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कहानी उस टेस्ट सीरीज जिसमे अनिल कुंबले ने दस विकेट लिए थे।

दोस्तों कहते हैं कि इस दुनिया में किसी भी परिस्थिति या प्रतियोगिता में पहले स्थान पर रहने वाले व्यक्ति को ही याद किया जाता है, ज्यादातर लोगों को इस बात से फर्क नहीं पड़ता है कि उस पहले स्थान पर रहने वाले व्यक्ति के बिल्कुल करीब कौन है लेकिन ये बात शायद क्रिकेट के खेल पर लागू नहीं होती है क्योंकि इस खेल में ऐसे कई रिकॉर्ड है जिसे तय करने वालों की एक लंबी लिस्ट ज्यादातर क्रिकेट प्रेमियों को याद होती है।

बात जब दुसरे स्थान पर रहने वाले व्यक्ति की आती है तो अनिल कुंबले का जिक्र करते हुए यह बात समझी जा सकती है कि इस खेल में दुसरे स्थान पर रहने वाले को भी बराबर या कई बार पहले वाले से ज्यादा सम्मान मिलता है।

अनिल कुंबले टेस्ट क्रिकेट इतिहास में किसी मैच की एक पारी में दस विकेट लेने वाले दुसरे खिलाड़ी हैं लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें अधिकतर क्रिकेट प्रशंसक इसी रिकॉर्ड की वजह से ही जानते हैं जिसके पीछे का कारण है वो परिस्थितियां और वो मैच जिसमें उन्होंने यह रिकार्ड हासिल किया था।

अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट इतिहास भारत और पाकिस्तान के बीच एक लम्बी प्रतिद्वंद्विता का ग्वाह रहा है।

भारत की आज़ादी के बाद साल 1952 से शुरू हुआ ये सफर बीच में कई बार अलग अलग कारणों से बाधित भी रहा तो कुछ ऐसे मौके भी आए जब इन दो देशों का क्रिकेट के मैदान पर मिलना नामुमकिन सा नजर आने लगा था।

साल 1965 और फिर साल 1971 की जंग के दौरान बिल्कुल खत्म सी लगने वाली यह क्रिकेट प्रतिद्वंद्विता साल 1978 में फिर से शुरू हुई। और फिर साल 1992 में पहली बार इन दोनों टीमों का मुकाबला पहली बार वर्ल्डकप जैसे बड़े मंच पर हुआ था। लेकिन इस दौरान भी विरोध राजनीतिक गलियारों में जारी था।

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प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई

फिर आया साल 1999 छः साल पहले कैंसल हुए दौरे के बाद एक बार फिर भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के भरोसे पर और कड़क निगरानी में पाकिस्तानी टीम भारत पहुंची थी।

यह साल इन दोनों देशों के बीच एक अच्छे रिश्ते की स्वप्न  लेकर आया था और शुरुआत क्रिकेट के मैदान पर होने वाली थी, जिसके बाद फरवरी माह की 19 तारीख को एक नई बस सेवा द्वारा इस दोस्ती पर ठप्पा भी लगने वाला था।

साल 1999 के पहले महीने में पाकिस्तानी टीम बारह साल बाद दो टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए भारत आई थी जिसका पहला मैच दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर खेला जाने वाला था।

दल शिवसेना

लेकिन राजनीतिक दल शिवसेना के कुछ लोगों को इस नयी शुरुआत से आपत्ति थी और इसीलिए उन्होंने यानि शिवसेना के लोगों ने फिरोजशाह कोटला मैदान की पीच को तोड़ दिया और उसमें तेल भी भर दिया जिससे पहला मैच वहां नहीं खेला जा सकता था।

लेकिन इस बार की टेस्ट सीरीज रद्द होने से बचाने के लिए भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने पहला मैच चेन्नई के चेपोक मैदान पर करवाने का फैसला किया जहां दुसरा मैच खेला जाने वाला था और इस तरह दुसरे मैच का वेन्यू दिल्ली का फिरोजशाह कोटला स्टेडियम बन गया था।

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पाकिस्तान के कप्तान वसीम अकरम

28 जनवरी साल 1999 के दिन पहला मैच शुरू हुआ जिसमें पाकिस्तान के कप्तान वसीम अकरम ने टोस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया।

पहले बल्लेबाजी करने उतरी पाकिस्तानी टीम ने मोहम्मद युसूफ के 53 और मोईन खान के 60 रनों की मदद से बोर्ड पर 238 रन लगा दिए थे, इस पारी में अनिल कुंबले ने छः विकेट अपने नाम किए थे।

