Imran Tahir : दोस्तों हर वो आंखें जो क्रिकेट खेलने का ख्वाब देखती हैं, उन आंखों में अपने देश की जर्सी में क्रिकेट खेलने का सपना होता है। लेकिन ये सौभाग्य हर खिलाड़ी को प्राप्त नहीं होता। एक इंटरव्यू के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था कि क्रिकेटर बनने के लिए एक तपस्वी बनना पड़ता है।धैर्य, सब्र और दृढ़ता बहुत ज़रूरी है। दोस्तों आज नारद टीवी ऐसे ही महान खिलाड़ी जिसने जुनियर क्रिकेट तो अपने देश के लिए खेला,मगर सीनियर क्रिकेट खेलने का मौका ही नही मिला। लेकिन मन में ठानी थी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की,जिसके लिए उसे दर दर भटकना पड़ा। खराब समय में सेल्समैन की नौकरी तक करनी पड़ी।और बीवी के प्यार में उन्होंने अपना देश तो छोड़ा ही,साथ ही दक्षिण अफ्रीका से खेल स्पिनरों का अकाल भी खत्म किया।जी हां, हम बात कर रहे हैं विश्व के महान लेग स्पिनर इमरान ताहिर की। जिन्होंने अपनी करिश्माई गेंदबाजी से जितना बल्लेबाज़ों को चकमा दिया,उससे कई अधिक अपनी सेलिब्रेशन से फैंस को मनोरंजन भी दिया।
इमरान ताहिर का जन्म 27 मार्च,1979 को लाहौर में हुआ। ताहिर का बचपन से ही क्रिकेट से काफ़ी लगाव था। वे घंटों गली क्रिकेट खेला करते।लेकिन उस वक्त वे क्रिकेट को करियर के तौर पर नहीं देख रहे थे। कारण था उनकी खराब आर्थिक स्थिति, जिसके चलते उन्होंने कभी भी क्रिकेट का कोई सामान लेने की ज़िद तक नहीं की।अपने आदर्श पाकिस्तान के महान लेग स्पिनर अब्दुल कादिर को मानते हैं । लेकिन छोटी ही उम्र में उनके सिर से पिता का साया उठ गया। अब क्योंकि घर में कोई कमाने वाला भी नहीं था,और ना ही आर्थिक स्थिति अच्छी।
घर के सबसे बड़े बेटे होने के नाते अब सारी जिम्मेदारी ताहिर के कंधों पर थी और मात्र 16 वर्ष की आयु में ताहिर को लाहौर के एक मॉल में सेल्समैन की नौकरी करनी पड़ी। जहां उन्हें मात्र 2500₹ महीना मिलता। अब उन्हें एक चीज़ तो साफ़ हो गई कि इस काम से उनकी गरीबी तो दूर नही हो सकती।इसलिए उन्होंने कुछ बड़ा करने का सोचा।और दोस्तों के कहने पर क्रिकेट में हाथ आजमाना शुरू किया। टैलेंट तो इस नायब हीरे में शुरू से ही था, ज़रूरत थी तो सिर्फ उसे तराशने की। अपनी स्पिन गेंदबाजी में धार लाने के लिए घंटों अभ्यास किया करते।
और धीरे धीरे उनकी गेंदबाजी में वो धार और निखार आया। कठिन परिश्रम का फल उन्हें उस वक्त मिला जब 1998 में होने वाले अंडर 19 विश्व कप के लिए ताहिर का चयन पाकिस्तान टीम में हुआ। और अपनी शानदार फिरकी गेंदबाज़ी से सबकी वाहवाही लूटने के बाद ताहिर को पकिस्तान ए टीम में भी मौके मिलने शुरू हुए। लेकिन दुर्भाग्यवश ये टैलेंट केवल घरेलू स्तर तक ही फंसा रहा और पाकिस्तान में एक से बढ़कर एक स्पिनर होने के कारण ताहिर को सीनियर टीम में मौके ना मिल सके। दोस्तों ऐसा काफ़ी कम देखने को मिलता है जब जूनियर लेवल पर क्रिकेट खेल बढ़िया प्रदर्शन करने के बावजूद सीनियर टीम में खेलने को न मिले।लेकिन ताहिर का करियर मानो फ्रीज़ हो गया। बढ़ती उम्र और कुछ वर्ष के इंतज़ार के बाद आखिरकार ताहिर ने पाकिस्तान छोड़ने का फैसला बना लिया। हालांकि कुछ समय उन्होंने इंग्लैंड में काउंटी क्रिकेट खेला, लेकिन कुछ ख़ास स्कोप न होने के कारण 26 वर्ष की आयु में 2005 में वे दक्षिण अफ्रीका चले गए। खैर इसका एक और कारण बीवी का प्यार भी है। इसका भी एक दिलचस्प किस्सा है।
