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वरुण आरोन : अपनी रफ्तार से तोड़ी विपक्षी खिलाड़ी की नाक

वरुण एरोन
ऐसा खिलाड़ी जिसने विपक्षी खिलाड़ी की नाक तोड़ दी

रफ़्तार, एक ऐसा लफ्ज़ जिसे हर कोई पसंद करता है। एक ऐसा लफ्ज़ जिसके पीछे पूरी दुनिया दिवानी है। मगर इस भागती दौड़ती जिंदगी में महज कुछ लोग ही रफ्तार के साथ आगे बढ़ पाते हैं बाकि लोग अपनी रफ्तार को नियंत्रित नहीं कर पाते और सबसे तेज होते हुए भी वो लोग जिंदगी में सबसे पीछे रह जाते हैं। और कुछ ऐसी ही कहानी है भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज वरुण एरोन की। कभी अपनी गेंदों से आग उगलने वाला ये गेंदबाज आज क्रिकेट की गलियों में गुमनाम सा हो गया है। अगर चोटों ने इस खिलाड़ी को परेशान नहीं किया होता तो आज वरुण आरोन टीम इंडिया में होते। दोस्तों एक समय ऐसा था जब वरुण एरोन को भारतीय क्रिकेट टीम का अगला ब्रेट ली कहा जाता था। उनकी 150 किलोमीटर पर आवर की गेंद दुनिया के बड़े से बड़े बल्लेबाज का स्टंप उखाड़ने के लिए काफी थी। और कई ऐसे मौके भी आए जब इस गेंदबाज ने बल्लेबाजों की नाक से खून निकाल दिया। अपने गेंदबाजी तरकस में खूनी बाउंसर का घातक तीर रखने वाला ये किलर बाउंसर 22 गज की पिच पर तूफान सा ला देता था। मगर कहते हैं तूफान लाना बहुत आसान होता है लेकिन तूफान के साथ डट कर खड़े रहना बहुत मुश्किल। और इस तेज गेंदबाज के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। ये गेंदबाज किसी बवंडर की तरह आया और कुछ ही समय में गायब हो गया। “अनसंग हीरोज ऑफ इंडियन क्रिकेट” की इस खास श्रृंखला में आज हम बात करेंगे तेज गेंदबाज वरुण एरॉन की।

वरुण आरोन
वरुण आरोन – इंडियन क्रिकेटर

दोस्तों 15 साल की उम्र कोई ज्यादा उम्र नहीं होती। इस उम्र में बच्चे नाइंथ और टेंथ क्लास में पढ़ रहे होते हैं। इस ऐज में बहुत सारे बच्चों को तो पता भी नहीं होता कि जिंदगी में उन्हें क्या करना है और करियर के क्या-क्या ऑप्शन हो सकते हैं? लेकिन महज 15 साल की उम्र में वरुण एरोन एमआरएफ पेस फाऊंडेशन से जुड़ गए थे। दोस्तों आपको बता दें कि चेन्नई में मौजूद एमआरएफ पेस फाउंडेशन भारत की तेज गेंदबाजी को तराशने का काम करता है। वरुण आरोन की प्रतिभा को देखकर उन्हें भी ट्रेनिंग के लिए पेस फाउंडेशन भेज दिया गया। यहां आकर वरुण एरोन अपनी तेज गेंदबाजी को तराशने लगे। महज 2-3 साल में वरुण आरोन एक किफायती तेज गेंदबाज बन गए। और इसी का नतीजा रहा कि झारखंड की अंडर-19 टीम का कप्तान वरुण आरोन को बनाया गया। आगे चलकर वरुण आरोन ने अपना घरेलू क्रिकेट डेब्यू भी झारखंड की तरफ से किया। वरुण धवन ने 2008 में रणजी ट्रॉफी से अपना डेब्यू किया वो इस समय झारखंड की रणजी टीम का हिस्सा थे। साल 2011 में विजय हजारे ट्रॉफी में झारखंड की तरफ से खेलते हुए उन्होंने 153 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से गेंद फेंकी और नेशनल सिलेक्टर्स का ध्यान अपनी तरफ खींचा। नतीजतन इसी साल वरुण एरोन को भारतीय टीम में जगह मिल गई। वरुण एरोन ने 2011 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में अपना वनडे डेब्यू किया। वरुण एरोन का वनडे डेब्यू बहुत शानदार रहा। उन्होंने अपने करियर के पहले 6 विकेट बल्लेबाजों को बोल्ड करके प्राप्त किए, जिसमें एलेस्टर कुक जैसे बल्लेबाज का नाम शामिल था।