स्कोर का पीछा करने उतरी भारतीय टीम भी ज्यादा कुछ नहीं कर पाई, राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली के अर्धशतकों की मदद से 254 रनों के स्कोर पर आलआउट हो गई थी। पाकिस्तान को पहली पारी में बहुत छोटा स्कोर मिला था जिसके चलते उनके पास अब एक बड़ा स्कोर खड़ा करने का मौका था।

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शाहिद अफरीदी

उस समय शाहिद अफरीदी पाकिस्तानी टीम की तरफ से पारी की शुरुआत किया करते थे और इस बार पारी की शुरुआत करते हुए उन्होंने अपनी शानदार बैटिंग का प्रदर्शन करते हुए 141 रन बनाकर भारत को बैकफुट पर धकेल दिया था, जिसके बाद इंजमाम उल हक की अर्धशतकीय पारी ने पाकिस्तान का स्कोर 286 तक पहुंचा दिया था।

भारतीय टीम के सामने 271 रनों की बड़ी चुनौती थी और सामने एक से बढ़कर एक गेंदबाज मौजूद थे जिसमें से सक्लेन मुश्ताक अपनी सबसे अच्छी फोर्म से गुजर रहे थे।

पिछली पारी में पांच विकेट अपने नाम कर एक अच्छी बढ़त की ओर बढ़ रही भारतीय टीम को रोक लेने वाले गेंदबाज मुश्ताक ने इस बार भी अपना जादू जारी रखा और पांच विकेट अपने नाम किए थे।

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वकार यूनुस

शुरुआत वकार यूनुस ने की और भारत के सलामी बल्लेबाजों को छः के स्कोर पर आउट कर भारतीय खेमे में खलबली मचा दी थी।

उस समय भारत के पास एक से बढ़कर एक बल्लेबाज थे लेकिन उस बल्लेबाजी लाइनअप में धुरी का काम सचिन तेंदुलकर का ही था।

पहली पारी में बड़ी बढ़त ना बना पाने की एक वजह ये भी थी क्योंकि सचिन उस पारी में बिना खाता खोले आउट हो गए थे।

इस बार टीम के साथी खिलाड़ियों और कोच अंशुमन गायकवाड़ ने सचिन के कंधों पर 271 के बड़े स्कोर तक भारत को पहुंचाने का दारोमदार रख दिया था।

छः के स्कोर पर सलामी बल्लेबाजों के आउट होने के बाद मैदान पर सचिन तेंदुलकर उतरे और अपने जाने पहचाने शोट्स के साथ पारी को आगे बढ़ाते रहे।

82 के स्कोर पर भारत के पांच विकेट गिर गए थे, लक्ष्मण बिना खाता खोले आउट हो गए थे और पिछली पारी के सबसे बड़े खिलाड़ी गांगुली भी इस बार कुछ खास नहीं कर पाए थे।

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नयन मोंगिया

पांच विकेट गिरने के बाद सचिन को नयन मोंगिया का साथ मिला और इन दोनों बल्लेबाजों के बीच भारत को बेहतर स्थिति में पहुंचाने के लिए 136 रनों की साझेदारी हुई।

लेकिन इसके बाद जब भारत को जितने के लिए सिर्फ 53 रनों की जरूरत थी तभी नयन मोंगिया ने तेज खेलने का मन बनाया और इस कोशिश में 52 के स्कोर पर वसीम अकरम की गेंद पर आउट हो गए।

पाकिस्तान को जितने के लिए अब सिर्फ चार विकेटों की जरूरत थी लेकिन अंदर ही अंदर उन्हें मालूम था कि केवल सचिन का आउट होना ही उनके लिए जीत की गारंटी बन जाएगा।

विश्व की सबसे ख़तरनाक बोलिंग लाइनअप के सामने अब सिर्फ सचिन तेंदुलकर थे जो भारत को आखिर तक पहुंचाने की जद्दोजहद में लगे हुए थे।

अपनी पीठ के दर्द को भुलाकर सचिन आगे बढ़ रहे थे लेकिन जैसे ही दर्द बढ़ने लगा उन्होंने तेजी से रन बटोरना शुरू कर दिया और यहां पाकिस्तान को अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी को आउट करने का मौका नजर आया।

92 वें ओवर में जल्दी रन बटोरने की कोशिश में सचिन सक्लेन के दुसरा को पहचान नहीं पाए और वसीम अकरम के हाथों कैच आउट होकर पवेलियन लौट गए।