जब ताहिर पाकिस्तान के लिए जूनियर लेवल पर खेला करते तब वे दक्षिण अफ्रीका दौरा करने गए जहां उन्हें भारतीय मूल की मॉडल सुमैय्या दिलदार को दिल दे बैठे।और अब दक्षिण अफ्रीका आकार उनसे शादी कर 2005 में उन्होंने वहां की नागरिकता प्राप्त की।इस दौरान ताहिर ने कई टीमों से क्रिकेट खेला।अफ्रीका में शुरुआत उन्होंने घरेलू क्रिकेट में टाइटंस की ओर से खेलते हुए की। लेकिन ताहिर की मंज़िल और आगे थी। अब दक्षिण अफ्रीका से खेलने के लिए कम से कम 4 वर्ष की नागरिकता की ज़रूरत थी।2009 में जाकर ताहिर ने ये समय काल पूर्ण किया।30 बर्षीय ताहिर को भले ही अभी तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करने को नहीं मिला, लेकिन उनकी दृढ़ता गज़ब की थी।
वे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने को बेताब थे।और अपना करियर बनाने के लिए सैंकड़ों पापड़ बेल चुके ताहिर को गेंदबाजी की सबसे खास बात है उनकी गुगली, जिसे पढ़ने में काफ़ी बल्लेबाज़ों को तकलीफ हुई।एक तरफ़ क्वालिटी स्पिनर ताहिर,जो घरेलू क्रिकेट में लगातार बढ़िया प्रदर्शन करते जा रहे थे। तो दूसरी तरफ़ चयनकर्ता, जिनकी नज़रें हमेशा उनपर थी। दक्षिण अफ्रीका भी जल्द से जल्द उन्हें टीम में शामिल करने को बेताब थे। कारण था, क्वालिटी स्पिनर का अकाल,को काफ़ी समय से उन्हें खाए जा रहा था। शॉन पोलॉक, न्तिनी,लांस क्लूजनर, डोनाल्ड जैसे महान तेज़ गेंदबाज तो बहुत आए,लेकिन दरकार थी ऐसे स्पिनर की,को अपने दम पर मैच पलट दे।और वो अब जाकर उन्हें ताहिर के रूप में मिला।2010 में इंग्लैंड के खिलाफ़ टेस्ट श्रृंखला के लिए उनका चयन तो हुआ,लेकिन बाद में पता चला कि ये चयन कमिटी की एक भूल थी,ताहिर तो जनवरी 2011 तक खेल ही नहीं सकते।
आखिरकार ये इंतजार खत्म हुआ और तुरंत 2011 में ताहिर का चयन भारत के खिलाफ श्रृंखला में हुआ। हालांकि वे खेले तो एक भी मैच नहीं। कप्तान गरेम स्मिथ का ये कहना था कि वे ताहिर का टैलेंट विश्व कप तक फ्रेश रखना चाहते थे।और ताहिर को 32 वर्ष की आयु में इतनी जदो जहद के बाद 2011 विश्व कप में अपना पहला मुकाबला खेलने को मिला।वे पदार्पण करने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ियों में भी शुमार हो गए।अपने पहले ही मैच में वेस्टइंडीज के 4 विकेट झटक कर वे रातों रात स्टार बन गए।ताहिर ने टूर्नामेंट में 5 मैचों में 14 विकेट लिए। दक्षिण अफ्रीका को भी आखिरकार एक मैच विनर मिल गया।उसी वर्ष नवंबर में उन्होंने टेस्ट में पदार्पण किया। हालांकि टेस्ट टीम में उन्हें इतने मौके ना मिले,उनकी टीम से अंदर बाहर चलता रहा।लेकिन ओडीआई और टी 20 में ताहिर का जलवा बरकरार रहा।
