Trent Boult : दोस्तों क्रिकेट की दुनिया में एक से एक तेज़ गेंदबाज देखने को मिलते हैं। कुछ खिलाड़ी केवल गति पर निर्भर करते हैं जैसे मार्क वुड, शोएब अख्तर तो कुछ स्विंग के दम पर बल्लेबाज़ों को चारों खाने चित्त कर देते हैं, जैसे भुवनेश्वर कुमार, वसीम अकरम, इसके अलावा कुछ खिलाड़ी अपनी सटीक लाइन लेंथ से बल्लेबाज़ों को हिलाकर रख देते हैं, भले ही उनके पास अधिक गति न हो, जैसे चमिंडा वास, ग्लैन मैकग्रा। तो कुछ खिलाड़ी अपनी गति में मिश्रण कर ऑफ कटर,लेग कटर स्लोअर बाउंसर से बल्लेबाज़ों को चकमा दे देते हैं जैसे ब्रावो, टाइमल मिल्स। मगर यदि मैं आपसे कहूं कि एक खिलाड़ी ऐसा भी है जिसमें ये सारे गुण मौजूद हैं, तो शायद आप नहीं मानेंगे। चलिए हम आपको बताते हैं, उनके पास जहां 135–145 तक की अच्छी खासी गति है, साथ ही दोनों तरफ गेंद को हिलाने की क्षमता। उनकी सबसे घातक इंस्विंगिंग गेंदें दाएं हाथ के बल्लेबाज़ों के लिए काल हैं। इसके अलावा उनका लाइन लेंथ पर नियंत्रण तो कमाल का है ही। साथ ही वे समय समय पर अपनी गति में मिश्रण करते रहते हैं। नई गेंद हो या पुरानी,वे दोनों से ही घातक हैं। आईसीसी टूर्नामेंट में बड़े मुकाबलों में उन्होंने अपनी कसी हुई गेंदबाजी से कोहराम मचा दिया। जी हां हम बात कर रहे हैं न्यूजीलैंड के घातक गेंदबाज ट्रैंट बोल्ट की।आज हम बात करेंगे उनके जीवन के बारे में, साथ ही एक नज़र डालेंगे उनके क्रिकेटिंग सफ़र और रिकॉर्ड्स पर।
ट्रैंट बोल्ट का जन्म 22 जुलाई 1989 को न्यूज़ीलैंड के रोटुरा क्षेत्र में हुआ। उनके बड़े भाई जोनो बोल्ट भी एक क्रिकेटर हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई ओटूमेटोई कॉलेज से पूरी की। अपने बड़े भाई की तरह ही उन्हें भी क्रिकेट में काफ़ी रुचि थी, और वे डेल स्टेन को अपना आईडल मानते थे। वहीं वसीम अकरम उनके ऑल टाइम फेवरेट खिलाड़ी हैं। उनकी 1992 विश्व कप की परफॉर्मेंस ने बोल्ट को काफ़ी प्रभावित किया और क्रिकेटर बनने के लिए प्रेरित भी। अपने पैशन को प्रोफैशन में तब्दील करने के मनसूबे से बोल्ट ने स्कूली दिनों से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया।वे नई गेंद के साथ कमाल की स्विंग कराया करते और उनकी तेज़ रफ़्तार से भी बल्लेबाज़ काफ़ी परेशान होते।2007 में बोल्ट को न्यूज़ीलैंड ए की टीम में शामिल किया गया जो विंटर ट्रेनिंग दौरा करने वाली थी।और लगातार बढ़िया प्रदर्शन करने वाले बोल्ट को 2008 में होने वाले अंडर 19 विश्व कप में न्यूज़ीलैंड की टीम में स्थान मिला। दोस्तों आपको बतादें कि 2008 का ये वोही बैच है जहां से दुनिया के बड़े बड़े दिग्गज निकल कर आए जैसे न्यूजीलैंड टीम के कप्तान केन विलियमसन, टीम साउदी, ट्रैंट बोल्ट, किंग कोहली, सर रविंद्र जडेजा और कई खिलाड़ी।
बोल्ट के प्रदर्शन पर अब चयनकर्ताओं की नज़र पड़ने लगी और 2009 में उन्हें महज़ 19 की आयु में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ एकदिवसीय सीरीज के लिए सीनियर टीम स्क्वॉड में शामिल किया गया। हालांकि उन्हें कोई मुकाबला खेलने का मौका नहीं मिला और वे केवल अभ्यास मैच में ही खेले।इस दौरान उन्होंने अपने हुनर की झलक छोटी उम्र से ही दुनिया को दी। जब अभ्यास मैच में उन्होंने सबसे तेज़ गति की गेंद 143.3 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से की।
