2 अप्रैल 2011 रात के करीब दस बजे थे, मुम्बई के वानखेड़े स्टेडियम में भारतीय क्रिकेट टीम ने 28 साल बाद अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट का सबसे बड़ा टुर्नामेंट जीत लिया था, गौतम गंभीर से लेकर युवराज सिंह और विराट कोहली जैसे खिलाड़ी एक दूसरे को बधाई दे रहे थे, क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर का सबसे बड़ा सपना पूरा हो गया था।
ऐसे माहौल में स्टेडियम से बाहर सड़कों पर भी अनगिनत लोग अपनी अपनी तरह से जश्न मना रहे थे, इन्हीं लोगों की भीड़ में एक 18 साल का एक लड़का भी शामिल था, जिसके लिए क्रिकेट का खेल सिर्फ जश्न मनाने तक ही सिमित नहीं था, उस लड़के की आंखों में अपने देश के लिए क्रिकेट खेलने का सपना साकार रूप ले रहा था।
ग़रीबी की धुंध से निकलकर अपनी चमकती आंखों के ख्वाब को कई गुना सही साबित करने वाले उस लड़के का नाम है हार्दिक पांड्या, जिसमें आज इंडियन क्रिकेट टीम अपने भविष्य का सुपरस्टार देख रही है।
जन्म और शुरुआती जीवन-
11 अक्टूबर साल 1993 भारत के गुजरात राज्य में स्थित सुरत शहर में पिता हिमांशु पंड्या और मां नलिनी पांड्या के घर उनके छोटे बेटे का जन्म हुआ, नाम हार्दिक रखा गया।
पिता सुरत में कार फाइनेंस का एक छोटा सा बिजनेस चलाते थे और मां हाउस वाइफ थी, बड़े भाई का नाम क्रुनाल पांड्या है।
पढाई लिखाई में कोई दिलचस्पी नहीं लेकिन क्रिकेट के खेल से बेइंतहा प्यार था, मां के लाख समझाने पर भी दोनों भाई और खासकर हार्दिक पांड्या का मन स्कूल में नहीं लगा, अपने दोस्तों के साथ गली गली क्रिकेट खेलते खेलते शाम तक घर वापस आना हार्दिक पांड्या की आदत बन गई थी।
पिता हिमांशु पंड्या क्रिकेट के शौकीन थे और उन्हें अपने खून पर हद से ज्यादा भरोसा था कि उनके बेटे एक दिन बहुत बड़े क्रिकेटर जरुर बनेंगे, इसी भरोसे के चलते उन्होंने सूरत में अपना जमा जमाया करोबार छोड़ दिया और बड़ोदरा आ गए ताकि उनके बेटों को क्रिकेट की अच्छी ट्रेनिंग मिल सकें।
दोनों भाई क्रिकेट खेलते रहे और दुसरी तरफ स्कूल से शिकायतों का सिलसिला थम नहीं रहा था, पिता हिमांशु पंड्या ने यहां भी अपने बेटों का साथ दिया, वो हार्दिक की स्कूल वालों से सिना चोड़ा करके कहते थे कि आपको क्या पता कि मेरे बेटे कितने बड़े आदमी बनने वाले हैं।
कैसे शुरू हुआ क्रिकेटर बनने का सफर-
आखिरकार नौवीं कक्षा में फेल होने के बाद हार्दिक पांड्या ने पढ़ाई छोड़ दी और अपना पुरा ध्यान क्रिकेट के खेल में लगा दिया।
बड़ोदरा में किराए के मकान में रहने वाले हिमांशु पंड्या ने अपने बेटों का दाखिला किरन मोरे की क्रिकेट एकेडमी में करा दिया।
किरन मोरे ने पहले दिन हिमांशु पंड्या के दोनों बेटों को ट्रेनिंग देने के लिए मना कर दिया था, कारण दोनों भाईयों की उम्र जो उस समय दस के आसपास थी।
लेकिन हिमांशु पंड्या के कहने पर जब किरन मोरे ने हार्दिक पांड्या और क्रुनाल पांड्या को खेलते हुए देखा तो वो उन दो बच्चों से इतने प्रभावित हो गए कि उन्होंने तीन साल तक उनको फ्री ट्रेनिंग देने का फैसला कर लिया।
एक अच्छा स्टेज मिलने के बाद हार्दिक पांड्या जूनियर क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे, उनके भाई की मानें तो हार्दिक ने इस दौरान कई मैच अपनी टीम को अकेले दम पर जिताए थे।
अपने बेटों को किसी तरह की दिक्कत ना हो इसलिए हिमांशु पंड्या हार्दिक के दोस्तों से उनको घर तक छोड़ने के लिए कहते थे लेकिन दोनों भाईयों को यह बिल्कुल पसंद नहीं था, एक दिन उन्होंने अपने पिता से कहा कि वो नहीं चाहते कि आपको कुछ समय बाद लोग आकर ये कहें कि उनकी वजह से आपके बेटे क्रिकेटर बने हैं।