वरुण आरोन 2014 में इंग्लैंड दौरे पर गये थे। यहां पर एक मैच के दौरान उन्होंने स्टुअर्ट ब्रॉड की नाक तोड़ दी थी। इस घटना के बाद ब्रॉड की बल्लेबाजी पर बुरा असर पड़ा था। भविष्य में वे आगे कभी खुलकर बैटिंग नहीं कर पाए। स्टुअर्ट ब्रॉड ने कहा भी था कि आरोन की बाउंसर लगने के बाद वे अपना कॉन्फिडेंस खो बैठे थे‌। वरुण आरोन की इस खूनी बाउंसर के बाद सबको लग रहा था कि आगे चलकर वरुण आरोन इंडिया के सबसे तेज गेंदबाज बनेंगे। वरुण आरोन इंग्लिश काउंटी क्रिकेट में भी खेले हैं। वे डरहम टीम का हिस्सा रहे हैं। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनके नाम 63 मैच में 167 विकेट रहे हैं।  दोस्तों वरुण का जन्म 29 अक्टूबर 1989 को जमशेदपुर में हुआ था। 2008 में वो ऑस्ट्रेलियन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में खेलने के लिए चुने जाने वाले दो एमआरएफ भारतीय अंडर -19 संभावनाओं में से एक थे। अपने प्रभावशाली गेंदबाजी आंकड़ों के साथ साथ वह एक अच्छे बल्लेबाज भी साबित हुए हैं।

 

आइए अब एक नजर वरूण आरोन के क्रिकेट कैरियर पर डालते हैं।

 

1.डोमेस्टिक क्रिकेट : 15 साल की उम्र में वरुण एमआरएफ पेस फाउंडेशन में शामिल हो गए थे।  2008-09 के रणजी सीजन में उन्होंने घरेलू क्रिकेट में अपने कदम रखे। 2010-11 का रणजी ट्रॉफी सीजन वरुण के लिए काफी प्रभावशाली रहा। वरुण ने 2010-11 रणजी ट्रॉफी में 13 विकेट लिए और जहां वरुण ने सबसे तेज गेंद 153.4 किमी/घंटा की रफ्तार से की थी। सितंबर 2014 में, वरुण को 2014 काउंटी चैम्पियनशिप के लिए डरहम काउंटी क्रिकेट क्लब ने चुना था।  अक्टूबर 2018 में, उन्हें 2018-19 देवधर ट्रॉफी के लिए भी इंडिया बी की टीम में नामित किया गया था। इसके आलावा उन्होंने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी 2019-20 के आठ मैचों में 10 विकेट अपने नाम किए थे।

 

2.आईपीएल करियर :- वरुण का आईपीएल करियर उनके अंतर्राष्ट्रीय करियर की तरह उतार चढ़ाव से भरा रहा। शुरुआत में वे कोलकाता नाइट राइडर्स टीम का हिस्सा थे। लेकिन उनका आईपीएल डेब्यू 2011 में दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए हुआ था। दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए 2011 इंडियन प्रीमियर लीग में उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया था। वह रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए भी खेल चुके हैं। 2014 आईपीएल में उन्होंने आरसीबी के लिए 10 मैचों में 16 विकेट लिए थे। 2017 की आईपीएल नीलामी में किंग्स इलेवन पंजाब ने उन्हें 2.8 करोड़ रुपए में खरीदा था। आईपीएल के 12वें सीजन में वरुण राजस्थान रॉयल्स से जुड़े थे। दिसंबर 2018 में, नीलामी में उन्हें 2019 इंडियन प्रीमियर लीग के लिए राजस्थान रॉयल्सद्वारा ने खरीदा था। फरवरी 2022 में, वरूण को 2022 इंडियन प्रीमियर लीग टूर्नामेंट के लिए गुजरात टाइटन्स द्वारा खरीदा गया था।

