
दोस्तों! पिछले पूरे साल जब इंडियन टीम बौलिंग यूनिट के तौर पर अच्छा नहीं कर पा रही थी। तो एक्सपर्ट्स समेत फ़ैन्स सब ही टीम में रिस्ट स्पिनर्स को शामिल करने की बात कर रहे थे। क्योंकि, जडेजा, अक्सर, सुंदर या फिर अश्विन ये सब वाइट बॉल फॉर्मेट में इकोनॉमिकल ज़रूर हैं। मगर,विकेट टेकर नहीं। जबकि, दूसरी तरफ़ दुनियाभर की पिचों पर अडैम ज़ैम्पा, तबरेज़ शम्सी, शादाब खान, राशिद खान, आदिल रशीद, वनिन्दू हसरंगा जैसे तमाम रिस्ट स्पिनर अपनी कलाइयों का जादू दिखा रहे थे।
उधर इंडिया में युवेंद्र चहल और कुलदीप यादव यानी KULCHA की जोड़ी बेंच पर बैठी थी। फिर, जब मौका देने की बारी आई तो भी चहल को प्रायरिटी मिली और कुलदीप को साइड लाइन कर दिया गया। लेकिन, हद तो तब हो गई जब बांग्लादेश में पहले टेस्ट में एकतरफा शानदार परफॉर्मेस के बावजूद कुलदीप को दूसरे टेस्ट से ड्रॉप कर दिया गया और उनकी जगह एक पेसर को शामिल करने का ब्लंडर किया गया। कुलदीप इस दिल तोड़ने वाले ड्रॉप के बावजूद बेंच पर बैठे अपनी बारी का इंतज़ार करते रहे और जैसे ही उन्हें कल मौका मिला वो एक बार फिर स्टार बनकर उभरे। 5 की इकोनॉमी के साथ 3 विकेट लेने ने कुलदीप यादव को मैन ऑफ़ द मैच बनवा दिया और इस तरह वो अपने अभी तक के आख़िरी दो इंटरनेशनल मैचों में ‘मैन ऑफ़ द मैच’ बने हैं।
एक प्लेयर जिसे इंटरनेशनल क्रिकेट में इतने मौके नहीं मिले हैं, जितनी बार उसे बेंच पर बिठाया गया है। वो भी तब जब प्लेइंग इलेवन में खेलने वाले बहुत से प्लेयर्स से उसका टैलेंट और एक्सपीरियंस काफ़ी बेहतर था। तो चलिये! Kuldeep Yadav की फाइटिंग स्पिरिट को ग़ौर से समझते हैं।
उन्नाव की गलियों से शुरू हुआ सफर –
दोस्तों! यूपी के उन्नाव ज़िले के छोटे से गांव शिव सिंह खेड़ा में जन्मे कुलदीप यादव के लिए सबसे बड़ी बात तो यही थी कि वो उस रीजन से आने वाले पहले क्रिकेटर थे। यही वो फेज़ है जो उनकी फाइटिंग स्पिरिट का आग़ाज़ कहा जा सकता है। बचपन से क्रिकेट खेलने के लिए फाइट ने कुल्दीप को क्रिकेट पिच पर फाइट करने में एकदम प्रो बना दिया। कुलदीप यादव एक स्पिनर होने के बावजूद डर को दिमाग़ से निकाल चुके हैं। हालाँकि, इसमे एक बड़ी वजह उनके शुरुआती क्रिकेट के दिन भी हैं।

जब वो बतौर तेज़ गेंदबाज़ खुद को इवॉल्व कर रहे थे। लेकिन, कोच कपिल पांडे ने उन्हें चाइनामैन बॉल करना सिखाई और इस तरह इंडिया को पहला इंटरनेशनल चाइनामैन बौलर मिला। एक चाइनामैन स्पिनर की सबसे बड़ी ताकत होती है बॉल को स्लो रखकर फ़्लाइट कराना। जिसे बैटर्स कभी कभी अपने लिए इस्तेमाल करके ऐसे बौलर्स की धुलाई भी करते हैं। मगर, कुलदीप यादव को बैटर्स से हिट होने का कोई डर नहीं है। उन्होंने एक इंटरव्यू ( Kuldeep Yadav Interview) में बोला था-
“मुझे अगर फ्लाइट करती हुई अच्छे स्पॉट पर लैंड हुई बॉल पर तीन छक्के पड़ेंगे, मैं तब भी चौथी बॉल उसी स्पॉट लर डालूँगा। क्योंकि, मुझे वहीं से विकेट मिलेगा”।
कुलदीप यादव की ये दिलेरी और उनका गेम सेंस ही है कि अभी तक खेले 8 टेस्ट में 34, 73 वनडे में 122, 25 टी-ट्वेंटी में 25 और 59 आईपीएल मैचों में 61 विकेट हासिल किए हैं। कुलदीप को अगर करेंट में इंडिया का बेस्ट विकेट टेकर स्पिनर कहा जाए तो ग़लत नहीं होगा। क्योंकि, वो जब भी बॉल संभालते हैं, विकेट ज़रूर निकालते हैं।

