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शानदार विदाई के हकदार थे ये महान खिलाड़ी

यूँ तो क्रिकेट दुनिया के कुल 193 देशों में से सिर्फ़ कुछ ही देशों में औपचारिक तौर पर खेला जाता है। मगर, क्रिकेट की सल्तनत (का साम्राज्य) अपने आप मे इतनी बड़ी (बड़ा) और मुश्किल है कि इसके शीर्ष पर पहुंचना चाँद को छूने जैसा है। ऐसे में कुछ दशकों पहले आज़ाद हुआ राष्ट्र यानी हमारा भारत देश अगर आज विश्व क्रिकेट की जान है।

तो, इस क़ामयाबी में कई महान खिलाड़ियों का करिश्माई प्रदर्शन सबसे बड़ी वजह है। आज क्रिकेट रिकॉर्ड बुक के हर पेज पर किसी ना किसी रिकॉर्ड में भारतीय नाम टॉप पर ज़रूर मिलेगा। यही वजह है कि आज भारत मे क्रिकेट सबसे अज़ीज़ (बड़ा) खेल है। मगर, एक तरफ़ जहाँ क्रिकेट प्रेमी अपने चहेते खिलाड़ियों को सिर-आँखो पर बिठाते हैं।

तो वहीं! दूसरी तरफ़ महानता की श्रेणी में आने वाले उन खिलाड़ियों के साथ, कैरियर के आख़िरी दिनों में बोर्ड और टीम मैनेजमेंट का रवैय्या मायूस करने वाला रहता है। दुनियाभर में देश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों को एक फेयरवेल मैच तक नहीं दिया जाता है। आज नारद टी.वी. ऐसे ही टॉप-5 महान भारतीय खिलाड़ियों की लिस्ट लेकर आया है। जिन्होंने अपने पूरे कैरियर में ज़बरदस्त खेल से शोर मचाये रखा। मगर, विदा  गुमनामी के साये में हुये।

 

हमारी लिस्ट में सबसे पहला नाम है;

#5: ज़हीर खान:-

दोस्तों, कपिल देव और जवागल श्रीनाथ के बाद अगले एक दशक तक भारतीय तेज़ गेंदबाज़ी ज़हीर खान के मज़बत कंधो पर ही टिकी हुई थी। गेंद नई हो या पुरानी, ज़हीर विकेट के दोनों ओर स्विंग कराने में माहिर थे। यही वजह है की ज़हीर को भारतीय क्रिकेट इतिहास का सर्वश्रेष्ठ खब्बू तेज़ गेंदबाज़ कहा जाता है।

मगर, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 610 विकेट लेने वाले ज़हीर खान को वो विदाई नहीं मिली जिसके वो हक़दार थे। क्योकि, ज़हीर ने न्यूज़ीलैण्ड के विरुद्ध 2014 में जो वेलिंग्टन टेस्ट बतौर मुख्य गेंदबाज़ खेला था। वो मैच ही उनके कैरियर का आखिरी टेस्ट साबित हुआ। हालाँकि, उस टेस्ट को ब्रेंडन मैकुलम के तिहरे शतक के लिये याद किया जाता है।

मगर, उस टेस्ट की दूसरी और अपने कैरियर की आख़िरी पारी में ज़हीर ने 5 विकेट लिये थे। इसके बावजूद भी ज़हीर को फिर कभी भारतीय टीम की जर्सी पहनने का मौका नहीं मिला। फिर जब ज़हीर खान ने 2015 अक्टूबर महीने में ट्विटर पर अपने संन्यास का ऐलान किया। तो, साफ़ हो गया कि कई सालों तक दर्शकों को ग्राउंड में खींचकर लाने वाले ज़हीर खान की विदाई मैदान के बाहर ही होगी।

इस लिस्ट का अगला नाम है;

