“जो भाग्य में है वह भाग कर आएगा और जो भाग्य में नहीं है वह आकर भी भाग जाएगा ।”
कहने को तो भाग्य या किस्मत महज अनिश्चितता ही है, पर इसी अनिश्चितता में कई बार जीवन के निश्चित लक्ष्य छुपे होते हैं। कहा जाता है “वक्त से पहले और किस्मत से ज्यादा किसी को कुछ नहीं मिलता।” फिर चाहे आप महान प्रतिभा के धनी हो या फिर आप को महज किस्मत का सहारा हो।
कई बार बेरंग जीवन के रंगों में अपने रंग घोल देती है किस्मत, और तो कई बार जीवन के रंगों को ही बेरंग कर देती है किस्मत। फिर चाहे ,वह खेल का मैदान ही क्यों ना हो, किस्मत तो हर जगह अपने दाव दिखलाती है। खेल के मैदान से जुड़े आज हम ऐसे ही कुछ तथ्यों का उल्लेख करेंगे जहां कई बार मिला बहादुरों को भाग्य का साथ परंतु कई बार बहादुरों से ही रूठ गया भाग्य।
हम बात करेंगे दुनिया की सबसे बड़ी और कठिन क्रिकेट लीग The Indian Premier League (I P L) की जिसमे कुछ ऐसे खिलाड़ी खेल गए जिनको महज़ अपनी किस्मत का सहारा था और कुछ ऐसे खिलाड़ियों की भी जिनकी किस्मत ने ही उनको किनारे कर दिया । ऐसे खिलाड़ियों में कुछ नाम शामिल है- Rajat bhatia, Harshal patel, Nitish Rana और Surya Kumar Yadav. यह कुछ ऐसे खिलाड़ी हैं जो अपनी “मेहनत से खेल दिखाते रहे और पसीने से प्यास बुझाते रहें”। इसके बावजूद भी IPL मे अच्छे प्रदर्शन और अद्भुत और आंकड़े होने के बावजूद भी Indian Team के Dressing room का दरवाजा इनके लिए आज भी बंद है ।
लेकिन , दूसरी और कुछ खिलाडी ऐसे भी हैं। जिन्हें आईपीएल के आसमान तक हुनर से ज़्यादा साथ क़िस्मत का मिला। और वो अपनी किस्मत की बदौलत IPL जैसी बड़ी क्रिकेट लीग खेल गए।
#5:-Baba Aparajit
बाबा अपरजीत दाये हाथ की बल्लेबाजी के साथ ऑफ ब्रेक गेंदबाज़ी भी करते है। बाबा ने 72 प्रथम श्रेणी मैचों में 39 की बैटिंग एवरेज से 3744 रन बनाए । प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनके नाम43 विकेट भी शामिल हैं। उनके आईपीएल करियर की तो बड़ी-बड़ी टीमों के साथ नाम जुड़ने के बावजूद भी बाबा को अभी तक एक भी मैच की प्लेइंग इलेवन में शामिल नहीं किया गया है।
उन्हें साल 2009 में धोनी की कप्तानी वाली C S K में मौका मिला परन्तु वहां भी उन्हें प्लेइंग 11 में स्थान नही मिला। साल 2016 में उन्हें फिर धौनी की कप्तानी वाली Rising Pune Supergiant में शामिल किया गया। घरेलू क्रिकेट में बेहद आकर्षित कर देने वाले आंकड़े ना होने के बावजूद भी वह आईपीएल जैसे बड़े मंच पर अपने नाम को विश्व पटल में प्रस्तुत कर पाए । जिससे ये लगभग तय है। वो सिर्फ उनकी किस्मत है, जिससे वे आईपीएल जैसी बड़ी क्रिकेट लीग के दरवाज़े पर दस्तक दे पाए।
#4:-Nathu Singh
इस दाएं हाथ के तेज गेंदबाज का नाम भारतीय क्रिकेट पटल पर तब आया जब 2015-16 रणजी ट्रॉफी मैच में राजस्थान के लिए खेलते हुए दिल्ली के खिलाफ 87 रन देकर 7 विकेट झटके। जिस कारण आईपीएल 2016 में Mumbai Indians ने आश्चर्यजनक रूप से 3.2 करोड़ रुपए खर्च कर उन्हें खरीदा।
