बात साल 2008 आईपीएल ऑक्शन की है। सभी टीमें बड़े से बड़े बल्लेबाज़ को अपने साथ जोड़ने के लिये किसी भी क़ीमत तक जाने को तैयार थीं। लेकिन, हर टीम स्पिनरों से, ख़ासतौर पर लेग स्पिनरों परहेज़ कर रही थी।
क्योंकि, सबको लगता था टी-20 फॉर्मेट है, स्पिनर टीम की कमज़ोर कड़ी साबित होगा। लेकिन, सहवाग की दिल्ली डेयरडेविल्स ने दिल्ली के एक लेग स्पिनर को अपने साथ जोड़ा। वक़्त गुज़रा, आईपीएल शुरू हुआ। उस 26 साल के स्पिनर ने कप्तान और मैनेजमेंट के भरोसे को सही साबित किया। 6 मैचों में 11 विकेट लिए, जिसमें एक हैटट्रिक भी शामिल थी।
उसके बाद इस खिलाड़ी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और तब से लेकर अब तक आईपीएल में 150 से ज़्यादा विकेट के साथ 3 हैटट्रिक लेने का कारनामा किया है। अब तक तो आप समज गये होंगे। उँगलियों के इस जादूगर का नाम है अमित मिश्रा। वो अमित मिश्रा जिन्हे ‘गेंदचोर’ कहा जाता था। वो अमित मिश्रा जिनकी लेग स्पिन के आगे महान बल्लेबाज़ भी असहाय नज़र आते थे।
दोस्तो, अमित मिश्रा का जन्म 24 नवंबर 1982 को दिल्ली में हुआ था। अमित मिश्रा के पिता एस.एम. मिश्रा एक रेलवे कर्मचारी थे। हर आम आदमी की तरह अमित के पिता भी चाहते थे कि वो पढाई में आगे बढ़ें। लेकिन, अमित का मन क्रिकेट के अलावा कहीं और नहीं लगता था। अमित मिश्रा की ज़िद और माता चन्द्रकला मिश्रा का भरोसा देखते हुए, अमित के पिता ने उन्हें क्रिकेट खेलने की इजाज़त दे दी।
स्कूली दिनों में अमित ऊपरी क्रम के बल्लेबाज़ थे। जो वक़्त पड़ने पर काम चलाऊ स्पिन गेंदबाज़ी भी कर लिया करते थे। मगर, अंडर-17 क्रिकेट के दौरान अमित के कोच संजय भरद्वाज ने उनके अंदर छुपे स्पिनर को पहचाना और अमित को लेग स्पिन गेंदबाज़ी पर ध्यान देने के लिये कहा।
कोच की बात पर अमल करते हुए अमित ने एक स्पिनर के रूप में ग़ज़ब का सुधार किया और देखते ही देखते जूनियर क्रिकेट में अमित का नाम गूँजने लगा।
बचपन में क्रिकेट को लेकर अमित का जो प्यार था, वो बढ़ती उम्र के साथ जूनून में बदल गया। अमित ने मैदान पर मेहनत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिसका नतीजा ये रहा कि महज़ 18 साल की उम्र में ही अमित ने हरियाणा की रणजी टीम में जगह बना ली।
2000-2001 सत्र में हरियाणा के लिये रणजी डेब्यू के बाद से ही अमित मिश्रा की घूमती गेंदों की चर्चा घरेलु क्रिकेट में होने लगी। अमित के लगातार शानदार प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें 2002 में वेस्टइंडीज़ जाने वाली भारतीय टेस्ट टीम में बैकअप स्पिनर के रूप में शामिल किया गया। लेकिन, अमित वहाँ अंतिम ग्यारह में जगह बनाने में नाकाम रहे।
हालाँकि, अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू के लिये अमित को ज़्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ा। 13 अप्रैल 2003 को उन्होंने साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ वनडे डेब्यू किया।
लेकिन, वो दिन जिसके लिये अमित ने अपनी हर ख़्वाहिश को क़ुर्बान किया था। उस दिन ही अमित मिश्रा कुछ ख़ास कमाल नहीं कर पाये। हालाँकि, उन्होंने पहले मैच में नील मैकेंज़ी जैसे बल्लेबाज़ का विकेट लिया और अपनी प्रतिभा की झलक दी।
