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जानिए श्री राम की बहन शान्ता की कहानी

रामायण से जुड़ी कथाओं से भला कौन अनभिज्ञ होगा, हर कोई ये भली-भांति जानता है कि महाराज दशरथ के चार पुत्र थे जिनके नाम राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न थे।

  लेकिन कम लोगो को ही इस बात का पता है कि इन चार पुत्रों के अलावा उनकी एक बड़ी बेटी शांता भी थी जो कि रानी कौशल्या की कोख से जन्मी थी।

Devi Shanta

हालांकि देवी शांता के बारे में न तो वाल्मीकि रामायण में ही कोई विस्तृत उल्लेख मिलता है न ही रामचरितमानस में ही कोई वर्णन मिलता है। हाँ कुछ विद्वानों के अनुसार वाल्मिकी रामायण में एक दोहे में बड़े ही संक्षेप रूप में बताने की बात कही गयी है।

(श्लोक शुरू) लेकिन  दक्षिण के पुराणों की बात की जाये तो उनमें स्पष्ट रूप से शांता के चरित्र का वर्णन किया गया हैं।

संस्कृत के अद्भुत रामायण में भी शांता के साथ साथ उनके पति ऋषि शृंग के बारे में  बताया गया है। (श्लोक यहाँ तक रहेगा)

आम लोगों को इस बारे में अधिक जानकारी न होने का  सबसे बड़ा कारण यह है कि साहित्यिक शोध के क्षेत्र में भगवान राम के बारे में जानने का मुख्य स्रोत मात्र महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण है

जबकि आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत के अलग-अलग हिस्सों में रामायण के 300 से ज्यादा महाकाव्य और साहित्य उपलब्ध हैैं जो अनेक भारतीय भाषाओं में लिखी गयीं हैं.

दुनियाँ भर के विभिन्न कवियों और लेखकों द्वारा रामायण और श्रीराम के अलावा शायद ही किसी कथा और चरित्र का इतनी श्रद्धा से वर्णन किया गया होगा।

भगवान राम की बहन शांता की कहानी-

बावज़ूद इसके भगवान राम की बहन शांता की कथा का वर्णन रामायण के कुछ ही महाकाव्यों में  किया गया। जबकि वृंदावन के आचार्य मृदुलकांत शास्त्री के अनुसार संस्कृत के रामायण के अलावा भागवत पुराण में भी भगवान राम की बहन और ऋषि श्रंग की कथाओं का वर्णन किया गया है।

आइये सुनते हैं पहले भगवान राम की बहन शांता की कहानी और फिर जानेंगे उनसे जुड़े कुछ साक्ष्यों के बारे में भी।

तमाम रामयणों में देवी शांता से जुड़ी जो कथायें सुनने को मिलती हैं उनमें से 2 प्रमुख हैं जिनमें शुरुआत में थोड़ी सी असमानता अवश्य मिलती है लेकिन बाद में सारी बातें एक समान ही प्रतीत होती हैं।

बाल्यावस्था से ही शांता बहुत होंनहार और हर क्षेत्र में निपूण थीं उन्हें विज्ञान, साहित्य एवम् पाक कला सभी का अनूठा ज्ञान था। वे युद्ध कला में भी पारंगत थीं, अपने युद्ध कौशल से वह सदैव अपने पिता दशरथ को गौरवान्वित कर देती थी।

पहली कथा के अनुसार

एक बार रानी कौशल्या की बहन रानी वर्षिणी अपने पति रोमपद के साथ अयोध्या आते हैं। राजा रोमपद जो कि अंग देश के राजा थे और उनकी कोई संतान नहीं थी।

हम आपको याद दिला दें कि ये वही अंग देश था जहाँ बाद में महाभारत काल में कर्ण ने भी राज किया था। 

एक दिन महल में सभी बैठ कर बातें कर रहे थे तभी अचानक वर्षिणी का ध्यान राजकुमारी शांता की ओर गया, वे शांता की गंभीरता व शालीनता को देखकर बहुत प्रभावित हुई, उन्होंने बड़े ही करुणा भाव से कहा कि अगर उनके भाग्य में संतान हो तो शांता के ही जैसी हो।

Lord Rama’s Elder Sister Shanta

भगवान राम की बहन शांता की कहानी-

उनकी यह बात सुनकर राजा दशरथ भी भावुक होकर शांता को उन्हें गोद देने का वचन दे बैठते हैं। वचन के पक्के राजा दशरथ और माता कौशल्या को अपनी पुत्री अंग देश के राजा रोमपद एवम रानी वर्षिणी को गोद देनी पड़ती हैं |

दूसरी कथा के अनुसार

अंगदेश के राजा रोमपद और राजा दशरथ आपस में मित्र थे।  रोमपद की पत्नी वर्षिणी अक्सर संतान ना होने की वजह से दुखी रहती थीं।