हालांकि इस सीजन उन्हें डेब्यू करने का मौका नही मिला। फिर,अगले ही सीजन में गुजरात लायंस ने उन्हें खरीदा परंतु वे गुजरात लायंस के लिए कुछ खास नही कर पाए। Nathu singh ने आईपीएल में गए 2 मैचों में 4 ओवर डाले गए जिसमें उन्होंने 15 रन देकर 1 विकेट भी चटकाया और उनका बेस्ट बोलिंग फिगर 7 रन देकर 1 विकेट रहा। मैदान पर उनके द्वारा किया गया प्रदर्शन उन्हें भीड़ से अलग नहीं कर पाया और जल्द ही Gujrat Lions ने भी उनसे किनारा कर लिया और इस तरह वह किस्मत से खेलने वाले खिलाड़ियों की फेहरिस्त में शामिल हो गए।
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हमारी इस कड़ी में अगला नाम जुड़ता है
#3:-Unmukt Chand
U19 विश्व कप 2012 के फाइनल में अपनी नाबाद 111 रन की निर्णायक पारी के बदौलत रातों-रात अपने नाम का परचम लहराने वाले “ उन्मुक्त चंद ” का जन्म 26 मार्च 1993 को दिल्ली में हुआ। उन्मुक्त चंद ने अपने घरेलू क्रिकेट करियर की शुरुआत दाहिने हाथ के बल्लेबाज के तौर पर साल 2010 में दिल्ली के लिए की। अपने घरेलू क्रिकेट करियर में उन्मुक्त चंद ने बेहद ही शानदार कीर्तिमान स्थापित किए।
बात करें उन्मुक्त चंद के प्रथम श्रेणी आंकड़ों की तो उन्होंने 48 मैच खेले जिसमें 35.49 की औसत से शानदार 2690 रन बनाएं और वही हम 79 लिस्ट ए मैच खेले जिसमें 39.38 की औसत से 2796 रन बनाए। अपने स्थिर एवं प्रभावशाली खेल के जरिए उन्मुक्त चंद को दिल्ली अंडर-19 का कप्तान बनाया गया।
फिर , नॉर्थ जोन अंडर-19 का कप्तान भी बनाया गया । इसके बाद ही इंडिया अंडर-19 क्रिकेट टीम में उनके सिलेक्शन की राहों के साथ-साथ कैप्टंसी की राहें भी खुल गई और अंडर-19 वर्ल्ड कप को ऑस्ट्रेलिया में जीतने वाले वह पहले कप्तान बन गए।
अपनी प्रभावशाली प्रतिभा और स्थिर खेल की वजह से वह 2011 में अपने आईपीएल सफर को शुरू करने में कामयाब रहे। उन्हें 2011 में दिल्ली की तरफ से पिक किया गया। उन्होंने दिल्ली के लिए आईपीएल सीजन 6 तक खेला ।पर, उनका आईपीएल में प्रदर्शन अंडर-19 वर्ल्ड कप प्रदर्शन के आसपास भी नहीं था।
उन्होंने अपने आईपीएल करियर में 7 मैचों में निराशाजनक प्रदर्शन करते हुए महज 61 रन ही बनाए। बाद में उन्हें राजस्थान रॉयल्स और मुंबई इंडियंस के द्वारा भी पिक किया गया। पर, प्लेइंग इलेवन से ज्यादातर नजरअंदाज किया गया। उन्मुक्त चंद्र अपने अतीत के बेहतरीन प्रदर्शन और अपनी खुशकिस्मती से आईपीएल जैसे बड़े टूर्नामेंट में आ तो गए परंतु अपनी प्रतिभा के पिछले रंग हमेशा बेरंग करते ही नजर आए।
इस सूची में अगला नाम शामिल है
#2:-Akash Chopra
आज के दौर के जाने-माने हिंदी कॉमेंटेटर और क्रिकेट एक्सपर्ट, जी हां हम बात कर रहे हैं आकाश चोपड़ा की। दाएं हाथ के इस ओपनिंग बल्लेबाज ने अपने घरेलू प्रदर्शन से सभी क्रिकेट जानकारों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था। बात करें उनके प्रथम श्रेणी क्रिकेट आंकड़ों की तो उन्होंने 162 मैच में 10839 रन बनाए जिसमें 29 शतक और 53 अर्धशतक भी शामिल है।