जब सचिन आउट हुए तब भारत को जितने के लिए सिर्फ 17 रनों की जरूरत थी लेकिन अब पाकिस्तान किसी भी कीमत पर ये मैच हारना नहीं चाहती थी भले ही भारत की टीम अब भी फेवरेट थी लेकिन मुश्ताक के इरादे कुछ और ही थे‌।

मुश्ताक ने अगले पांच छः ओवरों में भारत के आखिरी तीन विकेट चार रनों के भीतर उखाड़ लिए और इस तरह भारत यह मैच 12 रनों से हार गई।

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सचिन तेंदुलकर सेरमनी खत्म होने तक सिसक सिसक कर रोते रहे-

जब सचिन को भारत की हार का पता चला तो अपना वादा पूरा न कर पाने का दुःख उन पर हावी हो गया और इसीलिए जब मैन ऑफ द मैच के लिए उनका नाम पुकारा गया तो उन्होंने नीचे जाने से मना कर दिया और सेरमनी खत्म होने तक सिसक सिसक कर रोते रहे।

इस मैच के बाद चेन्नई के लोगों ने उस समय भारत और जेन्टलमेंस के खेल क्रिकेट का सिर तब गर्व से ऊंचा कर दिया जब उन्होंने अपनी जीत का जश्न मना रहे पाकिस्तानी खिलाड़ियों के बेहतरीन खेल के सम्मान में तालियां बजाकर उनका अभिवादन किया, अपने सबसे पसंदीदा खेल में हार मिलने के बावजूद भी अपनी प्रतिद्वंद्वी टीम के खेल को सम्मान देने वाली बात क्रिकेट के खेल की बहुत बड़ी जीत थी।

पहला मैच हारने के बाद भारतीय टीम अपने अगले मैच के लिए दिल्ली रवाना हुई जहां एक खास रिकॉर्ड अनिल कुंबले का इंतजार कर रहा था। दौरे से पहले जिस पीच को तहस नहस कर दिया गया था अब वह पीच एक शानदार मैच के लिए तैयार थी।

यह भी पढ़ें:- 1983 वर्ल्ड कप जीत के हीरो।

सक्लेन मुश्ताक

4 फरवरी के दिन भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया लेकिन एक बार फिर सक्लेन मुश्ताक की फिरकी में भारतीय टीम फंसकर रह गई और सिर्फ 252 रन ही बना पाई जिसमें पिछले मैच में अपना डेब्यू करने वाले सदगोपन रमेश ने 60 रन बनाए थे और कप्तान अजहरुद्दीन ने भी 67 रनों की पारी खेली थी, दुसरी तरफ मुश्ताक ने लगातार तीसरी बार फाइव विकेट होल अपने नाम कर लिया था।

स्कोर का पीछा करने उतरी पाकिस्तानी टीम को इस बार भारतीय गेंदबाजों की तरफ से भी ईंट का जवाब पत्थर से मिला जिसके चलते पाकिस्तानी टीम सिर्फ 172 रनों पर सिमट गई थी।

 

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अनिल कुंबले और हरभजन सिंह

अनिल कुंबले और हरभजन सिंह की जोड़ी ने सात विकेट अपने नाम किए थे और पाकिस्तान का कोई बल्लेबाज 32 से ऊपर नहीं पहुंच पाया था।

भारत को एक बड़ी बढ़त मिल गई थी अब उसे एक असम्भव टोटल तक पहुंचाना था और इस काम को अंजाम देने में रमेश और गांगुली ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई साथ ही जवागल श्रीनाथ के 49 रन भी महत्वपूर्ण रहे।

भारतीय टीम ने 339 रन बनाकर पाकिस्तान के सामने 420 का लक्ष्य रख दिया था। अब सीरीज बराबर करने का जिम्मा गेंदबाजों पर था और इस जिम्मेदारी को अनिल कुंबले ने शायद ज्यादा ही सीरियसली ले लिया था।

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सईद अनवर और अफरीदी

सईद अनवर और अफरीदी मैदान पर उतरे और कप्तान अजहरुद्दीन ने शुरू से ही कुंबले से गेंद डलवाना शुरू कर दिया था लेकिन दोनों बल्लेबाज बिना रिस्क लिए लगातार रन बना रहे थे।

दिल्ली की हल्की रोशनी और ठंडी हवाओं के बीच शाहिद अफरीदी और अनवर ने मिलकर लगभग 24 वें ओवर तक 100 रन बना लिए थे।