कुलदीप का ये विकेट टेकिंग टेलेंट 2014 के अंडर-19 वर्ल्ड कप में ही दिख गया था। कुलदीप स्कोटलैंड के विरुद्ध एक हैटट्रिक के साथ उस वर्ल्ड कप के बेस्ट बौलर साबित हुए थे। इस बहतरीन परफॉर्मेंस के बाद ही कुलदीप को पहली मेडन इंटरनेशनल कॉल 2014 में मिल गई थी। लेकिन, इंटरनेशनल डेब्यू उन्होंने 2017 मार्च में ऑस्ट्रेलिया के विरूद्ध धर्मशाला टेस्ट से किये। एक ज़रूरी मैच में कुलदीप ने तेज़ गेंदबाज़ों को मदद करने वाली पिच पर पहली ही पारी में 4 विकेट लेकर अपने टैलेंट का लोहा मनवाया।

कुल्दीप को इंटरनेशनल क्रिकेट पर इस मैच के बाद जो पहचान मिली उसमें उन्होंने अगले कुछ सालों में अपने रिकॉर्डतोड़ खेल से चार चांद लगा दिए। आज कुलदीप यादव इंडिया के पहले चाइनामैन बौलर होने के अलावा इकलौते ऐसे इंडियन क्रिकेटर हैं जिसने इंटरनेशनल क्रिकेट में दो हैटट्रिक ली हों। ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के सामने वनडे में दो हैटट्रिक लेने वाले कुलदीप यादव सिर्फ़ 58 वनडे इनिंग्स में 100 विकेट लेने वाले इकलौते स्पिनर हैं। सीधे-सीधे कहें तो रिकॉर्ड और टैलेंट के मामले में फिंगर स्पिनर्स में आज कुलदीप यादव का कोई सानी नहीं है। जोकि, उनके 33 फर्स्ट क्लास मैचों में लिए गए 123 विकेटो का आंकड़ा भी बताता है।
क्यों नहीं जगह बना पते इंडियन टीम में ?
मगर, दोस्तों अब एक सवाल खड़ा होता है कि इतना शनादर रिकॉर्ड और फाइटिंग स्पिरिट रखने के बावजूद कुलदीप यादव को इंडियन टीम में जगह लगातार क्यों नहीं मिलती ? इस सवाल के यूँ तो बहुत सारे जवाब हैं, मगर कुलदीप की इंजरी और उनकी ख़राब फ़ॉर्म के अलावा उन्हें इंडियन टीम में लगातार मौके नही मिलने की सबसे बड़ी वजह है ‘कुल्चा’।

जी दोस्तों! अपने सही समझा। कुल्चा यानी कुलदीप और चहल की जोड़ी ही कुलदीप के टीम में नहीं होने की सबसे बड़ी वजह बनती है। क्योंकि, जब कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल इंटरनेशनल क्रिकेट में छाए तो उन्हें जो उपलब्धि और पहचान मिली उसने एक ये मिथ बना दी कि कुलदीप यादव बिना चहल और इस जोड़ी को बनाने वाले महेन्द्र सिंह धोनी के बिना इंटरनेशनल क्रिकेट में कुछ नहीं है। इसलिए, कैप्टेंस ने या तो कुलदीप और चहल को साथ खिलाना चाहा वरना टीम का स्ट्रक्चर सही नहीं बनने पर कुलदीप को ही बाहर बिठा दिया। इस तरह कुलदीप लगातार अंडरेस्टीमेट किये गए और एक वक्त बहुत मायुसी वाले दौर से गुजरे।
ये भी पढ़ें -एक फौजी से साउथ अफ्रीका के खूंखार बल्लेबाज तक
लेकिन, आईपीएल में कोलकाता से दिल्ली आने से उन्हें जो हौसला मिला। उसने कुल्दीप की इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी की उम्मीद बानी आओके उसके बाद का काम फाइटर कुलदीप ने ख़ुद कर दिखाया। अब आगे कैप्टेन्स उन्हें इंटरनेशनल क्रिकेट में मौका दें या नहीं, मगर कुलदीप यादव की कभी ना हार मानने वाली फाइटिंग स्पिरिट की मिसाल पूरी दुनिया देगी।
यू ट्यूब पर देखिये –