अपने शानदार और सुलझे हुए खेल के अंदाज से वे ज्यादा देर तक भारतीय टीम के सिलेक्टर्स की निगाहों से दूर नहीं रह पाए और जल्द ही आकाश चोपड़ा का डेब्यू अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में हो गया।
आकाश का डेब्यू 2003 में न्यूजीलैंड से होने वाली टेस्ट श्रृंखला में एक ओपनिंग बल्लेबाज के तौर पर हुआ। अपने छोटे से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट सफर में आकाश ने 10 मैच खेले जिसमें उन्होंने 437 रन 23 की बैटिंग एवरेज से बनाएं।यह शायद आकाश की किस्मत ही थी, कि 2004 के बाद से कोई अंतरराष्ट्रीय मैच ना खेलने के बावजूद भी आईपीएल के पहले ही सीजन में उन्हें कोलकाता knight riders के द्वारा पिक कर लिया गया।
आकाश ने आईपीएल के लिए 4 सीजन खेले जिसमें राजस्थान रॉयल्स ने उन्हें आखिरी बार साइन किया था। अगर हम बात करें आकाश के आईपीएल करियर के आंकड़ों की तो उन्होंने सिर्फ 7 मैच खेले हैं जिसमें 8.83 की औसत से बल्लेबाजी करते हुए मात्र 57 रन बनाए हैं । इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 74.64 का रहा था। अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के बड़े उतार-चढ़ाव के बाद, आईपीएल के पहले ही सीजन में पिक हो जाना उन्हें किस्मत से खेलने वाले खिलाड़ियों में शामिल करता है।
#1:- Tejasvi Yadav
जी हाँ, पूर्व रेल मंत्री एवं पूर्व बिहार मुख्यमंत्री श्री लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव, क्रिकेट की ख़बरों का बाजार 2008 में तब गरमा गया ।जब,तेजस्वी यादव को सिर्फ 1 रणजी मैच खेलने के दम पर Delhi daredevils ने अपनी टीम में शामिल कर लिया । ये फैसला वाकई चौकाने वाला था। जहाँ भारत जैसे देश मे क्रिकेट टैलेंट की कोई कमी नही है।
वहाँ आईपीएल जैसी बड़ी लीग में किसी को मात्र एक मैच के बाद कैसे शामिल किया जा सकता था ? तेजस्वी यादव ने घरेलू मैच में झारखंड को रिप्रेजेंट किया। जहां, उनका सर्वाधिक स्कोर 19 रन, 10 की बैटिंग एवरेज से रहा। गेंदबाजी में उन्होंने इस मैच में 5 ओवर डाले जहां एक भी सफलता उनके हाथ नहीं लगी। इस प्रदर्शन के बावजूद भी उन्हें 2008 में चमत्कारिक रूप से Delhi Daredevils ने अपनी टीम में पिक किया । वह आईपीएल 2008, 2009, 2011 और 2012 के सीजन में Delhi Daredevils का हिस्सा रहे थे।
हालांकि आईपीएल के 4 सीजन खेलने के बाद भी वह एक भी मैच की playing 11 मैं जगह नहीं बना पाए। जिस पर उनके पिता लालू प्रसाद यादव ने सदन में जमकर हंगामा किया था। बाहर बैठने के साथ-साथ उन्हें खिलाड़ियों को पानी भी सप्लाई करना पड़ा इस बात से उनके पिता लालू प्रसाद यादव बहुत आहत थे। क्रिकेट से दूरी बनाने के बाद तेजस्वी को बिहार का डिप्टी सीएम बना दिया गया।
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