आखिरकार उन्हें 2011–12 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर दूसरे मुकाबले में टैस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने का मौका मिला। उस एतिहासिक टैस्ट में न्यूज़ीलैंड को 7 रन से जीत मिली।
अपने पहले मैच में उन्होंने 4 विकेट लिए,साथ ही 21 रन बनाए। अगले ही वर्ष उन्होंने ओडीआई में भी अपने करियर का आगाज़ किया। और कमाल की गेंदबाजी करते हुए न्यूजीलैंड की एक गंभीर समस्या का हल कर दिया जो था नई गेंद से अटैक। अब टीम साउदी अकेले नहीं थे, उन्हें बोल्ट के रूप में उनका न्यू बॉल पार्टनर मिल गया। इन दोनों को जोड़ी बल्लेबाजों के ऊपर खूब कहर ढाया करती, फिर चाहे वो टेस्ट हो या ओडीआई। अगले वर्ष इंग्लैंड के खिलाफ़ बोल्ट ने लाज़वाब गेंदबाजी करते हुए 5 टैस्ट मुकाबलों में 19 विकेट लेकर टीम में अपना स्थान पुख़्ता कर लिया। इसी वर्ष टी 20 में पदार्पण कर वे न्यूजीलैंड के तीनों प्रारूपों के प्राथमिक गेंदबाज बने।
वे गेंदबाजी के साथ साथ फील्डिंग भी लाज़वाब करते हैं।वेस्टइंडीज के खिलाफ़ एक टैस्ट में उन्होंने दिनेश रामदीन का एक हाथ से जो कैच लपका, उसकी खूब वाहवाही हुई।
उस मैच में अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर 10 विकेट लेने वाले बोल्ट मैन ऑफ़ द मैच बने।
2015 विश्व कप में तो बोल्ट ने कोहराम मचा दिया था। ग्रुप स्टेज में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ 6 विकेट लेने वाले बोल्ट टूर्नामेंट में जॉइंट लीडिंग विकेट टेकर रहे। उन्होंने न्यूजीलैंड को फाइनल तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया, परंतु दुर्भाग्यवश कीवी टीम अपने सपने से महज़ एक कदम दूर रह गए।
2015 में क्रिकेट इतिहास का पहला पिंक बॉल टेस्ट खेला गया।वे डे नाइट टेस्ट में फाइफर लेने वाले पहले कीवी और विश्व के दूसरे गेंदबाज बने।
2017–18 पर बोल्ट ने अपने करियर के कई यादगार स्पैल किए। अपनी यादगार परफॉर्मेंस के चलते उन्हें टैस्ट क्रिकेटर ऑफ़ द इयर का अवॉर्ड मिला, साथ ही सर रिचार्ड हैडली मैडल से भी सम्मानित किया गया। इसी वर्ष भारत के खिलाफ एक ओडीआई में 5 विकेट लेते ही वे न्यूजीलैंड की ओर से सर्वाधिक फाइफर लेने वाले गेंदबाज बने।
2018 में पाकिस्तान के खिलाफ़ ओडीआई में बोल्ट ने अपनी पहली हैट्रिक ली।
जिस दौरान उन्होंने फखर जमान, बाबर आज़म और मोहम्मद हफीज़ के बड़े विकेट लिए और मैन ऑफ़ द मैच बने।
कमाल की गेंदबाजी करने वाले ट्रैंट बोल्ट 2019 में अपना दूसरा विश्व कप खेलने वाले थे। और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ मैच में उन्होंने अपनी दूसरी हैट्रिक ली। जिस दौरान उन्होंने उस्मान ख्वाजा, स्टार्क, और बेहरेंडॉफ का विकेट चटकाया। वे विश्व कप में हैट्रिक लेने वाले पहले कीवी खिलाड़ी बने। उन्होंने इस टूर्नामेंट में 13 विकेट लेकर न्यूजीलैंड को फाइनल तक पहुंचाने में मदद की। अत्यंत दबाव की स्थिति में उन्होंने सेमिफाइनल में कप्तान कोहली और जड़ेजा का बड़ा विकेट लेकर कीवी टीम को लगातार दूसरी बार फाइनल में पहुंचाया। मगर जो फाइनल में हुआ, वो हम सभी को पता है। बोल्ट ने ही उस हाई वोल्टेज फाइनल मुकाबले में अंतिम ओवर डाला। और सुपर ओवर भी बोल्ट ने ही डाला। दुर्भायवश न्यूजीलैंड दूसरी बार भी विजेता न बन सकी।
इसी वर्ष अगस्त में बोल्ट टेस्ट में 250 विकेट लेने वाले केवल तीसरे कीवी बने।
