिर भी इतिहास में कुछ ऐसे खिलाड़ी हुए हैं, जिन्होंने डिप्रेशन के सामने घुटने टेक दिये और ख़ुद को मौत की आग में झोंक दिया।

एक ऐसे ही शानदार क्रिकेटर और टूटे हुए इंसान की दुखद कहानी नारद टी.वी. का ये एपिसोड समेटे हुए है। एक ऐसी कहानी जिसकी शुरुआत करिश्माई है, मगर अंत दिल दुखाने वाला। एक ऐसा अंत जिसने विश्व क्रिकेट को झकझोरकर (हिलाकर) रख दिया था। ख़ुद का अंत करने वाले उस आख़िरी क्रिकेटर का नाम है डेविड बेयरस्टो।

David Bairstow Cricket NaaradTV1
डेविड बेयरस्टो

डेविड बेयरस्टो

दोस्तों! बेयरस्टो नाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। क्योंकि, वर्तमान इंग्लैंड टीम की रीढ़ कहे जाने वाले जॉनी बेयरस्टो ने कई यादगार प्रदर्शन कर क्रिकेट प्रेमियों के दिल में अपना अलग स्थान बना लिया है। मगर, क्या आप जानते हैं कि जॉनी अपने ख़ानदान से इंग्लैंड के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने वाले पहले खिलाड़ी नहीं है। जॉनी से पहले उनके पिता डेविड बेयरस्टो भी इंग्लैंड की जर्सी पहन चुके हैं।

DAVID-JONNY NaaradTV
डेविड बेयरस्टो

डेविड बेयरस्टो का क्रिकेट में शुरूआत-

साल 1951 के सितंबर महीने की पहली तारीख़ को इंग्लैंड के यॉर्कशायर में जन्में डेविड स्कूली दिनों से ही बहुत से खेलों का हिस्सा रहे। उस दौरान डेविड ने कई मौकों पर ब्रैडफ़ोर्ड सिटी के लिये फ़ुटबॉल मैच भी खेले। मगर, आख़िर में डेविड का मन क्रिकेट पर आ-कर थमा।

फ़ुटबाल से मिले गोलकीपिंग के अनुभव को डेविड ने क्रिकेट में ख़ूब इस्तेमाल किया और अच्छे प्रदर्शन के दम पर सिर्फ़ 19 साल की उम्र में ही यॉर्कशायर काउंटी टीम में जगह बना ली।

उसके बाद क़रीब अगले दो दशकों तक डेविड यॉर्कशायर के लिये खेले और साल 1984 से 1986 के दौरान कप्तानी भी की। डेविड के निचले क्रम पर आकर तेज़ी से रन बनाने के चलते यॉर्कशायर का लोकल क्राउड उन्हें बहुत पसंद करता था और डेविड की तेज़ विकेटकीपिंग के चलते उन्हें ‘लाइववायर’ कहा जाने लगा।

डेविड को याद करते हुए बहुत से इंग्लिश खिलाड़ियों की तरह रे इलिंगवर्थ ने भी कहा था- “हो सकता है कि वो अच्छा विकेट कीपर ना हो। मगर, बात जब टीम स्पिरिट, टेम्परामेंट, और कभी हार ना मानने वाले जज़्बे की आती है । तो, डेविड महान खिलाड़ी था।”  हालाँकि, इंग्लिश चयनकर्ताओं की नज़रों में डेविड का नंबर बॉब टेलर और पॉल डाउनटाउन के बाद आता था।

यही वजह रही कि डेविड के पास ख़ुद को साबित करने के मौके बहुत कम थे और जब डेविड को मौके मिले तो वो उन्हें भुना नहीं पाये। इसलिये ही डेविड इंग्लैंड के लिये सिर्फ़ 4 टेस्ट और 21 वनडे खेल पाये।

यह भी पढ़ें:- घर से निकाले गए होटल में काम किया फिर लिखी सफ़लता की इबारत कहानी मुरली विजय की।

skynews-bairstow-cricket_NaaradTV
डेविड बेयरस्टो

डेविड बेयरस्टो का अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में प्रदर्शन –

डेविड ने टेस्ट और वनडे दोनों मिलाकर 23 अंतर्राष्ट्रीय पारियों में 14.39 की ख़राब औसत से कुल 331 रन बनाये। क्योंकि, उन दिनों विकेटकीपर को सिर्फ़ कीपिंग के लिये रखा जाता था। इसलिये, डेविड बेयरस्टो की बैटिंग शुरुआती दिनों में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के लेवल की नहीं थी। जोकि, उनके आँकड़े भी बताते हैं। मगर, काउंटी कैरियर का अंत आते-आते डेविड रन बनाना सीख गये थे।

जिसका प्रमाण प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनके 13,961 रन हैं। हालाँकि, घरेलू क्रिकेट में इतने रन होने के बावजूद डेविड इंग्लैंड के लिये सिर्फ़ 4 टेस्ट ही खेल पाये और आख़िर में 1990 में क्रिकेट से रिटायर हो गये। मगर, तब तक 39 साल की उम्र में रिटायर होने के बावजूद एक साधारण अंतर्राष्ट्रीय कैरियर ने शांत स्वभाव वाले ज़िंदा दिल डेविड के मन में शंका का बीज बो दिया था।