मगर, अमित को बस 3 मैचों के बाद ही ड्रॉप कर दिया गया। क्योंकि, उस वक़्त भारतीय क्रिकेट में अनिल कुंबले और हरभजन सरीखे गेंदबाज़ अपने शीर्ष पर थे।
जबकि, मुरली कार्तिक और पियूष चावला जैसे प्रतिभाशाली गेंदबाज़ अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे थे। ऐसे में अमित मिश्रा के लिये भारतीय टीम में वापसी कर पाना आसान नहीं था और हुआ भी बिलकुल ऐसा ही।
घरेलू क्रिकेट में रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन करने वाले अमित मिश्रा को भारतीय टीम में वापसी के लिये 5 साल का लम्बा इंतज़ार करना पड़ा। बात 2008 भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया टेस्ट श्रंखला की है।
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सीरीज़ के दूसरे टेस्ट से पहले अनिल कुंबले चोटिल हो गये और अमित मिश्रा को डेब्यू करने का मौका मिला। फिर क्या था! एक मौके की तलाश में बैठे अमित मिश्रा ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ो पर क़हर बनकर टूटे।
अमित ने रिकी पोंटिंग, मैथ्यू हेडेन, साइमन कैटिच, माइकल क्लार्क और शेन वाटसन जैसे सितारों से सजी ऑस्ट्रेलियाई टीम के विरूद्ध अपने टेस्ट कैरियर की पहली पारी में ही 5 विकेट लेने का कारनामा किया।
अमित ने अपनी उँगलियों का जादू दिखाते हुए टेस्ट में कुल 7 विकेट हासिल किये और भारतीय क्रिकेट इतिहास में डेब्यू इनिंग पर 5 विकेट लेने वाले तीसरे गेंदबाज़ बन गये। मगर, मोहाली टेस्ट में शानदार प्रदर्शन के बाद भी कोच गेरी किर्स्टन ने अगले टेस्ट मैच में अमित की जगह अनिल को टीम में शामिल करने की बात कही।
मगर, उन दिनों अमित पर क़िस्मत कुछ ज़्यादा ही मेहरबान थी। अगले टेस्ट से पहले हरभजन चोटिल हो गये और चौथे टेस्ट से पहले अनिल कुंबले के संन्यास ने अमित की सीट पक्की कर दी
अनिल कुंबले के संन्यास के बाद अमित मिश्रा हरभजन सिंह के साथ मिलकर स्पिन गेंदबाज़ी की कमान संभाले हुये थे और क़रीब 3 साल तक टेस्ट टीम में बने रहे।
हालाँकि, इस बीच कई बार उन्हें प्रज्ञान ओझा को टीम में जगह देने के लिये ड्राप किया गया। लेकिन, 2011 में इंग्लैंड दौरे के बाद उन्हें बिना कोई कारण बताये टीम से ड्रॉप कर दिया गया।
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जबकि, उस दौरे पर अमित ने बल्ले से भी योगदान दिया था। इस दौर को याद करते हुए अमित ने कहा था “मैं कभी समझ नहीं पाया कि हर बार किसी नये खिलाड़ी को मौका देने के लिये, मुझे ही ड्रॉप क्यों किया गया। जब टीम ने ख़राब प्रदर्शन किया, तो मुझे ही बली का बकरा क्यों बनाया गया”। अमित के ड्रॉप होने के बाद जडेजा और आश्विन ने अपनी गेंदों से कमाल दिखाते हुये भारतीय टीम में जगह पक्की कर ली। बढ़ती उम्र के बावजूद, अमित अब भी हार मानने वाले नहीं थे।
घरेलू क्रिकेट और आईपीएल में शानदार प्रदर्शन के बाद अमित ने 2013 में ज़िंबाबवे के विरुद्ध वनडे श्रंखला में रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन करते हुये एक बार फिर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