पाकिस्तान जब 100 रन तक पहुंची उसके कुछ समय पहले से ही सचिन तेंदुलकर ने बीच मैदान में एक अजीब सीलसिला शुरू कर दिया था, वो ये कि एक ओवर खत्म होने के बाद जब अनिल कुंबले की बारी आती तो सचिन फाईन लेग तक जाते और कुंबले की स्वेटर और केप लेकर अम्पायर को थमा देते और फिर से अपनी जगह चले जाते थे।

यह सिलसिला मैच खत्म होने तक जारी रहा और तब तक कोई नहीं समझ पाया कि आखिर सचिन ये सब क्यों कर रहे हैं।

इस सिलसिले के शुरू होने के कुछ ही समय बाद 25 वें ओवर की दुसरी गेंद पर अनिल कुंबले ने शाहिद अफरीदी को पवैलियन भेजकर भारत को पहली सफलता दिलवा दी।

अफरीदी के 41 रन बनाकर आउट होने के बाद अगली ही गेंद पर इजाज अहमद भी आउट हो गए जिसके चार ओवरों बाद इंजमाम उल हक और मोहम्मद युसूफ भी पवैलियन लौट गए और ये सभी विकेट अनिल कुंबले के खाते में आई थी।

यहां से भारत की जीत तय लगने लगी थी और यहां से एक प्रश्न भी उठने लगा था कि क्या कुंबले आज सभी विकेट अपने नाम कर लेंगे।

128 के स्कोर पर जब सईद अनवर छठी विकेट के रूप में 69 रन बनाकर आउट हुए तब अनिल कुंबले बताते हैं कि उन्हें लगा कि वो आज कुछ अलग कर सकते हैं।

मैच के चौथे दिन जब यह सबकुछ हो रहा था तब रिचर्ड स्टोक्स नाम का एक व्यक्ति भी उस समय दर्शकों के बीच बैठकर मैच देख रहा था, कमाल की बात यह थी कि इस व्यक्ति ने 46 साल पहले मैनचेस्टर के एशेज टेस्ट में जिम लेकर को 10 विकेट लेते हुए देखा था और अब रिचर्ड दुसरी बार वही कारनामा मैदान पर बैठकर देखने वाले एकमात्र व्यक्ति बनने से कुछ ही कदम दुर थे।

अनवर के बाद सलीम मल्लिक, मुश्ताक अहमद और सक्लेन मुश्ताक भी 198 रनों के स्कोर तक पहुंचते-पहुंचते आउट हो गए थे।

नौवीं और दसवीं विकेट के बीच कुछ समय लगा, जिसमें जवागल श्रीनाथ ने विकेट ना लेने की कोशिश में अपने करियर का सबसे मुश्किल स्पेल डाला, सदगोपन रमेश को उनकी गेंद पर वकार यूनुस का कैच पकड़ने का मौका भी मिला लेकिन श्रीनाथ ने मना कर दिया और वह कैच नही हुआ।

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अनिल कुंबले एक पारी के सभी दस विकेट लेने वाले दुसरे गेंदबाज

61 वें ओवर की तीसरी गेंद पर आखिरकार वह मौका आया जब अनिल कुंबले की गेंद पर वीवीएस लक्ष्मण ने वसीम अकरम का कैच पकड़ा और इस तरह अनिल कुंबले एक पारी के सभी दस विकेट लेने वाले दुसरे गेंदबाज बन गए थे।

पुरी पाकिस्तानी टीम 207 के स्कोर पर आउट हो गई थी और मैच के बाद जब अनिल कुंबले से सचिन की उस हरकत के बाद बारे में पुछा गया तो उन्होंने बताया कि वो कुछ नहीं बस सचिन का एक सुपरस्टीशन था जिसे वो इसलिए फोलो कर रहे थे क्योंकि उनके अनुसार इससे मुझे लगातार विकेट मिल रहे थे।

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अम्पायर अरानी जयप्रकाश

अनिल कुंबले के एंड पर सभी निर्णय देने वाले अम्पायर अरानी जयप्रकाश जो खुद बैंगलोर के रहने वाले थे वो भी इस पारी में अपने फैसलों पर गर्व करते हुए कहते हैं कि अनिल कुंबले के साथ मैंने भी वो दस विकेट लिए थे।

पाकिस्तान के लिए खेलते हुए सक्लेन मुश्ताक ने भी इस सीरीज में लगातार चार बार पांच विकेट लेने का अविश्वसनीय रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया था।

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