एक बार राजा रोमपद और वर्षिणी महाराज दशरथ और रानी कौशल्या के साथ बैठे हुए थे, राजा रोमपद के मुंह से संतान न होने के दुख की बात सुनकर राजा दशरथ ने उन्हें वचन दे दिया कि मेरी जो भी संतान होगी मैं आपको गोद दे दूंगा।

कुछ समय बीतने के पश्चात रानी कौशल्या ने एक पुत्री को जन्म दिया जिसका नाम शांता रखा गया जिसे अपने वचन के अनुसार राजा दशरथ ने रोमपद और वर्षिणी को सौंप दिया।

इसके आगे की कथा हर रामायण में लगभग एक सी है जिनमें भी देवी शांता की कथा का वर्णन है, जो कि बहुत रोचक भी है और सबको जानने योग्य भी।

एक दिन की बात है अंगराज रोमपद अपनी गोद ली पुत्री यानि राजकुमारी शांता से किसी विषय पर विचार विमर्श कर रहे थे उसी दौरान वहाँ एक ब्राह्मण का आगमन हुआ जो कुछ याचना हेतु उनसे मिलने आया था, लेकिन रोमपद अपनी वार्ता में इतने व्यस्त और तल्लीन थे कि उनका ध्यान न तो ब्राह्मण पर गया न ही वे उनकी याचना ही सुन सके।

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ब्राह्मण को इस बात से बहुत दुःख पहुँचा वह निराश होकर वापस लौट आया।

इस बात से देवराज इंद्र को बहुत क्रोध आया, उन्होंने वरुण देवता को आदेश दिया कि पूरे देश में वर्षा हो परन्तु अंगदेश में जल की एक बूँद न गिरने पाये। वरुण देवता ने यही किया परिणाम स्वरूप उस वर्ष अंगदेश में सुखा पड़ गया।

इस कठिन समस्या से मुक्ति पाने के लिये राजा रोमपद ऋषि शृंग के पास जाते हैं और उन से सारी समस्या से अवगत कराते हैं। आध्यात्मिक ज्ञान के प्रवीण ऋषि शृंंग राजा रोमपद को यज्ञ करने का सुुुझाव देते हैं।

ऋषि शृृंग के कहे नुसार पुरे विधान से यज्ञ का आयोजन किया जाता हैं और यज्ञ संपन्न होने के बाद अंग देश में वर्षा होती हैं और सूखे की समस्या समाप्त हो जाती हैं। अंगराज रोमपद ऋषि शृंग से इतने प्रसन्न होते हैं कि अपनी पुत्री शांता का विवाह ऋषि शृृंग से कर देते हैं |

इधर शांता को गोद दे देने के बाद राजा दशरथ के यहाँ किसी संतान का जन्म नहीं हुआ। संतान का सुख उन्हें अपनी अन्य रानियों कैकेयी और सुमित्रा से भी न मिल सका।

अपने वंश को लेकर चिंतित महाराज दशरथ ऋषि शृंग के पास जाते हैं और उन्हें  यज्ञ करने का आग्रह करते हैं | तब अयोध्या के पूर्व दिशा में एक स्थान पर राजा दशरथ के लिए पुत्र कमिक्षी यज्ञ किया जाता है

Watch On You Tube-

https://www.youtube.com/watch?v=Vrg7REeGH_8&t=16s

इस यज्ञ के बाद प्रशाद के रूप में खीर रानी कौशल्या को दी जाती हैं जिसे वे छोटी रानी कैकयी से बाँटती हैं बाद में दोनों रानी अपने हिस्से में से एक एक हिस्सा सबसे छोटी रानी सुमित्रा को देती हैं जिसके फलस्वरूप सुमित्रा को दो पुत्र लक्ष्मण एवम शत्रुघ्न होते हैं और रानी कौशल्या को राम एवम रानी कैकेयी को भरत की प्राप्ति होती हैं |

धीरे-धीरे समय बीतने के साथ चारों राजकुमार बड़े हो जाते हैं हालांकि शांता के बारे में उन्हें कभी कुछ ज्ञात नहीं था परन्तु समय के साथ वे माता कौशल्या की पीड़ा को समझने लगते हैं क्योंकि कभी-कभी पुत्री शांता के वियोग का कष्ट रानी कौशल्या के मुख पर दिखाई पड़ ही जाता था।

एक दिन राम द्वारा कौशल्या से पूछे जाने पर राम को अपनी जेष्ठ बहन शांता के बारे में पता चल ही जाता है। वे अपनी नाराज़ बहन शांता से मिलते हैं और उन्हें समझा बुझा कर माता कौशल्या और सभी भाइयों से मिलवाते हैं।

इस प्रकार राम अपने माता पिता और बहन शांता के बीच के मतभेद को दूर करते हैं |

चारों भाई जब अपनी बहन शांता से मिलते हैं तो वे अपने भाइयों से अपने त्याग के बदले में उन्हें सदैव एक दूसरे के साथ रहने का वचन लेती हैं जिसका पालन चारो भाई आजीवन एक दुसरे के प्रति समर्पित रहकर करते हैं।

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Prabhath Shanker

Bollywood Content Writer For Naarad TV

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