2021 के टी 20 विश्व कप में भी बोल्ट ने अपने दम पर कीवी टीम को फ़ाइनल तक पहुंछाया। परंतु नजाने न्यूजीलैंड हमेशा फ़ाइनल में आकर भी जीत क्यों नहीं पाती। और 2015 की ही तरह ऑस्ट्रेलिया ने न्यूजीलैंड को चैलेंजिंग स्कोर के बावजूद रौंद दिया। हालांकि बोल्ट ने बेहद किफायती गेंदबाजी करते हुए केवल 4.5 की इकोनॉमी से गेंदबाजी करते हुए 2 विकेट लिए थे।
गेंदबाजी में वे जितने कारगर हैं,बल्लेबाज़ी में उतने ही उपयोगी।2022 में ट्रेंट बोल्ट ने इंग्लैंड के खिलाफ़ टेस्ट में नंबर 11 पर बल्लेबाज़ी करते हुए सर्वाधिक रन (623) बनाने की एक दुर्लभ उपलब्धि हासिल की।
मगर अचानक से कुछ समय पहले एक अजीबोगरीब ख़बर सामने आई जिस पर पहले तो विश्वास ही नहीं हुआ। उन्होंने न्यूजीलैंड क्रिकेट के सैंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से ख़ुद को अलग कर लिया। और इसका कारण बताते हुए उन्होंने अपने परिवार को अधिक समय देने की इच्छा जताई है। और एक कारण अधिकतर विदेशी दौरे भी बताया है, जिससे वे थक चुके हैं। हालाकि अपने देश के लिए खेलने की इच्छा उनमें अभी भी है।
हालांकि वे विश्व भर की टी 20 लीग में खेलते नज़र आयेंगे। और बड़े टूर्नामेंट में वे न्यूजीलैंड टीम में चयन के लिए उपलब्ध रहेंगे। उनके इस निर्णय के तुरंत बाद न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड ने उन्हें कॉन्ट्रैक्ट से बाहर कर दिया। इससे एक बात साफ़ है कि बोल्ट अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काफ़ी कम खेलते नज़र आयेंगे। पर कई दिग्गजों ने निराशा जताई है। जिनका मानना है कि बोल्ट ने अपने करियर को खुद छोटा कर दिया। क्योंकि अब उनकी ब्लैक कैप्स की ओर से खेलने की संभावना काफ़ी कम है। कुछ दिग्गजों का मानना है कि बोल्ट ने ये निर्णय उनके बोर्ड द्वारा चलाए गए इक्वल पे स्केल स्कीम के कारण है। आपको बतादें कि इस स्कीम के अंतर्गत वूमेंस और मेंस टीम दोनों को ही बराबर धनराशि का अंतरराष्ट्रीय कॉन्ट्रैक्ट मिलता है।
तो कुछ का मानना है कि वे पिछले 12 वर्ष से लगातार तीनों प्रारूपों में अनेकों खेलते आए हैं, तो ज़ाहिर सी बात है कि फैटिग तो होगा ही। मगर उनके फ्रेंचाइजी क्रिकेट को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से उपर तरजीह देने पर भी खूब सवाल उठाए गए हैं। उनके इस एक फैसले ने क्रिकेट जगत को 2 खेमों में बांट दिया। जहां कुछ उनके इस फ़ैसले से सहमत हैं तो कुछ असहमत।
फिलहाल उनका चयन विश्व कप 2022 की टीम में हुआ है।
बोल्ट ने अभी तक न्यूज़ीलैंड के लिए 78 टेस्ट, 99 ओडीआई और 46 टी 20 खेले हैं जिसमें उन्होंने क्रमश:317,187 और 63 विकेट लिए हैं।
इसके अलावा बोल्ट ने आईपीएल में भी एसआरएच, कोलकाता नाइट राइडर्स, मुम्बई इंडियंस, दिल्ली कैपीटल्स और फिलहाल राजनथन रॉयल्स की टीम से खेला है। उन्होंने अपना पहला मैच 2015 में सनराइजर्स हैदराबाद की ओर से खेला था।2020 में मुंबई को चैंपियन बनाने में एक बड़ा रोल निभाने वाले बोल्ट फाइनल में मैन ऑफ़ द मैच रहे थे। साथ ही वे प्लेयर ऑफ द सीज़न भी बने। उन्होंने 2020 के आईपीएल में 25 विकेट झटके। उन्हें अपने आईपीएल करियर में खेले 78 मुकाबलों में लाजवाब औसत से 92 विकेट निकाले हैं।
तो दोस्तों ये थी कहानी इस समय विश्व के सबसे घातक तेज़ गेंदबाजों में शुमार ट्रैंट बोल्ट की।