जब आर्थिक स्थिति बनी क्रिकेट में बाधा-
हिमांशु पंड्या ने अपने बेटों की खुशी को ध्यान में रखकर अपने बेटों के लिए 10000 रुपए महीने की किस्त पर एक गाड़ी लोन पर ले ली जिसमें बैठकर दोनों भाई जगह जगह खेलने जाते और आराम से वापस आ जाते थे।
सबकुछ सही चल रहा था लेकिन इसी बीच हिमांशु पंड्या की तबियत लगातार बिगड़ने लगी और एक साथ दो हार्टअटैक के बाद उनके लिए किसी भी तरह का काम करना कठिन हो गया था।
हिमांशु पंड्या के इलाज में घर की स्थिति धीरे धीरे खराब होने लगी थी और एक समय ऐसा भी आया जब उनके पास गाड़ी की किस्त भरने के पैसे भी नहीं रहे थे।
अपने घर की स्थिति को संभालने के लिए हार्दिक और क्रुनाल जगह जगह जाकर लोकल टीमों की तरफ से खेलने लगे जिससे उन्हें चार सौ से पांच सौ रुपए मिल जाते थे, ट्रेन में भीड़ के बीच खड़े खड़े जाना और ट्रकों के पीछे लटककर आना दोनों भाईयों के लिए जरूरी हो गया था।
हार्दिक पांड्या बताते हैं कि उन्होंने अपनी जिंदगी में ऐसे दिन भी देखें है जब उनके पास खाने के लिए एक समय का खाना भी नहीं होता था और इसीलिए वो अपना पुरा दिन मैदान पर गुजारते और वहीं मैगी खाकर अपना पुरा दिन बिता देते थे।
बहुत कम लोगों को ही पता है कि अठारह साल की उम्र तक हार्दिक पांड्या एक लेग स्पिनर थे लेकिन बड़ौदा की तरफ से खेलते समय एक मैच में तेज गेंदबाज की कमी को देखते हुए इनके कोच सनथ कुमार ने हार्दिक से तेज गेंदबाजी करने को कहा और उस मैच के बाद हार्दिक पांड्या ने अपने आप को एक तेज गेंदबाज के तौर पर ढालना शुरू कर दिया था।
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आर्थिक तंगी से अलग पांड्या अपने चेहरे के काले रंग के लिए लोगों से मिलने वाले तानों से भी लड़ रहे थे लेकिन हार्दिक को इस बात से कोई शिकवा नहीं था कि लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं वो तो बस चाहते थे कि उनके परिवार के हालात सुधर जाएं और इसके लिए हार्दिक कभी कभी मन ही मन भगवान से प्रश्न भी करते थे कि उनके साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है और जब कोई जवाब नहीं मिलता तो फिर से अपने काम में लग जाते थे।
साल 2014 की विजय हजारे ट्रॉफी के दौरान हार्दिक पांड्या के पास खेलने के लिए बैट नहीं था, ऐसे में उनके टीम मेट इरफान पठान ने उन्हें दो बैट दिए जिन्हें हार्दिक आज भी अपने साथ रखते हैं।
कैसे बने क्रिकेट की दुनिया के स्टार-
इसी साल एक डोमेस्टिक मैच के दौरान वानखेड़े स्टेडियम पर खेलते हुए हार्दिक पांड्या ने जहीर खान और धवल कुलकर्णी जैसे गेंदबाजों के खिलाफ खेलते हुए 57 गेंदों में 82 रन बनाए थे, यहां से हार्दिक पांड्या के लिए सबकुछ बदल गया क्योंकि इस मैच के दौरान वानखेड़े स्टेडियम में मुम्बई इंडियंस के कोच जोन राईट मौजूद थे और उन्होंने हार्दिक पांड्या को अगले साल के आईपीएल सीजन के लिए अपनी टीम में दस लाख के बेस प्राइस पर शामिल कर लिया।
अपने पहले आईपीएल सीजन में चेन्नई सुपरकिंग्स के खिलाफ आठ गेंदों में 21 रन की पारी और फिर कोलकाता नाइटराइडर्स के खिलाफ डू और डाई मैच में 31 गेंदों में 61 रनों की धमाकेदार पारी ने हार्दिक पांड्या को एक स्टार बना दिया था।
मुम्बई इंडियंस दुसरी बार आईपीएल चैंपियन बनी और सचिन तेंदुलकर से जब इस दौरान हार्दिक पांड्या की मुलाकात हुई तो उन्होंने कहा कि तुम अगले एक साल के अंदर अंदर भारतीय क्रिकेट टीम की तरफ से खेलोगे।
हार्दिक पांड्या के लिए ये छः महीने एक सपने की तरह गुजरे थे, सड़कों पर भारतीय टीम की जीत का जश्न मनाने वाला लड़का अब भारत को रिप्रेजेंट करने वाला था।