2013 में टेस्ट में वापसी कर उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ़ ही अपना पहला फाइफर ले डाला। उनका शानदार फॉर्म 2014 टी 20 विश्व कप में भी जारी रहा जहां उन्होंने सर्वाधिक 12 विकेट लिए। इसी वर्ष उन्होंने आईपीएल में भी पदार्पण किया और दिल्ली की टीम से खेले। वहीं 2015 विश्व कप में भी दक्षिण अफ्रीका के पहली बार नॉकनआउट जीतने में ताहिर का अहम योगदान रहा जो क्वॉर्टर फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ़ 4 विकेट लेकर मैन ऑफ द मैच रहे।
इतने वर्षों के कठिन परिश्रम के बाद अब ताहिर को को सब मिल रहा था जिसके वे हकदार थे। दुनियाभर में उनका कमाल का प्रर्दशन सबको अपना मुरीद बनाए हुए थे। इस दौरान उन्होंने अनेकों रिकॉर्ड अपने नाम किए।2016 में वे एक ओडीआई में 7 विकेट लेने वाले पहले अफ्रीकी खिलाड़ी भी बने। यही नहीं, उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के लिए सबसे कम 58 मुकाबलों में 100 ओडीआई विकेट चटकाए। वहीं 2017 में उन्होंने टी 20 में सबसे तेज़ 50 विकेट पूरे किए। ये ताहिर के करियर का को सुनहरा समय था जब वे अपने पीक पे थे।
वे टी 20 और एकदिवसीय रैंकिंग में शीर्ष पर भी काबिज़ हुए।
इस सबके अलावा ताहिर अपनी अटपटी सेलिब्रेशन के लिए भी जाने जाते हैं।जो विकेट लेते ही पूरे ग्राउंड के दौड़ते हुए चक्कर लगाते हैं।जो काफ़ी अलग, उत्साही और हास्यास्पद भी है।
2018 में ताहिर एकदिवसीय क्रिकेट में हैट्रिक लेने वाले मात्र चौथे अफ्रीकी खिलाड़ी बने।इसी वर्ष वे आईपीएल में सीएसके टीम के साथ जुड़े और सीज़न में सर्वाधिक विकेट लेकर पर्पल कैप भी जीते।
2019 में ताहिर दक्षिण अफ्रीका के लिए 100 ओडीआई विकेट लेने वाले भी इकलौते स्पिनर बने। उन्होंने विश्व कप के के बाद ओडीआई से संन्यास लेने की घोषणा करदी।ताहिर ने विश्व कप का पहला ओवर भी डाला।और ऐसा कारनामा करने वाले विश्व के पहले स्पिनर भी बने। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ अपना अंतिम मुकाबला खेल उन्होंने एकदिवसीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया।
हालांकि वे टी 20 में चयन के लिए अभी भी उपलब्ध हैं।लेकिन उन्हें उस विश्व कप के बाद एक भी मौका नहीं मिला।ताहिर ने 2021 के टी 20 विश्व कप में खेलने के लिए अपनी उपलब्धता तो स्पष्ट की ही थे,लेकिन टीम में नाम न आने से वे काफी निराश हुए।ताहिर दक्षिण अफ्रीका के सबसे सफल स्पिनर हैं।लेकिन अपनी जन्म भूमि पाकिस्तान से क्रिकेट ना खेल पाने का मलाल उन्हें आज भी है।
उन्होंने 20 टेस्ट,107 एकदिवसीय,एवं 38 टी 20 मुकाबलों में क्रमश:57,173,और 63 विकेट लिए हैं।
वहीं प्रथम श्रेणी मुकाबलों में ताहिर के नाम 194 मुकाबलों में 784 विकेट हैं जो कि इस दिग्गज के लंबे करियर को बयां करते हैं, वे 43 की उम्र में भी बिल्कुल हिट और फिट हैं, उनमें आज भी 23 वर्षीय युवा जैसा जोश है।
ताहिर के नाम सबसे अधिक 27 टीमों से खेलने का रिकॉर्ड दर्ज़ है,जो कि इस महान जुझारू गेंदबाज के संघर्ष का प्रतीक है।
तो दोस्तों ये थी कहानी विश्व के सबसे महान, जुझारू और फुर्तीले स्पिनरों में शुमार इमरान ताहिर की।