रेडियो कमेंटेटर-

   दोस्तों, साल 1990 में संन्यास लेने के बावजूद डेविड की ज़िन्दगी बेहतरीन चल रही थी। वो इंग्लैंड में एक मशहूर रेडियो कमेंटेटर बन चुके थे। इस दौरान ही उन्होंने अपने दोस्त और पूर्व इंग्लिश खिलाड़ी फ़्रेड ट्रूमैन के साथ स्पोर्ट्स मर्चनडाइज़ भी शुरू किया।

शुरुआती दिनों में सब कुछ डेविड के हिसाब से चल रहा था। मगर, जब बिज़नेस में लॉस हुआ। तो, डेविड की दोस्ती भी बिज़नेस के साथ ही डूब गई। ये वो वक़्त था जिसे डेविड के दोस्त और रिश्तेदार डिप्रेशन की शुरुआत के रूप में देखते हैं।

डेविड की ये परेशानी धीरे-धीरे बढ़ने लगी और आगे चलकर यॉर्कशायर काउंटी से हुई लड़ाई के बाद उनके तनाव ने डिप्रेशन का रूप ले लिया। आख़िरी दिनों में आलम ये था कि डेविड अपनी दूसरी पत्नी जैनेट के कैंसर की थैरेपीज़ कराने जिस हॉस्पिटल जाते थे। वहाँ के डॉक्टर जैनेट से ज़्यादा फ़िक्र डेविड की करते थे।

डिप्रेशन ने डेविड को नशे के रास्ते कोप का आदी बना दिया था। यही वजह थी कि डेविड से मोहब्बत करने वाली बीमार जैनेट को भी डर लगा रहता था और उन्हें डेविड के मूड स्विंग्स भी समझ नहीं आते थे। इसके अलावा दुनिया डेविड की कहानी में ड्रंक और ड्राइव केस को उनकी ख़ुदकुशी की बड़ी वजहों में गिनती है। क्योंकि, उस एक्सीडेंट के दौरान डेविड के हाथ में घुसी मेटल प्लेट ने उनसे गोल्फ़ छीन लिया था।

मगर दोस्तों! हमने इस आर्टिक्ल के दौरान जितनी रिसर्च कि उस बेस पर डेविड को बुज़दिल या हिंसक नहीं कहा जा-सकता है। हाँ! मगर वो अपनी ज़िन्दगी से शर्मिंदा ज़रूर थे। जो बात उन्होंने अपने आख़िरी लैटर में भी मेंशन की थी।

डेविड ने लिखा था-“दुख देता है, इंसानो से भरे कमरे में अकेला महसूस करना। मगर, भी उससे ज़्यादा दुख देता है अपने बच्चों से नज़रें ना-मिला पाना”। डेविड ने ये बात जॉनी के लिये लिखी थी। क्योकि, जिस रात डेविड का एक्सीडेंट हुआ था, 8 साल के जॉनी बेयरस्टो उस कार में मौजूद थे।

 5 जनवरी 1998 का दिन दुनिया के लिए एक आम-सा दिन था। जॉनी और उनकी बहन रेबेका क्रिसमस की छुट्टियों के बाद पहली बार स्कूल जा-रहे थे। मगर, जॉनी को पता नहीं था कि सुबह निकलते वक़्त जॉनी ने पिता को जो ‘बाय’ कहा था, उसका जवाब डेविड की ज़िन्दगी के आख़िरी लफ़्ज़ थे।

David Bairstow Cricket NaaradTV

डेविड ने दुनिया को हमेशा के लिये अलविदा कहा-

दिमाग़ी तौर पर बीमार चल रहे डेविड इससे पहले भी नींद की गोलियों के ओवरडोज़ के चलते मौत के मुँह से बचे थे। मगर, उस रोज़ डेविड ने ख़ुद को ख़त्म करने के लिये घर की सीढ़िया चुनी और जिंदगी से परेशान डेविड ने दुनिया को हमेशा के लिये अलविदा कह दिया।

डेविड की मौत की ख़बर ने इंग्लैंड में हड़कम्प मचा दिया। क्योंकि, डेविड जैसे ज़िंदादिल और बहादुर खिलाड़ी से कभी इस क़दम की उम्मीद नहीं थी।

suicide-david NaaradTV
ख़ुदकुशी

डेविड की ख़ुदकुशी के बाद उनके परिवार के लिये ज़िन्दगी बहुत मुश्किल हो गयी थी। मगर, जॉनी ने कभी उन परेशानियों के लिए अपने पिता को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया। जॉनी ने एक इंटरव्यू में कहा था “मुझे लगता था कि मैं उन्हें कभी माफ़ नहीं कर पाऊँगा। मगर, जब मैं समझदार हुआ तो एहसास हुआ कि उनसे बेहतर पिता नहीं हो सकता था। उन्होंने अपना ग़ुस्सा और झुँझलाहट कभी हम पर नहीं निकाली। उनकी यही ज़ब्ती उनके अंत की वजह बनी”।

दोस्तों, जॉनी ने तमाम परेशानियों के बाद भी अपने पिता का सपना पूरा किया और जब उन्हें इंग्लैंड टीम की जर्सी मिली। तो, उन्होंने अपने पिता की याद में जर्सी का नंबर 51 रखा और डेविड बेयरस्टो को श्रद्धांजलि पेश की।

यू ट्यूब पर देखें –

 

 

Show More

Related Articles

Back to top button