अमित ने 5 मैचों की उस श्रंखला में 13.77 की लाजवाब औसत से 18 विकेट लिये। उस दौरे पर अमित से जुड़ी एक ख़ास बात ये भी पता चली, कि वो जिस मैच में शानदार प्रदर्शन करते हैं।
उस मैच की गेंद अपने पास ही रख लेते हैं। जिसके बाद उन्हें ‘गेंदचोर’ भी कहा जाने लगा। ज़िंबाबवे में इतिहासिक प्रदर्शन करने के बाद अमित तीनो फॉर्मटो में भारतीय टीम का हिस्सा रहे।
ख़ासकर वनडे में तो अमित मिश्रा भारतीय स्पिन अटैक की रीढ़ बनकर उभरे। अमित ने 2016 में न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध 5 मैचों की वनडे सीरीज़ में 15 विकेट लिये और आखिरी वनडे में तो उन्होंने 5 विकेट लेने का कारनामा भी किया।
अमित हर गुज़रते मैच के साथ अलग किस्म के गेंदबाज़ बनते जा-रहे थे। उनके पास गेंद को सिक्के पर फेंकने की क़ाबिलियत थी। तो, स्पिन और स्पीड पर नियंत्रण भी था। अमित के पास टॉप स्पिन, फ्लिपर, आर्म बॉल और दो तरह की गूगली भी थी।
आसान भाषा में कहें तो अमित के पिटारे में हर वो हथियार था जिसके सामने बल्लेबाज़ उनके इशारों पर नाचा करते थे। साल 2016 में न्यूज़ीलैण्ड के विरुद्ध ‘मैन ऑफ़ द सीरीज़’ बनने के बाद लगा कि अमित के सब्र ने अब कमाल दिखाना शुरू किया है।
लेकिन, अमित की क़िस्मत को अभी कई और रंग दिखाने बाक़ी थे। पहले तो साल 2015 में तब अमित को बदनामी का सामना करना पड़ा। जब एक औरत ने बंगलुरु के होटल में उनके साथ ज़बरदस्ती और मारपीट करने के आरोप लगाये। जिसके लिये अमित मिश्रा को 3 घंटे जेल में भी बिताने पड़े। हालाँकि, उसके बाद अमित को बेल मिल गयी थी।
लेकिन, इस ख़बर ने उन्हें बदनाम कर दिया था। अमित इस घटना को भूलकर मैदान पर शानदार प्रदर्शन कर रहे थे। लेकिन, उनकी क़िस्मत ने उन्हें वहाँ भी घेर लिया।
न्यूज़ीलैण्ड के विरुद्ध शानदार सीरीज़ के बाद अमित को चोट लगी। जिसके कारण उन्हें 8 महीने मैदान से दूर रहना पड़ा।
चोट से उभरने के बाद अमित मिश्रा ने घरेलू क्रिकेट और आईपीएल में अच्छे प्रदर्शन के साथ, अपनी फ़ॉर्म और फ़िटनेस साबित की। लेकिन, 2016 के बाद चयनकर्ता मानो अमित मिश्रा का नाम ही भूल गये हों।
जबकि, उस दौरान चयनकर्ताओं ने युजवेंद्र चहल, अक्सर पटेल, कुलदीप यादव , जयंत यादव जैसे कई युवाओं को मौका दिया। लेकिन, आईपीएल इतिहास में तीन हैटट्रिक और घरेलू क्रिकेट में 1000 से ज़्यादा विकेट लेने वाले अमित मिश्रा को कभी याद नहीं किया।
मगर, अमित मिश्रा लगातार खेलते रहे और रिकॉर्ड बनाते रहे।
उन्होंने कभी ये सवाल नहीं किया कि आखिरी मैच में 5 विकेट लेने के बावजूद भी उन्हें दोबारा मौका क्यों नहीं मिला। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था “मैंने कभी सवाल नहीं किया। बस कप्तान और सेलेक्टर्स से पूछा कि और क्या ख़ास करूँ। मगर, मुझे कभी जवाब नहीं मिला”। एकतरफ़ा नज़रअंदाज़ किये जाने के बावजूद भी अमित मिश्रा लगातार आईपीएल खेल रहे हैं और नये रिकॉर्ड बना रहे हैं।
अमित मिश्रा ने अभी तक भारत के लिए 22 टेस्ट, 36 वनडे और 8 टी-20 मैच खेले हैं। जिसमें उन्होंने क्रमशः 76, 64 और 14 विकेट लिये हैं।
तो दोस्तों, ये थी क़िस्मत से लगातार लड़ने वाले अमित मिश्रा की कहानी। हमारी kamna है कि अमित मिश्रा एक बार फिर भारतीय टीम में वापसी करें और शान से क्रिकेट को अलविदा कहें।