#4: वी.वी.एस. लक्ष्मण:-

दोस्तों, जब भी वी.वी.एस. लक्ष्मण की बात होती है। तो, दिमाग़ में संकटमोचक लक्ष्मण सबसे पहले आता है। साल 2001 का कोलकाता टेस्ट हो, 2007 का जोहान्सबर्ग टेस्ट हो, 2010 का मोहाली टेस्ट हो या बात 2011 के डरबन टेस्ट की हो। जब भी भारतीय टीम पर ज़िल्लत (बेइज़्ज़ती) के बादल मंडराये।

तो, हर बार वी.वी.एस. लक्ष्मण ने आगे बढ़कर ज़िम्मेदारी संभाली। इसलिये, कैरियर के एक बड़े हिस्से में 6 नंबर पर खेलने के बावजूद लक्ष्मण के नाम टेस्ट क्रिकेट में 45.5 की शानदार औसत दर्ज है। लेकिन, इन जादुई आँकड़ों के होते हुए भी लक्ष्मण को शान से विदाई लेने का मौका नहीं मिला।

लक्ष्मण की फ़ीकी विदाई के साथ सबसे ज़्यादा चौकाने वाली बात ये थी कि, 2012 अगस्त महीने में जब न्यूज़ीलैंड टीम को टेस्ट सीरीज़ खेलने भारत आना था। तो सबको उम्मीद थी कि जनवरी के महीने में अपना आख़िरी टेस्ट खेलने वाले लक्ष्मण के लिये श्रंखला का पहला टेस्ट फ़ेयरवेल मैच होगा। क्योंकि, वो मैच लक्ष्मण के होमटाउन हैदराबाद में ही होना था। लेकिन, टेस्ट से ठीक चार दिन पहले लक्ष्मण ने सबको चौंकाते हुए संन्यास की घोषणा कर दी और बिना फ़ेयरवेल मैच खेले ही क्रिकेट प्रेमियों से विदाई ले ली।

#3: राहुल द्रविड़:-

दोस्तों, जिस कोलकाता टेस्ट में लक्ष्मण के करिश्माई प्रदर्शन की बात हमने ऊपर की थी। उस इतिहासिक जीत में बैट के साथ दूसरे नायक राहुल द्रविड़ ही थे। मैदान पर राहुल का शांत स्वभाव, अनुशासन, दृढ़ और संयम ये चारों गुण उन्हें विश्व क्रिकेट में सबसे अलग बल्लेबाज़ बनाते थे।

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में राहुल द्रविड़ के 21,000 से ज़्यादा रन इस बात का सबूत हैं कि क्यों उन्हें भारतीय क्रिकेट की दीवार कहा जाता था। राहुल द्रविड़ भारतीय क्रिकेट में क्या स्थान रखते हैं, वो उनका वर्तमान भारतीय टीम का कोच होना बताता है। लेकिन, इस ज़बरदस्त और कामयाब कैरियर के बावजूद राहुल ने जब 2012 के असफ़ल ऑस्ट्रेलियाई दौरे के बाद मार्च में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया।

तो, उनके इर्द-गिर्द साथी खिलाड़ी नहीं। बल्कि, कुछ मीडिया रिपोर्टर्स की भीड़ जमा थी। हालाँकि, द्रविड़ को साल 2011 के इंग्लैंड दौरे पर वनडे में फ़ेयरवेल मैच मिला था। लेकिन, टेस्ट क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर के बाद सबसे अधिक रन बनाने वाले राहुल द्रविड़ को एक ऑफ़िशियल फ़ेयरवेल मैच नहीं मिलना करोड़ो दिल दुखाने वाला लम्हा था।

इस लिस्ट में अगला नाम सबसे ज़्यादा दमायूस करने वाला है। वो महान खिलाड़ी हैं;

#2: वीरेंद्र सहवाग:-

वीरेन्द्र सहवाग को मुल्तान का सुल्तान, नजफ़गढ़ का नवाब, वीरू और जाने क्या-क्या कहा जाता है। मगर, आप चाहें चिराग़ के कितने ही नाम रख ले। मगर, चिराग़ की पहचान उसकी रोशनी से होती है। भारतीय क्रिकेट के एक ऐसे ही चिराग़ हैं वीरेंद्र सहवाग। गेंदबाज़ों के लिये काल कहे जाने वाले वीरेंद्र सहवाग का इंट्रो देना सूरज को दिया दिखाने जैसा होगा।