साल 2016 26 जनवरी का दिन एडिलेड के मैदान पर नीली जर्सी में खेलने का हार्दिक पांड्या का सपना आखिरकार पुरा हो गया था।
इसी साल एशिया कप के दौरान हार्दिक ने पाकिस्तान के खिलाफ 8 रन देकर तीन विकेट लिए, जिसके चलते पुरी पाकिस्तानी टीम 83 के स्कोर पर ढेर हो गई थी।
23 मार्च 2016 का दिन हार्दिक पांड्या के अन्तर्राष्ट्रीय करियर में अलग स्थान रखता है, टी20 वर्ल्ड कप में बांग्लादेश के खिलाफ बांग्लादेश के जबड़े से जीत निकालकर भारत की झोली में रख देने वाला वह ओवर आज भी हर क्रिकेट प्रशंसक को याद है।
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8 जुलाई 2018 को इंग्लैंड के खिलाफ हार्दिक पांड्या ने 38 रन देकर चार विकेट लिए और 14 गेंदों में 33 रन बनाकर भारत को मैच जीताने में अहम भूमिका निभाई थी, इस शानदार प्रदर्शन के चलते हार्दिक टी20 क्रिकेट के एक मैच में चार विकेट और तीस से उपर रन बनाने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए थे।
अक्टूबर 2016 को हार्दिक ने अपना वनडे डेब्यू न्यूजीलैंड के खिलाफ किया और अपने पहले वनडे मैच में मैन ऑफ द मैच का अवार्ड पाने वाले चौथे भारतीय खिलाड़ी भी बन गए थे।
हार्दिक पांड्या धीरे धीरे खुद को एक बेहतरीन आलराउंडर्स की गिनती में शामिल कर रहे थे और फिर आया वो मैच जो इस खिलाड़ी के करियर में एक टर्निंग प्वाइंट माना जाता है।
2017 की चैम्पियनशिप ट्रोफी के फाइनल में पाकिस्तान के बड़े स्कोर का पीछा करने उतरी भारतीय टीम जब बिखरने लगी तो हार्दिक पांड्या ने शानदार बल्लेबाजी का प्रदर्शन किया और जब तक पांड्या क्रीज पर थे भारत के जीतने की उम्मीद बंधी हुई थी, लेकिन लम्बे लम्बे छक्कों से गेंद को मैदान के बाहर पहुंचाने वाले हार्दिक खुद को सही समय पर क्रीज तक नहीं पहुंचा पाए और 43 गेंदों में 76 रनों की अविश्वसनीय पारी खेलकर आउट हो गए और भारतीय टीम वह मैच हार गई।
आगे हार्दिक पांड्या को 2019 वर्ल्डकप में भी शामिल किया गया जहां इस खिलाड़ी ने शानदार प्रदर्शन किया, बात करें इनके टेस्ट करियर की तो श्रीलंका के खिलाफ साल 2017 में इन्होंने अपना टेस्ट पर्दापण किया और सीरीज के तीसरे मैच में हार्दिक ने लंच से पहले ही अपना शतक पूरा कर लिया था जो आज भी भारतीय टेस्ट क्रिकेट में एक रिकॉर्ड है।
व्यक्तिगत जीवन-
हार्दिक पांड्या को अपने स्वभाव और व्यक्तित्व के चलते कई कोन्ट्रवर्सीज का सामना भी करना पड़ा है जिसमें कोफी विथ करण टीवी शो पर विवादास्पद बयानों के चलते हुई कोन्टर्वर्सी सबसे बड़ी है, जिसके चलते इनके करियर पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया था लेकिन बाद में इन्होंने सोशल मीडिया पर माफी मांग ली थी।
हार्दिक पांड्या ने अब तक अपने करियर में कुल 11टेस्ट, 60 वनडे और 48 टी 20 खेलें है जिनमें इनके रनों का आंकड़ा क्रमश 532, 1267 और 474 है।
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एक आलराउंडर के तौर पर हार्दिक ने गेंदबाजी में भी कई शानदार प्रदर्शन किए हैं, टेस्ट क्रिकेट में इनके नाम 17 विकेट है तो वहीं वनडे करियर में इन्होंने 50 से अधिक विकेट लिए हैं।
बात करें पांड्या के निजी जीवन की तो इन्होंने साल 2020 में नताशा स्टेंकोविच से शादी की थी जिनसे इन्हें एक बेटा है जिसका नाम अगस्त्य है।
हार्दिक पांड्या आज भी भारतीय टीम और आईपीएल की सबसे सफल टीम मुम्बई इंडियंस का मुख्य हिस्सा बने हुए हैं।
नारद टीवी इस आलराउंडर खिलाड़ी को इनके शानदार करियर के लिए शुभकामनाएं देता है और यह आशा करता है कि हार्दिक आगे भी हमें अपने प्रदर्शन से कई यादगार पल देते रहेंगे।