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3.अंतर्राष्ट्रीय करियर :- 2011 में मुंबई में इंग्लैंड के खिलाफ वरुण ने अपने वनडे करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने अपनी तेज गेंदबाजी से 24 रन देकर तीन विकेट हासिल किए थे।  जनवरी 2014 को, वरूण ने 2 साल बाद अपनी अंतरराष्ट्रीय वापसी की, जहां उन्होंने 52 रन देकर एक विकेट अपने नाम किया। श्रीलंका के खिलाफ एक मैच में, वरुण ने 152.5 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से गेंदबाजी की थी, जो कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी भारतीय द्वारा की गई तीसरी सबसे तेज गेंद थी।

 

जब वेस्टइंडीज के खिलाफ उनका वनडे डेब्यू हुआ था, उसी साल वरुण का टेस्ट डेब्यू हुआ था। वेस्टइंडीज के खिलाफ भारत की घरेलू श्रृंखला में उन्हें पहली बार टेस्ट टीम में चुना गया था।  नवंबर 2011 को वरूण ने वानखेड़े स्टेडियम, मुंबई में तीसरे टेस्ट से टेस्ट क्रिकेट में अपने कदम रखे थे। उन्होंने पहली पारी में 106 रन देकर 3 विकेट लिए थे। पीठ की चोट की वजह से उन्हें राष्ट्रीय क्रिकेट से दो साल के लिए ब्रेक मिला था। जुलाई 2014 में वरुण को भारत द्वारा इंग्लैंड में खेली जाने वाली पांच मैचों की टेस्ट श्रृंखला के लिए चुना गया था। पहले 3 टेस्ट के लिए बेंच पर बैठने के बाद, वरुण ओल्ड ट्रैफर्ड में चौथे टेस्ट में उपस्थित हुए थे। जिसमे उन्होंने 97 रन देकर 3 विकेट लिए थे।  2014 में भारत के इंग्लैंड दौरे के दौरान वरुण की गति ने काउंटी टीम डरहम को प्रभावित किया था और वरुण को सत्र के अंतिम कुछ हफ्तों के लिए अनुबंधित किया गया था, जिसके बाद वरुण को अगस्त 2015 में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए चुना गया था।

 

अगर वरूण के निजी जिंदगी की बात करे तो वरुण का जन्म जमशेदपुर के एक ईसाई परिवार में हुआ था। वरुण के पिता का नाम क्लेमेंट पॉल आरोन और माँ का नाम मैरी आरोन है। साल 2016 में वरूण ने अपनी बचपन की दोस्त रागिनी सिंह से शादी की थी।

 

वरुण आरोन करियर में कंसिस्टेंसी के साथ ही चोटों से भी परेशान रहे। 2008 में रणजी ट्रॉफी डेब्यू के बाद कमर में दो स्ट्रेस फ्रेक्चर के चलते उन्हें क्रिकेट से दूर रहना पड़ा. इसके बाद 2011-12 में पीठ में दिक्कत के चलते 15 महीनों तक वे मैदान से दूर रहे. 2014 में पैर की चोट ने तो उनके टेस्ट करियर को एक तरह से खत्म करने का काम किया. आरोन ने भारत के लिए नौ टेस्ट और नौ वनडे खेले. टेस्ट में उन्हें 18 और वनडे में 11 विकेट मिले. 2015 में वे आखिरी बार भारत के लिए खेले थे, वरूण अगले चार साल तक टीम इंडिया की प्लानिंग में रहे लेकिन वो लगातार टीम के लिए नहीं खेल सके और इस तरह देखते ही देखते इस तेज गेंदबाज का करियर खत्म हो गया। वरुण फिलहाल घरेलू क्रिकेट में काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और अगले कुछ सालों तक हम उन्हें शायद आईपीएल में भी देखते रहेंगे।

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