क्योंकि, जिस खिलाड़ी के नाम के आगे टेस्ट में 2 तिहरे शतक, 4 दोहरे शतक, 11 बार डेढ़ सौ से अधिक रन और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में क़रीब 17,000 रन हो। तो उस बल्लेबाज़ की क़ाबिलियत पर कोई सवाल नहीं रह जाता है। और दोस्तों! हमने तो यहाँ सिर्फ़ सहवाग के टेस्ट आँकड़ों की बात की है। अगर, सहवाग के वनडे और टी- ट्वेंटी आँकड़े उठाये तो उनका क़द कई गुना और बढ़ जाता है।

लेकिन, इस शानदार कैरियर के बावजूद भी भारत को दो विश्व कप जिताने वाले वीरेंद्र सहवाग की विदाई फ़ीकी रही। तारीख़ बताती है कि सहवाग ने आख़िरी टेस्ट 2 मार्च 2013 को ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध खेला था। मगर, सहवाग ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास 20 अक्टूबर 2015 को लिया था। आसान भाषा मे कहे तो सहवाग ने आख़िरी इंटरनेशनल मैच के बाद भी अगले ढाई साल तक अच्छे स्तर की क्रिकेट खेली। मगर, इसके बावजूद भारतीय बल्लेबाज़ों का ख़ौफ़ दुनियाभर के गेंदबाज़ों में बिठाने वाले वीरेंद्र सहवाग को विदाई मैच खेलने का मौका नहीं मिला।

#1: सुनील गावस्कर:-

जी दोस्तों, आपकी तरह हम भी चौंक गए थे। जब रिसर्च के दौरान पता चला कि सुनील गावस्कर जैसे महान खिलाड़ी को भी यादगार विदाई नहीं मिली। जबकि, सुनील गावस्कर ही वो बल्लेबाज़ थे जिन्होंने विदेश में एशियाई बल्लेबाज़ों को पिच पर खड़े होने का हौसला दिया।

यहाँ तक कि मॉडर्न-डे ग्रेटस (आधुनिक दौर के महान खिलाड़ी) सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वी.वी.एस. लक्ष्मण और सौरव गाँगुली सरीखे बल्लेबाज़ अपने क्रिकेट खेलने की एक वजह सुनील गावस्कर को भी बताते हैं। भला ऐसा हो भी क्यों नहीं। सुनील गावस्कर टेस्ट क्रिकेट में 10,000 रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज़ थे और 100 टेस्ट खेलने वाले महज़ तीसरे क्रिकेटर थे। मगर, अफ़सोस की बात है कि रिकॉर्ड का समंदर समेटे हुए इस सुनील गावस्कर को भी वो विदाई नहीं मिली जिसके वो हक़दार थे।

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 13,000 से अधिक रन बनाने वाले सुनील गावस्कर ने अपना आख़िरी अंतर्राष्ट्रीय मैच 1987 वनडे विश्व कप में खेला था। उस पूरे विश्व कप में शानदार खेल दिखाने वाले गावस्कर सेमी-फाइनल में सिर्फ़ 4 रन बना पाए और बाद में भारत मैच भी हार गया। इसके बाद सुनील गावस्कर को कभी दोबारा याद नहीं किया गया। जबकि, सुनील गावस्कर ने कभी औपचारिक तौर पर संन्यास की घोषणा नहीं की। इस तरह आज विश्व क्रिकेट की आवाज़ कहे जाने वाले महान सुनील गावस्कर की विदाई भी बेहद मायूस करने वाली रही।

Watch on You Tube :- 

https://youtu.be/RR8htuW_Lsc

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Mohammad Talib khan

Sports Conten Writer At Naarad TV

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